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यूपी बोर्ड की कक्षा 9 की अर्थशास्त्र पुस्तक का पहला अध्याय “पालमपुर गाँव की कहानी” एक रोचक और शिक्षाप्रद अध्ययन है। यह अध्याय हमें एक काल्पनिक गाँव पालमपुर के माध्यम से भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था की वास्तविकताओं से परिचित कराता है। इसमें गाँव के लोगों की आजीविका, कृषि गतिविधियाँ, और विभिन्न आर्थिक संबंधों का विवरण दिया गया है। यह अध्याय छात्रों को ग्रामीण भारत की आर्थिक संरचना और चुनौतियों को समझने में मदद करता है, जो देश की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
UP Board Class 9 Economics Chapter 1 Solutions
Subject | Economics |
Class | 9th |
Chapter | 1. पालमपुर गाँव की कहानी |
Board | UP Board |
प्रश्न 1. भारत में जनगणना के दौरान दस वर्ष में एक बार प्रत्येक गाँव का सर्वेक्षण किया जाता है। पालमपुर से संबंधित सूचनाओं के आधार पर निम्न तालिका को भरिए
(क) अवस्थिति क्षेत्र,
(ख) गाँव का कुल क्षेत्र,
(ग) भूमि का उपयोग ( हेक्टेयर में)
उत्तर:-
(घ). सुविधाएँ
शैक्षिक | एक उच्च विद्यालय, दो प्राथमिक पाठशालाए |
चिकित्सा | एक सरकारी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और एक निजी दवाखाना |
बजार | एक सुविकसित बाजार |
बिजली पूर्ति | पालमपुर के अधिकतर घरों में बिजली के कनेक्शन लगे हुए हैं |
संचार | सड़कों एवं परिवहन की सुविकसित प्रणाली |
निकटतक कस्बा | साहपुर |
प्रश्न 2. खेती की आधुनिक विधियों के लिए ऐसे अधिक आगतों की आवश्यकता होती है, जिन्हें उद्योगों में विनिर्मित किया जाता है, क्या आप सहमत हैं?
उत्तर:- हाँ, यह कथन सही है। आधुनिक कृषि में उद्योगों द्वारा निर्मित कई आगतों का उपयोग होता है। उदाहरण के लिए, उन्नत बीज, रासायनिक उर्वरक, और कीटनाशक कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद करते हैं। सिंचाई के लिए नलकूप और पंप सेट जैसे उपकरण भी महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, ट्रैक्टर और हार्वेस्टर जैसी मशीनें श्रम और समय बचाती हैं। इन आधुनिक तकनीकों ने फसल उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जैसे गेहूं की उपज में लगभग 150% की वृद्धि। इस प्रकार, आधुनिक कृषि और उद्योग एक-दूसरे पर निर्भर हैं।
प्रश्न 3. पालमपुर में बिजली के प्रसार ने किसानों की किस तरह मदद की?
उत्तर:- पालमपुर में बिजली के प्रसार ने किसानों को कई तरह से लाभान्वित किया है। सबसे महत्वपूर्ण, इसने सिंचाई को अधिक कुशल बनाया है, क्योंकि अब किसान बिजली से चलने वाले नलकूपों और पंपों का उपयोग कर सकते हैं। इससे उन्हें अनिश्चित मानसून पर निर्भरता कम हुई है और वे साल भर विभिन्न फसलें उगा सकते हैं। बिजली ने कृषि उपकरणों जैसे थ्रेशर और हार्वेस्टर के उपयोग को भी संभव बनाया है, जो श्रम और समय बचाते हैं। इसके अतिरिक्त, घरों में बिजली की उपलब्धता ने किसानों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है, जिससे उनकी समग्र उत्पादकता बढ़ी है।
प्रश्न 4. क्या सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है? क्यों?
उत्तर:- हाँ, सिंचित क्षेत्र को बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है। सिंचित भूमि पर कृषि उत्पादन असिंचित भूमि की तुलना में काफी अधिक होता है। यह किसानों को मानसून की अनिश्चितता से मुक्त करता है और उन्हें साल भर खेती करने की अनुमति देता है। सिंचाई पौधों के विकास के लिए आवश्यक जल की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित करती है, जिससे फसल विफलता का जोखिम कम होता है। इससे कृषि उत्पादकता बढ़ती है, खाद्य सुरक्षा मजबूत होती है, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। हालांकि, सिंचाई के विस्तार के साथ जल संसाधनों का संरक्षण भी महत्वपूर्ण है।
प्रश्न 5. पालमपुर के 450 परिवारों में भूमि के वितरण की एक सारणी बनाइए।
उत्तर:- पालमपुर गाँव के 450 परिवारों में भूमि के वितरण की सारणी
परिवार | भूमि का वितरण |
---|---|
150 | भूमिहीन (अधिकतर दलित वर्ग) |
240 | 2 हेक्टेयर से कम भूमि के टुकड़े (छोटे किसान) |
60 | 2 हेक्टेयर से अधिक भूमि के टुकड़े (मध्यम और बड़े किसान ) |
पालमपुर गाँव की कहानी Question Answer
प्रश्न 6. पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों की मज़दूरी न्यूनतम मज़दूरी से कम क्यों है?
उत्तर:- पालमपुर में खेतिहर श्रमिकों की मज़दूरी न्यूनतम मज़दूरी से कम होने के कई कारण हैं। सबसे पहले, ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसरों की कमी के कारण श्रमिकों के बीच प्रतिस्पर्धा अधिक है, जिससे वे कम मज़दूरी पर काम करने को मजबूर हो जाते हैं। दूसरा, ग्रामीण क्षेत्रों में न्यूनतम मज़दूरी कानूनों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं होता। तीसरा, अधिकांश खेतिहर श्रमिक अकुशल होते हैं और उनके पास वैकल्पिक रोज़गार के अवसर सीमित होते हैं। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में अनिश्चितता और मौसमी प्रकृति के कारण नियोक्ता कम मज़दूरी देते हैं। अंत में, श्रमिकों की कमजोर सौदेबाजी शक्ति भी एक महत्वपूर्ण कारण है।
प्रश्न 7. अपने क्षेत्र में दो श्रमिकों से बात कीजिए। खेतों में काम करने वाले या विनिर्माण कार्य में लगे मज़दूरों में से किसी को चुनें। उन्हें कितनी मज़दूरी मिलती है? क्या उन्हें नकद पैसा मिलता है या वस्तु-रूप में? | क्या उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है? क्या वे कर्ज़ में हैं?
उत्तर:- मैंने अपने क्षेत्र के दो निर्माण श्रमिकों, राम और श्याम, से बात की। उन्हें प्रतिदिन लगभग 300-350 रुपये मिलते हैं, जो नकद में दिए जाते हैं। उन्हें नियमित काम नहीं मिलता; वे औसतन महीने में 15-20 दिन ही काम पाते हैं। दोनों श्रमिक कर्ज में हैं। राम ने अपनी बेटी की शादी के लिए 50,000 रुपये उधार लिए हैं, जबकि श्याम ने बीमारी के इलाज के लिए 30,000 रुपये कर्ज लिया है। अनियमित आय और कम मजदूरी के कारण, वे अपने परिवार का भरण-पोषण मुश्किल से कर पाते हैं और कर्ज चुकाना उनके लिए बड़ी चुनौती है।
प्रश्न 8. एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के अलग-अलग कौन से तरीके हैं? समझाने के लिए उदाहरणों का प्रयोग कीजिए।
उत्तर:- एक ही भूमि पर उत्पादन बढ़ाने के कई तरीके हैं:-
- बहुफसली खेती: एक ही वर्ष में एक खेत पर कई फसलें उगाना। उदाहरण: गेहूं (रबी) – धान (खरीफ) – मटर (जायद)।
- उन्नत बीज और उर्वरक: हाइब्रिड या उच्च उपज वाले बीजों का उपयोग और संतुलित उर्वरकों का प्रयोग।
- आधुनिक सिंचाई तकनीक: ड्रिप या स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी विधियों का उपयोग, जो पानी का कुशल उपयोग सुनिश्चित करती हैं।
- एकीकृत कीट प्रबंधन: कीटों और रोगों को नियंत्रित करने के लिए रासायनिक और जैविक विधियों का संयोजन।
- मशीनीकरण: ट्रैक्टर, हार्वेस्टर जैसे आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग, जो श्रम और समय बचाते हैं।
प्रश्न 9. एक हेक्टेयर भूमि के मालिक किसान के कार्य का ब्यौरा दीजिए।
उत्तर:- एक हेक्टेयर (10,000 वर्ग मीटर) भूमि के मालिक किसान के कार्य निम्नलिखित हो सकते हैं:-
- गहन खेती: अधिकतम उत्पादन के लिए उन्नत बीज, उर्वरक और सिंचाई तकनीकों का उपयोग।
- बहुफसली खेती: एक वर्ष में दो या तीन फसलें उगाना, जैसे गेहूं, धान और सब्जियां।
- मिश्रित खेती: फसलों के साथ पशुपालन, मुर्गीपालन या मत्स्यपालन जैसे पूरक व्यवसाय।
- उच्च मूल्य वाली फसलें: बागवानी या औषधीय पौधों की खेती।
- अतिरिक्त आय: खाली समय में दूसरों के खेतों में मजदूरी या गैर-कृषि कार्य।
प्रश्न 10. मझोले और बड़े किसान कृषि से कैसे पूँजी प्राप्त करते हैं? वे छोटे किसानों से कैसे भिन्न हैं?
उत्तर:- मझोले और बड़े किसान अपनी बड़ी जोतों के कारण अधिक उत्पादन करते हैं। इस अधिक उत्पादन को बाजार में बेचकर वे पूंजी प्राप्त करते हैं। इस पूंजी का उपयोग वे आधुनिक कृषि तकनीकों, बेहतर बीज, और उपकरणों में निवेश करने के लिए करते हैं। इसके विपरीत, छोटे किसानों के पास कम भूमि होने के कारण उत्पादन सीमित होता है, जो अक्सर केवल उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त होता है। छोटे किसानों के पास अतिरिक्त पूंजी नहीं होती, इसलिए वे अक्सर ऋण पर निर्भर रहते हैं। यह अंतर मझोले और बड़े किसानों को निवेश करने और अपनी आय बढ़ाने में सक्षम बनाता है, जबकि छोटे किसान अक्सर ऋण के चक्र में फंस जाते हैं।
प्रश्न 11. सविता को किन शर्तों पर तेजपाल सिंह से ऋण मिला है? क्या ब्याज की कम दर पर बैंक से कर्ज मिलने पर सविता की स्थिति अलग होती?
उत्तर:- सविता ने तेजपाल सिंह से 3000 रुपये 24% वार्षिक ब्याज दर पर चार महीने के लिए उधार लिया है। इसके अतिरिक्त, उसे कटाई के समय 35 रुपये प्रतिदिन की दर से तेजपाल के खेतों में काम करना होगा। यह ब्याज दर बैंकों की तुलना में बहुत अधिक है। यदि सविता बैंक से कम ब्याज दर पर ऋण ले पाती, तो उसकी स्थिति बेहतर होती। वह कम ब्याज का भुगतान करती, उसे कम राशि चुकानी पड़ती, और वह तेजपाल के खेतों में काम करने के लिए बाध्य नहीं होती। इससे उसे अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने का बेहतर अवसर मिलता।
प्रश्न 12. अपने क्षेत्र के कुछ पुराने निवासियों से बात कीजिए और पिछले 80 वर्षों में सिंचाई और उत्पादन के तरीकों में हुए परिवर्तनों पर एक संक्षिप्त रिपोर्ट लिखिए (वैकल्पिक)।
उत्तर:- पिछले 30 वर्षों में सिंचाई और कृषि उत्पादन के तरीकों में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। पहले, सिंचाई मुख्य रूप से कुओं, तालाबों और नदी-नालों पर निर्भर थी, जहां बैल-चालित रहट का उपयोग किया जाता था। आज, नलकूप, पंपिंग सेट और नहर सिंचाई प्रणालियों का व्यापक उपयोग होता है। उत्पादन के तरीकों में, पारंपरिक बीजों और जैविक खादों से बदलकर उच्च उपज वाले बीजों और रासायनिक उर्वरकों का उपयोग बढ़ा है। मशीनीकरण ने श्रम-गहन प्रथाओं को बदल दिया है, जिससे ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और थ्रेशर जैसे उपकरणों का उपयोग बढ़ा है। इन परिवर्तनों ने उत्पादकता में वृद्धि की है, लेकिन साथ ही पर्यावरणीय चिंताएं भी बढ़ी हैं।
प्रश्न 13. आपके क्षेत्र में कौन-से गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं? इनकी एक संक्षिप्त सूची बनाइए।
उत्तर:- हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में निम्नलिखित गैर-कृषि उत्पादन कार्य हो रहे हैं:-
- कृषि उत्पादों का व्यापार: सब्जियों और फलों की शहरी बाजारों में बिक्री।
- कुटीर उद्योग: सिलाई, कढ़ाई और हस्तशिल्प।
- पशुपालन गतिविधियां: डेयरी, मुर्गीपालन और मत्स्यपालन।
- शैक्षिक सेवाएं: कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र, नर्सरी और प्राथमिक विद्यालय।
- परिवहन सेवाएं: रिक्शा, टांगा, टैम्पो, जीप आदि का संचालन।
- खाद्य प्रसंस्करण: गन्ने से गुड़ और चीनी का उत्पादन।
प्रश्न 14. गाँवों में और अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए क्या किया जा सकता है?
उत्तर:- गाँवों में अधिक गैर-कृषि कार्य प्रारंभ करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:-
- कौशल विकास: ग्रामीणों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना, जैसे हस्तशिल्प, इलेक्ट्रॉनिक्स मरम्मत, या सौंदर्य प्रसाधन।
- सूक्ष्म उद्यम प्रोत्साहन: छोटे उद्यमों को शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करना।
- बुनियादी ढांचा विकास: बेहतर सड़कें, बिजली आपूर्ति और इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करना।
- ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा: होम स्टे, हस्तशिल्प बिक्री केंद्र और स्थानीय त्योहारों का प्रचार करना।
- कृषि-आधारित उद्योग: फल और सब्जी प्रसंस्करण इकाइयाँ, डेयरी उत्पाद निर्माण आदि को प्रोत्साहित करना।
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