Solutions for Bihar Board Class 8 Sanskrit Chapter 5 are available here. This provides written answers for all questions of chapter 5 – “कन्टकेनैव कण्टकम्”. You will also get hindi explanations for better understanding.
‘कन्टकेनैव कण्टकम्’ एक मजेदार और शिक्षाप्रद कहानी है, जो पञ्चतन्त्र से ली गई है। यह चञ्चल नामक शिकारी, एक बाघ और एक चतुर लोमड़ी की कहानी है, जो स्वार्थ और बुद्धिमानी के बारे में बताती है। इस पाठ से आप सीखेंगे कि कैसे चतुराई से मुश्किल हालात को संभाला जा सकता है। कहानी यह भी दिखाती है कि स्वार्थी व्यवहार का क्या परिणाम होता है।

Bihar Board Class 8 Sanskrit Chapter 5 Solutions
| Subject | Sanskrit (रुचिरा-3) |
| Chapter | 5. कन्टकेनैव कण्टकम् |
| Class | 8th |
| Board | Bihar Board |
अभ्यासः
1. एकपदेन उत्तरं लिखत-
(एक शब्द में उत्तर लिखें)
(क) व्याधस्य नाम किम् आसीत्? (शिकारी का नाम क्या था?)
उत्तर: चञ्चलः (चंचल)
(ख) चञ्चलः व्याघ्रं कुत्र दृष्टवान्? (चंचल ने बाघ को कहाँ देखा?)
उत्तर: वने (जंगल में)
(ग) कस्मै किमपि अकार्यं न भवति? (किसे कुछ भी करना असंभव नहीं होता?)
उत्तर: क्षुधार्ताय (भूखे व्यक्ति को)
(घ) बदरी-गुल्मानां पृष्ठे का निलीना आसीत्? (बदरी और झाड़ियों के पीछे कौन छिपा था?)
उत्तर: लोमशिका (लोमशिका)
(ङ) सर्वः किं समीहते? (सभी क्या चाहते हैं?)
उत्तर: स्वार्थम् (अपना स्वार्थ)
(च) नि:सहायो व्याधः किमयाचत? (बिना सहायता के शिकारी ने क्या माँगा?)
उत्तर: प्राणभिक्षाम् (अपनी जान की भीख)
2. पूर्णवाक्येन उत्तरत-
(पूर्ण वाक्य में उत्तर दें)
(क) चञ्चलेन वने किं कृतम्? (चंचल ने जंगल में क्या किया?)
उत्तर: चंचल ने जंगल में जाल बिछाया। (चंचलेन वने जालं विस्तारितम्।)
(ख) व्याघ्रस्य पिपासा कथं शान्ता अभवत्? (बाघ की प्यास कैसे बुझी?)
उत्तर: बाघ ने नदी का पानी पीकर अपनी प्यास बुझाई। (व्याघ्रः नद्याः जलेन पिपासाम् अशमयत्।)
(ग) जलं पीत्वा व्याघ्रः किम् अवदत्? (पानी पीने के बाद बाघ ने क्या कहा?)
उत्तर: पानी पीने के बाद बाघ ने कहा, “अब मैं भूखा हूँ, मैं तुम्हें खा जाऊँगा।” (जलं पीत्वा व्याघ्रः अवदत्-‘साम्प्रतं अहं बुभुक्षितोऽस्मि, इदानीम् अहं त्वां खादिष्यामि।’)
(घ) चञ्चलः ‘मातृस्वस:!’ इति को सम्बोधितवान्? (चंचल ने ‘मातृस्वसः!’ कहकर किसे बुलाया?)
उत्तर: चंचल ने ‘मातृस्वसः!’ कहकर लोमशिका को बुलाया। (चंचलः ‘मातृस्वसः!’ इति लोमशिकाम् सम्बोधितवान्।)
(ङ) जाले पुनः बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याधः किम् अकरोत्? (जाल में फिर से बंधे हुए बाघ को देखकर शिकारी ने क्या किया?)
उत्तर: जाल में फिर से बंधे बाघ को देखकर चंचल खुश हुआ और घर चला गया। (जाले पुनः बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा व्याधः प्रसन्नः भूत्वा गृहं प्रत्यावर्तत।)
3. अधोलिखितानि वाक्यानि कः/का कं/कां प्रति कथयति-
(निम्नलिखित वाक्यों को किसने, किसके लिए कहा)
(क) कल्याणं भवतु ते। (तुम्हारा कल्याण हो।)
उत्तर:
- का/कः : व्याघ्रः (बाघ)
- कं/काम् : चञ्चलम् (चंचल को)
(ख) जनाः मयि स्नानं कुर्वन्ति। (लोग मुझमें स्नान करते हैं।)
उत्तर:
- का/कः : नदीजलम् (नदी का पानी)
- कं/काम् : चञ्चलम् (चंचल को)
(ग) अहं त्वक्च्छेदं धर्ममाचरितवान् त्वया मिथ्या भणितम्। (मैंने तुम्हारे लिए धर्म का पालन किया, तुमने झूठ बोला।)
उत्तर:
- का/कः : चञ्चलः (चंचल)
- कं/काम् : व्याघ्रम् (बाघ को)
(घ) यत्र कृतानि छेदनं कुर्वीत। (जहाँ कार्य किए गए हों, वहाँ छेदन करना चाहिए।)
उत्तर:
- का/कः : वृक्षः (पेड़)
- कं/काम् : चञ्चलम् (चंचल को)
(ङ) स्मृत्वा पुनः पुनः कृतं कृतम् दर्शय। (याद करके बार-बार किए गए कार्य को दिखाओ।)
उत्तर:
- का/कः : लोमशिका (लोमशिका)
- कं/काम् : व्याघ्रम् (बाघ को)
4. रेखांकित पदमाधृत्य प्रश्ननिर्माणम्-
(रेखांकित शब्द के आधार पर प्रश्न बनाएँ)
(क) व्याधः व्याघ्रं जालात् बहिः निरसारयत्। (शिकारी ने बाघ को जाल से बाहर निकाला।)
उत्तर: व्याधः व्याघ्रं कस्मात् बहिः निरसारयत्? (शिकारी ने बाघ को किससे बाहर निकाला?)
(ख) चञ्चलः वृक्षम् उपगम्य अपृच्छत्। (चंचल ने पेड़ के पास जाकर पूछा।)
उत्तर: चञ्चलः कम् उपगम्य अपृच्छत्? (चंचल ने किसके पास जाकर पूछा?)
(ग) व्याघ्रः लोमशिकायै निखिला कथां न्यवेदयत्। (बाघ ने लोमशिका को सारी कहानी सुनाई।)
उत्तर: व्याघ्रः कस्यै निखिला कथां न्यवेदयत्? (बाघ ने किसे सारी कहानी सुनाई?)
(घ) मानवाः वृक्षाणां छायायां विरमन्ति। (मानव पेड़ों की छाया में विश्राम करते हैं।)
उत्तर: मानवाः केषां छायायां विरमन्ति? (मानव किनकी छाया में विश्राम करते हैं?)
(ङ) व्याघ्रः नद्याः जलेन व्याधस्य पिपासामशमयत्। (बाघ ने नदी के पानी से शिकारी की प्यास बुझाई।)
उत्तर: व्याघ्रः कस्याः जलेन व्याधस्य पिपासामशमयत्? (बाघ ने किसके पानी से शिकारी की प्यास बुझाई?)
5. मजूषातः पदानि चित्वा कथां पूरयत-
(बॉक्स से शब्द चुनकर कहानी पूरी करें)
मजूषा (बॉक्स): वृद्धः, अकस्मात्, साट्टहासम्, कृतवान्, मोचयितुम्, कर्तनम्, क्षुद्रः, स्वकीयैः, तर्हि, दृष्ट्वा
उत्तर:
एकस्मिन् वने एकः वृद्धः व्याघ्रः आसीत्। (एक जंगल में एक बूढ़ा बाघ था।) सः एकदा व्याधेन विस्तारिते जाले बद्धः अभवत्। (वह एक बार शिकारी के जाल में फँस गया।) सः बहुप्रयासः कृतवान् किन्तु जालात् मुक्तः नाभवत्। (उसने बहुत कोशिश की लेकिन जाल से मुक्त नहीं हुआ।) तर्हि तत्र एकः मूषकः समागच्छत्। (तब वहाँ एक चूहा आया।) बद्धं व्याघ्रं दृष्ट्वा सः तम् अवदत्-अहो! भवान् जाले बद्धः। (बाघ को जाल में फँसा देखकर उसने कहा- अरे! तुम जाल में फँसे हो।) अहं त्वां मोचयितुम् इच्छामि। (मैं तुम्हें छुड़ाना चाहता हूँ।) तच्छुत्वा व्याघ्रः साट्टहासम् अवदत्-अरे! त्वं क्षुद्रः जीवः मम सहाय्यं करिष्यसि। (यह सुनकर बाघ हँसते हुए बोला- अरे! तुम छोटा जीव मेरी मदद करेगा।)
यदि त्वं मां मोचयिष्यसि अकस्मात् अहं त्वां न हनिष्यामि। (यदि तुम मुझे छुड़ा दोगे, तो मैं तुम्हें अचानक नहीं मारूँगा।)मूषकः स्वकीयैः लघुदन्तैः तज्जालस्य कर्तनम् कृत्वा तं व्याघ्रं बहिः कृतवान्। (चूहे ने अपने छोटे दाँतों से जाल को काटकर बाघ को बाहर निकाला।)
6. यथानिर्देशमुत्तरत-
(निर्देश के अनुसार उत्तर दें)
(क) सः लोमशिकायै सर्वां कथां न्यवेदयत् अस्मिन् वाक्ये विशेषणपदं किम्? (इस वाक्य में विशेषण शब्द कौन सा है?)
उत्तर: सर्वाम् (सारी, यहाँ यह विशेषण है क्योंकि यह कथा को वर्णन करता है।)
(ख) अहं त्वत्कृते धर्मम् आचरितवान् इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्? (इस वाक्य में ‘अहम्’ सर्वनाम किसके लिए प्रयुक्त हुआ?)
उत्तर: ‘अहम्’ सर्वनाम चंचल के लिए प्रयुक्त हुआ। (चंचलः)
(ग) ‘सर्वः स्वार्थ समीहते’, अस्मिन् वाक्ये कर्तृपदं किम्? (इस वाक्य में कर्ता शब्द कौन सा है?)
उत्तर: सर्वः (सभी, यहाँ कर्ता है क्योंकि यह कार्य करने वाला है।)
(घ) सा सहसा चञ्चलमुपसृत्य कथयति वाक्यात् एकम् अव्ययपदं चित्वा लिखत। (इस वाक्य से एक अव्यय शब्द चुनकर लिखें।)
उत्तर: सहसा (अचानक, यह अव्यय है क्योंकि यह क्रिया को वर्णन करता है।)
(ङ) ‘का वार्ता? माम् अपि विज्ञापय’ अस्मिन् वाक्ये क्रियापदं किम्? क्रियापदस्य पदपरिचयमपि लिखत। (इस वाक्य में क्रिया शब्द कौन सा है? क्रिया का पद परिचय भी लिखें।)
उत्तर:
क्रियापदं: विज्ञापय (बताओ)
पदपरिचय:
- उपसर्गः : वि (उपसर्ग ‘वि’ है।)
- धातुः : ज्ञा (धातु ‘ज्ञा’ है, जिसका अर्थ है जानना।)
- प्रत्ययः : णिच् (यह प्रत्यय क्रिया को प्रेरणार्थक बनाता है।)
- लकारः : लोट् लकारः (आज्ञा देने के लिए लोट् लकार।)
- पुरुषः : मध्यम पुरुषः (मध्यम पुरुष, क्योंकि यह सामने वाले को संबोधित करता है।)
- वचनम् : एकवचनम् (एकवचन, क्योंकि यह एक व्यक्ति को संबोधित है।)
7. (अ) धातुं प्रत्ययं च लिखत –
(धातु और प्रत्यय लिखिए-)

उत्तर:
| विभक्ति (वचन) | एकवचनम् | द्विवचनम् | बहुवचनम् |
|---|---|---|---|
| स्वसृ (प्रथमा) | स्वसा | स्वसारौ | स्वसारः |
| स्वसृ (तृतीया) | स्वस्रा | स्वसृभ्याम् | स्वसृभिः |
| मातृ (सप्तमी) | मातरि | मातरोः | मातृषु |
| मातृ (षष्ठी) | मातुः | मातरोः | मातृणाम् |
7. (आ) धातुं प्रत्ययं च लिखत-
(धातु और प्रत्यय लिखिए-)

उत्तर:
- द्रष्टुम् = दृश् + तुमुन्
- कर्तुम् = कृ + तुमुन्
- करणीयम् = कृ + अनीयर्
- पातुम् = पा + तुमुन्
- खादितुम् = खाद् + तुमुन्
- कृत्वा = कृ + क्त्वा