Bihar Board Class 8 Civics Chapter 6 Solutions are available here. This covers the written question answer from the New Civics Book Chapter 6 – “हाशियाकरण से निपटना”. All solutions are in hindi medium and follow the new syllabus.
यह अध्याय आपको बताएगा कि समाज के हाशिए पर मौजूद लोगों को बराबरी के अवसर कैसे मिल सकते हैं। आप जानेंगे कि संविधान और सरकार ने आरक्षण और खास कानूनों के जरिए क्या कदम उठाए हैं। यह अध्याय यह भी समझाएगा कि केवल कानून बनाना ही काफी नहीं, उनका पालन भी जरूरी है।

Bihar Board Class 8 Civics Chapter 6 Solutions
| Chapter | 6. हाशियाकरण से निपटना |
| Subject | Civics (सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन) |
| Class | 8th |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास
1. दो ऐसे मौलिक अधिकार बताइए जिनका दलित समुदाय प्रतिष्ठापूर्ण और समतापरक व्यवहार पर जोर देने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। इस सवाल का जवाब देने के लिए पृष्ठ 14 पर दिए गए मौलिक अधिकारों को दोबारा पढ़िए।
उत्तर:
दलित समुदाय निम्नलिखित दो मौलिक अधिकारों का उपयोग करके सम्मान और समानता की मांग कर सकता है:
(i) समानता का अधिकार:
यह अधिकार कहता है कि देश का कानून सभी लोगों को बराबर मानेगा। चाहे कोई किसी भी जाति, धर्म या लिंग का हो, उसके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता। उदाहरण के लिए, स्कूल, पार्क, दुकान या बस जैसी सार्वजनिक जगहों पर सभी को बराबर अधिकार है। कोई भी दलित व्यक्ति को इन जगहों पर जाने से नहीं रोक सकता। साथ ही, छुआछूत जैसी गलत प्रथाओं को भी खत्म किया गया है। इस अधिकार की मदद से दलित समुदाय सम्मान के साथ जी सकता है।
(ii) स्वतंत्रता का अधिकार:
इस अधिकार के तहत हर व्यक्ति को अपनी बात कहने, संगठन बनाने, देश में कहीं भी घूमने-फिरने और रहने, या अपनी पसंद का काम करने की आजादी है। दलित समुदाय इस अधिकार का उपयोग करके अपनी आवाज उठा सकता है और बिना डर के अपने हक के लिए लड़ सकता है।
2. रत्नम की कहानी और 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों को दोबारा पढ़िए। अब एक कारण बताइए कि रत्नम ने इसी कानून के तहत शिकायत क्यों दर्ज कराई।
उत्तर:
रत्नम ने 1989 के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज की क्योंकि उनके साथ उनकी जाति के कारण अपमान और हिंसा हुई थी। यह कानून दलितों और आदिवासियों के खिलाफ होने वाले भेदभाव, अपमान या हिंसा को रोकने के लिए बनाया गया है। इस कानून में ऐसी घटनाओं के लिए सख्त सजा का प्रावधान है। रत्नम ने इस कानून का सहारा लिया ताकि उनके साथ हुए गलत व्यवहार के खिलाफ कार्रवाई हो और उन्हें न्याय मिले।
3. सी. के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं को ऐसा क्यों लगता है कि आदिवासी भी अपने परंपरागत संसाधनों के छीने जाने के खिलाफ़ 1989 के इस कानून का इस्तेमाल कर सकते हैं? इस कानून के प्रावधानों में ऐसा क्या खास है जो उनकी मान्यता को पुष्ट करता है?
उत्तर:
सी. के. जानू और अन्य आदिवासी कार्यकर्ताओं का मानना है कि 1989 का अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम उनकी जमीन और जंगलों जैसे परंपरागत संसाधनों की रक्षा कर सकता है। यह कानून आदिवासियों के साथ होने वाले अन्याय, जैसे उनकी जमीन पर गैर-कानूनी कब्जा, को रोकने में मदद करता है। इस कानून में यह प्रावधान है कि अगर कोई आदिवासी की जमीन छीनता है या उनके अधिकारों का हनन करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
इसके अलावा, यह कानून आदिवासियों को उनके हक वापस दिलाने और पुनर्वास की सुविधा भी देता है। इसलिए यह कानून आदिवासियों के लिए एक मजबूत हथियार है।
4. इस इकाई में दी गई कविताएँ और गीत इस बात का उदाहरण हैं कि विभिन्न व्यक्ति और समुदाय अपनी सोच, अपने गुस्से और अपने दुखों को किस-किस तरह से अभिव्यक्त करते हैं। अपनी कक्षा में ये दो कार्य कीजिए-
(क) एक ऐसी कविता खोजिए जिसमें किसी सामाजिक मुद्दे की चर्चा की गई है। उसे अपने सहपाठियों के सामने पेश कीजिए। दो या अधिक कविताएँ लेकर छोटे-छोटे समूहों में बैठ जाइए और उन कविताओं पर चर्चा कीजिए। देखें कि कवि ने क्या कहने का प्रयास किया है।
उत्तर:
सबसे पहले, तुम अपनी किताबों, अखबारों या इंटरनेट पर ऐसी कविता ढूंढो जो किसी सामाजिक मुद्दे, जैसे गरीबी, भेदभाव, या छुआछूत, की बात करती हो। उदाहरण के लिए, तुम कवि सोयराबाई की कविता पढ़ सकते हो, जो छुआछूत के खिलाफ अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हैं। कक्षा में अपने दोस्तों के सामने यह कविता पढ़ो। फिर, 4-5 दोस्तों का एक छोटा समूह बनाओ। समूह में सब लोग अपनी-अपनी कविताएँ पढ़ें और इन सवालों पर बात करें:
- कविता में कौन सा सामाजिक मुद्दा उठाया गया है?
- कवि ने अपने दुख या गुस्से को कैसे व्यक्त किया है?
- कविता पढ़कर तुम्हें कैसा लगा?
(ख) अपने इलाके में किसी एक हाशियाई समुदाय का पता लगाइए। मान लीजिए कि आप उस समुदाय के सदस्य हैं। अब इस समुदाय के सदस्य की हैसियत से अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए कोई कविता या गीत लिखिए या पोस्टर आदि बनाइए।
उत्तर:
सबसे पहले, अपने आसपास के इलाके में किसी हाशियाई समुदाय, जैसे मजदूर, सफाई कर्मचारी, या आदिवासी समुदाय, के बारे में जानकारी इकट्ठा करो। उनके जीवन, परेशानियों और सपनों के बारे में सोचो। फिर, मान लो कि तुम उस समुदाय का हिस्सा हो। अब अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए एक कविता, गीत या पोस्टर बनाओ।
उदाहरण (कविता): मैं हूँ मजदूर
मैं हूँ मजदूर, मेहनत मेरा गहना,
सुबह से शाम, बनाऊँ दुनिया सजना।
लेकिन मेरी बात, कोई सुनता नहीं,
मेरे हक की बात, कोई पूछता नहीं।
मुझे भी चाहिए, एक सम्मान भरा जीवन,
सपनों का घर, और बच्चों का सही शिक्षण।