Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 3 Solutions available here. Get complete question answers of chapter 3 – “कठपुतली” from new Hindi book – वसंत (Vasant).
“कठपुतली” बिहार बोर्ड कक्षा 7 हिंदी पाठ्यक्रम का तीसरा अध्याय है जो प्रसिद्ध कवि भवानीप्रसाद मिश्र द्वारा रचित है। इस कविता में कठपुतली के माध्यम से मनुष्य की पराधीनता और स्वतंत्रता के महत्व को दर्शाया गया है। छात्र इस कविता से जानेंगे कि किस प्रकार मनुष्य कई बार दूसरों के इशारों पर चलकर अपना अस्तित्व खो देता है। कवि हमें संदेश देते हैं कि हमें आत्मनिर्भर और स्वतंत्र विचारों वाले व्यक्ति बनना चाहिए, न कि किसी के हाथों की कठपुतली। “कठपुतली” अध्याय के सभी समाधान यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Hindi Chapter 3 Solutions
Contents
| Subject | Hindi – वसंत (Vasant) |
| Class | 7 |
| Chapter | 3. कठपुतली |
| Board | Bihar Board |
कविता से
प्रश्न 1. कठपुतली को गुस्सा क्यों आया?
उत्तर – कठपुतली को गुस्सा इसलिए आया क्योंकि उसे हमेशा दूसरों के इशारों पर नाचना पड़ता था। वह खुद अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती थी, पर धागों से बँधी हुई थी। उसे यह बंधन बहुत बुरा लगने लगा था। उसे लगता था कि वह आज़ाद नहीं है, इसी वजह से उसे गुस्सा आ गया।
प्रश्न 2. कठपुतली को अपने पाँवों पर खड़ी होने की इच्छा है, लेकिन वह क्यों नहीं खड़ी होती? [Imp.]
उत्तर – कठपुतली अपने पैरों पर खड़ी होकर आज़ाद रहना चाहती थी, लेकिन जब उसे लगा कि उसकी आज़ादी से बाकी कठपुतलियों की भी ज़िम्मेदारी उस पर आ जाएगी, तो वह डर गई। उसे डर था कि अगर कुछ गलत हो गया तो सबको परेशानी होगी। इसी डर से वह खड़ी नहीं हो सकी।
प्रश्न 3. पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को क्यों अच्छी लगीं?
उत्तर – पहली कठपुतली की बात दूसरी कठपुतलियों को इसलिए अच्छी लगी क्योंकि वे भी आज़ाद होना चाहती थीं। वे भी अपने पैरों पर खड़े होकर अपनी मर्जी से जीना चाहती थीं। दूसरों के इशारों पर नाचना उन्हें अच्छा नहीं लगता था। इसलिए वे पहली कठपुतली की बात से खुश हो गईं और उससे सहमत हो गईं।
प्रश्न 4. पहली कठपुतली ने स्वयं कहा कि- ‘ये धागे / क्यों हैं मेरे पीछे-आगे? / इन्हें तोड़ दो; / मुझे मेरे पाँवों पर छोड़ दो।’ – तो फिर वह चिंतित क्यों हुई कि- ‘ये कैसी इच्छा / मेरे मन में जगी?’ नीचे दिए वाक्यों की सहायता से अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर – पहली कठपुतली धागों में बँधकर जीते-जीते परेशान हो गई थी। वह आज़ाद होना चाहती थी, इसलिए उसने धागे तोड़ने की इच्छा जताई। लेकिन जब उसे लगा कि अगर वह आज़ाद होगी तो दूसरी कठपुतलियों की भी ज़िम्मेदारी उसके ऊपर आ जाएगी, तो वह घबरा गई। उसे चिंता होने लगी कि आज़ादी पाने के बाद उसे कैसे संभालना होगा। उसकी उम्र भी कम थी, इसलिए वह डर गई थी। वह सोचने लगी कि सिर्फ आज़ाद होना ही काफी नहीं, आज़ादी को बनाए रखना भी ज़रूरी है। इसीलिए वह चिंतित हो गई।
कविता से आगे
प्रश्न 1. ‘बहुत दिन हुए / हमें अपने मन के छंद छुए।’ इस पंक्ति का अर्थ और क्या हो सकता है? नीचे दिए हुए वाक्यों की सहायता से सोचिए और अर्थ लिखिए-
(क) बहुत दिन हो गए, मन में कोई उमंग नहीं आई।
(ख) बहुत दिन हो गए, मन के भीतर कविता-सी कोई बात नहीं उठी, जिसमें छंद हो, लय हो।
(ग) बहुत दिन हो गए, गाने-गुनगुनाने का मन नहीं हुआ।
(घ) बहुत दिन हो गए, मन का दुख दूर नहीं हुआ और न मन में खुशी आई।
उत्तर:
‘बहुत दिन हुए हमें अपने मन के छंद छुए’ का अर्थ है कि बहुत समय से हमारे मन में कोई खुशी या उमंग नहीं आई। मन में न कोई मीठा भाव उठा, न कोई गुनगुनाहट। कठपुतलियाँ भी अपनी परतंत्रता से दुखी थीं और अपने मन की खुशी भूल चुकी थीं। पहली कठपुतली के कहने से उनमें आजादी की नई उमंग जागी और मन फिर से गाने-गुनगुनाने लगा।
प्रश्न 2. नीचे दो स्वतंत्रता आंदोलनों के वर्ष दिए गए हैं। इन दोनों आंदोलनों के दो-दो स्वतंत्रता सेनानियों के नाम लिखिए-
(क) सन् 1857 ……… , ………..
(ख) सन् 1942 ……… , ……….
उत्तर:
(क) सन् 1857 – 1. महारानी लक्ष्मीबाई, 2. मंगल पांडे
(ख) सन् 1942 – 1. महात्मा गांधी, 2. जवाहरलाल नेहरू
अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1. स्वतंत्र होने की लड़ाई कठपुतलियाँ कैसे लड़ी होंगी और स्वतंत्र होने के बाद स्वावलंबी होने के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए होंगे? यदि उन्हें फिर से धागे में बाँधकर नचाने के प्रयास हुए होंगे तब उन्होंने अपनी रक्षा किस तरह के उपायों से की होगी?
उत्तर: कठपुतलियाँ स्वतंत्र होने के लिए आपस में मिलकर लड़ी होंगी। सबने मिलकर योजना बनाई होगी और धागों को काटने का उपाय ढूँढ़ा होगा। आजाद होने के बाद उन्होंने खुद पर भरोसा करना सीखा होगा और अपने काम खुद करने लगे होंगे। जीवन में आगे बढ़ने के लिए मेहनत की होगी और नए-नए हुनर सीखे होंगे।
अगर फिर से उन्हें धागे में बाँधने की कोशिश की गई होगी तो वे एकजुट होकर विरोध किया होगा। उन्होंने एक-दूसरे की मदद की होगी और मिलकर अपनी आजादी बचाई होगी। कठपुतलियों ने यह समझ लिया होगा कि मिल-जुलकर ही वे स्वतंत्र रह सकती हैं।
भाषा की बात
प्रश्न 1. कई बार जब दो शब्द आपस में जुड़ते हैं तो उनके मूल रूप में परिवर्तन हो जाता है। कठपुतली शब्द में भी इस प्रकार का सामान्य परिवर्तन हुआ है। जब काठ और पुतली दो शब्द एक साथ हुए कठपुतली शब्द बन गया और इससे बोलने में सरलता आ गई। इस प्रकार के कुछ शब्द बनाइए जैसे-काठ (कठ) से बना-कठगुलाब, कठफोड़ा
उत्तर-
(1) हाथ + करघा = हथकरघा
(2) हाथ + कड़ी = हथकड़ी
(3) हाथ + गोला = हथगोला
(4) सोन + परी = सोनपरी
(5) सोन + जुही = सोनजुही
(6) मिट्टी + कोड = मटकोड़
(7) मिट्टी + मैला = मटमैला
(8) नाक + काटना = नककटवा
(9) लोहा + अँगारा = लोहँगारा
(10) बाल + खींचना = बलखींच।
प्रश्न 2. कविता की भाषा में लय या तालमेल बनाने के लिए प्रचलित शब्दों और वाक्यों में बदलाव होता है। जैसे-आगे-पीछे अधिक प्रचलिते शब्दों की जोड़ी है, लेकिन कविता में ‘पीछे-आगे’ का प्रयोग हुआ है। यहाँ ‘आगे’ का ‘…बोली ये धागे’ से ध्वनि का तालमेल है। इस प्रकार के शब्दों की जोड़ियों में आप भी परिवर्तन कीजिए-दुबला-पतला, इधर-उधर, ऊपर-नीचे, दाएँ-बाएँ, गोरा-काला, लाल-पीला आदि।
उत्तर-
(1) पतला-दुबला (दुबला-पतला)
(2) उधर-इधर (इधर-उधर)
(3) नीचे-ऊपर (ऊपर-नीचे)
(4) बाएँ-दाएँ (दाएँ-बाएँ)
(5) काला-गोरा (गोरा-काला)
(6) पीला-लाल (लाल-पीला)
(7) धीरे-तेज़ (तेज़-धीरे)
(8) कम-ज्यादा (ज़्यादा-कम)
(9) छोटा-बड़ा (बड़ा-छोटा)
(10) सादा-रंगा (रंगा-सादा)