Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 3 Solutions – स्वावलम्बनम् (New Book)

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यह पाठ दो मित्रों की कहानी के माध्यम से स्वावलम्बन यानी आत्मनिर्भरता का महत्व सिखाता है। इसमें बताया गया है कि जो व्यक्ति अपना कार्य स्वयं करता है, वही वास्तव में सुखी रहता है। कृष्णमूर्ति अपने शरीर के अंगों को ही अपना नौकर मानता है और दूसरों पर निर्भर नहीं रहता। इससे उसका मित्र श्रीकण्ठ भी प्रेरित होता है कि वह भी अब अपना काम स्वयं करेगा। यह पाठ विद्यार्थियों को आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा देता है।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 3 Solutions new book

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 3 Solutions

SubjectSanskrit
Class7th
Chapter3. स्वावलम्बनम्
BoardBihar Board

1. उच्चारण कुरुत

(उच्चारण कीजिए)

उत्तर: स्वयं करने के लिए

2. अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि लिखत-

(निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए)

(क) कस्य भवने सर्वविधानि सुखसाधनानि आसन्? (किसके घर में सभी प्रकार की सुख-साधनाएँ थीं?)

उत्तर: श्रीकण्ठस्य भवने सर्वविधानि सुखसाधनानि आसन्।
(श्रीकण्ठ के घर में सभी प्रकार की सुख-साधनाएँ थीं।)

(ख) कस्य गृहे कोऽपि भृत्यः नास्ति? (किसके घर में कोई भी नौकर नहीं था?)

उत्तर: कृष्णमूर्तेः गृहे कोऽपि भृत्यः नास्ति।
(कृष्णमूर्ति के घर में कोई भी नौकर नहीं था।)

(ग) श्रीकण्ठस्य आतिथ्यम् के अकुर्वन्? (श्रीकण्ठ का आतिथ्य किसने किया?)

उत्तर: श्रीकण्ठस्य आतिथ्यम् कृष्णमूर्तेः पितरौ अकुर्वन्।
(कृष्णमूर्ति के माता-पिता ने श्रीकण्ठ का आतिथ्य किया।)

(घ) सर्वदा कुत्र सुखम्? (हमेशा कहाँ सुख होता है?)

उत्तर: सर्वदा स्वावलम्बने सुखम्।
(हमेशा आत्मनिर्भरता में सुख होता है।)

(ङ) श्रीकण्ठः कृष्णमूर्तेः गृहं कदा अगच्छत्? (श्रीकण्ठ कृष्णमूर्ति के घर कब गए?)

उत्तर: श्रीकण्ठः कृष्णमूर्तेः गृहं प्रातः नववादने अगच्छत्।
(श्रीकण्ठ सुबह नौ बजे कृष्णमूर्ति के घर गए।)

(च) कृष्णमूर्तेः कति कर्मकराः सन्ति? (कृष्णमूर्ति के कितने कर्मकर हैं?)

उत्तर: कृष्णमूर्तेः न कोऽपि कर्मकरः अस्ति।
(कृष्णमूर्ति के पास कोई भी कर्मकर नहीं है।)

3. चित्राणि गणयित्वा तदधः संख्यावाचकशब्दं लिखत-

(चित्रों को गिनकर उसके नीचे संख्यावाचक शब्द लिखो।)

उत्तर:

  • अष्टादश – 18
  • एकविंशतिः – 21
  • पञ्चदश – 15
  • षट्त्रिंशत् – 36
  • चतुर्विंशतिः – 24
  • त्रयस्त्रिंशत् – 33

4. मञ्जूषातः अङ्कानां कृते पदानि चिनुत-

(बॉक्स में से अंकों के लिए उपयुक्त शब्दों को चुनो।)

चत्वारिंशत्, सप्तविंशतिः, एकत्रिंशत्, पञ्चाशत्, अष्टाविंशतिः, त्रिंशत्, चतुर्विंशतिः

उत्तर:

  • 28 = अष्टाविंशतिः
  • 27 = सप्तविंशतिः
  • 30 = त्रिंशत्
  • 31 = एकत्रिंशत्
  • 24 = चतुर्विंशतिः
  • 40 = चत्वारिंशत्
  • 50 = पञ्चाशत्

5. चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषातः पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत-

(चित्र को देखकर बॉक्स से शब्दों का प्रयोग करके वाक्य बनाइए)

उत्तर:

(क) एषः कृषकः क्षेत्रम् कर्षति।
(यह किसान खेत जोतता है।)

(ख) एतौ कृषकौ खननकार्यम् कुरुतः।
(ये दोनों किसान खोदने का काम करते हैं।)

(ग) एते कृषकाः धान्यम् रोपयन्ति।
(ये सभी किसान अनाज/फसल रोपते हैं।)

6. अधोलिखितान् समयवाचकान् अङ्कान् पदेषु लिखत-

(नीचे लिखे समय को दर्शाने वाले अंकों को शब्दों में लिखिए)

उत्तर:

  • 5.00 – पञ्चवादनम् (पाँच बजे)
  • 7.00 – सप्तवादनम् (सात बजे)
  • 3.30 – सार्धत्रिवादनम् (साढ़े तीन बजे)
  • 2.30 – सार्धद्विवादनम् (ढाई बजे)
  • 9.00 – नववादनम् (नौ बजे)
  • 11.00 – एकादशवादनम् (ग्यारह बजे)
  • 12.30 – सार्धद्वादशवादनम् (साढ़े बारह बजे)
  • 4.30 – सार्धचतुर्वादनम् (साढ़े चार बजे)
  • 8.00 – अष्टवादनम् (आठ बजे)
  • 1.30 – सार्धएकवादनम् (डेढ़ बजे)
  • 7.30 – सार्धसप्तवादनम् (साढ़े सात बजे)

7. मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

(बॉक्स से शब्द चुनकर रिक्त स्थानों को भरिए)

मञ्जूषा: षड्, त्रिंशत्, एकत्रिंशत्, द्वौ, द्वादश, अष्टाविंशतिः

उत्तर:

(क) षड् ऋतवः भवन्ति। (छह ऋतुएँ होती हैं।)

(ख) मासाः द्वादश भवन्ति। (बारह महीने होते हैं।)

(ग) एकस्मिन् मासे त्रिंशत् अथवा एकत्रिंशत् दिवसाः भवन्ति। (एक महीने में तीस या इकतीस दिन होते हैं।)

(घ) फरवरी-मासे सामान्यतः अष्टाविंशतिः दिनानि भवन्ति। (फरवरी महीने में सामान्यतः अट्ठाईस दिन होते हैं।)

(ङ) मम शरीरे द्वौ हस्तौ स्तः। (मेरे शरीर में दो हाथ हैं।)

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