Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 9 Solutions – एक तिनका (Vasant)

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 9 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 9 – “एक तिनका” from new Hindi book – वसंत (Vasant).

“एक तिनका” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का नौवाँ अध्याय है, जो प्रसिद्ध कवि अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ द्वारा रचित एक अर्थपूर्ण कविता है। इस कविता में एक छोटे से तिनके के माध्यम से मानवीय अहंकार पर गहरा व्यंग्य किया गया है। छात्र इस कविता से जानेंगे कि जीवन में कभी भी किसी व्यक्ति या वस्तु को तुच्छ नहीं समझना चाहिए, क्योंकि कभी-कभी वही हमें महत्वपूर्ण जीवन-पाठ सिखा देता है। “एक तिनका” अध्याय के सभी प्रश्न-उत्तर यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 9 Solutions Vasant

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 9 Solutions

SubjectHindi – वसंत (Vasant)
Class7
Chapter9. एक तिनका
BoardBihar Board

कविता से

प्रश्न 1. नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।

जैसे-
एक तिनका आँख में मेरी पड़ा – मेरी आँख में एक तिनका पड़ गया।
मुँठ देने लोग कपड़े की लगे – लोग कपड़े की मुँठ देने लगे।

(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा – ………
(ख) लाल होकर भी दुखने लगी – ………..
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भागी – ………
(घ) जब किसी दब से निकल तिनका गया। – ………

उत्तर-
(क) एक दिन मैं मुंडेरे पर खड़ा था।
(ख) आँख लाल हो गई और दुखने लगी।
(ग) बेचारी ऐंठ चुपके से भाग गई।
(घ) जब किसी ने सही तरीके से तिनका निकाल दिया।

प्रश्न 2. ‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है?

उत्तर- कविता में उस घटना की बात की गई है जब कवि की आँख में एक छोटा-सा तिनका पड़ जाता है। इस तिनके की वजह से कवि को बहुत परेशानी होती है, उनकी आँख दुखने लगती है और वे बेचैन हो जाते हैं। उनका सारा घमंड टूट जाता है। फिर कुछ लोग कपड़े की मुँठ से तिनका निकालते हैं। इस घटना से कवि को समझ आता है कि उसे अपने घमंड पर गर्व नहीं करना चाहिए था, क्योंकि एक छोटा-सा तिनका भी उसे परेशान कर सकता है। कविता का संदेश है कि हमें घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि छोटी-छोटी चीज़ें भी हमें नीचा दिखा सकती हैं। हर चीज़ का अपना महत्व होता है।

प्रश्न 3. आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई?

उत्तर- तिनका पड़ने के बाद घमंडी की हालत खराब हो गई। उसकी आँख लाल हो गई और बहुत दर्द करने लगी। वह परेशान और बेचैन हो गया, और उसका सारा घमंड खत्म हो गया।

प्रश्न 4. घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया?

उत्तर- घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए आसपास के लोगों ने कपड़े की छोटी-सी मुँठ बनाई और उससे सावधानी से तिनका निकाला।

प्रश्न 5. ‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी

ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है

तिनका कब हूँ न निदिए पाँव तले जो होय।।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय॥

इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर? लिखिए।

उत्तर-

समानता: हरिऔध जी और कबीर दोनों ने तिनके के ज़रिए यह सिखाया है कि छोटी चीज़ों को कम नहीं समझना चाहिए। दोनों कहते हैं कि तिनका भले ही छोटा हो, लेकिन आँख में पड़ने पर बहुत दुख दे सकता है। इन दोनों का संदेश है कि घमंड नहीं करना चाहिए और हर चीज़ का सम्मान करना चाहिए।

अंतर: हरिऔध जी की कविता में एक घमंडी व्यक्ति की कहानी है, जिसकी आँख में तिनका पड़ता है और उसका घमंड टूट जाता है। यह कविता खासकर घमंड छोड़ने की सीख देती है। दूसरी ओर, कबीर का दोहा सामान्य रूप से तिनके की बात करता है और कहता है कि इसे कभी छोटा नहीं समझना चाहिए, क्योंकि यह आँख में पड़कर दुख दे सकता है। कबीर का दोहा हर छोटी चीज़ का सम्मान करने की सीख देता है, जबकि हरिऔध जी की कविता सिर्फ घमंड न करने पर ज़ोर देती है।

अनुमान और कल्पना

प्रश्न 1. इस कविता को कवि ने ‘मैं’ से आरंभ किया है- ‘मैं घमंडों में भरा ऐंठा हुआ’। कवि का यह ‘मैं’ कविता पढ़ने वाले व्यक्ति से भी जुड़ सकता है और तब अनुभव यह होगा कि कविता पढ़ने वाला व्यक्ति अपनी बात बता रहा है। यदि कविता में ‘मैं’ की जगह ‘वह’ या कोई नाम लिख दिया जाए, तब कविता के वाक्यों में बदलाव की जाएगा। कविता में ‘मैं’ के स्थान पर ‘वह’ या कोई नाम लिखकर वाक्यों के बदलाव को देखिए और कक्षा में पढ़कर सुनाइए।

उत्तर-

वह घमंड से भरा हुआ था और बहुत ऐंठ रहा था।
एक दिन जब वह मुंडेरे पर खड़ा था,
अचानक दूर से उड़ता हुआ एक तिनका उसकी आँख में पड़ गया।
वह परेशान हो गया और बेचैन होने लगा।
उसकी आँख लाल हो गई और दुखने लगी।
लोगों ने कपड़े की मुँठ बनाकर तिनका निकालने की कोशिश की।
उसका सारा घमंड चुपके से गायब हो गया।
जब किसी ने सही तरीके से तिनका निकाल दिया,
तब उसकी समझ ने उसे ताना मारा।
उसने कहा, “तू इतना घमंड क्यों करता था?
एक छोटा-सा तिनका ही तेरे लिए बहुत है।”

प्रश्न 2. नीचे दी गई पंक्तियों को ध्यान से पढ़िए-

ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी,
तब ‘समझ’ ने यों मुझे ताने दिए।

इन पंक्तियों में ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ शब्दों का प्रयोग सजीव प्राणी की भाँति हुआ है। कल्पना कीजिए, यदि ‘ऐंठ’ और ‘समझ’ किसी नाटक में दो पात्र होते तो उनको अभिनय कैसा होता?

उत्तर-

नाटक: ऐंठ और समझ

दृश्य: एक मंच पर ऐंठ और समझ खड़े हैं। ऐंठ सिर ऊँचा करके, गर्व से इठलाता हुआ चल रहा है। समझ शांत और गंभीर है, हाथ में एक किताब लिए हुए।

ऐंठ: (हँसते हुए, गर्व से) देखो समझ, मैं कितना शानदार हूँ! मेरे पास सब कुछ है—सुंदरता, पैसा, और इज्ज़त। मुझे हर कोई पसंद करता है!

समझ: (शांत स्वर में) ऐंठ, इतना घमंड क्यों कर रहा है? ये सब चीज़ें तो बस कुछ समय की हैं।

ऐंठ: (हँसकर) अरे समझ, तू क्या जाने? ये बातें तेरी छोटी-सी समझ से बाहर हैं! घमंड करना मेरा हक है!

समझ: (गंभीर होकर) नहीं, ऐंठ। घमंड इंसान को गिरा देता है। जो लोग दूसरों की मदद करते हैं और विनम्र रहते हैं, वही असली इज्ज़त पाते हैं।

(अचानक हवा का एक झोंका आता है, और ऐंठ की आँख में एक तिनका पड़ जाता है। ऐंठ परेशान होकर अपनी आँख मलने लगता है।)

ऐंठ: (बेचैनी से) अरे, ये क्या! मेरी आँख में कुछ चला गया! ओह, कितना दर्द हो रहा है!

समझ: (हल्के से मुस्कुराते हुए) क्या हुआ, ऐंठ? बस एक छोटा-सा तिनका है, और तेरा सारा घमंड गायब हो गया?

ऐंठ: (दुखी स्वर में) हाँ, समझ, मुझे माफ कर दे। मैं समझ गया कि घमंड करना ठीक नहीं। एक छोटा-सा तिनका भी मुझे परेशान कर सकता है। अब से मैं घमंड नहीं करूँगा।

समझ: (हौसला देते हुए) बहुत अच्छा, ऐंठ। अब तू सही रास्ते पर है। चल, तिनका निकालने में तेरी मदद करता हूँ।

(नाटक खत्म होता है, और दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़कर मंच से चले जाते हैं।)

प्रश्न 3. नीचे दी गई कबीर की पंक्तियों में तिनका शब्द का प्रयोग एक से अधिक बार किया गया है। इनके अलग-अलग अर्थों की जानकारी प्राप्त करें।

उठा बबूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।
तिनका-तिनका हो गया, तिनका तिनके पास॥

उत्तर- इन पंक्तियों में कबीर ने “तिनका” शब्द का अलग-अलग अर्थों में उपयोग किया है:

पहला तिनका (“तिनका उड़ा अकास”): यहाँ “तिनका” का मतलब है इंसान का हल्का और छोटा मन या आत्मा। कबीर कहते हैं कि जब इंसान के मन में ईश्वर के प्रेम का बुलबुला (जोश) उठता है, तो उसका मन हल्का होकर तिनके की तरह आसमान में उड़ने लगता है, यानी वह सांसारिक मोह-माया से मुक्त होकर ईश्वर की ओर बढ़ता है।

दूसरा तिनका (“तिनका-तिनका हो गया”): यहाँ “तिनका-तिनका” का मतलब है आत्मा का पूरी तरह बिखर जाना या छोटे-छोटे टुकड़ों में बदल जाना। जब इंसान ईश्वर के प्रेम में डूबता है, तो उसका अहंकार खत्म हो जाता है, और वह पूरी तरह विनम्र हो जाता है।

तीसरा तिनका (“तिनका तिनके पास”): यहाँ “तिनका” परमात्मा को दर्शाता है। कबीर कहते हैं कि जब इंसान का मन और अहंकार तिनके की तरह हल्का और विनम्र हो जाता है, तो वह परमात्मा के करीब पहुँच जाता है, यानी आत्मा का परमात्मा से मिलन हो जाता है।

भाषा की बात

‘किसी ढब से निकलना’ का अर्थ है किसी ढंग से निकलना। ‘ढब से’ जैसे कई वाक्यांशों से आप परिचित होंगे, जैसे-धम से वाक्यांश है लेकिन ध्वनियों में समानता होने के बाद भी ढब से और धर्म से जैसे वाक्यांशों के प्रयोग में अंतर है। ‘धम से’, ‘छप से’ इत्यादि का प्रयोग ध्वनि द्वारा क्रिया को सूचित करने के लिए किया जाता है। नीचे कुछ ध्वनि द्वारा क्रियों को सूचित करने वाले वाक्यांश और कुछ अधूरे वाक्य दिए गए हैं। उचित वाक्यांश चुनकर वाक्यों के खाली स्थान भरिए-

छप से, टप से, थर्र से, फुर्र से, सन् से

(क) मेंढक पानी में …………….. कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद …………………….. चू गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया ………………….. उड़ी।
(घ) ठंडी हवा ……………………. गुजरी, मैं ठंड में …………………….. काँप गया।

उत्तर-

(क) मेंढक पानी में छप से कूद गया।
(ख) नल बंद होने के बाद पानी की एक बूंद टप से चू गई।
(ग) शोर होते ही चिड़िया फुर्र से उड़ी।
(घ) ठंडी हवा सन् से गुजरी, मैं ठंड में थर्र से काँप गया।

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