Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 13 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 13 – “वीर कुँवर सिंह” from new Hindi book – वसंत (Vasant).
“वीर कुँवर सिंह” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का तेरहवाँ अध्याय है, जो 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के महानायक वीर कुँवर सिंह के जीवन और वीरता पर आधारित है। इस पाठ में बिहार के जगदीशपुर के शासक कुँवर सिंह के अद्भुत साहस, युद्ध कौशल और देशभक्ति का वर्णन किया गया है, जिन्होंने 80 वर्ष की आयु में भी अंग्रेज़ों के विरुद्ध युद्ध का नेतृत्व किया। छात्र इस पाठ से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास, वीरता, त्याग और मातृभूमि के प्रति समर्पण जैसे मूल्यों को जानेंगे। “वीर कुँवर सिंह” अध्याय के सभी प्रश्न-उत्तर यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 13 Solutions
Contents
| Subject | Hindi – वसंत (Vasant) |
| Class | 7 |
| Chapter | 13. वीर कुँवर सिंह |
| Board | Bihar Board |
निबंध से
प्रश्न 1. वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?
उत्तर: वीर कुंवर सिंह का व्यक्तित्व बहुत प्रेरणादायक था। उनकी ये खास बातें मुझे बहुत प्रभावित करती हैं:
- वीरता: कुंवर सिंह एक महान योद्धा थे। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में उन्होंने अंग्रेजों को कई बार हराया। आरा पर जीत हासिल करने के बाद उन्हें सैनिकों ने सलामी दी, जो उनकी वीरता का सबूत है।
- स्वाभिमान: वे बहुत स्वाभिमानी थे। जब शिवराजपुर में अंग्रेजों की गोली उनके हाथ में लगी, तो उन्होंने बिना डरे अपना घायल हाथ काटकर गंगा में बहा दिया। यह दिखाता है कि वे कितने निडर थे।
- उदारता: कुंवर सिंह का दिल बहुत बड़ा था। उनकी सेना में इब्राहिम खाँ और किफायत हुसैन जैसे मुस्लिम लोग ऊँचे पदों पर थे। वे हिंदू-मुस्लिम सभी के त्योहार साथ मिलकर मनाते थे।
- दृढ़ निश्चय: उन्होंने अपना पूरा जीवन देश की आजादी के लिए समर्पित कर दिया। बुढ़ापे में भी वे हार नहीं माने। मृत्यु से तीन दिन पहले उन्होंने जगदीशपुर में आजादी का झंडा फहराया।
- समाज सेवा: वे एक सैनिक होने के साथ-साथ समाज के लिए भी काम करते थे। उन्होंने स्कूल, कुएँ, और तालाब बनवाए। गरीबों की हमेशा मदद करते थे।
- साहस: उनका साहस गजब का था। जब 1857 में जगदीशपुर में उनकी सेना हार गई, तो वे निराश नहीं हुए। उन्होंने सासाराम, मिर्जापुर, रीवा, कानपुर, लखनऊ और आजमगढ़ तक जाकर आजादी की लड़ाई को जिंदा रखा।
इन गुणों की वजह से कुंवर सिंह हर किसी के लिए प्रेरणा हैं।
प्रश्न 2. कुंवर सिंह को बचपन में किन कामों में मज़ा आता था? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?
उत्तर: बचपन में कुंवर सिंह को पढ़ाई से ज्यादा घुड़सवारी, तलवारबाजी, और कुश्ती लड़ना पसंद था। ये सब उन्हें बहुत मज़ेदार लगता था। जब वे बड़े हुए और स्वतंत्रता सेनानी बने, तो इन चीज़ों ने उनकी बहुत मदद की। तलवार चलाने की कला और तेज़ घुड़सवारी ने उन्हें युद्ध में अंग्रेजों को बार-बार हराने में सहायता दी। कुश्ती से मिली ताकत ने उन्हें मुश्किल परिस्थितियों में भी डटकर मुकाबला करने की हिम्मत दी। इस तरह, बचपन के ये शौक उनके सेनानी बनने में बहुत काम आए।
प्रश्न 3. सांप्रदायिक सद्भाव में कुंवर सिंह की गहरी आस्था थी। पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर: कुंवर सिंह हिंदू-मुस्लिम एकता में बहुत विश्वास रखते थे। उनकी सेना में इब्राहिम खाँ और किफायत हुसैन जैसे मुस्लिम लोग ऊँचे पदों पर थे, जो दिखाता है कि वे धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करते थे। वे हिंदू और मुस्लिम दोनों के त्योहार, जैसे होली और ईद, सबके साथ मिलकर खुशी से मनाते थे। इसके अलावा, उन्होंने स्कूलों के साथ-साथ मकतब (मुस्लिम बच्चों के स्कूल) भी बनवाए। ये बातें साबित करती हैं कि कुंवर सिंह सांप्रदायिक सद्भाव के सच्चे समर्थक थे।
प्रश्न 4. पाठ के किन प्रसंगों से आपको पता चलता है कि कुंवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर: कुंवर सिंह के जीवन की कई घटनाएँ बताती हैं कि वे साहसी, उदार, और स्वाभिमानी थे:
- साहसी: 1857 में जब जगदीशपुर में उनकी सेना हार गई, तो वे हिम्मत नहीं हारे। उन्होंने सासाराम, मिर्जापुर, रीवा, कानपुर, लखनऊ और आजमगढ़ तक जाकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई जारी रखी। 23 अप्रैल, 1858 को आजमगढ़ में जीत हासिल कर उन्होंने जगदीशपुर में आजादी का झंडा फहराया।
- उदार: उनकी सेना में हिंदू और मुस्लिम दोनों थे। इब्राहिम खाँ और किफायत हुसैन जैसे मुस्लिम लोग बड़े पदों पर थे। वे दोनों धर्मों के त्योहार साथ मनाते थे और स्कूल-मकतब बनवाकर सबकी भलाई के लिए काम करते थे।
- स्वाभिमानी: जब शिवराजपुर में अंग्रेजों की गोली उनके हाथ में लगी, तो उन्होंने बिना डरे अपना घायल हाथ काटकर गंगा में बहा दिया। यह उनकी स्वाभिमानी और निडरता को दिखाता है।
ये प्रसंग साबित करते हैं कि कुंवर सिंह एक साहसी, उदार, और स्वाभिमानी इंसान थे।
प्रश्न 5. आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद-फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुंवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?
उत्तर: आमतौर पर मेले मज़े, खरीदारी, और लोगों से मिलने-जुलने के लिए होते हैं। लेकिन वीर कुंवर सिंह ने सोनपुर मेले का इस्तेमाल स्वतंत्रता संग्राम की योजना बनाने के लिए किया। सोनपुर में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला लगता है, जो कार्तिक पूर्णिमा पर होता है। इस मेले में लोग हाथी और दूसरे जानवर खरीदने-बेचने आते हैं। कुंवर सिंह और उनके साथी इस मेले की भीड़ का फायदा उठाकर गुप्त रूप से मिलते थे। वे अंग्रेजों के खिलाफ योजनाएँ बनाते थे और आजादी की लड़ाई को आगे बढ़ाते थे। इस तरह, उन्होंने मेले को क्रांति का केंद्र बना दिया और अंग्रेजों को चकमा देने में कामयाब रहे।
निबंध से आगे
प्रश्न 1. सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेनेवाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।
उत्तर:
रानी लक्ष्मीबाई:
झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई 1857 की क्रांति की बहादुर महिला सेनानी थीं। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ तलवार लेकर आखिरी साँस तक लड़ाई लड़ी और 23 साल की उम्र में वीरगति को प्राप्त हुईं।
मंगल पांडे:
मंगल पांडे अंग्रेजी सेना में सिपाही थे, जिन्होंने 1857 के विद्रोह की शुरुआत की। गाय और सुअर की चर्बी वाले कारतूस के खिलाफ बगावत कर उन्होंने क्रांति की चिंगारी जलाई।
तात्या टोपे:
तात्या टोपे झाँसी की रानी के सेनापति थे और 1857 की लड़ाई में बड़े योद्धा बने। अंग्रेजों ने उन्हें 1859 में फाँसी दे दी, लेकिन उनकी बहादुरी हमेशा याद की जाती है।
बहादुर शाह ज़फर:
बहादुर शाह ज़फर दिल्ली के आखिरी मुगल बादशाह थे, जिन्हें विद्रोहियों ने 1857 में भारत का सम्राट बनाया। 82 साल की उम्र में उन्होंने क्रांति का नेतृत्व किया, लेकिन बाद में अंग्रेजों ने उन्हें रंगून की जेल में कैद कर दिया।
प्रश्न 2. सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।
उत्तर:1857 के क्रांतिकारियों की वीरता को याद करने के लिए कई गीत गाए जाते हैं। ये गीत देशभक्ति और बलिदान की भावना को जगाते हैं। यहाँ दो गीतों के कुछ अंश दिए गए हैं, जो सरल और प्रेरणादायक हैं:
मेरा रंग दे बसंती चोला
“मेरा रंग दे बसंती चोला, माई रंग दे बसंती चोला,
दम निकले इस देश की खातिर, बस इतना अरमान है।
जिस चोले को पहन शिवाजी खेले अपनी जान पे,
जिसे पहन झाँसी की रानी मिट गई अपनी आन पे।”
यह गीत क्रांतिकारियों की देशभक्ति और बलिदान को दर्शाता है। यह बताता है कि कैसे वीरों ने देश के लिए अपनी जान दी।
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी
“खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी,
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी।
शत्रु से लड़ी वीरता से, थी वह रानी बेपनाह,
अंग्रेजों को दी टक्कर, झाँसी थी उसकी शान।”
यह गीत रानी लक्ष्मीबाई की बहादुरी की कहानी बयान करता है। यह बच्चों को उनकी वीरता से प्रेरित करता है।
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. वीर-कुँवर सिंह का पढ़ने के साथ-साथ कुश्ती और घुड़सवारी में अधिक मन लगता था। आपको पढ़ने के अलावा और किन-किन गतिविधियों या कामों में खूब मज़ा आता है? लिखिए?
उत्तर: पढ़ाई के अलावा मुझे कई चीज़ें करने में बहुत मज़ा आता है। मुझे अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलना, साइकिल चलाना, और बगीचे में घूमना बहुत पसंद है। इसके अलावा, मैं कार्टून देखना, कहानियाँ पढ़ना, और परिवार के साथ गप्पे मारना भी बहुत एंजॉय करता हूँ। कभी-कभी मैं अपने छोटे भाई के साथ मज़ेदार गेम खेलता हूँ, जो मुझे बहुत खुशी देता है।
प्रश्न 2. सन् 1857 में अगर आप 12 वर्ष के होते तो क्या करते? कल्पना करके लिखिए।
उत्तर: अगर मैं 1857 में 12 साल का होता, तो वीर कुंवर सिंह और रानी लक्ष्मीबाई जैसे सेनानियों की कहानियों से बहुत प्रभावित होता। मैं अपने गाँव के बच्चों को इकट्ठा करके उन्हें देश की आजादी के लिए प्रेरित करता और छोटे-छोटे कामों में मदद करता, जैसे संदेश पहुँचाना या गुप्त बैठकों की खबर रखना। मैं तलवारबाजी और घुड़सवारी सीखने की कोशिश करता ताकि बड़ा होकर एक बहादुर सैनिक बन सकूँ। साथ ही, लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने के लिए प्रोत्साहित करता।
प्रश्न 3. अनुमान लगाइए, स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए सोनपुर के मेले को क्यों चुना गया होगा?
उत्तर: सोनपुर का मेला स्वाधीनता की योजना बनाने के लिए इसलिए चुना गया होगा क्योंकि यह एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला है, जहाँ बहुत ज़्यादा भीड़ होती है। कार्तिक पूर्णिमा पर लगने वाले इस मेले में लोग हाथी और जानवर खरीदने-बेचने आते हैं, जिससे वहाँ हलचल रहती है। इतनी भीड़ में क्रांतिकारी गुप्त रूप से मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ योजनाएँ बना सकते थे, और अंग्रेजों को शक भी नहीं होता। इस मेले की आड़ ने वीर कुंवर सिंह और उनके साथियों को सुरक्षित तरीके से क्रांति की बातें करने में मदद की।
भाषा की बात
आप जानते हैं कि किसी शब्द को बहुवचन में प्रयोग करने पर उसकी वर्तनी में बदलाव आता है, जैसे- सेनानी एक व्यक्ति के लिए प्रयोग करते हैं और सेनानियों एक से अधिक के लिए। सेनानी शब्द की वर्तनी में बदलाव यह हुआ है कि अंत के ‘वर्ण’ ‘नी’ की मात्रा दीर्घ ी (ई) से ह्रस्व ि (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जिसके अंत में दीर्घ ईकार होता है, बहुवचन बनाने पर वह इकार हो जाता है, यदि शब्द के अंत में ह्रस्व इकार होता है, तो उसमें परिवर्तन नहीं होता; जैसे- दृष्टि से दृष्टियों।
नीचे दिए गए शब्दों का वचन बदलिए
नीति ………………. जिम्मेदारियों ……………. सलामी ………………..
स्थिति ………………. स्वाभिमानियों …………. गोली ……………….
उत्तर:
- नीति – नीतियाँ (एकवचन: नीति, बहुवचन: नीतियाँ)
- जिम्मेदारियों – जिम्मेदारी (बहुवचन: जिम्मेदारियाँ, एकवचन: जिम्मेदारी)
- सलामी – सलामियाँ (एकवचन: सलामी, बहुवचन: सलामियाँ)
- स्थिति – स्थितियाँ (एकवचन: स्थिति, बहुवचन: स्थितियाँ)
- स्वाभिमानियों – स्वाभिमानी (बहुवचन: स्वाभिमानियों, एकवचन: स्वाभिमानी)
- गोली – गोलियाँ (एकवचन: गोली, बहुवचन: गोलियाँ)