UP Board Class 9 Civics Chapter 4 Solutions – संस्थाओं का कामकाज

UP Board class 9 Civics chapter 4 solutions are available for free here. This solution covers written question and answers of chapter 4 – “संस्थाओं का कामकाज” in hindi medium.

अध्याय 4 – “संस्थाओं का कामकाज” यूपी बोर्ड की कक्षा 9 की नागरिक शास्त्र पुस्तक का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। यह अध्याय छात्रों को सरकार की विभिन्न संस्थाओं और उनके कार्यों से परिचित कराता है। इसमें विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसी प्रमुख संस्थाओं के बारे में बताया गया है। यह अध्याय न केवल इन संस्थाओं की संरचना को समझाता है, बल्कि यह भी बताता है कि ये संस्थाएँ आपस में कैसे सहयोग करती हैं और देश के शासन में क्या भूमिका निभाती हैं।

UP Board class 9 Civics chapter 4

UP Board Class 9 Civics Chapter 4 Solutions

SubjectCivics
Class9th
Chapter4. संस्थाओं का कामकाज
BoardUP Board

प्रश्न 1. अगर आपको भारत का राष्ट्रपति चुना जाए तो आप निम्नलिखित में से कौन-सा फैसला खुद कर सकते हैं?

(क) अपनी पसंद के व्यक्ति को प्रधानमंत्री चुन सकते हैं।
(ख) लोकसभा में बहुमत वाले प्रधानमंत्री को उसके पद से हटा सकते हैं।
(ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।
(घ) मंत्रीपरिषद् में अपनी पसंद के नेताओं का चयन कर सकते हैं।

उत्तर:- (ग) दोनों सदनों द्वारा पारित विधेयक पर पुनर्विचार के लिए कह सकते हैं।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन राजनैतिक कार्यपालिका का हिस्सा होता है?

(क) जिलाधीश
(ख) गृह मंत्रालय का सचिव
(ग) गृहमंत्री
(घ) पुलिस महानिदेशक

उत्तर:- (ग) गृहमंत्री

प्रश्न 3. न्यायपालिका के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा बयान गलत है?

(क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून को सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।
(ख) अगर कोई कानून संविधान की भावना के खिलाफ है तो न्यायपालिका उसे अमान्य घोषित कर सकती है।
(ग) न्यायपालिका कार्यपालिका से स्वतंत्र होती है।
(घ) अगर किसी नागरिक के अधिकारों का हनन होता है तो वह अदालत में जा सकता है।

उत्तर:- (क) संसद द्वारा पारित प्रत्येक कानून का सर्वोच्च न्यायालय की मंजूरी की जरूरत होती है।

प्रश्न 4. निम्नलिखित राजनैतिक संस्थाओं में से कौन-सी संस्था देश के मौजूदा कानून में संशोधन कर सकती है?

(क) सर्वोच्च न्यायालय
(ख) राष्ट्रपति
(ग) प्रधानमंत्री
(घ) संसद

उत्तर:- (घ) संसद

प्रश्न 5. उस मंत्रालय की पहचान करें जिसने निम्नलिखित समाचार जारी किया होगा –

उत्तर:-

(क) देश से जूट का निर्यात बढ़ाने के लिए एक नई नीति बनाई जा रही है।वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय
(ख) ग्रामीण इलाकों में टेलीफोन सेवाएँ सुलभ कराई जाएँगी।संचार और सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय
(ग) सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत बिकने वाले चावल और गेहूँ की कीमतें कम की जाएँगी।कृषि, खाद्यान्न और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
(घ) पल्स पोलियो अभियान शुरू किया जाएगा।स्वास्थ्य मंत्रालय
(ङ) ऊँची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के भत्ते बढ़ाए जाएँगे।रक्षा मंत्रालय

संस्थाओं का कामकाज Question Answer

प्रश्न 6. देश की विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में से उस राजनैतिक संस्था का नाम बताइए ने निम्नलिखित मामलों में अधिकारों का इस्तेमाल करती है-

(क) सड़क, सिंचाई, जैसे बुनियादी ढाँचों के विकास और नागरिकों की विभिन्न कल्याणकारी गतिविधियों पर किता पैसा खर्च किया जाएगा।
(ख) स्टॉक एक्सचेंज को नियमित करने संबंधी कानून बनाने की कमेटी के सुझाव पर विचार-विमर्श करती है।
(ग) दो राज्य सरकारों के बीच कानूनी विवाद पर निर्णय लेती है।
(घ) भूकंप पीड़ितों की राहत के प्रयासों के बारे में सूचना माँगती है।

उत्तर:-

(क) लोकसभा (वित्त मंत्रालय)
(ख) संसद
(ग) सर्वोच्च न्यायालय
(घ) कार्यपालिका

प्रश्न 7. भारत का प्रधानमंत्री सीधे जनता द्वारा क्यों नहीं चुना जाता? निम्नलिखित चार जवाबों में सबसे सही को चुनकर अपनी पसंद के पक्ष में कारण दीजिए।

उत्तर:- भारत में प्रधानमंत्री को सीधे जनता द्वारा नहीं चुना जाता है, और इसका सबसे उचित कारण संसदीय लोकतंत्र की प्रकृति है। संसदीय व्यवस्था में, लोकसभा में बहुमत वाली पार्टी का नेता ही प्रधानमंत्री बनता है। यह व्यवस्था सरकार की स्थिरता और कार्यकुशलता सुनिश्चित करती है, क्योंकि प्रधानमंत्री को लोकसभा का विश्वास प्राप्त होता है। यह प्रणाली सरकार और संसद के बीच बेहतर समन्वय भी सुनिश्चित करती है। इसके अलावा, प्रत्यक्ष चुनाव न केवल अत्यधिक खर्चीला होगा, बल्कि भारत जैसे विशाल और विविध देश में इसे संचालित करना भी बहुत जटिल होगा। वर्तमान व्यवस्था दलीय प्रणाली को मजबूत बनाती है और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देती है।

प्रश्न 8. तीन दोस्त एक ऐसी फिल्म देखने गए जिसमें हीरो एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनता है और राज्य में बहुत से बदलाव लाता है। इमरान ने कहा कि देश को इसी चीज की जरूरत है। रिजवान ने कहा कि इस तरह का, बिना संस्थाओं वाले व्यक्ति का राज खतरनाक है। शंकर ने कहा कि यह तो एक कल्पना है। कोई भी मंत्री एक दिन में कुछ भी नहीं कर सकता। ऐसी फिल्मों के बारे में आपकी क्या राय है?

उत्तर:- एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनने और बड़े बदलाव लाने की कहानी वाली फिल्म पूरी तरह से काल्पनिक है और वास्तविकता से मेल नहीं खाती। वास्तव में, सरकारी प्रणालियों में बड़े बदलाव लाने के लिए समय, योजना और संस्थागत समर्थन की आवश्यकता होती है। हालांकि व्यक्तिगत नेतृत्व महत्वपूर्ण है, लेकिन स्थायी परिवर्तन के लिए मजबूत संस्थागत प्रणालियाँ आवश्यक हैं। ऐसी फिल्में मनोरंजक हो सकती हैं, लेकिन वे शासन की जटिलताओं को अत्यधिक सरलीकृत करती हैं, जो भ्रामक हो सकता है। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं को दरकिनार करना वास्तविक जीवन में खतरनाक हो सकता है। इसलिए, ऐसी फिल्मों को केवल मनोरंजन के रूप में देखा जाना चाहिए, न कि वास्तविक राजनीतिक प्रक्रियाओं के प्रतिबिंब के रूप में।

प्रश्न 9. एक शिक्षिका छात्रों की संसद के आयोजन की तैयारी कर रही थी। उसने दो छात्राओं को अलग-अलग पार्टियों के नेताओं की भूमिका करने को कहा। उसने उन्हें विकल्प भी दिया। यदि वे चाहें तो राज्यसभा में बहुमत प्राप्त दल की नेता हो सकतीं थीं और अगर चाहें तो लोकसभा के बहुमत प्राप्त दल की। अगर आपको यह विकल्प दिया जाए तो आप क्या चुनेंगे और क्यों?

उत्तर:- मैं लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल का नेता बनना चुनूंगा क्योंकि यह भारतीय संसदीय प्रणाली में अधिक प्रभावशाली भूमिका है। लोकसभा प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होती है, जो इसे अधिक जनप्रतिनिधि बनाती है। इसके पास वित्तीय मामलों पर विशेष अधिकार हैं, जैसे कि धन विधेयक केवल लोकसभा में ही पेश किए जा सकते हैं। मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है और लोकसभा अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से सरकार को गिरा सकती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोकसभा में बहुमत वाले दल का नेता प्रधानमंत्री बनता है, जो कार्यपालिका का प्रमुख होता है। इन कारणों से, लोकसभा में नेता की भूमिका राज्यसभा की तुलना में अधिक शक्तिशाली और प्रभावशाली है।

प्रश्न 10. आरक्षण पर आदेश का उदाहरण पढ़कर तीन विद्यार्थियों की न्यायपालिका पर अलग-अलग प्रतिक्रिया थी। इसमें से कौन-सी प्रतिक्रिया, न्यायपालिका की भूमिका को सही तरह से समझती है?

(क) श्रीनिवांस का तर्क है कि चूंकि सर्वोच्च न्यायालय सरकार के साथ सहमत हो गई है लिहाजा वह स्वतंत्र नहीं
(ख) अंजैया का कहना है कि न्यायपालिका स्वतंत्र है क्योंकि वह सरकार के आदेश के खिलाफ फैसला सुना सकती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को उसमें संशोधन का निर्देश दिया।
(ग) विजया का मानना है कि न्यायपालिका न तो स्वतंत्र है न ही किसी के अनुसार चलने वाली है बल्कि वह विरोधी समूहों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाती है। न्यायालय ने इसे आदेश के समर्थकों और विरोधियों के बीच बढ़िया संतुलन बनाया। आपकी राय में कौन-सा विचार सही है?

उत्तर:- इन तीनों विचारों में से अंजैया का विचार (ख) सबसे उपयुक्त है, जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता और उसकी भूमिका को सही ढंग से समझता है। न्यायपालिका की स्वतंत्रता भारतीय लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। सर्वोच्च न्यायालय को संविधान द्वारा सरकार के निर्णयों की समीक्षा करने और उन्हें संशोधित करने या रद्द करने का अधिकार दिया गया है। इस मामले में, न्यायालय ने सरकार के आदेश में संशोधन का निर्देश देकर अपनी स्वतंत्रता का प्रदर्शन किया। यह कार्यवाही दर्शाती है कि न्यायपालिका सरकार के दबाव में नहीं आती, बल्कि संविधान और कानून के अनुसार निष्पक्ष निर्णय लेती है। न्यायपालिका की यह भूमिका लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में शक्तियों के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।

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