UP Board Class 9 Economics Chapter 2 Solutions – संसाधन के रूप में लोग

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यूपी बोर्ड की कक्षा 9 की अर्थशास्त्र पुस्तक का दूसरा अध्याय “संसाधन के रूप में लोग” एक महत्वपूर्ण विषय पर केंद्रित है। यह अध्याय बताता है कि किसी देश की सबसे बड़ी संपत्ति उसके लोग हैं। इसमें छात्रों को यह समझाया जाता है कि मानव संसाधन किस प्रकार देश के विकास में योगदान देते हैं। अध्याय में शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास जैसे पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है, जो लोगों को बेहतर संसाधन बनाने में मदद करते हैं। यह अध्याय छात्रों को यह समझने में मदद करता है कि मानव पूंजी का निर्माण और उसका सही उपयोग किसी भी देश की आर्थिक प्रगति के लिए कितना आवश्यक है।

UP Board class 9 Economics chapter 2

UP Board Class 9 Economics Chapter 2 Solutions

SubjectEconomics
Class9th
Chapter2. संसाधन के रूप में लोग
BoardUP Board

संसाधन के रूप में लोग Question Answer

प्रश्न 1. ‘संसाधन के रूप में लोग’ से आप क्या समझते हैं?

उत्तर:- ‘संसाधन के रूप में लोग’ का अर्थ है किसी देश की जनसंख्या को एक मूल्यवान संपत्ति के रूप में देखना। स्वस्थ, शिक्षित और कुशल लोग देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे श्रमिक, प्रबंधक और उद्यमी के रूप में आर्थिक गतिविधियों को संचालित करते हैं। मानव संसाधन अन्य संसाधनों जैसे प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके उत्पादन और सेवाओं को बढ़ाता है। इसलिए, एक देश की समृद्धि उसके लोगों की गुणवत्ता पर निर्भर करती है।

प्रश्न 2. मानव संसाधन भूमि और भौतिक पूँजी जैसे अन्य संसाधनों से कैसे भिन्न है?

उत्तर:- मानव संसाधन अन्य संसाधनों से कई तरह से भिन्न है। सबसे पहले, यह एक जीवंत और सोचने वाला संसाधन है जो नवीन विचार और तकनीकें विकसित कर सकता है। दूसरा, मानव संसाधन अन्य सभी संसाधनों का उपयोग और प्रबंधन करता है। तीसरा, यह स्वयं को लगातार उन्नत कर सकता है, जैसे शिक्षा और प्रशिक्षण के माध्यम से। चौथा, मानव संसाधन की उत्पादकता समय के साथ बढ़ सकती है, जबकि अन्य संसाधन प्रायः सीमित होते हैं।

प्रश्न 3. मानव पूँजी निर्माण में शिक्षा की क्या भूमिका है?

उत्तर:-

शिक्षा मानव पूंजी निर्माण का एक महत्वपूर्ण आधार है। यह व्यक्तियों के ज्ञान, कौशल और क्षमताओं को बढ़ाती है, जिससे उनकी उत्पादकता और आय में वृद्धि होती है। शिक्षा लोगों को नए विचारों और तकनीकों को समझने और उपयोग करने में सक्षम बनाती है। यह रोजगार के बेहतर अवसर प्रदान करती है और आर्थिक विकास को बढ़ावा देती है। शिक्षित लोग अपने बच्चों की शिक्षा पर अधिक ध्यान देते हैं, जो पीढ़ीगत प्रगति को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, शिक्षा समाज और अर्थव्यवस्था के समग्र विकास में योगदान देती है।

प्रश्न 4. मानव पूंजी निर्माण में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

उत्तर:-

स्वास्थ्य मानव पूंजी निर्माण का एक अनिवार्य तत्व है। स्वस्थ व्यक्ति अधिक उत्पादक होते हैं और लंबे समय तक काम कर सकते हैं। अच्छा स्वास्थ्य बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है, जिससे अनुपस्थिति कम होती है। स्वस्थ लोग बेहतर सीखने और नए कौशल विकसित करने में सक्षम होते हैं। स्वास्थ्य में निवेश करने से व्यक्तियों और समाज दोनों को लाभ होता है, क्योंकि यह जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाता है और आर्थिक उत्पादकता को बढ़ाता है। इसलिए, स्वास्थ्य सुधार मानव पूंजी और राष्ट्रीय विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

प्रश्न 5. किसी व्यक्ति के कामयाब जीवन में स्वास्थ्य की क्या भूमिका है?

उत्तर:-

स्वास्थ्य एक सफल जीवन का आधार है। एक स्वस्थ व्यक्ति अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग कर सकता है और अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। अच्छा स्वास्थ्य शारीरिक और मानसिक ऊर्जा प्रदान करता है, जो कार्य प्रदर्शन और उत्पादकता को बढ़ाता है। यह तनाव को कम करता है और बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है। स्वस्थ लोग अपने परिवार और समाज के लिए बोझ नहीं बनते, बल्कि योगदान देते हैं। स्वास्थ्य जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाता है और व्यक्तिगत तथा व्यावसायिक संबंधों को मजबूत बनाता है। इसलिए, स्वास्थ्य एक सफल और संतुष्ट जीवन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 6. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों में किस तरह की विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ संचालित की जाती है?

उत्तर:-

प्राथमिक क्षेत्र में प्राकृतिक संसाधनों का प्रत्यक्ष उपयोग होता है, जैसे कृषि, मत्स्य पालन और खनन। द्वितीयक क्षेत्र में कच्चे माल को तैयार उत्पाद में बदला जाता है, जैसे विनिर्माण और निर्माण। तृतीयक क्षेत्र सेवाओं से संबंधित है, जिसमें व्यापार, परिवहन, बैंकिंग और शिक्षा शामिल हैं। ये तीनों क्षेत्र एक-दूसरे पर निर्भर हैं और अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 7. आर्थिक और गैर आर्थिक क्रियाओं में क्या अन्तर है?

उत्तर:-

आर्थिक क्रियाएँ वे हैं जो आय अर्जित करने या लाभ कमाने के लिए की जाती हैं, जैसे नौकरी या व्यवसाय। इनका मूल्य मुद्रा में मापा जा सकता है। गैर-आर्थिक क्रियाएँ वे हैं जो बिना किसी मौद्रिक लाभ के की जाती हैं, जैसे घर के काम या सामाजिक सेवा। आर्थिक क्रियाएँ अर्थव्यवस्था में योगदान देती हैं, जबकि गैर-आर्थिक क्रियाएँ जीवन की गुणवत्ता में सुधार करती हैं। दोनों प्रकार की क्रियाएँ समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 8. महिलाएँ क्यों निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं?

उत्तर:-

महिलाएँ अक्सर निम्न वेतन वाले कार्यों में नियोजित होती हैं कई कारणों से। शिक्षा और कौशल प्रशिक्षण तक सीमित पहुंच एक प्रमुख कारण है। सामाजिक मान्यताएं और भेदभाव भी महिलाओं के करियर विकल्पों को सीमित करते हैं। कई महिलाओं को घर और काम के बीच संतुलन बनाना पड़ता है, जो उन्हें कम वेतन वाले, लचीले कार्य स्वीकार करने के लिए मजबूर करता है। इसके अलावा, कुछ क्षेत्रों में महिलाओं के श्रम को कम मूल्यांकित किया जाता है। इन मुद्दों को संबोधित करने के लिए शिक्षा, कानूनी सुरक्षा और समान अवसर नीतियों की आवश्यकता है।

प्रश्न 9. ‘बेरोजगारी’ शब्द की आप कैसे व्याख्या करेंगे?

उत्तर:-

बेरोजगारी वह स्थिति है जहां काम करने योग्य और इच्छुक व्यक्ति को रोजगार नहीं मिल पाता। यह तब होती है जब कोई व्यक्ति सक्रिय रूप से नौकरी की तलाश कर रहा है लेकिन उसे काम नहीं मिल रहा है। बेरोजगारी व्यक्तिगत और सामाजिक दोनों स्तरों पर समस्याएं पैदा करती है। यह आर्थिक विकास को प्रभावित करती है और सामाजिक असंतोष का कारण बन सकती है। बेरोजगारी की दर एक देश की आर्थिक स्थिति का महत्वपूर्ण संकेतक है।

प्रश्न 10. प्रच्छन्न एवं मौसमी बेरोजगारी में क्या अन्तर है?

उत्तर:-

प्रच्छन्न बेरोजगारी तब होती है जब लोग काम कर रहे होते हैं, लेकिन उनकी उत्पादकता नगण्य होती है। उदाहरण के लिए, एक खेत में जरूरत से ज्यादा मजदूर। मौसमी बेरोजगारी वर्ष के कुछ महीनों में होती है जब कुछ क्षेत्रों में काम की मांग कम हो जाती है। जैसे, कृषि में फसल के मौसम के बाद। प्रच्छन्न बेरोजगारी में लोग पूरे वर्ष कम उत्पादक रहते हैं, जबकि मौसमी बेरोजगारी में लोग कुछ समय के लिए पूरी तरह से बेरोजगार हो जाते हैं। दोनों प्रकार की बेरोजगारी अर्थव्यवस्था के लिए चुनौतियां पेश करती हैं।

प्रश्न 11. शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक विशेष समस्या क्यों है?

उत्तर:-

शिक्षित बेरोजगारी भारत के लिए एक गंभीर समस्या है क्योंकि यह देश के मानव संसाधन का अपव्यय है। यह स्थिति तब उत्पन्न होती है जब शिक्षित युवाओं को उनकी योग्यता के अनुरूप रोजगार नहीं मिलता। इससे न केवल व्यक्तिगत निराशा बढ़ती है, बल्कि राष्ट्रीय उत्पादकता भी प्रभावित होती है। शिक्षित बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण शिक्षा प्रणाली और उद्योग की आवश्यकताओं के बीच असंतुलन है। इसके अलावा, रोजगार के अवसरों की कमी और तेजी से बढ़ती जनसंख्या भी इस समस्या को बढ़ाती है। इस समस्या का समाधान करना महत्वपूर्ण है ताकि देश के विकास में युवाओं की क्षमता का पूरा उपयोग किया जा सके।

प्रश्न 12. आपके विचार से भारत किस क्षेत्र में रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है?

उत्तर:-

भारत में सेवा क्षेत्र रोजगार के सर्वाधिक अवसर सृजित कर सकता है। यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और इसमें विविध प्रकार के रोजगार शामिल हैं, जैसे आईटी, बैंकिंग, पर्यटन, और स्वास्थ्य सेवाएं। सेवा क्षेत्र में कम पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है और यह भारत की बड़ी, युवा जनसंख्या के लिए उपयुक्त है। इसके अलावा, डिजिटल प्रौद्योगिकी के विकास से इस क्षेत्र में नए अवसर पैदा हो रहे हैं। हालांकि, कृषि और उद्योग क्षेत्र भी महत्वपूर्ण हैं और इनमें भी रोजगार के अवसर बढ़ाने की आवश्यकता है। संतुलित विकास के लिए सभी क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर ध्यान देना जरूरी है।

प्रश्न-13. क्या आप शिक्षा प्रणाली में शिक्षित बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए कुछ उपाय सुझा सकते हैं?

उत्तर:-

शिक्षित बेरोजगारी की समस्या को दूर करने के लिए शिक्षा प्रणाली में कुछ महत्वपूर्ण सुधार किए जा सकते हैं। पहला, पाठ्यक्रम को उद्योग की वर्तमान आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जाए। दूसरा, व्यावहारिक कौशल और तकनीकी शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाए। तीसरा, उद्यमशीलता को प्रोत्साहित किया जाए ताकि छात्र नौकरी खोजने के बजाय रोजगार सृजन कर सकें। चौथा, कैरियर मार्गदर्शन और रोजगार परामर्श की व्यवस्था की जाए। पांचवां, शिक्षा के साथ-साथ प्रशिक्षण और इंटर्नशिप को अनिवार्य किया जाए। अंत में, जीवन पर्यंत शिक्षा को बढ़ावा दिया जाए ताकि लोग बदलते बाजार की मांग के अनुसार अपने कौशल को अपडेट कर सकें।

प्रश्न 14. क्या आप कुछ ऐसे गाँवों की कल्पना कर सकते हैं जहाँ पहले रोज़गार का कोई अवसर नहीं था, लेकिन बाद में बहुतायत में हो गया?

उत्तर:-

हाँ, ऐसे कई गाँव हैं जहाँ विकास के कारण रोजगार के अवसर बढ़े हैं। उदाहरण के लिए, कुछ गाँवों में कृषि आधुनिकीकरण से उत्पादकता बढ़ी है और नए रोजगार पैदा हुए हैं। कुछ गाँवों में कुटीर उद्योगों या हस्तशिल्प के विकास से स्थानीय लोगों को रोजगार मिला है। कई गाँवों में पर्यटन के विकास से होटल, रेस्तरां और गाइड जैसे नए व्यवसाय शुरू हुए हैं। सरकारी योजनाओं जैसे MGNREGA ने भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार बढ़ाया है। इसके अलावा, डिजिटल कनेक्टिविटी ने कई गाँवों में फ्रीलांसिंग और रिमोट वर्क के अवसर पैदा किए हैं। इन सभी विकासों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है और पलायन को कम किया है।

प्रश्न 15. किस पूँजी को आप सबसे अच्छा मानते हैं-भूमि, श्रम, भौतिक पूँजी और मानव पूँजी? क्यों?

उत्तर:-

मानव पूँजी को सबसे अच्छा माना जा सकता है, क्योंकि यह अन्य सभी संसाधनों को प्रभावी ढंग से उपयोग करने की क्षमता रखती है। मानव पूँजी ज्ञान, कौशल, और नवाचार का स्रोत है, जो आर्थिक विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, जापान ने प्राकृतिक संसाधनों की कमी के बावजूद मानव पूँजी में निवेश करके आर्थिक समृद्धि हासिल की। मानव पूँजी का विकास शिक्षा, स्वास्थ्य और प्रशिक्षण के माध्यम से किया जा सकता है, जो लगातार मूल्य वृद्धि करता है। यह अन्य संसाधनों की तुलना में अधिक लचीला है और नई परिस्थितियों के अनुकूल हो सकता है। इसके अलावा, मानव पूँजी ही है जो नई तकनीकों और प्रक्रियाओं का विकास करती है, जो अन्य संसाधनों के उपयोग को अधिक कुशल बनाती है। इसलिए, मानव पूँजी न केवल स्वयं महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अन्य सभी प्रकार की पूँजी के मूल्य को भी बढ़ाती है।

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