Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 5 Solutions are available here. Here you will get complete questions and answers of Chapter 5 – “इंडिया, अर्थात भारत”, from the new book (Samaj ka Adhyayan). All solutions are in hindi medium and follow the updated syllabus.
यह अध्याय आपको भारत के अलग-अलग नामों और उसकी पहचान के बारे में बताता है, जैसे भारत और जम्बूद्वीप। आप सीखेंगे कि भारत की भौगोलिक विविधता ने उसकी सांस्कृतिक पहचान को कैसे आकार दिया है। यह अध्याय यह भी समझाएगा कि भाषा, क्षेत्र और परंपराओं में इतनी विविधता होने के बावजूद भारत में एकता की गहरी भावना कैसे बनी हुई है। आप भारत के ऐतिहासिक नामों और उनके महत्व को भी जानेंगे। इस अध्याय के प्रश्न और उत्तर नीचे दिए गए हैं।

Bihar Board Class 6 Social Science Chapter 5 Solutions
| Class | 6 |
| Subject | Social Science (Samaj ka Adhyayan) |
| Chapter | 5. इंडिया, अर्थात भारत |
| Board | Bihar Board |
महत्वपूर्ण प्रश्न
1. भारत को हम कैसे परिभाषित कर सकते हैं?
उत्तर:- भारत एक विस्तृत भू-भाग है जो दक्षिण एशिया में स्थित है और विविध भौगोलिक क्षेत्रों से मिलकर बना है। यह पश्चिम में अरब सागर, पूर्व में बंगाल की खाड़ी और दक्षिण में हिंद महासागर से घिरा है, जबकि उत्तर में विशाल हिमालय पर्वत इसकी प्राकृतिक सीमा बनाता है। भारत विभिन्न भाषाओं, धर्मों, संस्कृतियों और परंपराओं का संगम है जहाँ 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। यह एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक गणराज्य है जिसका संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ था।
भारत की लंबी और समृद्ध इतिहास की परंपरा है जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर आधुनिक भारत तक की विकास यात्रा शामिल है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है।
2. भारत के कुछ प्राचीन नाम क्या थे?
उत्तर:- भारत के प्राचीन नाम इसके इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं। “भारतवर्ष” नाम महाभारत के राजा भरत के नाम पर पड़ा, जिन्होंने इस भूमि पर शासन किया था। “हिंदुस्तान” नाम फारसियों द्वारा दिया गया, जो सिंधु (हिंदू) नदी के आसपास के क्षेत्र से आया था। “आर्यावर्त” नाम प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में उत्तरी भारत के लिए प्रयोग किया जाता था, जिसका अर्थ था “आर्यों की भूमि”। “जम्बूद्वीप” नाम जामुन के पेड़ों से भरे द्वीप के लिए प्रयोग होता था, जिसका उल्लेख पुराणों और जैन ग्रंथों में है। “इंडिया” नाम यूनानियों द्वारा दिया गया, जो सिंधु नदी के यूनानी शब्द “इंडोस” से आया।
“सप्त सिंधु” ऋग्वैदिक काल में सात नदियों वाले क्षेत्र को कहा जाता था। “तियांझू” चीनी यात्रियों द्वारा दिया गया नाम था। ये सभी नाम भारत के भौगोलिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक पहलुओं को प्रदर्शित करते हैं।
प्रश्न, क्रियाकलाप और परियोजनाएं
1. अध्याय के आरंभ में दिए गए उद्धरण का क्या अर्थ है? चर्चा कीजिए।
उत्तर:- अध्याय के शुरू में दिए गए श्री अरविंद के उद्धरण का अर्थ है कि प्राचीन काल से ही भारत में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता मौजूद थी। इस उद्धरण में बताया गया है कि हिमालय पर्वत और दोनों समुद्रों (अरब सागर और बंगाल की खाड़ी) के बीच बसे इस विशाल भू-भाग में विविधता होने के बावजूद एक अंतर्निहित एकता थी। यह एकता धार्मिक विश्वासों, सामाजिक मूल्यों और सांस्कृतिक परंपराओं के माध्यम से बनी रही। श्री अरविंद बताते हैं कि भले ही भारत विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों में बंटा था, परंतु आध्यात्मिक दृष्टि से सभी एक थे।
रामायण, महाभारत जैसे महाकाव्य और पुराण सभी क्षेत्रों में समान रूप से प्रचलित थे, जिससे सांस्कृतिक एकता मजबूत हुई। यह उद्धरण भारत की विशेषता – “विविधता में एकता” को सटीक रूप से व्यक्त करता है।
2. सही अथवा गलत की पहचान कीजिए —
- ‘ऋग्वेद’ में भारत के संपूर्ण भूगोल का वर्णन किया गया है। – गलत
- ‘विष्णु पुराण’ में संपूर्ण उपमहाद्वीप का वर्णन किया गया है। – सही
- अशोक के समय ‘जम्बूद्वीप’ में आज का भारत, अफगानिस्तान के कुछ क्षेत्र, बांग्लादेश और पाकिस्तान सम्मिलित थे। – सही
- महाभारत में कश्मीर, कच्छ और केरल समेत कई क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया गया है। – सही
- ‘हिंदुस्तान’ शब्द का प्रयोग 2,000 वर्ष से भी पहले सर्वप्रथम एक यूनानी शिलालेख में किया गया था। – गलत
- प्राचीन फारसी में ‘हिंदू’ शब्द का उपयोग हिंदू धर्म के लिए किया गया है। – गलत
- विदेशी यात्रियों द्वारा इंडिया को ‘भारत’ नाम दिया गया। – गलत
3. यदि आपका जन्म 2,000 वर्ष पूर्व हुआ होता और आपको अपने देश का नामकरण करने का अवसर मिलता, तो आप किस नाम का चयन करते एवं क्यों? अपनी कल्पनाशक्ति का उपयोग कीजिए।
उत्तर:- यदि मेरा जन्म 2,000 वर्ष पहले हुआ होता, तो मैं अपने देश का नाम “रत्नभूमि” रखता। मैंने यह नाम इसलिए चुना क्योंकि प्राचीन काल में भारत विभिन्न प्रकार के रत्नों से समृद्ध था – प्राकृतिक संपदा, खनिज, वन संपदा, उपजाऊ भूमि, और सबसे बढ़कर ज्ञान और विद्या। उस समय भारत सोने की चिड़िया कहलाता था और विश्व व्यापार का केंद्र था। हमारे यहां से मसाले, कपड़े, और कीमती पत्थरों का निर्यात होता था। साथ ही, नालंदा और तक्षशिला जैसे विश्वविद्यालय ज्ञान के रत्न थे जहां दूर-दूर से छात्र पढ़ने आते थे। “रत्नभूमि” नाम भारत की समृद्धि और उसके बहुमूल्य योगदान को दर्शाता है, जो आज भी हमारी विरासत का हिस्सा है।
4. प्राचीन काल में विश्व के विभिन्न भागों से लोग भारत की यात्रा क्यों करते थे? इस प्रकार की लंबी यात्रा करने के पीछे उनका उद्देश्य क्या था? (संकेत कम से कम चार या पाँच उद्देश्य हो सकते हैं।)
उत्तर:- प्राचीन काल में विश्व के विभिन्न भागों से लोग भारत की यात्रा कई कारणों से करते थे। व्यापार और वाणिज्य प्रमुख कारण था – भारत अपने मसालों, रेशम, वस्त्रों, और कीमती रत्नों के लिए प्रसिद्ध था, जिनकी अन्य देशों में बहुत मांग थी। शिक्षा प्राप्त करने के लिए भी लोग यहां आते थे, क्योंकि नालंदा, तक्षशिला और विक्रमशिला जैसे विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के वैश्विक केंद्र थे। धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी यात्री भारत आते थे – बौद्ध धर्म, योग और वेदांत का अध्ययन करने के लिए विदेशी भिक्षु और विद्वान यहां आते थे।
चिकित्सा ज्ञान प्राप्त करना भी एक महत्वपूर्ण कारण था, क्योंकि आयुर्वेद विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा प्रणाली थी। कुछ लोग राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए भी भारत आते थे, जैसे चीन और रोम के दूत।