UP Board class 10 Science chapter 6 solutions are available on this page. It is the best guide to clear all your doubts with this chapter. In this guide, you will get all question answer of chapter 6 – “नियंत्रण एवं समन्वय” in hindi medium.
इस अध्याय में आप जीवों में नियंत्रण और समन्वय की महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं के बारे में विस्तृत रूप से अध्ययन करेंगे। यह अध्याय आपको बताएगा कि कैसे जीव अपने शरीर के विभिन्न अंगों और क्रियाओं को नियंत्रित और समन्वित करते हैं। आप मानव शरीर के तंत्रिका तंत्र और हार्मोनल तंत्र के बारे में गहराई से जानेंगे, जो शरीर के नियंत्रण और समन्वय के मुख्य आधार हैं। इसमें आप मस्तिष्क, मेरुरज्जु, तंत्रिकाओं और विभिन्न ग्रंथियों की संरचना और कार्यप्रणाली का अध्ययन करेंगे। साथ ही, आप यह भी सीखेंगे कि कैसे पौधों में भी नियंत्रण और समन्वय की प्रक्रियाएँ होती हैं, जैसे प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन।

UP Board Class 10 Science Chapter 6 Solutions
Subject | Science (विज्ञान) |
Class | 10th |
Chapter | 6. नियंत्रण एवं समन्वय |
Board | UP Board |
अध्ययन के बीच वाले प्रश्न
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-117)
प्रश्न 1. प्रतिवर्ती क्रिया तथा टहलने के बीच क्या अंतर है?
उत्तर- प्रतिवर्ती क्रिया अनैच्छिक होती है, जो मस्तिष्क के नियंत्रण के बिना तुरंत होती है, जैसे गर्म वस्तु को छूने पर हाथ खींचना। यह रीढ़ की हड्डी द्वारा नियंत्रित होती है और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। टहलना एक ऐच्छिक क्रिया है, जो मस्तिष्क द्वारा नियंत्रित होती है। इसमें सोच-समझकर निर्णय लेना और मांसपेशियों का समन्वय शामिल है।
प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिकाओं (न्यूरॉन) के मध्य अंतग्रथन (सिनेप्स) में क्या होता है?
उत्तर- सिनेप्स में, एक न्यूरॉन से दूसरे न्यूरॉन तक संदेश का संचरण होता है। पहला न्यूरॉन रासायनिक संदेशवाहक छोड़ता है, जो दूसरे न्यूरॉन पर विशेष रिसेप्टर्स से जुड़ते हैं। यह प्रक्रिया विद्युत संकेत को रासायनिक संकेत में और फिर वापस विद्युत संकेत में बदलती है, जिससे तंत्रिका तंत्र में सूचना का प्रवाह होता है।
प्रश्न 3. मस्तिष्क का कौन सा भाग शरीर की स्थिति तथा संतुलन का अनुरक्षण करता है?
उत्तर- अनुमस्तिष्क (सेरेबेलम), जो पश्चमस्तिष्क का हिस्सा है, शरीर की स्थिति और संतुलन का अनुरक्षण करता है। यह मांसपेशियों की गतिविधियों का समन्वय करता है, शरीर की मुद्रा को नियंत्रित करता है, और संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। अनुमस्तिष्क हमारी गति को सुचारू और सटीक बनाता है।
प्रश्न 4. हम एक अगरबत्ती की गंध का पता कैसे लगाते हैं?
उत्तर- अगरबत्ती से निकलने वाले गंध के अणु नाक में स्थित गंध ग्राही कोशिकाओं से जुड़ते हैं। ये कोशिकाएँ तंत्रिका आवेग उत्पन्न करती हैं, जो गंध तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क के गंध क्षेत्र तक पहुँचाए जाते हैं। मस्तिष्क इन संकेतों की व्याख्या करता है और हमें गंध की पहचान करने में सक्षम बनाता है।
प्रश्न 5. प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की क्या भूमिका है?
उत्तर- प्रतिवर्ती क्रिया में मस्तिष्क की प्रत्यक्ष भूमिका नहीं होती। यह क्रिया रीढ़ की हड्डी द्वारा नियंत्रित होती है, जो तुरंत प्रतिक्रिया की अनुमति देती है। हालांकि, मस्तिष्क बाद में इस क्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त करता है और उसे संग्रहित करता है। यह अनुभव भविष्य में समान परिस्थितियों में प्रतिक्रिया करने में मदद कर सकता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-121)
प्रश्न 1. पादप हॉर्मोन क्या है?
उत्तर- पादप हॉर्मोन पौधों द्वारा उत्पादित रासायनिक संदेशवाहक हैं जो उनके विकास और प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। ये कम मात्रा में भी प्रभावी होते हैं और पौधे के विभिन्न भागों में स्थानांतरित हो सकते हैं। मुख्य पादप हॉर्मोन हैं: ऑक्सिन (वृद्धि को बढ़ावा), जिब्बेरेलिन (तना लंबाई), साइटोकाइनिन (कोशिका विभाजन), एथिलीन (फल पकना), और एब्सिसिक एसिड (वृद्धि रोकना)। ये हॉर्मोन पौधों में विकास, प्रजनन और पर्यावरणीय प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं।
प्रश्न 2. छुई-मुई पादप की पत्तियों की गति, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर- छुई-मुई की पत्तियों की गति त्वरित और अस्थायी होती है, जो स्पर्श के प्रति तुरंत प्रतिक्रिया है। यह गति तुरगोर दाब में परिवर्तन के कारण होती है, जिससे पत्तियाँ मुड़ जाती हैं। दूसरी ओर, प्रकाश की ओर प्ररोह की गति (प्रकाशानुवर्तन) धीमी और स्थायी होती है। यह ऑक्सिन हॉर्मोन के असमान वितरण के कारण होती है, जो प्रकाश की दिशा में तने के विकास को प्रेरित करता है।
प्रश्न 3. एक पादप हॉर्मोन का उदाहरण दीजिए जो को बढ़ाता है।
उत्तर- ऑक्सिन एक महत्वपूर्ण पादप हॉर्मोन है जो वृद्धि को बढ़ाता है। यह कोशिका विस्तार, जड़ निर्माण, और फल विकास को प्रोत्साहित करता है। ऑक्सिन प्रकाशानुवर्तन और गुरुत्वानुवर्तन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अतिरिक्त, जिब्बेरेलिन भी वृद्धि को बढ़ाने वाला एक प्रमुख हॉर्मोन है, जो विशेष रूप से तने की लंबाई बढ़ाने में सहायक होता है।
प्रश्न 4. किसी सहारे के चारों और एक प्रतान की वृद्धि में ऑक्सिन किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर- जब प्रतान किसी सहारे को छूता है, ऑक्सिन का असमान वितरण होता है। छूने वाले भाग में ऑक्सिन की मात्रा कम हो जाती है, जबकि विपरीत भाग में अधिक रहती है। अधिक ऑक्सिन वाला भाग तेजी से बढ़ता है, जिससे प्रतान मुड़कर सहारे को घेर लेता है। यह प्रक्रिया स्पर्शानुवर्तन कहलाती है और पौधे को चढ़ने में मदद करती है।
प्रश्न 5. जलानुवर्तन दर्शाने के लिए एक प्रयोग की अभिकल्पना कीजिए ।
उत्तर- जलानुवर्तन दर्शाने के लिए, एक पेट्रिडिश लें और उसे दो भागों में विभाजित करें। एक भाग में नम कपास या फिल्टर पेपर रखें और दूसरे में सूखी मिट्टी। दोनों भागों के बीच बीज रखें, जैसे मूंग या चना। पेट्रिडिश को अंधेरे में रखें और नियमित रूप से नम भाग को गीला रखें। कुछ दिनों बाद, आप देखेंगे कि जड़ें नम भाग की ओर मुड़ती हैं, जो धनात्मक जलानुवर्तन दर्शाता है। यह प्रयोग दिखाता है कि जड़ें जल की ओर बढ़ती हैं।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-123)
प्रश्न 1. जंतुओं में रासायनिक समन्वय कैसे होता है?
उत्तर- जंतुओं में रासायनिक समन्वय हॉर्मोन द्वारा होता है। हॉर्मोन विशेष ग्रंथियों द्वारा स्रावित रासायनिक पदार्थ हैं जो रक्त द्वारा शरीर में परिवहन किए जाते हैं। ये विभिन्न अंगों और ऊतकों पर प्रभाव डालते हैं, जिससे शारीरिक क्रियाएँ नियंत्रित होती हैं। उदाहरण के लिए, एड्रीनलिन तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करता है, जबकि थायरॉक्सिन चयापचय को नियंत्रित करता है। हॉर्मोन कम मात्रा में भी प्रभावी होते हैं और लक्षित अंगों पर विशिष्ट प्रभाव डालते हैं।
प्रश्न 2. आयोडीन युक्त नमक के उपयोग की सलाह क्यों दी जाती है ?
उत्तर- आयोडीन युक्त नमक का उपयोग थायरॉइड ग्रंथि के स्वस्थ कार्य के लिए आवश्यक है। आयोडीन थायरॉक्सिन हॉर्मोन का एक अनिवार्य घटक है, जो शरीर के विकास और चयापचय को नियंत्रित करता है। आयोडीन की कमी से गॉयटर जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं, जिसमें थायरॉइड ग्रंथि का असामान्य विस्तार होता है। बच्चों में आयोडीन की कमी से मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित हो सकता है। इसलिए, आयोडीन युक्त नमक का उपयोग एक सरल और प्रभावी तरीका है आयोडीन की पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करने का।
प्रश्न 3. जब एड्रीनलीन रुधिर में स्त्रावित होता है तो हमारे शरीर में क्या अनुक्रिया होती है?
उत्तर- एड्रीनलीन के स्राव से शरीर में ‘लड़ो या भागो’ प्रतिक्रिया उत्पन्न होती है। हृदय गति और रक्तचाप बढ़ जाता है, जिससे मांसपेशियों को अधिक रक्त मिलता है। श्वास दर बढ़ जाती है, जिससे फेफड़ों में अधिक ऑक्सीजन पहुंचती है। रक्त में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ जाती है, जो मांसपेशियों को तत्काल ऊर्जा प्रदान करती है। पुतलियाँ फैल जाती हैं, जिससे दृष्टि तीक्ष्ण हो जाती है। ये परिवर्तन शरीर को तनावपूर्ण या आपातकालीन स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं।
प्रश्न 4. मधुमेह के कुछ रोगियों की चिकित्सा इंसुलिन का इंजेक्शन देकर क्यों की जाती है ?
उत्तर- टाइप 1 मधुमेह में, शरीर पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है। इंसुलिन एक महत्वपूर्ण हॉर्मोन है जो रक्त में ग्लूकोज के स्तर को नियंत्रित करता है। यह कोशिकाओं को ग्लूकोज अवशोषित करने में मदद करता है, जिससे रक्त शर्करा का स्तर कम होता है। इंसुलिन के अभाव में, रक्त शर्करा का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ सकता है। इंसुलिन इंजेक्शन इस कमी को पूरा करते हैं और रक्त शर्करा के स्तर को सामान्य रखने में मदद करते हैं, जिससे मधुमेह के गंभीर दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है।
UP Board Class 10 Science Chapter 6 अभ्यास – Solutions
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन-सा पादप हॉर्मोन है ?
(a) इंसुलिन
(b) थायरॉक्सिन
(c) एस्ट्रोजन
(d) साइटोकाइनिन ।
उत्तर- (d) साइटोकाइनिन
प्रश्न 2. दो तंत्रिका कोशिका के मध्य खाली स्थान को कहते हैं .
(a) द्रुमिका
(b) सिनेप्स
(c) एक्सॉन
(d) आवेग ।
उत्तर- (b ) सिनेप्स
प्रश्न 3. मस्तिष्क उत्तरदायी है:
(a) सोचने के लिए
(b) हृदय स्पंदन के लिए
(c) शरीर का संतुलन बनाने के लिए
(d) उपरोक्त सभी।
उत्तर- (d) उपरोक्त सभी।
प्रश्न 4. हमारे शरीर में ग्राही का क्या कार्य है ? ऐसी स्थिति पर विचार कीजिए जहाँ ग्राही उचित प्रकार से कार्य नहीं कर रहे हो। क्या समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं?
उत्तर- ग्राही विशेष संवेदी तंत्रिका कोशिकाएँ हैं जो बाहरी या आंतरिक उद्दीपनों को पहचानकर उन्हें तंत्रिका आवेगों में परिवर्तित करती हैं। ये हमारी आँखों, कानों, त्वचा, जीभ और नाक जैसी ज्ञानेंद्रियों में पाए जाते हैं। ग्राही प्रकाश, ध्वनि, स्पर्श, स्वाद और गंध जैसे उद्दीपनों को पकड़कर मस्तिष्क तक भेजते हैं, जिससे हम अपने परिवेश को समझ पाते हैं। यदि ग्राही ठीक से काम नहीं करें, तो व्यक्ति संवेदी जानकारी को सही ढंग से प्राप्त नहीं कर पाएगा।
उदाहरण के लिए, कान के ग्राहियों के खराब होने से बहरापन हो सकता है, आँखों के ग्राहियों की समस्या से दृष्टि दोष हो सकता है, या त्वचा के ग्राहियों की खराबी से दर्द या तापमान का अनुभव नहीं हो सकता। इससे दैनिक जीवन में कठिनाइयाँ और सुरक्षा खतरे उत्पन्न हो सकते हैं।
प्रश्न 5. एक तंत्रिका कोशिका (न्यूरॉन) की संरचना बनाइए तथा इसके कार्यों का वर्णन कीजिए ।
उत्तर- तंत्रिका कोशिका या न्यूरॉन तंत्रिका तंत्र की मूल संरचनात्मक और कार्यात्मक इकाई है। इसकी संरचना में तीन मुख्य भाग होते हैं: कोशिका काय, द्रुमिका, और तंत्रिकाक्ष। कोशिका काय में केंद्रक और अन्य कोशिकांग होते हैं। द्रुमिकाएँ छोटी, शाखाओं जैसी संरचनाएँ हैं जो अन्य न्यूरॉन्स से संकेत प्राप्त करती हैं। तंत्रिकाक्ष एक लंबी संरचना है जो तंत्रिका आवेगों को दूर तक ले जाती है। न्यूरॉन का मुख्य कार्य सूचनाओं को विद्युत और रासायनिक संकेतों के रूप में संचारित करना है।
यह ग्राहियों से संकेत प्राप्त करता है, उन्हें संसाधित करता है, और फिर मस्तिष्क, मेरुरज्जु या अन्य अंगों तक पहुँचाता है। न्यूरॉन्स परस्पर जुड़कर जटिल तंत्रिका नेटवर्क बनाते हैं, जो हमारी सोच, भावनाओं, और शारीरिक गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं।

प्रश्न 6. पादप में प्रकाशानुवर्तन किस प्रकार होता है?
उत्तर- प्रकाशानुवर्तन पौधों की वह प्रक्रिया है जिसमें वे प्रकाश की दिशा में या उससे दूर वृद्धि करते हैं। यह प्रक्रिया ऑक्सिन नामक पादप हॉर्मोन द्वारा नियंत्रित होती है। जब प्रकाश एक तरफ से पड़ता है, ऑक्सिन प्रकाशित भाग से छायादार भाग की ओर स्थानांतरित हो जाता है। छायादार भाग में अधिक ऑक्सिन होने से वहाँ कोशिकाएँ तेजी से बढ़ती हैं, जिससे तना प्रकाश की ओर मुड़ जाता है। इसे धनात्मक प्रकाशानुवर्तन कहते हैं। जड़ों में इसके विपरीत होता है, वे प्रकाश से दूर मुड़ती हैं, जिसे ऋणात्मक प्रकाशानुवर्तन कहते हैं। यह प्रक्रिया पौधों को सूर्य के प्रकाश की ओर बढ़ने में मदद करती है, जो प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 7. मेरुरज्जु आघात में किन संकेतों के आने में व्यवधान होगा ?
उत्तर- मेरुरज्जु केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो मस्तिष्क और शरीर के अन्य भागों के बीच संदेशों का आदान-प्रदान करता है। मेरुरज्जु आघात में, इस संचार मार्ग में बाधा आती है। इससे आघात के स्थान के नीचे के शरीर भागों से और उन तक संवेदी और गतिक संकेतों के आने-जाने में व्यवधान होता है। इसके परिणामस्वरूप, प्रभावित क्षेत्रों में संवेदना का नुकसान (जैसे स्पर्श, दर्द, तापमान का अनुभव) और स्वैच्छिक मांसपेशी नियंत्रण की हानि हो सकती है।
साथ ही, स्वायत्त तंत्रिका तंत्र के कार्यों में भी बाधा आ सकती है, जिससे मूत्राशय नियंत्रण, रक्तचाप नियमन और शरीर के तापमान नियंत्रण जैसे कार्य प्रभावित हो सकते हैं। आघात की गंभीरता और स्थान के अनुसार ये प्रभाव भिन्न हो सकते हैं।
प्रश्न 8. पादप में रासायनिक समन्वय किस प्रकार होता है ?
उत्तर- पादपों में रासायनिक समन्वय पादप हॉर्मोन द्वारा होता है। ये हॉर्मोन विशिष्ट कोशिकाओं द्वारा उत्पादित होते हैं और पौधे के विभिन्न भागों में संचरित होते हैं। मुख्य पादप हॉर्मोन हैं ऑक्सिन, जिब्बेरेलिन, साइटोकाइनिन और एथिलीन। ये हॉर्मोन वृद्धि, विकास, प्रजनन और पर्यावरणीय प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। उदाहरण के लिए, ऑक्सिन कोशिका विस्तार और प्रकाशानुवर्तन को नियंत्रित करता है, जबकि एथिलीन फल पकने में सहायक होता है। ये हॉर्मोन कम मात्रा में भी प्रभावी होते हैं और पौधे के विभिन्न भागों में परस्पर क्रिया करके समग्र विकास को नियंत्रित करते हैं।
प्रश्न 9. एक जीव में नियंत्रण एवं समन्वय के तंत्र की क्या आवश्यकता है?
उत्तर- जीवों में नियंत्रण और समन्वय तंत्र अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह तंत्र शरीर के विभिन्न अंगों और प्रणालियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान सुनिश्चित करता है, जिससे वे एक समन्वित तरीके से कार्य कर सकें। यह बाहरी और आंतरिक परिवर्तनों के प्रति त्वरित प्रतिक्रिया करने में मदद करता है, जैसे खतरे से बचना या भोजन की तलाश करना। नियंत्रण तंत्र शरीर के आंतरिक वातावरण को स्थिर रखने (होमियोस्टैसिस) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह जटिल व्यवहारों, सीखने और स्मृति के लिए भी आवश्यक है। इसके बिना, शरीर के विभिन्न भाग स्वतंत्र रूप से कार्य करेंगे, जो जीवन के लिए खतरनाक हो सकता है।
प्रश्न 10. अनैच्छिक क्रियाएँ तथा प्रतिवर्ती क्रियाएँ एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर- अनैच्छिक क्रियाएँ और प्रतिवर्ती क्रियाएँ दोनों ही हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं, लेकिन उनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:-
- नियंत्रण: अनैच्छिक क्रियाएँ स्वायत्त तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित होती हैं, जबकि प्रतिवर्ती क्रियाएँ रीढ़ की हड्डी द्वारा नियंत्रित होती हैं।
- गति: प्रतिवर्ती क्रियाएँ बहुत तेज़ होती हैं, जबकि अनैच्छिक क्रियाएँ अपेक्षाकृत धीमी हो सकती हैं।
- उद्देश्य: प्रतिवर्ती क्रियाएँ तत्काल सुरक्षा के लिए होती हैं, जैसे गर्म वस्तु से हाथ खींचना। अनैच्छिक क्रियाएँ शरीर के नियमित कार्यों को बनाए रखती हैं, जैसे हृदय गति और पाचन।
- सीखना: प्रतिवर्ती क्रियाएँ जन्मजात होती हैं, जबकि कुछ अनैच्छिक क्रियाओं को नियंत्रित करना सीखा जा सकता है (जैसे श्वास नियंत्रण)।
- उदाहरण: प्रतिवर्ती क्रियाओं के उदाहरण हैं घुटने का झटका, आँख झपकना। अनैच्छिक क्रियाओं के उदाहरण हैं रक्तचाप नियमन, पाचन।
प्रश्न 11. जंतुओं में नियंत्रण एवं समन्वय लिए तंत्रिका तथा हॉर्मोन क्रियाविधि की तुलना तथा व्यतिरेक कीजिए ।
उत्तर- तंत्रिका तंत्र और हॉर्मोन तंत्र दोनों जंतुओं में नियंत्रण और समन्वय के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनकी कार्यप्रणाली अलग है। तंत्रिका तंत्र विद्युत आवेगों द्वारा सूचनाओं का संचरण करता है, जो बहुत तेज़ होता है और तत्काल प्रतिक्रिया प्रदान करता है। यह मुख्य रूप से त्वरित प्रतिक्रियाओं और संवेदी जानकारी के प्रसंस्करण में शामिल होता है। दूसरी ओर, हॉर्मोन तंत्र रक्त के माध्यम से रासायनिक संदेशों का उपयोग करता है, जो धीमी गति से काम करता है लेकिन लंबे समय तक प्रभाव डालता है।
हॉर्मोन मुख्य रूप से वृद्धि, विकास, चयापचय और प्रजनन जैसी दीर्घकालिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। दोनों तंत्र एक दूसरे के पूरक हैं और जटिल शारीरिक प्रक्रियाओं के समन्वय के लिए अक्सर एक साथ काम करते हैं।
प्रश्न 12. छुई-मुई पादप में गति तथा हमारी टाँग में होने वाली गति के तरीके में क्या अंतर है?
उत्तर- छुई-मुई पादप और मानव टाँग की गति में मूलभूत अंतर है। छुई-मुई में गति अनुवर्तन के कारण होती है, जो पौधे की कोशिकाओं में जल की मात्रा में परिवर्तन से उत्पन्न होती है। यह गति बाहरी उद्दीपन के प्रति एक प्रतिक्रिया है और पौधे के विशिष्ट भागों तक सीमित रहती है। इसके विपरीत, हमारी टाँग की गति पेशियों के संकुचन और शिथिलन पर आधारित होती है, जो तंत्रिका तंत्र द्वारा नियंत्रित होती है। यह गति स्वैच्छिक होती है, अर्थात हम अपनी इच्छा से टाँग को हिला सकते हैं। मानव गति अधिक जटिल और नियंत्रित होती है, जबकि पौधों की गति सरल और सीधी प्रतिक्रिया होती है।