Bihar Board class 10 Economics chapter 3 solutions are available here. With this free guide, you will get complete set of question answer of Economics chapter 3 – “मुद्रा, बचत एवं साख” in hindi medium.
बिहार बोर्ड कक्षा 10 के अर्थशास्त्र पाठ्यक्रम का तीसरा अध्याय “मुद्रा, बचत एवं साख” आपको अर्थव्यवस्था के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों से परिचित कराएगा। इस अध्याय में, आप मुद्रा के विकास, उसके कार्यों और विभिन्न रूपों के बारे में गहराई से जानेंगे। साथ ही, आप बचत की अवधारणा, उसके महत्व और अर्थव्यवस्था पर उसके प्रभाव को समझेंगे। इसके अतिरिक्त, यह अध्याय आपको साख प्रणाली, बैंकों की भूमिका और विभिन्न प्रकार के ऋणों के बारे में भी शिक्षित करेगा। ये जानकारियां आपको न केवल दैनिक जीवन में वित्तीय निर्णय लेने में मदद करेंगी, बल्कि आपको देश की आर्थिक नीतियों को बेहतर ढंग से समझने में भी सहायक होंगी।

Bihar Board Class 10 Economics Chapter 3 Solutions
Contents
Subject | Economics |
Class | 10th |
Chapter | 3. मुद्रा, बचत एवं साख |
Board | Bihar Board |
Bihar Board Class 10 Economics Chapter 3 वस्तुनिष्ठ प्रश्नोत्तर
I. रिक्त स्थानों को भरें:
- आधुनिक युग की प्रगति का श्रेय मुद्रा को ही है।
- मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था की जीवन शक्ति है।
- मुद्रा के विकास का इतिहास मानव-सभ्यता के विकास का इतिहास है।
- एक बस्तु के बदले में दूसरी-वस्तु के आदान-प्रदान को वस्तु-विनिमय प्रणाली कहा जाता है।
- मुद्रा का आविष्कार मनुष्य की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
- मुद्रा विनिमय का माध्यम है।
- प्लास्टिक मुद्रा के चलते विनिमय का कार्य सरल है।
- मुद्रा एक अच्छा सेवक है।
- आय तथा उपभोग का अंतर बचत कहलाता है।
- साख का मुख्य आधार विश्वास है।
Bihar Board Class 10 Economics Chapter 3 लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1. वस्तु विनिमय प्रणाली क्या है?
उत्तर: वस्तु विनिमय प्रणाली वह प्रणाली है जिसमें एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु का आदान-प्रदान किया जाता है। इसमें मुद्रा का उपयोग नहीं होता। उदाहरण के लिए, गेहूँ के बदले चावल लेना, सब्जी के बदले तेल लेना, आदि। यह प्रणाली सरल है, लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों के बीच समान मूल्य की वस्तुओं का आदान-प्रदान होना आवश्यक है।
प्रश्न 2. मौद्रिक प्रणाली क्या है?
उत्तर: मौद्रिक प्रणाली में वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए मुद्रा का उपयोग किया जाता है। इसमें व्यक्ति पहले अपनी वस्तु या सेवा बेचकर मुद्रा प्राप्त करता है, फिर उस मुद्रा से अन्य आवश्यक वस्तुएँ खरीदता है। यह प्रणाली वस्तु विनिमय की कठिनाइयों को दूर करती है और व्यापार को सरल बनाती है।
प्रश्न 3. मुद्रा की परिभाषा दें।
उत्तर: मुद्रा वह माध्यम है जो वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान में उपयोग होता है। इसे सामान्यतः धातु के सिक्के और कागजी नोटों के रूप में जाना जाता है। मुद्रा का मुख्य कार्य मूल्य का मापन और विनिमय का साधन बनना है। यह अर्थव्यवस्था में लेन-देन को सरल और सुव्यवस्थित बनाने में मदद करती है।
प्रश्न 4. ATM क्या है?
उत्तर: एटीएम (स्वचालित टेलर मशीन) एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है जो 24 घंटे रुपये निकालने और जमा करने की सुविधा प्रदान करती है। यह मशीन प्लास्टिक कार्ड, जिसे एटीएम कार्ड कहा जाता है, का उपयोग करके बैंक खातों से नकदी लेन-देन को आसान बनाती है। एटीएम का उपयोग सुरक्षित और त्वरित बैंकिंग सेवाओं के लिए किया जाता है।
प्रश्न 5. Credit Card क्या है?
उत्तर: क्रेडिट कार्ड एक प्रकार की प्लास्टिक मुद्रा है, जो बैंक द्वारा जारी की जाती है। यह कार्ड ग्राहक को एक निश्चित सीमा तक उधार लेने की सुविधा देता है, जिसे वह बाद में चुकता करता है। क्रेडिट कार्ड का उपयोग वस्त्र, सेवाएँ, और ऑनलाइन खरीदारी के लिए किया जा सकता है, जिससे भुगतान प्रक्रिया सरल और सुविधाजनक होती है।
प्रश्न 6. बचत क्या है?
उत्तर: बचत का मतलब है, आय का वह हिस्सा जो उपभोग में नहीं लगाया जाता है और भविष्य के लिए सुरक्षित रखा जाता है। बचत से व्यक्ति या समाज भविष्य की अनिश्चितताओं के लिए आर्थिक सुरक्षा प्राप्त करता है। यह धन को संचित करने और आपातकालीन स्थितियों में उपयोग करने की सुविधा प्रदान करता है।
प्रश्न 7. साख क्या है?
उत्तर: साख का अर्थ है, किसी व्यक्ति या संस्था की आर्थिक विश्वासनीयता, जिससे वह उधार लेने की योग्यता रखता है। अधिक साख का मतलब है कि लोग उस व्यक्ति या संस्था पर अधिक विश्वास करते हैं कि वे अपने ऋणों का भुगतान समय पर करेंगे। साख के आधार पर ही आर्थिक लेन-देन और वित्तीय सेवाएँ निर्भर करती हैं।
Bihar Board Class 10 Economics Chapter 3 दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1: वस्तु विनिमय प्रणाली की कठिनाइयों पर प्रकाश डालें।
उत्तर: वस्तु विनिमय प्रणाली में वस्तुओं के प्रत्यक्ष आदान-प्रदान में कई कठिनाइयाँ थीं:
- आवश्यकताओं का दोहरा संयोग:
इस प्रणाली में विनिमय तभी संभव था जब दोनों पक्षों की आवश्यकताएँ एक-दूसरे से मिलती हों। उदाहरण के लिए, एक किसान को कपड़े की जरूरत है और जुलाहे को अनाज चाहिए। यदि उनकी आवश्यकताएँ मेल नहीं खातीं, तो विनिमय असंभव हो जाता था। - मूल्य के सामान्य मापक का अभाव:
इस प्रणाली में किसी वस्तु का मूल्य निर्धारण करना कठिन था। एक गाय के बदले कितनी बकरियाँ दी जाएँ या एक सेर चावल के बदले कितना घी दिया जाए, यह तय करना मुश्किल था क्योंकि कोई सर्वमान्य मापक नहीं था। - मूल्य संचय का अभाव:
इस प्रणाली में वस्तुओं को लंबे समय तक संचित रखना कठिन था, खासकर उन वस्तुओं को जो जल्दी खराब हो जाती हैं जैसे मछली, फल, सब्जी आदि। - सह-विभाजन का अभाव:
कई वस्तुओं का विभाजन नहीं किया जा सकता था। उदाहरण के लिए, एक गाय को तीन-चार टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता था। इससे वस्तुओं के छोटे हिस्सों में विनिमय करना कठिन हो जाता था। - भविष्य में भुगतान की कठिनाई:
उधार लेन-देन में भी कठिनाइयाँ थीं। उदाहरण के लिए, यदि किसी ने एक गाय उधार दी, तो उसे लौटाने में असमानता आ सकती थी, क्योंकि गाय से प्राप्त दूध और अन्य उपज का मूल्य अलग हो सकता था। - मूल्य हस्तांतरण की समस्या:
एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने पर संपत्ति का हस्तांतरण करना कठिन था। लोग अपनी संपत्ति बेचकर स्थानांतरित नहीं कर सकते थे क्योंकि वस्तुओं का आदान-प्रदान मुश्किल था।
प्रश्न 2: मुद्रा के कार्यों पर प्रकाश डालें।
उत्तर: मुद्रा के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं:
- विनिमय का माध्यम:
मुद्रा ने वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय को सरल बना दिया है। इसके माध्यम से आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या समाप्त हो गई है, और लोग आसानी से अपनी वस्तुओं को मुद्रा के बदले बेचकर आवश्यक वस्तुएं खरीद सकते हैं। - मूल्य का मापक:
मुद्रा वस्तुओं के मूल्यांकन का मानक है। इसके माध्यम से किसी भी वस्तु का मूल्य निर्धारित करना आसान हो गया है, जो पहले वस्तु विनिमय प्रणाली में मुश्किल था। - बिलंबित भुगतान का मान:
आधुनिक अर्थव्यवस्था में उधार लेन-देन का बड़ा हिस्सा मुद्रा पर आधारित है। यह ऋण के भुगतान और विलंबित भुगतान को सरल बनाती है, जिससे व्यापार और आर्थिक गतिविधियाँ सुचारू रूप से चलती हैं। - मूल्य का संचय:
मुद्रा को आसानी से संचित किया जा सकता है, जिससे लोग अपनी भविष्य की जरूरतों के लिए बचत कर सकते हैं। यह गुण वस्तु विनिमय प्रणाली में नहीं था, क्योंकि वस्तुएँ जल्दी खराब हो सकती थीं। - क्रय शक्ति का हस्तांतरण:
मुद्रा के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान पर आर्थिक क्रय शक्ति को हस्तांतरित करना संभव हो गया है। यह व्यक्ति को अपनी संपत्ति बेचकर कहीं और नयी संपत्ति खरीदने में सहायता करती है। - साख का आधार:
मुद्रा ने साख पत्रों जैसे चेक, ड्राफ्ट आदि के उपयोग को संभव बना दिया है, जिससे आर्थिक लेन-देन में अधिक सुविधाएँ और सुरक्षा आई हैं।
प्रश्न 3: मुद्रा के आर्थिक महत्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर: मुद्रा आधुनिक आर्थिक व्यवस्था की रीढ़ है। इसके बिना आर्थिक गतिविधियाँ सुचारू रूप से नहीं चल सकतीं। मुद्रा ने वैश्विक स्तर पर आर्थिक प्रगति को संभव बनाया है, चाहे वह पूंजीवादी, समाजवादी या मिश्रित अर्थव्यवस्था हो। मुद्रा के महत्व के बारे में अर्थशास्त्रियों ने कहा है कि यह आर्थिक जीवन की धुरी है, जिस पर पूरी आर्थिक व्यवस्था घूमती है। प्रसिद्ध अर्थशास्त्री ट्रेस्कॉट के अनुसार, “यदि मुद्रा हमारी अर्थव्यवस्था का हृदय नहीं है, तो यह रक्त-स्रोत अवश्य है।” मुद्रा के बिना, आर्थिक गतिविधियाँ एक दिन भी चलना संभव नहीं है, और इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है कि यह आर्थिक स्थिरता और विकास को बनाए रखने में सहायता करती है।
प्रश्न 4: मुद्रा के विकास पर प्रकाश डालें।
उत्तर: मुद्रा का विकास एक क्रमिक प्रक्रिया रही है:
- वस्तु विनिमय:
प्रारंभिक समय में वस्तु के बदले वस्तु का आदान-प्रदान होता था। - वस्तु मुद्रा:
कुछ विशिष्ट वस्तुएँ, जैसे गाय, अनाज, आदि, मुद्रा के रूप में उपयोग की जाती थीं। - धात्विक मुद्रा:
बाद में धातु से बने सिक्के, जैसे ताँबा, चाँदी, आदि, मुद्रा के रूप में उपयोग होने लगे। - सिक्के:
धातु से बने सिक्कों पर सरकारी मुहर लगी होती थी, जिससे वे प्रामाणिक होते थे। - पत्र मुद्रा:
कागजी मुद्रा या बैंक नोट्स का प्रचलन हुआ, जो सिक्कों की तुलना में अधिक सुविधाजनक था। - साख मुद्रा:
चेक, ड्राफ्ट, आदि, जो कागजी मुद्रा के आधार पर उपयोग होते हैं, साख मुद्रा के रूप में उभरे। - प्लास्टिक मुद्रा:
वर्तमान में क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड जैसे प्लास्टिक मुद्रा का प्रचलन बढ़ गया है, जो डिजिटल लेन-देन को सरल और सुरक्षित बनाता है।
प्रश्न 5: साख पत्र क्या है? प्रमुख साख पत्रों पर प्रकाश डालें।
उत्तर: साख पत्र ऐसे साधन हैं जो साख मुद्रा के रूप में कार्य करते हैं, और इन्हें आर्थिक लेन-देन में उपयोग किया जाता है। प्रमुख साख पत्र निम्नलिखित हैं:
- चेक: यह एक लिखित आदेश है जो बैंक को किसी विशेष राशि का भुगतान करने का निर्देश देता है। यह सबसे सामान्य साख पत्र है।
- बैंक ड्राफ्ट: यह एक प्रकार का साख पत्र है जिसमें एक बैंक किसी अन्य बैंक या उसकी शाखा को आदेश देता है कि उसमें निर्दिष्ट राशि का भुगतान किया जाए। यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर धन भेजने का एक सुरक्षित तरीका है।
- यात्री चेक: यात्रियों के लिए विशेष रूप से जारी किया जाता है, जो उन्हें बैंक में जमा की गई राशि के आधार पर धन प्राप्त करने की सुविधा देता है। यह सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है।
- प्रतिज्ञा पत्र: इसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को एक निश्चित राशि देने का वादा करता है, जिसे एक निश्चित समय के बाद भुगतान किया जाता है। यह साख पत्र ऋण की पुष्टि और विश्वास के रूप में कार्य करता है।