UP Board Class 9 Civics Chapter 3 Solutions – चुनावी राजनीति

UP Board class 9 Civics chapter 3 solutions are available for free here. This solution covers written question and answers of chapter 3 – “चुनावी राजनीति” in hindi medium.

अध्याय 3 – “चुनावी राजनीति” यूपी बोर्ड की कक्षा 9 की नागरिक शास्त्र पुस्तक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह अध्याय लोकतंत्र के एक प्रमुख पहलू, चुनावों के बारे में बताता है। इसमें छात्रों को चुनाव प्रक्रिया, राजनीतिक दलों की भूमिका, और मतदान के महत्व के बारे में जानकारी मिलती है। यह अध्याय न केवल चुनावों के तकनीकी पहलुओं को समझाता है, बल्कि इस बात पर भी जोर देता है कि कैसे चुनाव लोगों को अपने नेता चुनने का अधिकार देते हैं।

UP Board class 9 Civics chapter 3

UP Board Class 9 Civics Chapter 3 Solutions

SubjectCivics
Class9th
Chapter3. चुनावी राजनीति
BoardUP Board

प्रश्न 1. नीचे कुछ गलत वाक्य हैं। हर एक में की गई गलती पहचानें और इस अध्याय के आधार पर उसको ठीक करके लिखें।

(क) स्वतन्त्रता के बाद देश लोकतांत्रिक हो या नहीं, इस विषय पर स्वतन्त्रता आन्दोलन के नेताओं ने अपना दिमाग खुला रखा था।
(ख) भारतीय संविधान सभा के सभी सदस्य संविधान में कही गई हरेक बात पर सहमत थे।
(ग) जिन देशों में संविधान है वहाँ लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था ही होगी।
(घ) संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है इसलिए इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता।

उत्तर:-

(क) सही वाक्य: स्वतंत्रता के बाद देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था स्थापित करने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन के नेता दृढ़ संकल्पित थे। नेहरू जैसे नेताओं ने स्वतंत्रता से पूर्व ही लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की थी।

(ख) सही वाक्य: भारतीय संविधान सभा के सदस्यों में संविधान के विभिन्न प्रावधानों पर मतभेद थे। सभी मुद्दों पर खुली चर्चा की गई और अधिकांश निर्णय बहुमत या आम सहमति से लिए गए।

(ग) सही वाक्य: संविधान का होना लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था की गारंटी नहीं है। कुछ देशों में संविधान होने के बावजूद तानाशाही या सैन्य शासन हो सकता है।

(घ) सही वाक्य: संविधान देश का सर्वोच्च कानून होता है, लेकिन इसमें बदलाव किया जा सकता है। भारतीय संविधान में अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन की प्रक्रिया का प्रावधान है। 1950 से अब तक 100 से अधिक संशोधन किए जा चुके हैं।

प्रश्न 2. दक्षिण अफ्रीका का लोकतांत्रिक संविधान बनाने में, इनमें से कौन-सा टकराव सबसे महत्त्वपूर्ण था

(क) दक्षिण अफ्रीका और उसके पड़ोसी देशों का
(ख) स्त्रियों और पुरुषों का ।
(ग) गोरे अल्पसंख्यक और अश्वेत बहुसंख्यकों का
(घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का

उत्तर:- (घ) रंगीन चमड़ी वाले बहुसंख्यकों और अश्वेत अल्पसंख्यकों का

प्रश्न 3. लोकतांत्रिक संविधान में इनमें से कौन-सा प्रावधान नहीं रहता?

(क) शासन प्रमुख के अधिकार
(ख) शासन प्रमुख का नाम
(ग) विधायिका के अधिकार
(घ) देश का नाम

उत्तर:- (ख) शासन प्रमुख का नाम।

प्रश्न 4. संविधान निर्माण में इन नेताओं और उनकी भूमिका में मेल बैठाएँ

उत्तर:-

(क) मोतीलाल नेहरू1928 में भारत का संविधान बनाया।।
(ख) बी. आर. अम्बेडकरप्रारूप समिति के अध्यक्ष।
(ग) राजेंद्र प्रसादसंविधान सभा के अध्यक्ष।
(घ) सरोजिनी नायडूसंविधान सभा की सदस्या।

चुनावी राजनीति Question Answer

प्रश्न 5. जवाहरलाल नेहरू के नियति के साथ साक्षात्कार वाले भाषण के आधार पर निम्नलिखित प्रश्नों का जवाब दें

(क) नेहरू ने क्यों कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने और आराम,करने का नहीं है?
(ख) नए भारत के सपने किस तरह विश्व से जुड़े हैं?
(ग) वे संविधान निर्माताओं से क्या शपथ चाहते थे?
(घ) “हमारी पीढ़ी के सबसे महान व्यक्ति की कामना हर आँख के आँसू पोंछने की है। वे इस कथन में किसका जिक्र कर रहे थे? .

उत्तर:-

(क) नेहरू ने कहा कि भारत का भविष्य सुस्ताने का नहीं है क्योंकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश के समक्ष कई चुनौतियाँ थीं। उन्होंने गरीबी, अज्ञानता, बीमारी और असमानता को दूर करने की आवश्यकता पर बल दिया। नेहरू का मानना था कि देश की सेवा का अर्थ है करोड़ों पीड़ित लोगों की सेवा करना।

(ख) नेहरू ने नए भारत के सपनों को विश्व से जोड़ा। उन्होंने कहा कि भारत की सेवा मानवता की सेवा है। उनका मानना था कि भारत का उत्थान न केवल देश के लिए बल्कि पूरी मानवता के लिए महत्वपूर्ण है।

(ग) नेहरू संविधान निर्माताओं से यह शपथ चाहते थे कि वे स्वयं को भारत, उसके लोगों और व्यापक मानवता की सेवा में समर्पित करें। उन्होंने राष्ट्र निर्माण और मानवीय कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता पर जोर दिया।

(घ) नेहरू इस कथन में महात्मा गांधी का उल्लेख कर रहे थे। गांधीजी का लक्ष्य हर व्यक्ति के दुख को दूर करना था। नेहरू ने गांधीजी के इस दृष्टिकोण को स्वतंत्र भारत के लिए एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत किया।

प्रश्न 6. हमारे संविधान को दिशा देने वाले ये कुछ मूल्य और उनके अर्थ हैं। इन्हें आपस में मिलाकर दोबारा लिखिए।

(क) संप्रभुफैसले लेने का सर्वोच्च अधिकार लोगों के पास है।
(ख) गणतंत्रशासन प्रमुख एक चुना हुआ व्यक्ति है।
(ग) बंधुत्वलोगों को आपस में परिवार की तरह रहना चाहिए।
(घ) धर्मनिरपेक्षसरकार किसी धर्म के निर्देशों के अनुसार काम नहीं करेगी।

प्रश्न 7. कुछ दिन पहले नेपाल से आपके एक मित्र ने वहाँ की राजनैतिक स्थिति के बारे में आपको पत्र लिखा था। वहाँ अनेक राजनैतिक पार्टियाँ राजा के शासन का विरोध कर रही थीं। उनमें से कुछ का कहना था कि राजा द्वारा दिए गए मौजूदा संविधान में ही संशोधन करके चुने हुए प्रतिनिधियों को ज्यादा अधिकार दिए जा सकते हैं। अन्य पार्टियाँ नया गणतांत्रिक संविधान बनाने के लिए नई संविधान सभा गठित करने की माँग कर रही थी। इस विषय में अपनी राय बताते हुए अपने मित्र को पत्र लिखें।

उत्तर:-

प्रिय मित्र,
आपके पत्र से नेपाल की वर्तमान राजनीतिक स्थिति के बारे में जानकर चिंता हुई। मेरा मानना है कि नेपाल को एक नई संविधान सभा का गठन करना चाहिए जो एक लोकतांत्रिक गणराज्य के लिए नया संविधान बनाए। यह कदम निम्नलिखित कारणों से उचित होगा:

  • यह नेपाली जनता की इच्छा का प्रतिनिधित्व करेगा।
  • यह राजतंत्र से लोकतंत्र की ओर एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा।
  • नया संविधान नागरिकों के अधिकारों और स्वतंत्रताओं की बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
  • यह राजनीतिक स्थिरता और आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा।
  • अंतरराष्ट्रीय समुदाय में नेपाल की छवि सुधरेगी।

मौजूदा संविधान में संशोधन करने के बजाय, एक नया संविधान बनाना नेपाल के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक होगा। मुझे आशा है कि नेपाल के लोग शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से इस परिवर्तन को हासिल करेंगे।
आपका मित्र,
[आपका नाम]

प्रश्न 8. भारत के लोकतन्त्र के स्वरूप में विकास के प्रमुख कारणों के बारे में कुछ अलग-अलग विचार इस प्रकार हैं। आप इनमें से हर कथन को भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए कितना महत्त्वपूर्ण कारण मानते हैं?

(क) अंग्रेज शासकों ने भारत को उपहार के रूप में लोकतांत्रिक व्यवस्था दी। हमने ब्रिटिश हुकूमत के समय बनी प्रांतीय असेंबलियों के जरिए लोकतांत्रिक व्यवस्था में काम करने का प्रशिक्षण पाया।
(ख) हमारे स्वतन्त्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और भारतीय लोगों को तरह-तरह की आजादी न दिए जाने का विरोध किया। ऐसे में स्वतन्त्र भारत को लोकतांत्रिक होना ही था।
(ग) हमारे राष्ट्रवादी नेताओं की आस्था लोकतन्त्र में थी। अनेक नव स्वतन्त्र राष्ट्रों में लोकतन्त्र का न आना हमारे नेताओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।

उत्तर:-

(क) अंग्रेजी शासन ने भारत में प्रतिनिधि संस्थाओं की नींव रखी, जैसे प्रांतीय विधानसभाएँ। हालाँकि, यह कहना गलत होगा कि अंग्रेजों ने भारत को लोकतंत्र ‘उपहार’ में दिया। इन संस्थाओं से भारतीय नेताओं को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अनुभव मिला, लेकिन यह सीमित और नियंत्रित था।

(ख) स्वतंत्रता संग्राम ने औपनिवेशिक शोषण और अधिकारों के हनन का विरोध किया। इस संघर्ष ने लोकतांत्रिक मूल्यों और स्वतंत्रता के लिए जनाकांक्षा को जन्म दिया। स्वतंत्र भारत में लोकतंत्र की स्थापना इस संघर्ष का स्वाभाविक परिणाम था।

(ग) भारतीय नेताओं की लोकतंत्र में दृढ़ आस्था थी। गांधी, नेहरू, और अंबेडकर जैसे नेताओं ने लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा दिया। उन्होंने स्वतंत्रता से पहले ही लोकतांत्रिक संविधान की रूपरेखा तैयार की थी, जिसमें वयस्क मताधिकार, मौलिक अधिकार, और अल्पसंख्यक अधिकारों का प्रावधान था।

निष्कर्षतः, भारत में लोकतंत्र का विकास एक जटिल प्रक्रिया थी जिसमें ऐतिहासिक अनुभव, स्वतंत्रता संघर्ष, और नेतृत्व की दूरदर्शिता – सभी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 9. 1912 में प्रकाशित ‘विवाहित महिलाओं के लिए आचरण पुस्तक के निम्नलिखित अंश को पढ़ें

“ईश्वर ने औरत जाति को शारीरिक और भावनात्मक, दोनों ही तरह से ज्यादा नाजुक बनाया है, उन्हें आत्म रक्षा के भी योग्य नहीं बनाया है। इसलिए ईश्वर ने ही उन्हें जीवन भर पुरुषों के संरक्षण में रहने का भाग्य दिया है-कभी पिता के, कभी पति के और कभी पुत्र के। इसलिए महिलाओं को निराश होने की जगह इस बात से अनुगृहीत होना चाहिए कि वे अपने आपको पुरुषों की सेवा में समर्पित कर सकती हैं।”

क्या इस अनुच्छेद में व्यक्त मूल्य संविधान के दर्शन से मेल खाते हैं या वे संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ हैं?

उत्तर:- यह अंश भारतीय संविधान के मूल्यों और दर्शन के विपरीत है। संविधान लिंग समानता, व्यक्तिगत स्वतंत्रता, और मानवीय गरिमा पर जोर देता है। यह अंश निम्नलिखित कारणों से संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन करता है:-

  1. यह महिलाओं को कमजोर और असहाय मानता है, जो समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है।
  2. यह महिलाओं को पुरुषों के अधीन रखने की वकालत करता है, जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता के विरुद्ध है।
  3. यह महिलाओं की स्वायत्तता और आत्मनिर्भरता को नकारता है।
  4. यह लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देता है, जो संविधान द्वारा निषिद्ध है।
  5. यह महिलाओं की क्षमताओं और योगदान को कम आंकता है।

संविधान महिलाओं को समान अधिकार, अवसर और सम्मान प्रदान करता है, जो इस अंश में व्यक्त विचारों से पूरी तरह विपरीत है।

प्रश्न 10. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। क्या आप उनसे सहमत हैं? अपने कारण भी बताइए।

(क) संविधान के नियमों की हैसियत किसी भी अन्य कानून के बराबर है।
(ख) संविधान बताता है कि शासन व्यवस्था के विविध अंगों का गठन किस तरह होगा।
(ग) नागरिकों के अधिकार और सरकार की सत्ता की सीमाओं का उल्लेख भी संविधान में स्पष्ट रूप में है।
(घ) संविधान संस्थाओं की चर्चा करती है, उसका मूल्यों से कुछ लेना-देना नहीं है।

उत्तर:-

(क) असहमत। संविधान के नियम सामान्य कानूनों से श्रेष्ठ हैं। संविधान देश का सर्वोच्च कानून है और इसमें संशोधन के लिए विशेष प्रक्रिया की आवश्यकता होती है, जबकि सामान्य कानूनों को संसद आसानी से बदल सकती है।

(ख) सहमत। संविधान विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका जैसे शासन के विभिन्न अंगों के गठन, कार्यप्रणाली और शक्तियों का विस्तृत वर्णन करता है। यह राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, और संसद की भूमिकाओं को भी परिभाषित करता है।

(ग) सहमत। संविधान का भाग III मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है और सरकार की शक्तियों पर सीमाएं निर्धारित करता है। यह नागरिक स्वतंत्रता की रक्षा करता है और सरकारी अधिकारों के दुरुपयोग को रोकता है।

(घ) असहमत। संविधान न केवल संस्थाओं का वर्णन करता है, बल्कि मूल्यों पर भी बल देता है। प्रस्तावना में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे मूल्यों का उल्लेख है। संविधान समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र जैसे सिद्धांतों को भी प्रतिपादित करता है।

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Chapter 1 Solutions – लोकतंत्र लोकतन्त्र क्या? लोकतंत्र क्यों?
Chapter 2 Solutions – संविधान निर्माण
Chapter 3 Solutions – चुनावी राजनीति
Chapter 4 Solutions – संस्थाओं का कामकाज
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