Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 2 Solutions – दुर्बुद्धिः विनश्यति (New Book)

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 2 Solutions from New Book is available here. Get all question answers of chapter 2 – “दुर्बुद्धिः विनश्यति” with easy hindi explanation.

यह पाठ पं. विष्णुशर्मा द्वारा रचित पंचतंत्र की एक कथा पर आधारित है, जिसमें बताया गया है कि अनुचित समय पर बोलना कितना हानिकारक हो सकता है। कहानी में एक कछुआ अपने हंस मित्रों की सहायता से तालाब बदलने के लिए उड़ता है, लेकिन रास्ते में बोलने की गलती कर बैठता है और प्राण गंवा देता है। इससे यह शिक्षा मिलती है कि समय और परिस्थिति के अनुसार ही बोलना चाहिए। साथ ही, समझदार मित्रों की सलाह मानना भी जरूरी होता है।

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 2 Solutions new book

Bihar Board Class 7 Sanskrit Chapter 2 Solutions

SubjectSanskrit
Class7th
Chapter2. दुर्बुद्धिः विनश्यति
BoardBihar Board

1. उच्चारण कुरुत

(उच्चारण कीजिए)

उत्तर: स्वयं करने के लिए

2. एकपदेन उत्तरत-

(एक शब्द में उत्तर दीजिए-)

(क) कूर्मस्य किं नाम आसीत्? (कछुए का क्या नाम था?)

उत्तर: कम्बुग्रीवः। (कम्बुग्रीव।)

(ख) सरस्तीरे के आगच्छन्? (सरोवर के किनारे कौन आए?)

उत्तर: धीवराः। (मछुआरे।)

(ग) कूर्मः केन मार्गेण अन्यत्र गन्तुम् इच्छति? (कछुआ किस मार्ग से दूसरी जगह जाना चाहता है?)

उत्तर: आकाशमार्गेण। (आकाश मार्ग से।)

(घ) लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा के अधावन्? (लटकते हुए कछुए को देखकर कौन दौड़े?)

उत्तर: गोपालकाः। (ग्वाले।)

3. अधोलिखितवाक्यानि कः कं प्रति कथयति इति लिखत-

(नीचे लिखे वाक्य कौन किससे कह रहा है यह लिखिए-)

(क) अहं भवद्भ्यां सह आकाशमार्गेण गन्तुम् इच्छामि।
(मैं आप दोनों के साथ आकाश मार्ग से जाना चाहता हूँ।)

उत्तर: कूर्मः | हंसौ प्रति

(ख) अत्र क: उपाय: ?
(यहाँ क्या उपाय है?)

उत्तर: हंसौ | कूर्मं प्रति

(ग) अहम्‌ उत्तरं न दास्यामि।
(मैं उत्तर नहीं दूंगा।)

उत्तर: कूर्मः | हंसौ प्रति

(घ) यूयं भस्म खादत।
(तुम लोग राख खाओ।)

उत्तर: कूर्मः | गोपालकान् प्रति

4. मञ्जूषातः क्रियापदं चित्वा वाक्यानि पूरयत-

(शब्द बॉक्स से क्रिया पद चुनकर वाक्य पूरे कीजिए-)

अभिनन्दति, भक्षयिष्यामः, इच्छामि, वदिष्यामि, उड्डीयते, प्रतिवसित, स्म

उत्तर:

(क) हंसाभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते
(हंसों के साथ कछुआ भी उड़ रहा है।)

(ख) अहं किञ्चिदपि न वदिष्यामि
(मैं कुछ भी नहीं कहूँगा।)

(ग) यः हितकामानां सुहृदां वाक्यं न अभिनन्दति
(जो हितैषी मित्रों की बात नहीं मानता।)

(घ) एकः कूर्मः अपि तत्रैव प्रतिवसित स्म
(एक कछुआ भी वहीं रहता था।)

(ङ) अहम् आकाशमार्गेण अन्यत्र गन्तुम् इच्छामि
(मैं आकाश मार्ग से कहीं और जाना चाहता हूँ।)

(च) वयं गृहं नीत्वा कूर्मं भक्षयिष्यामः
(हम घर ले जाकर कछुए को खा जाएँगे।)

5. पूर्णवाक्येन उत्तरत-

(पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-)

(क) कच्छपः कुत्र गन्तुम् इच्छति? (कछुआ कहाँ जाना चाहता है?)

उत्तर: कच्छपः हंसाभ्यां सह आकाशमार्गेण अन्यत्र सरोवरं गन्तुम् इच्छति।
(कछुआ हंसों के साथ आकाश मार्ग से दूसरे सरोवर में जाना चाहता है।)

(ख) कच्छपः कम् उपायं वदति? (कछुआ कौन सा उपाय बताता है?)

उत्तर: कच्छपः वदति यत् हंसौ एकं काष्ठदण्डं स्वचञ्चुभ्यां धारयेताम् तथा च स मध्ये अवलम्ब्य गच्छेत्।
(कछुआ बताता है कि दोनों हंस एक लकड़ी को अपनी चोंच से पकड़ें और वह बीच में लटककर जाएगा।)

(ग) लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा गोपालकाः किम् अवदन्? (लटकते कछुए को देखकर ग्वाले क्या बोले?)

उत्तर: लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा गोपालकाः अवदन् – “हं हो! महदाश्चर्यम्। हंसाभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते।”
(लटकते कछुए को देखकर ग्वाले बोले – “अरे वाह! बड़ा आश्चर्य है। हंसों के साथ कछुआ भी उड़ रहा है।”)

(घ) कूर्मः मित्रयोः वचनं विस्मृत्य किम् अवदत्? (कछुआ मित्रों की बात भूलकर क्या बोला?)

उत्तर: कूर्मः मित्रयोः वचनं विस्मृत्य अवदत् – “यूयं भस्म खादत।”
(कछुआ मित्रों की बात भूलकर बोला – “तुम लोग राख खाओ।”)

6. घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि लिखत-

(घटनाओं के क्रम के अनुसार वाक्य लिखिए-)

उत्तर:

(1) कूर्मः हंसौ च एकस्मिन् सरसि निवसन्ति स्म।
(कछुआ और हंस एक सरोवर में रहते थे।)

(2) केचित् धीवराः सरस्तीरे आगच्छन्।
(कुछ मछुआरे सरोवर के किनारे आए।)

(3) ‘वयं श्वः मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यामः’ इति धीवराः अकथयन्।
(मछुआरे बोले, ‘हम कल मछली, कछुआ आदि को मार डालेंगे।’)

(4) कूर्मः अन्यत्र गन्तुम् इच्छति स्म।
(कछुआ कहीं और जाना चाहता था।)

(5) कूर्मः हंसयोः सहायतया आकाशमार्गेण अगच्छत्।
(कछुआ हंसों की मदद से आकाश मार्ग से गया।)

(6) लम्बमानं कूर्मं दृष्ट्वा पौराः अधावन्।
(लटकते हुए कछुए को देखकर नगरवासी दौड़े।)

(7) पौराः अकथयन् – वयं पतितं कूर्मं खादिष्यामः।
(नगरवासी बोले – हम गिरे हुए कछुए को खा लेंगे।)

(8) कूर्मः आकाशात् पतितः पौरैः मारितश्च।
(कछुआ आकाश से गिर गया और नगरवासियों द्वारा मार दिया गया।)

7. मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत-

(शब्द बॉक्स से शब्द चुनकर रिक्त स्थान भरिए-)

जलाशयम्, अचिन्तयत्, वृद्धः, दुःखिताः, कोटरे, वृक्षस्य, सर्पः, आदाय, समीपे

उत्तर:

एकस्य वृक्षस्य शाखासु अनेके काकाः वसन्ति स्म। तस्य वृक्षस्य कोटरे एकः सर्पः अपि अवसत्। काकानाम् अनुपस्थितौ सर्पः काकानां शिशून् खादति स्म। काकाः दुःखिताः आसन्। तेषु एकः वृद्धः काकः उपायम् अचिन्तयत्। वृक्षस्य समीपे जलाशयः आसीत्। तत्र एका राजकुमारी स्नातुं जलाशयम् आगच्छति स्म। शिलायां स्थितं तस्याः आभरणम् आदाय एकः काकः वृक्षस्य उपरि अस्थापयत्। राजसेवकाः काकम् अनुसृत्य वृक्षस्य समीपम् अगच्छन्। तत्र ते तं सर्पं च अमारयन्। अतः एवोक्तम्-उपायेन सर्वं सिद्धयति। (इसीलिए कहा जाता है – उपाय से सब कुछ सिद्ध होता है।)

Other Chapters
1. सुभाषितानि (New Book)
2. दुर्बुद्धिः विनश्यति (New Book)
3. स्वावलम्बनम् (New Book)
4. पण्डिता रमाबाई (New Book)
5. सदाचारः (New Book)
6. सङ्कल्पः सिद्धिदायकः (New Book)
7. त्रिवर्णः ध्वजः (New Book)
8. अहमपि विद्यालयं गमिष्यामि (New Book)
9. विश्वबन्धुत्वम् (New Book)
10. समवायो हि दुर्जयः (New Book)
11. विद्याधनम् (New Book)
12. अमृतं संस्कृतम् (New Book)
13. लालनगीतम् (New Book)

Leave a Comment

WhatsApp Icon
X Icon