Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 11 Solutions – विद्याधनम् (New Book)

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इस पाठ में विद्या के महत्त्व को सरल श्लोकों के माध्यम से समझाया गया है। बताया गया है कि विद्या ऐसा धन है जिसे न चोर चुरा सकता है, न कोई छीन सकता है और न ही यह बाँटी जाती है। विद्या व्यक्ति की शोभा बढ़ाती है, सुख देती है और जीवन में सफलता का मार्ग खोलती है। यह माता की तरह रक्षा करती है और पिता की तरह हित करती है। इसलिए हर मनुष्य को विद्या रूपी धन अर्जित करना चाहिए।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 11 Solutions new book

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 11 Solutions

SubjectSanskrit
Class7th
Chapter11. विद्याधनम्
BoardBihar Board

1. उपयुक्तकथनानां समक्षम् ‘आम्’, अनुपयुक्तकथनानां समक्षं ‘न’ इति लिखत-

(उचित कथनों के सामने ‘हाँ’ और अनुचित कथनों के सामने ‘नहीं’ लिखिए)

(क) विद्या राजसु पूज्यते। (विद्या राजाओं द्वारा पूजी जाती है।)

उत्तर: आम्

(ख) वाग्भूषणं भूषणं न। (वाणी का भूषण भूषण नहीं है।)

उत्तर: न [सही कथन: वाणी का भूषण ही असली भूषण है।]

(ग) विद्याधनं सर्वधनेषु प्रधानम्। (विद्या रूपी धन सभी धनों में सर्वश्रेष्ठ है।)

उत्तर: आम्

(घ) विदेशगमने विद्या बन्धुजनः न भवति। (विदेश यात्रा में विद्या बंधु नहीं होती है।)

उत्तर: न [सही कथन: विदेश यात्रा में विद्या ही हमारा बंधु होती है।]

(ङ) सर्वं विहाय विद्याधिकारं कुरु। (सब कुछ छोड़कर विद्या प्राप्त करो।)

उत्तर: आम्

2. अधोलिखितानां पदानां लिङ्ग, विभक्तिं, वचनञ्च लिखत-

(नीचे लिखे शब्दों का लिंग, विभक्ति और वचन लिखिए)

उत्तर:

पदानिलिङ्गम्विभक्ति:वचनम्‌
नरस्यपुँल्लिङ्गम्षष्ठीएकवचनम्
गुरूणाम्‌पुँल्लिङ्गम्षष्ठीबहुवचनम्
केयूरा:पुँल्लिङ्गम्प्रथमाबहुवचनम्
कीर्तिम्‌स्त्रीलिङ्गम्द्वितीयाएकवचनम्
भूषणानिनपुंसकलिङ्गम्प्रथमा/द्वितीयाबहुवचनम्

3. श्लोकांशान् योजयत-

(श्लोक के भागों को जोड़िए)

उत्तर:

विद्या राजसु पूज्यते न हि धनम्
(विद्या राजाओं द्वारा पूजी जाती है, न कि धन)
विद्या-विहिनः पशुः।
(जो व्यक्ति विद्या से रहित है, वह पशु के समान है।)
केयूराः न विभूषयन्ति पुरुषम्
(कंगन पुरुष की शोभा नहीं बढ़ाते)
हारा न चन्द्रोज्ज्वलाः।
(चमकदार हार भी पुरुष को सुशोभित नहीं करते।)
न चौरहार्यं न च राजहार्यम्
(इसे न तो चोर चुरा सकते हैं और न राजा छीन सकते हैं)
न भ्रातृभाज्यं न च भारकारि।
(यह न तो भाइयों के बीच बँटती है और न ही बोझ बनती है।)
सत्कारायतनं कुलस्य महिमा
(अतिथि सत्कार ही कुल की महिमा का आधार है)
रत्नैर्विना भूषणम्।
(रत्न के बिना भी यह भूषण है।)
वाण्येका समलङ्करोति पुरुषम्
(केवल वाणी ही मनुष्य को सजाती है)
या संस्कृता धार्यते।
(जो संस्कारयुक्त होती है।)

4. एकपदेन प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-

(एक शब्द में प्रश्नों के उत्तर लिखिए)

(क) कः पशुः? (कौन पशु है?)

उत्तर: विद्या-विहीनः (विद्या से रहित व्यक्ति)

(ख) का भोगकरी? (कौन भोग करने योग्य है?)

उत्तर: विद्या (विद्या)

(ग) के पुरुषं न विभूषयन्ति? (किन वस्तुओं से पुरुष सुशोभित नहीं होता?)

उत्तर: केयूराः (कंगन)

(घ) का एका पुरुषं समलङ्करोति? (कौन एक वस्तु पुरुष को सजाती है?)

उत्तर: वाणी (वाणी)

(ङ) कानि क्षीयन्ते? (कौन-कौन सी वस्तुएं नष्ट होती हैं?)

उत्तर: अखिलभूषणानि (सभी आभूषण)

5. रेखाङ्कितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत-

(रेखांकित पदों के आधार पर प्रश्न बनाइए)

(क) विद्याविहीनः नरः पशुः अस्ति। (विद्या के बिना मनुष्य पशु के समान है।)

उत्तर: विद्याविहीनः कः पशुः अस्ति? (विद्या के बिना कौन पशु के समान है?)

(ख) विद्या राजसु पूज्यते। (विद्या राजाओं द्वारा पूजी जाती है।)

उत्तर: का राजसु पूज्यते? (क्या राजाओं द्वारा पूजा जाता है?)

(ग) हाराः पुरुषं न अलङ्कुर्वन्ति। (हार पुरुष को सुशोभित नहीं करते हैं।)

उत्तर: के पुरुषं न अलङ्कुर्वन्ति? (कौन पुरुष को सुशोभित नहीं करते?)

(घ) पिता हिते नियुङ्क्ते। (पिता हित के लिए नियुक्त करता है।)

उत्तर: कः हिते नियुङ्क्ते? (कौन हित के लिए नियुक्त करता है?)

(ङ) विद्याधनं सर्वप्रधानं धनमस्ति। (विद्या का धन सबसे प्रधान धन है।)

उत्तर: विद्याधनं कीदृशं धनमस्ति? (विद्या का धन कैसा धन है?)

(च) विद्या दिक्षु कीर्तिं तनोति। (विद्या सभी दिशाओं में कीर्ति फैलाती है।)

उत्तर: विद्या कुत्र कीर्तिं तनोति? (विद्या कहाँ कीर्ति फैलाती है?)

6. पूर्णवाक्येन प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-

(पूर्ण वाक्य में प्रश्नों के उत्तर लिखिए)

(क) गुरूणां गुरुः का अस्ति? (गुरुओं का गुरु कौन है?)

उत्तर: गुरूणां गुरुः विद्या अस्ति। (गुरुओं का गुरु विद्या है।)

(ख) कीदृशी वाणी पुरुषं समलङ्करोति? (कैसी वाणी पुरुष को सजाती है?)

उत्तर: या संस्कृता धार्यते सा वाणी पुरुषं समलङ्करोति। (जो संस्कारयुक्त वाणी होती है वह पुरुष को सजाती है।)

(ग) व्यये कृते किं वर्धते? (खर्च करने से क्या बढ़ता है?)

उत्तर: व्यये कृते विद्या वर्धते। (खर्च करने पर विद्या बढ़ती है।)

(घ) भाग्यक्षये आश्रयः कः? (भाग्य समाप्त होने पर आश्रय कौन है?)

उत्तर: भाग्यक्षये आश्रयः विद्या अस्ति। (भाग्य समाप्त होने पर विद्या ही आश्रय है।)

7. मञ्जूषातः पुँल्लिङ्ग-स्त्रीलिङ्ग-नपुंसकलिङ्गपदानि चित्वा लिखत-

(दिए गए शब्दों में से पुल्लिंग, स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग शब्दों को छाँटकर लिखिए)

मञ्जूषा: विद्या, धनम्, संस्कृता, सततम्, कुसुमम्, मूर्धजाः, पशुः, गुरुः, रतिः

पुँल्लिङ्गम्स्त्रीलिङ्गम्नपुंसकलिङ्गम्
यथा – हाराःअलङ्कताभूषणम्
पशुःविद्याधनम्
गुरुःसंस्कृतासततम्
मूर्धजाःरतिःकुसुमम्
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