Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 6 Solutions – सङ्कल्पः सिद्धिदायकः (New Book)

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यह पाठ दृढ़ संकल्प और कठोर परिश्रम की महत्ता को दर्शाता है। इसमें पार्वती की कथा के माध्यम से बताया गया है कि कैसे उन्होंने शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तपस्या की। अनेक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपना संकल्प नहीं छोड़ा। अंत में शिव स्वयं प्रकट होकर उन्हें स्वीकार करते हैं। यह पाठ हमें सिखाता है कि दृढ़ निश्चय से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 6 Solutions new book

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 6 Solutions

SubjectSanskrit
Class7th
Chapter6. सङ्कल्पः सिद्धिदायकः
BoardBihar Board

1. उच्चारण कुरुत-

(उच्चारण कीजिए)

उत्तर: स्वयं करने के लिए

2. उदाहरणम् अनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत-

(उदाहरण का अनुसरण करके रिक्त स्थान भरिए)

(क) उत्तर:

एकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
यथा- वसति स्मवसतः स्मवसन्ति स्म
पूजयति स्मपूजयतः स्मपूजयन्ति स्म
रक्षति स्मरक्षतः स्मरक्षन्ति स्म
चरति स्मचरतः स्मचरन्ति स्म
करोति स्मकुरुतः स्मकुर्वन्ति स्म

(ख) उत्तर:

पुरुषःएकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
प्रथमपुरुषःअकथयत्अकथयताम्अकथयन्
प्रथमपुरुषःअपूजयत्अपूजयताम्अपूजयन्
प्रथमपुरुषःअरक्षत्अरक्षताम्अरक्षन्

(ग) उत्तर:

पुरुषःएकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
मध्यमपुरुषःअवसःअवसतम्अवसत
मध्यमपुरुषःअपूजयःअपूजयतम्अपूजयत
मध्यमपुरुषःअचरःअचरतम्अचरत

(घ) उत्तर:

पुरुषःएकवचनम्द्विवचनम्बहुवचनम्
उत्तमपुरुषःअपठम्अपठावअपठाम
उत्तमपुरुषःअलिखम्अलिखावअलिखाम
उत्तमपुरुषःअरचयम्अरचयावअरचयाम

3. प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत-

(प्रश्नों के उत्तर एक शब्द में लिखिए)

(क) तपःप्रभावात् के सखायः जाताः? (तप के प्रभाव से कौन मित्र बन गए?)

उत्तर: हिंस्रपशवः (हिंसक पशु)

(ख) पार्वती तपस्यार्थं कुत्र अगच्छत्? (पार्वती तपस्या के लिए कहाँ गईं?)

उत्तर: गौरीशिखरम् (गौरी शिखर पर)

(ग) कः श्मशाने वसति? (कौन श्मशान में रहता है?)

उत्तर: शिवः (शिव)

(घ) शिवनिन्दां श्रुत्वा का क्रुद्धा जाता? (शिव की निंदा सुनकर कौन क्रोधित हो गई?)

उत्तर: पार्वती (पार्वती)

(ङ) वटुरूपेण तपोवनं कः प्राविशत्? (ब्रह्मचारी के रूप में तपोवन में किसने प्रवेश किया?)

उत्तर: शिवः (शिव ने)

4. कः/का कं/कां प्रति कथयति-

(कौन किससे कह रहा है/रही है)

उत्तर:

वाक्यकः/का (कौन कहता है)कम्/काम् (किससे कहता है)
यथा- वत्से! तपः कठिनं भवति। (बेटी! तपस्या कठिन होती है।)माता (माँ)पार्वतीम् (पार्वती से)
(क) अहं तपः एव चरिष्यामि। (मैं तपस्या ही करूँगी।)पार्वतीमेनाम् (मेना से)
(ख) मनस्वी कदापि धैर्यं न परित्यजति। (मनस्वी कभी भी धैर्य नहीं छोड़ता।)पार्वतीविजयाम् (विजया से)
(ग) अपर्णा इति नाम्ना त्वं प्रथिता। (आप अपर्णा नाम से प्रसिद्ध हैं।)विजयापार्वतीम् (पार्वती से)
(घ) पार्वति! प्रीतोऽस्मि तव सङ्कल्पेन। (पार्वती! मैं तुम्हारे संकल्प से प्रसन्न हूँ।)शिवःपार्वतीम् (पार्वती से)
(ङ) शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्। (शरीर ही धर्म साधना का पहला साधन है।)वटुः (ब्रह्मचारी)विजयाम् (विजया से)
(च) अहं तव क्रीतदासोऽस्मि। (मैं तुम्हारा दास हूँ।)शिवःपार्वतीम् (पार्वती से)

5. प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत-

(प्रश्नों के उत्तर लिखिए)

(क) पार्वती क्रुद्धा सती किम् अवदत्? (क्रोधित पार्वती ने क्या कहा?)

उत्तर: पार्वती क्रुद्धा सती अवदत् – “अरे वाचाल! अपसर। जगति न कोऽपि शिवस्य यथार्थं स्वरूपं जानाति। यथा त्वमसि तथैव वदसि।”
(क्रोधित पार्वती ने कहा – “अरे बकवासी! दूर हो जाओ। इस संसार में कोई भी शिव के सच्चे स्वरूप को नहीं जानता। जैसे तुम हो, वैसे ही बोलते हो।”)

(ख) कः पापभाग् भवति? (कौन पापी होता है?)

उत्तर: यः शिवस्य निन्दां करोति श्रृणोति वा सः पापभाग् भवति।
(जो शिव की निंदा करता है या सुनता है, वह पापी होता है।)

(ग) पार्वती किं कर्त्तुम् ऐच्छत्? (पार्वती क्या करना चाहती थी?)

उत्तर: पार्वती तपस्यां कर्त्तुम् ऐच्छत्।
(पार्वती तपस्या करना चाहती थी।)

(घ) पार्वती कया साकं गौरीशिखरं गच्छति? (पार्वती किसके साथ गौरीशिखर जाती है?)

उत्तर: पार्वती विजयया साकं गौरीशिखरं गच्छति।
(पार्वती विजया के साथ गौरीशिखर जाती है।)

6. मञ्जूषातः पदानि चित्वा समानार्थकानि पदानि लिखत-

(दिए गए शब्दों में से चुनकर समानार्थक शब्द लिखिए)

मञ्जूषा: माता, मौनम्, प्रस्तरे, जन्तवः, नयनानि

उत्तर:

शब्दसमानार्थक शब्द
शिलायाम् (पत्थर में)प्रस्तरे
पशवः (पशु)जन्तवः
अम्बा (माँ)माता
नेत्राणि (आँखें)नयनानि
तूष्णीम् (मौन)मौनम्

7. उदाहरणानुसारं पदरचनां कुरुत-

(उदाहरण के अनुसार शब्द रचना कीजिए)

यथा – वसति स्म = अवसत् (लृट् लकार से लङ् लकार बनाइए:)

उत्तर:

(क) पश्यति स्म = अपश्यत्
(ख) तपति स्म = अतपत्
(ग) चिन्तयति स्म = अचिन्तयत्
(घ) वदति स्म = अवदत्
(ङ) गच्छति स्म = अगच्छत्

यथा – अलिखत् = लिखति स्म (लङ् लकार से लृट् लकार बनाइए:)

उत्तर:

(क) अकथयत् = कथयति स्म
(ख) अनयत् = नयति स्म
(ग) अपठत् = पठति स्म
(घ) अधावत् = धावति स्म
(ङ) अहसत् = हसति स्म

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