Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 6 Solutions – भारतीय सभ्यता का प्रारंभ (New Book)

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 6 Solutions are available here. Here you will get complete questions and answers of Chapter 6 – “भारतीय सभ्यता का प्रारंभ”, from the new book (Samaj ka Adhyayan). All solutions are in hindi medium and follow the updated syllabus.

यह अध्याय आपको प्राचीन भारतीय सभ्यताओं, खासकर हड़प्पा सभ्यता के बारे में बताता है। आप हड़प्पा शहरों की बनावट, व्यापार, सफाई व्यवस्था, औजार, कला और सामाजिक संगठन के बारे में सीखेंगे। यह अध्याय यह भी समझाएगा कि खंडहरों की खोज से हमें हजारों साल पुराने जीवन के बारे में कैसे पता चलता है। आप जानेंगे कि पुरातत्वविद् अतीत को कैसे उजागर करते हैं और प्राचीन बस्तियों का उदय और पतन कैसे हुआ। इस अध्याय के प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 6 Solutions new Book

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 6 Solutions

Class6
SubjectSocial Science (Samaj ka Adhyayan)
Chapter6. भारतीय सभ्यता का प्रारंभ
BoardBihar Board

महत्वपूर्ण प्रश्न

1. सभ्यता क्या है?

उत्तर:- सभ्यता एक विकसित मानव समाज की अवस्था है जिसमें नगर, लिपि, कला, विज्ञान और सुव्यवस्थित शासन प्रणाली होती है। इसमें लोग नियमों और मूल्यों के अनुसार रहते हैं। सभ्यता में कृषि, व्यापार, कला और निर्माण कौशल भी विकसित होते हैं। यह मनुष्य के सामूहिक ज्ञान और प्रगति का प्रतीक है।

2. भारतीय उपमहाद्वीप की आरंभिक सभ्यता कौन-सी थी?

उत्तर:- भारतीय उपमहाद्वीप की आरंभिक सभ्यता सिंधु घाटी या हड़प्पा सभ्यता थी, जो लगभग 5000 वर्ष पुरानी है। यह मुख्य रूप से सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारों पर फैली थी। इसके प्रमुख स्थल हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धोलावीरा और लोथल हैं।

3. उसकी मुख्य उपलब्धियाँ क्या थीं?

उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता की मुख्य उपलब्धियाँ थीं – सुनियोजित नगर व्यवस्था जिसमें पक्की ईंटों के घर, चौड़ी सड़कें और उन्नत जल निकासी प्रणाली शामिल थी। इन्होंने धातुकर्म, मुहरें बनाना, मापन प्रणाली और लिपि का विकास किया। कृषि, पशुपालन और व्यापार में अग्रणी थे। उनके नगरों में स्नानागार, अन्नागार और बंदरगाह जैसी सार्वजनिक इमारतें थीं।

प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएं

1. इस अध्याय में अध्ययन की गई सभ्यता के अनेक नाम क्यों हैं? इनके महत्व पर चर्चा कीजिए।

उत्तर:- सिंधु-सरस्वती सभ्यता को विभिन्न नामों से जाना जाता है जैसे सिंधु सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता और सिंधु-सरस्वती सभ्यता। इसे सिंधु सभ्यता इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह मुख्य रूप से सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे विकसित हुई थी। हड़प्पा सभ्यता नाम पड़ा क्योंकि 1921 में हड़प्पा इस सभ्यता का पहला खोजा गया प्रमुख स्थल था। सिंधु-सरस्वती नाम इसलिए दिया गया क्योंकि बाद में पता चला कि यह सभ्यता सरस्वती नदी घाटी में भी फैली थी। ये नाम इस सभ्यता के भौगोलिक विस्तार और खोज के क्रमिक इतिहास को दर्शाते हैं।

नामों का महत्व यह है कि वे बताते हैं कि यह सभ्यता एक विशाल क्षेत्र में फैली थी और समय के साथ हमारी समझ कैसे विकसित हुई।

2. सिंधु-सरस्वती सभ्यता की उपलब्धियों का सार देते हुए संक्षिप्त रिपोर्ट (150 से 200 शब्द) लिखिए।

उत्तर:- सिंधु-सरस्वती सभ्यता लगभग 2600 से 1900 ईसा पूर्व तक फली-फूली और अपनी कई उपलब्धियों के लिए जानी जाती है। इसकी सबसे प्रभावशाली विशेषता थी उन्नत नगर नियोजन, जिसमें ग्रिड पैटर्न में बनी चौड़ी सड़कें, ईंटों के मजबूत घर और उन्नत जल निकासी प्रणाली शामिल थी। मोहनजोदड़ो में महान स्नानागार और धौलावीरा में जल संरक्षण प्रणाली जैसे निर्माण उनके जल प्रबंधन कौशल को दर्शाते हैं। वे कृषि में कुशल थे और गेहूँ, जौ, कपास जैसी फसलें उगाते थे, साथ ही पशुपालन भी करते थे। व्यापारिक गतिविधियों में वे मेसोपोटामिया जैसे दूर-दूर तक के क्षेत्रों से जुड़े थे, जिसका प्रमाण उनकी मानकीकृत बाट-माप प्रणाली और सीलें हैं। उनकी अभी तक न पढ़ी गई लिपि एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी।

कलात्मक रूप से नर्तकी की कांस्य मूर्ति, टेराकोटा खिलौने और आभूषण उनकी कलात्मक प्रतिभा के उदाहरण हैं। यह सभ्यता अपने समय में अत्यंत उन्नत थी, जहाँ सामाजिक संगठन और योजनाबद्ध विकास के साक्ष्य मिलते हैं।

3. कल्पना कीजिए कि आपको हड़प्पा से कालीबंगा तक यात्रा करनी है। आपके पास विभिन्न विकल्प क्या हैं? क्या आप प्रत्येक विकल्प में लगने वाले समय का अनुमान लगा सकते हैं?

उत्तर:- हड़प्पा (वर्तमान पाकिस्तान) से कालीबंगा (वर्तमान राजस्थान) तक यात्रा के लिए सिंधु सभ्यता काल में तीन मुख्य विकल्प होंगे। पहला, पैदल यात्रा, जिसमें लगभग 350 किलोमीटर की दूरी को तय करने के लिए रोज़ाना 20-25 किलोमीटर चलने पर 14-18 दिन लग सकते थे। दूसरा, बैलगाड़ी से यात्रा, जो 10-15 किलोमीटर प्रतिदिन की गति से चल सकती थी, जिससे यात्रा में 23-35 दिन लग सकते थे, लेकिन यह आरामदायक और सामान ले जाने के लिए उपयुक्त होती।

तीसरा, नदी मार्ग से यात्रा, जिसमें सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों का उपयोग करके नावों द्वारा यात्रा की जा सकती थी, जो सबसे तेज़ विकल्प हो सकता था और अनुकूल परिस्थितियों में 8-12 दिन लग सकते थे। यात्रा का समय मौसम, नदी के प्रवाह और रास्ते की स्थिति पर भी निर्भर करता।

4. कल्पना कीजिए कि यदि हड़प्पा के किसी पुरुष या महिला को हम आज के भारत के सामान्य रसोईघर में ले आते हैं, तो उन्हें सबसे बड़े चार या पाँच आश्चर्य क्या लगेंगे?

उत्तर:- हड़प्पा के किसी व्यक्ति को आधुनिक भारतीय रसोईघर में कई आश्चर्यजनक चीज़ें मिलेंगी। सबसे पहले, गैस स्टोव या इंडक्शन कुकटॉप उन्हें चमत्कारिक लगेगा, क्योंकि वे बिना लकड़ी या अग्नि के जलन देखकर अचंभित होंगे। दूसरा, रेफ्रिजरेटर की क्षमता उन्हें स्तब्ध कर देगी, जिसमें खाद्य पदार्थ कई दिनों तक ताज़े रह सकते हैं, जबकि उनके समय में खाद्य संरक्षण सीमित था। तीसरा, बिजली से चलने वाले उपकरण जैसे मिक्सर-ग्राइंडर, जो सेकंडों में मसाले पीस सकते हैं, जबकि उन्हें इसके लिए पत्थर के औज़ारों का उपयोग करना पड़ता था।

चौथा, नल से आता स्वच्छ पानी, जिसे गर्म या ठंडा किया जा सकता है, उनके लिए अविश्वसनीय होगा, क्योंकि उन्हें पानी के लिए कुओं या नदियों पर निर्भर रहना पड़ता था। पाँचवाँ, पैकेज्ड फूड और इंस्टेंट भोजन बनाने की सुविधा उन्हें आश्चर्यचकित कर देगी, जहाँ मिनटों में भोजन तैयार हो जाता है।

5. इस अध्याय के सभी चित्रों पर दृष्टि डालते हुए उन आभूषणों/हाव-भावों/वस्तुओं की सूची बनाइए, जो अभी भी 21 वीं शताब्दी में परिचित प्रतीत होती हैं।

उत्तर:- सिंधु सभ्यता की कई वस्तुएँ आज भी हमारे जीवन में दिखाई देती हैं। चूड़ियाँ और कंगन, जो ‘नृत्य करती लड़की’ की मूर्ति पर दिखाई देते हैं, आज भी महिलाओं द्वारा पहने जाते हैं। मिट्टी के बर्तन आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में खाना पकाने और भंडारण के लिए उपयोग होते हैं। मोतियों और धातु के आभूषण, जैसे हार और कर्णफूल, आधुनिक गहनों से मिलते-जुलते हैं। शतरंज जैसे बोर्ड गेम आज भी लोकप्रिय हैं और उनके प्राचीन रूप दिखाई देते हैं। मुहरें और छापे आज के स्टाम्प और सील जैसे ही हैं, जो दस्तावेजों पर प्रमाणीकरण के लिए उपयोग होते हैं। हड़प्पा के बुने हुए कपड़े और सिलाई तकनीक आज की कपड़ा उद्योग की जड़ें हैं।

6. धौलावीरा के जलाशयों की प्रणाली क्या सोच प्रतिबिंबित करती है?

उत्तर:- धौलावीरा के जलाशयों की प्रणाली हड़प्पावासियों की दूरदर्शी और व्यावहारिक सोच को दर्शाती है। इन जलाशयों को चट्टानों को काटकर बनाया गया था, जो बरसात के पानी को एकत्र करके सूखे के मौसम के लिए संरक्षित करते थे। यह प्रणाली उनकी उन्नत इंजीनियरिंग क्षमता और सामूहिक कार्य के महत्व को प्रदर्शित करती है। ये जलाशय एक-दूसरे से जुड़े थे और नालियों से भी, जो उनके समग्र नियोजन को दिखाता है। यह प्रणाली यह भी बताती है कि वे प्राकृतिक संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग करना जानते थे और पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीते थे। धौलावीरा के जलाशय हड़प्पा लोगों की दीर्घकालिक सोच और टिकाऊ विकास की समझ को भी प्रकट करते हैं।

7. मोहनजोदड़ो में ईंटों से निर्मित 700 कुओं की गणना की गई है। ऐसा लगता है कि उनका नियमित रूप से रख-रखाव किया जाता रहा और अनेक शताब्दियों तक उनका उपयोग किया जाता रहा। निहितार्थों पर चर्चा कीजिए।

उत्तर:- मोहनजोदड़ो में 700 पक्की ईंटों के कुओं का होना हड़प्पा सभ्यता के कई महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर करता है। इतनी बड़ी संख्या में कुओं का निर्माण दर्शाता है कि स्वच्छ जल प्राप्ति उनकी प्राथमिकता थी और लगभग हर परिवार के पास जल सुविधा थी। कुओं का सदियों तक उपयोग होना बताता है कि यह सभ्यता लंबे समय तक स्थिर और समृद्ध रही। नियमित रख-रखाव से पता चलता है कि उनके पास एक सुव्यवस्थित प्रशासन और जल प्रबंधन विभाग था, जो आज के नगर निगमों जैसा काम करता था।

इन कुओं के निर्माण में उपयोग की गई पक्की ईंटें उनके विकसित निर्माण कौशल को दर्शाती हैं। यह सब मिलकर हड़प्पावासियों के स्वच्छता, स्वास्थ्य और सामूहिक जीवन के प्रति जागरूकता को प्रकट करता है।

8. सामान्यतः यह कहा जाता है कि हड़प्पावासियों में नागरिकता का उच्च भाव था। इस कथन के महत्व पर चर्चा कीजिए। क्या आप इससे सहमत हैं? वर्तमान भारत के महानगरों के नागरिकों के साथ इसकी तुलना कीजिए।

उत्तर:- हड़प्पावासियों में नागरिकता का उच्च भाव निश्चित रूप से दिखाई देता है। उनके सुनियोजित नगर, एकसमान मापों के घर और व्यवस्थित जल निकासी प्रणाली बताती है कि वे नियमों का पालन करते थे और सामूहिक भलाई के लिए काम करते थे। सार्वजनिक स्नानागार, अन्नागार और कुओं का उचित रख-रखाव सामुदायिक सहयोग को दर्शाता है। मैं इस कथन से सहमत हूँ, क्योंकि पुरातात्विक साक्ष्य युद्ध के चिह्नों की अनुपस्थिति और समान जीवन स्तर को दिखाते हैं। वर्तमान भारतीय महानगरों में, हम अक्सर अनियोजित विकास, सार्वजनिक संपत्ति का दुरुपयोग और स्वच्छता के प्रति उदासीनता देखते हैं।

आज के नागरिकों में व्यक्तिगत सुविधा अधिक महत्वपूर्ण हो गई है, जबकि हड़प्पावासी सामूहिक हित को प्राथमिकता देते थे। हमें हड़प्पा सभ्यता से नागरिक जिम्मेदारी और सामुदायिक भावना के महत्व को सीखना चाहिए।

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