Here you will get complete Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 1 Solutions. This covers all question answer of chapter 1 – “लाख की चूड़ियाँ”, from the new book. It follows the updated syllabus of BSEB.
“लाख की चूड़ियाँ” एक मार्मिक कहानी है जो गाँव के पारंपरिक उद्योग और बदलते समय के प्रभाव को दर्शाती है। यह बदलू मामा और एक बच्चे की कहानी है, जहाँ बदलू लाख की खूबसूरत चूड़ियाँ बनाता है, जो गाँव की स्त्रियों को बहुत पसंद हैं। इस पाठ से आप सीखेंगे कि कैसे मशीनी युग ने लघु उद्योगों को प्रभावित किया और कैसे बदलू जैसे लोग विपरीत परिस्थितियों में भी अपने उसूलों पर अडिग रहते हैं। यह कहानी सिखाती है कि बदलाव के बावजूद अपने मूल्यों को बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है।

Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 1 Solutions
Contents
| अध्याय | 1. लाख की चूड़ियाँ |
| लेखक | कामतानाथ |
| विषय | Hindi (वसंत भाग 3) |
| कक्षा | 8वीं |
| बोर्ड | बिहार बोर्ड |
प्रश्न-अभ्यास
कहानी से
1. बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
उत्तर: लेखक बचपन में अपने मामा के गाँव चाव से इसलिए जाता था क्योंकि वहाँ उसे बदलू से रंग-बिरंगी लाख की गोलियाँ मिलती थीं। ये गोलियाँ बहुत सुंदर और आकर्षक थीं, जो उसे बहुत पसंद थीं। बदलू गाँव में सबसे अच्छा इंसान लगता था क्योंकि वह बच्चों को प्यार से ये गोलियाँ बनाकर देता था। इसीलिए लेखक को मामा के गाँव जाना बहुत अच्छा लगता था। हालाँकि बदलू मामा के गाँव का था, फिर भी लेखक उसे “बदलू मामा” की जगह “बदलू काका” कहता था क्योंकि गाँव के सभी बच्चे उसे काका ही बुलाते थे। यह गाँव की बोली और रीत का हिस्सा था।
2. वस्तु-विनिमय क्या है? विनिमय की प्रचलित पद्धति क्या है?
उत्तर: वस्तु-विनिमय एक पुराना तरीका है जिसमें लोग पैसे का इस्तेमाल किए बिना अपनी चीजों का आदान-प्रदान करते हैं। जैसे, बदलू अपनी बनाई लाख की चूड़ियाँ देता था और बदले में अनाज लेता था। यह तरीका पहले गाँवों में आम था। आज के समय में विनिमय की प्रचलित पद्धति पैसे पर आधारित है। लोग सामान या सेवाओं के बदले पैसे देते हैं। बदलू का स्वभाव बहुत सरल और विनम्र था, इसलिए वह वस्तु-विनिमय से ही खुश रहता था और कभी किसी से झगड़ा नहीं करता था।
3. ‘मशीनी युग ने कितने हाथ काट दिए हैं।’ – इस पंक्ति में लेखक ने किस व्यथा की ओर संकेत किया है?
उत्तर: इस पंक्ति में लेखक ने मशीनी युग के कारण कारीगरों की परेशानियों की बात कही है। बदलू जैसे लोग, जो अपने हाथों से लाख की चूड़ियाँ बनाते थे, मशीनों के आने से बेरोजगार हो गए। मशीनों से बनी काँच की चूड़ियाँ सस्ती और लोकप्रिय हो गईं, जिससे बदलू का काम और उसकी मेहनत की कद्र खत्म हो गई। इस पंक्ति से लेखक यह दिखाना चाहता है कि मशीनों ने न सिर्फ कारीगरों की आजीविका छीनी, बल्कि उनके हुनर को भी बेकार कर दिया।
4. बदलू के मन में ऐसी कौन-सी व्यथा थी जो लेखक से छिपी न रह सकी।
उत्तर: बदलू के मन में यह दुख था कि मशीनों के कारण उसका लाख की चूड़ियाँ बनाने का काम बंद हो गया। पहले वह अपनी कला से चूड़ियाँ बनाकर खुश रहता था, लेकिन अब काँच की चूड़ियाँ बाजार में छा गई थीं। इससे उसकी रोजी-रोटी छिन गई और वह आर्थिक तंगी में जी रहा था। उसका यह दुख उसके चेहरे और बातों से साफ झलकता था, जिसे लेखक ने आसानी से समझ लिया।
5. मशीनी युग से बदलू के जीवन में क्या बदलाव आया?
उत्तर: मशीनी युग ने बदलू के जीवन को पूरी तरह बदल दिया। पहले वह अपने हाथों से लाख की चूड़ियाँ बनाकर अपनी जीविका चलाता था, लेकिन मशीनों से बनी सस्ती काँच की चूड़ियाँ आने से उसका काम बंद हो गया। इससे वह बेरोजगार हो गया और उसकी आर्थिक हालत खराब हो गई। उसका शरीर भी कमजोर हो गया, उसे खाँसी की बीमारी हो गई, और वह उदास रहने लगा। मशीनों ने उसकी मेहनत और कला को बेकार कर दिया, जिससे वह बहुत दुखी था।
कहानी से आगे
1. आपने मेले-बाज़ार आदि में हाथ से बनी चीज़ों को बिकते देखा होगा। आपके मन में किसी चीज़ को बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई हो और आपने कोई कारीगरी सीखने का प्रयास किया हो तो उसके विषय में लिखिए।
उत्तर: मेले में मैंने मिट्टी के बर्तन और सुंदर दीये देखे। ये देखकर मुझे मिट्टी से बर्तन बनाने की कला सीखने की इच्छा हुई। मैंने घर पर मिट्टी लाकर छोटे-छोटे बर्तन बनाने की कोशिश की। शुरू में बर्तन टेढ़े-मेढ़े बने, लेकिन धीरे-धीरे अभ्यास से मेरे हाथ सही आकार देने लगे। इस काम में मुझे बहुत मजा आया और मैंने सीखा कि मेहनत और धैर्य से कोई भी कला सीखी जा सकती है। इससे मुझे कारीगरों की मेहनत की कद्र और बढ़ गई।
2. लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के किन-किन राज्यों में होता है? लाख से चूड़ियों के अतिरिक्त क्या-क्या चीजें बनती हैं?
उत्तर: लाख की वस्तुओं का निर्माण भारत के कई राज्यों में होता है, जैसे:
- उत्तर प्रदेश: फिरोज़ाबाद और वाराणसी में लाख की चूड़ियाँ बनती हैं।
- राजस्थान: जयपुर और जोधपुर में लाख के गहने और सजावटी सामान बनाए जाते हैं।
- मध्य प्रदेश: इंदौर और भोपाल में लाख की चूड़ियाँ और अन्य वस्तुएँ बनती हैं।
- बिहार: पटना में लाख की चूड़ियाँ और आभूषण बनते हैं।
- झारखंड: यहाँ भी लाख का उत्पादन होता है।
लाख से चूड़ियों के अलावा ये चीजें बनती हैं:
- गहने: हार, झुमके, कंगन।
- सजावटी सामान: मूर्तियाँ, शोपीस, दीवार की सजावट।
- छोटी वस्तुएँ: कंघी, गहनों के डिब्बे।
- सजावटी दीपक: छोटे दीपक और सजावटी प्लेटें।
अनुमान और कल्पना
1. घर में मेहमान के आने पर आप उसका अतिथि-सत्कार कैसे करेंगे?
उत्तर: जब मेरे घर मेहमान आएँ, मैं सबसे पहले मुस्कुराकर उनका स्वागत करूँगा। उन्हें आराम से बैठने को कहूँगा और पानी या ठंडा पेय पदार्थ जैसे शरबत या चाय दूँगा। उनके साथ हल्की-फुल्की बातचीत करके माहौल को हल्का और खुशनुमा बनाऊँगा। अगर वे भोजन के समय आए हों, तो मैं उन्हें स्वादिष्ट खाना या नाश्ता परोसूँगा। उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखूँगा, जैसे पानी, आरामदायक जगह, या कुछ और। जाते समय मैं उनका धन्यवाद करूँगा और फिर से आने को कहूँगा। इस तरह मैं मेहमान को प्यार और सम्मान से विदा करूँगा।
2. आपको छुट्टियों में किसके घर जाना सबसे अच्छा लगता है? वहाँ की दिनचर्या अलग कैसे होती है?
उत्तर: मुझे छुट्टियों में अपनी दादी के घर जाना बहुत पसंद है। वहाँ की दिनचर्या मेरे घर से काफी अलग होती है। सुबह जल्दी उठकर दादी के साथ बगीचे में टहलता हूँ और पौधों की देखभाल करता हूँ। दिन में दादी के हाथ का बना स्वादिष्ट खाना खाता हूँ, जो घर के खाने से बहुत अलग होता है। दोपहर में दादी की कहानियाँ सुनता हूँ या गाँव में घूमने जाता हूँ। शाम को परिवार के साथ आँगन में बैठकर बातें करते हैं या खेल खेलते हैं। वहाँ का माहौल शांत और खुशहाल होता है, जो शहर की भागदौड़ से बिल्कुल अलग है।
3. मशीनी युग में अनेक परिवर्तन आए दिन होते रहते हैं। आप अपने आस-पास से इस प्रकार के किसी परिवर्तन का उदाहरण चुनिए और उसके बारे में लिखिए।
उत्तर: मशीनी युग में मेरे आस-पास एक बड़ा बदलाव मोबाइल फोन और ऑनलाइन पढ़ाई का है। पहले बच्चे स्कूल जाकर पढ़ते थे, लेकिन अब बहुत सारी पढ़ाई ऑनलाइन हो रही है। मोबाइल और कंप्यूटर के जरिए बच्चे घर बैठे क्लास ले सकते हैं। यह बदलाव तकनीक के कारण आया है। इससे समय बचता है और पढ़ाई आसान हो गई है, लेकिन बच्चों को दोस्तों से मिलने और खेलने का मौका कम मिलता है। छोटी दुकानों पर भी इसका असर पड़ा है, क्योंकि लोग अब ऑनलाइन सामान खरीदते हैं। यह मशीनी युग का एक बड़ा बदलाव है।
4. बाज़ार में बिकने वाले सामानों की डिज़ाइनों में हमेशा परिवर्तन होता रहता है। आप इन परिवर्तनों को किस प्रकार देखते हैं?
उत्तर: बाज़ार में सामानों की डिज़ाइनों में बदलाव होना आम बात है। ये बदलाव लोगों की नई पसंद और फैशन के हिसाब से आते हैं। जैसे, पहले साधारण कपड़े चलते थे, लेकिन अब रंग-बिरंगे और आधुनिक डिज़ाइन वाले कपड़े ज्यादा पसंद किए जाते हैं। ये बदलाव अच्छे हैं क्योंकि इससे लोगों को नई-नई चीजें मिलती हैं और उनकी पसंद पूरी होती है। लेकिन कई बार ये बदलाव जरूरत से ज्यादा हो जाते हैं, जिससे लोग पुरानी चीजों को जल्दी फेंक देते हैं। इससे पैसों की बर्बादी और पर्यावरण को नुकसान हो सकता है। इसलिए हमें नई डिज़ाइनों का मज़ा लेना चाहिए, लेकिन सोच-समझकर खरीदारी करनी चाहिए।
5. हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में भी बदलाव आ रहा है। इस बदलाव के पक्ष-विपक्ष में बातचीत कीजिए और बातचीत के आधार पर लेख तैयार कीजिए।
उत्तर: खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में बदलाव
आजकल हमारे खान-पान, रहन-सहन और कपड़ों में बहुत बदलाव आ रहा है। ये बदलाव मशीनी युग और आधुनिकता के कारण हैं। यहाँ इनके पक्ष और विपक्ष हैं:
पक्ष:
- खान-पान: नई-नई डिश जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर खाने को मिलते हैं, जो स्वाद में अच्छे लगते हैं।
- रहन-सहन: मशीनों और तकनीक ने जीवन को आसान बनाया है, जैसे वॉशिंग मशीन, माइक्रोवेव।
- कपड़े: नए फैशन के कपड़े आकर्षक और स्टाइलिश होते हैं, जो आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।
विपक्ष:
- खान-पान: फास्ट फूड खाने से सेहत खराब हो सकती है, जैसे मोटापा।
- रहन-सहन: ज्यादा तकनीक के कारण लोग एक-दूसरे से कम मिलते हैं, जिससे रिश्ते कमजोर हो सकते हैं।
- कपड़े: नए-नए कपड़े खरीदने की होड़ में पैसा बर्बाद होता है और पुराने कपड़े बेकार हो जाते हैं।
इसलिए, हमें बदलाव का मज़ा लेना चाहिए, लेकिन अपनी परंपराओं और सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए।
भाषा की बात
1. ‘बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो काँच की चूड़ियों से’ और बदलू स्वयं कहता है- “जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है लाख में कहाँ संभव है?” ये पंक्तियाँ बदलू की दो प्रकार की मनोदशाओं को सामने लाती हैं। दूसरी पंक्ति में उसके मन की पीड़ा है। उसमें व्यंग्य भी है। हारे हुए मन से, या दुखी मन से अथवा व्यंग्य में बोले गए वाक्यों के अर्थ सामान्य नहीं होते। कुछ व्यंग्य वाक्यों को ध्यानपूर्वक समझकर एकत्र कीजिए और उनके भीतरी अर्थ की व्याख्या करके लिखिए।
उत्तर: बदलू के वाक्य उसके मन के दुख और तंज को दिखाते हैं। कुछ व्यंग्य वाक्य और उनके अर्थ:
1. “जो सुंदरता काँच की चूड़ियों में होती है, लाख में कहाँ संभव है?”
अर्थ: बदलू यहाँ तंज कस रहा है। वह जानता है कि उसकी लाख की चूड़ियाँ सुंदर थीं, लेकिन लोग अब काँच की चूड़ियाँ पसंद करते हैं। यह वाक्य उसकी हताशा और अपनी कला की अनदेखी का दुख दिखाता है।
2. “मशीन युग है न यह, लला!”
अर्थ: बदलू इस वाक्य में मशीनों को दोष देता है, जो उसका काम छीन रही हैं। यह उसकी मजबूरी और दुख को दिखाता है।
3. “फसली खाँसी है, दस-पंद्रह दिन में ठीक हो जाएगी।”
अर्थ: बदलू अपनी बीमारी को हल्के में लेता है, लेकिन यह उसकी परेशानियों को छिपाने की कोशिश है। यह वाक्य उसकी मजबूरी और दुख को दर्शाता है।
ये वाक्य बदलू के मन के दुख, हताशा और समाज के बदलाव पर तंज को दिखाते हैं।
2. ‘बदलू’ कहानी की दृष्टि से पात्र है और भाषा की बात (व्याकरण) की दृष्टि से संज्ञा है। किसी भी व्यक्ति, स्थान, वस्तु, विचार अथवा भाव को संज्ञा कहते हैं। संज्ञा को तीन भेदों में बाँटा गया है (क) व्यक्तिवाचक संज्ञा, जैसे-लला, रज्जो, आम, काँच, गाय इत्यादि (ख) जातिवाचक संज्ञा, जैसे-चरित्र, स्वभाव, वजन, आकार आदि द्वारा जानी जाने वाली संज्ञा। (ग) भाववाचक संज्ञा, जैसे-सुंदरता, नाजुक, प्रसन्नता इत्यादि जिसमें कोई व्यक्ति नहीं है और न आकार या वजन। परंतु उसका अनुभव होता है। पाठ से तीनों प्रकार की संज्ञाएँ चुनकर लिखिए।
उत्तर: व्यक्तिवाचक संज्ञा:
- बदलू (पात्र का नाम)
- लला (लेखक का नाम)
- गाँव (स्थान का नाम)
जातिवाचक संज्ञा:
- चूड़ियाँ (वस्तु)
- अनाज (सामान)
- कारीगर (पेशा)
भाववाचक संज्ञा:
- सुंदरता (चीजों का गुण)
- दुख (मन का भाव)
- खुशी (मन का भाव)
3. गाँव की बोली में कई शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। कहानी में बदलू वक्त (समय) को बखत, उम्र (वय/आयु) को उमर कहता है। इस तरह के अन्य शब्दों को खोजिए जिनके रूप में परिवर्तन हुआ हो, अर्थ में नहीं।
उत्तर: गाँव की बोली में कुछ शब्दों के उच्चारण बदल जाते हैं। उदाहरण:
- वक्त → बखत
- उम्र → उमर
- बेटा → बिटवा
- मेहनत → मेहिनत
- थोड़ा → थोर