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इस अध्याय में आप जीवों में होने वाली विभिन्न जैविक प्रक्रियाओं के बारे में विस्तार से अध्ययन करेंगे। जैव प्रक्रम वे क्रियाएँ हैं जो सभी जीवित प्राणियों में निरंतर चलती रहती हैं और जीवन को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। आप पोषण, श्वसन, परिसंचरण और उत्सर्जन जैसी मूलभूत जैविक प्रक्रियाओं के बारे में गहराई से जानेंगे। इस अध्याय में आप यह समझेंगे कि कैसे पौधे प्रकाश संश्लेषण द्वारा अपना भोजन बनाते हैं, जबकि जंतु विभिन्न पाचन क्रियाओं द्वारा भोजन का अवशोषण करते हैं। साथ ही, आप श्वसन की प्रक्रिया, ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के आदान-प्रदान, और कोशिकाओं में ऊर्जा उत्पादन के बारे में सीखेंगे। रक्त परिसंचरण और उत्सर्जन जैसी अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं का भी अध्ययन करेंगे।
UP Board Class 10 Science Chapter 5 Solutions
Subject | Science (विज्ञान) |
Class | 10th |
Chapter | 5. जैव प्रक्रम |
Board | UP Board |
अध्ययन के बीच वाले प्रश्न
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-90)
प्रश्न 1. हमारे जैसे बहुकोशिकीय जीवों में ऑक्सीजन की आवश्यकता पूरी करने में विसरण क्यों अपर्याप्त है?
उत्तर- विसरण (Diffusion) केवल छोटे और साधारण जीवों में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए पर्याप्त होता है क्योंकि उनके शरीर के अंदरूनी हिस्से तक ऑक्सीजन आसानी से पहुँच जाती है। लेकिन बहुकोशिकीय जीवों (जैसे मनुष्य) में शरीर जटिल और बड़ा होता है, इसलिए केवल विसरण से ऑक्सीजन शरीर के सभी भागों तक नहीं पहुँच सकती। इसी कारण उन्हें एक जटिल प्रणाली (जैसे रक्त परिसंचरण तंत्र) की आवश्यकता होती है ताकि ऑक्सीजन सभी कोशिकाओं तक पहुँच सके।
प्रश्न 2. कोई द्रव बहता है, इसका निर्धारण करने के लिए हम किस मानक का उपयोग करेंगे?
उत्तर- हम द्रव का विस्कोसिटी (चिपचिपापन) का उपयोग करेंगे। विस्कोसिटी एक माप है जो यह बताता है कि किसी द्रव में बहाव के प्रति कितना प्रतिरोध है। जितनी अधिक विस्कोसिटी, द्रव उतनी ही धीमी गति से बहेगा।
प्रश्न 3. किसी जीव द्वारा किन रासायनिक सामग्रियों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर- जीव अपने जीवन-प्रक्रियाओं के लिए प्रमुख रूप से निम्नलिखित रासायनिक सामग्रियों का उपयोग करते हैं:-
- ऑक्सीजन (O₂) : श्वसन के लिए
- पानी (H₂O) : सभी जैविक क्रियाओं के लिए
- ग्लूकोज (C₆H₁₂O₆) : ऊर्जा के स्रोत के रूप में
- प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट आदि : पोषण और शरीर के निर्माण के लिए
- खनिज और विटामिन : कोशिकीय क्रियाओं और एंजाइमों के लिए
प्रश्न 4. जीवों के अस्तित्व के लिए आप किन प्रक्रियाओं को आवश्यक मानेंगे?
उत्तर- जीवों के अस्तित्व के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाएं अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं:-
- श्वसन (Respiration) : ऊर्जा प्राप्त करने के लिए
- पोषण (Nutrition) : आवश्यक पोषक तत्वों को ग्रहण करने के लिए
- प्रजनन (Reproduction) : प्रजातियों की निरंतरता के लिए
- उत्सर्जन (Excretion) : शरीर से हानिकारक अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने के लिए
- विकास (Growth) : आकार और संरचना में वृद्धि
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-90)
प्रश्न 1. स्वपोषी पोषण तथा परपोषी पोषण में क्या अंतर है?
उत्तर-
- स्वपोषी पोषण (Autotrophic Nutrition): इसमें जीव अपना भोजन स्वयं बनाते हैं, जैसे कि पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया द्वारा।
- परपोषी पोषण (Heterotrophic Nutrition): इसमें जीव अपने भोजन के लिए दूसरे जीवों पर निर्भर होते हैं, जैसे कि मानव और अन्य जानवर।
प्रश्न 2. प्रकाश संश्लेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहाँ से प्राप्त करता है?
उत्तर-
- कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂): वायुमंडल से।
- पानी (H₂O): मिट्टी से जड़ों द्वारा अवशोषित होता है।
- सूर्य का प्रकाश: सूर्य से पत्तियों द्वारा ग्रहण किया जाता है।
- क्लोरोफिल: यह पौधों की पत्तियों में होता है, जो प्रकाश को अवशोषित करता है और उसे ऊर्जा में बदलता है।
प्रश्न 3. हमारे आहारनाल में अम्ल का भूमिका क्या है?
उत्तर- पेट में मौजूद हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) भोजन को पचाने में मदद करता है। यह भोजन को छोटे टुकड़ों में तोड़ता है और पाचक एंजाइमों को सक्रिय करता है, साथ ही बैक्टीरिया और हानिकारक सूक्ष्मजीवों को नष्ट करता है।
प्रश्न 4. पाचक एंजाइम का क्या कार्य है?
उत्तर- पाचक एंजाइम भोजन को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ने में मदद करते हैं ताकि शरीर उन्हें आसानी से अवशोषित कर सके। उदाहरण के लिए, अमाइलेज कार्बोहाइड्रेट को, पेप्सिन प्रोटीन को और लाइपेज वसा को तोड़ता है।
प्रश्न 5. खाए हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए छोटे आंत्र को कैसे अनुकूलित किया गया है?
उत्तर- छोटे आंत्र की भीतरी सतह पर विली (Villi) और माइक्रोविली नामक उभार होते हैं, जो इसकी सतह क्षेत्र को बढ़ा देते हैं। यह संरचना भोजन के पोषक तत्वों को अधिक प्रभावी तरीके से अवशोषित करने में मदद करती है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-101)
प्रश्न 1. श्वसन के लिए ऑक्सीजन प्राप्त करने की दिशा में एक जलीय जीव की अपेक्षा स्थलीय जीव किस प्रकार लाभप्रद है?
उत्तर- स्थलीय जीव वायुमंडल से सीधे ऑक्सीजन प्राप्त करते हैं, जहाँ ऑक्सीजन की सांद्रता लगभग 21% होती है। जलीय जीव केवल जल में घुली ऑक्सीजन का उपयोग कर सकते हैं, जो बहुत कम (लगभग 1%) होती है। इस कारण स्थलीय जीवों को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे वे अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकते हैं और तेजी से चयापचय कर सकते हैं। यह उन्हें अधिक सक्रिय और अनुकूलनशील बनाता है।
प्रश्न 2. ग्लूकोज़ के ऑक्सीकरण से भिन्न जीवों में ऊर्जा प्राप्त करने के विभिन्न पथ क्या हैं?
उत्तर- जीव ऊर्जा प्राप्त करने के लिए मुख्यतः दो पथों का उपयोग करते हैं: वायवीय और अवायवीय श्वसन। वायवीय श्वसन में, ग्लूकोज़ ऑक्सीजन की उपस्थिति में पूरी तरह से CO₂ और H₂O में टूट जाता है, जिससे अधिक ऊर्जा मिलती है। अवायवीय श्वसन में, ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में ग्लूकोज़ आंशिक रूप से टूटता है, जिससे इथेनॉल (खमीर में) या लैक्टिक अम्ल (मांसपेशियों में) बनता है। यह प्रक्रिया कम ऊर्जा देती है लेकिन जल्दी होती है।
प्रश्न 3. मनुष्यों में ऑक्सीजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड का परिवहन कैसे होता है?
उत्तर- मनुष्यों में गैसों का परिवहन रक्त द्वारा होता है। ऑक्सीजन फेफड़ों से हीमोग्लोबिन से जुड़कर ऑक्सीहीमोग्लोबिन के रूप में शरीर के सभी भागों तक पहुँचती है। कार्बन डाइऑक्साइड तीन रूपों में परिवहित होती है: 70% बाइकार्बोनेट आयन के रूप में, 23% हीमोग्लोबिन से जुड़कर, और 7% रक्त प्लाज्मा में घुलकर। यह प्रणाली गैसों के कुशल विनिमय और परिवहन को सुनिश्चित करती है।
प्रश्न 4. गैसों के विनिमय के लिए मानव – फुफ्फुस में अधिकतम क्षेत्रफल को कैसे अभिकल्पित किया गया है?
उत्तर- मानव फेफड़ों में गैस विनिमय के लिए अधिकतम क्षेत्रफल प्रदान करने हेतु एक जटिल संरचना है। श्वास नली छोटी-छोटी शाखाओं में विभाजित होती है, जो अंततः वायुकोषों (एल्वियोलाई) में समाप्त होती हैं। ये वायुकोष अत्यंत पतली भित्ति वाले छोटे-छोटे थैले होते हैं, जो रक्त केशिकाओं से घिरे होते हैं। एक वयस्क मनुष्य के फेफड़ों में लगभग 300-500 मिलियन वायुकोष होते हैं, जो कुल मिलाकर लगभग 70-80 वर्ग मीटर का क्षेत्रफल प्रदान करते हैं। यह विशाल सतह क्षेत्र गैसों के कुशल विनिमय को सुनिश्चित करता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-101)
प्रश्न 1. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन से हैं? इन घटकों के क्या कार्य हैं?
उत्तर- मानव वहन तंत्र के मुख्य घटक हैं: हृदय, रक्त वाहिकाएँ और रक्त। हृदय एक पंप की तरह कार्य करता है, जो रक्त को शरीर भर में प्रवाहित करता है। रक्त वाहिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं: धमनियाँ (हृदय से अंगों तक रक्त ले जाती हैं), शिराएँ (अंगों से हृदय तक रक्त लाती हैं), और केशिकाएँ (कोशिकाओं और रक्त के बीच पदार्थों का आदान-प्रदान करती हैं)। रक्त पोषक तत्वों, गैसों, हार्मोन और अपशिष्ट पदार्थों का परिवहन करता है।
प्रश्न 2. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजन तथा विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर- स्तनधारी और पक्षी समताप जीव हैं, जिन्हें उच्च चयापचय दर बनाए रखने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। ऑक्सीजनित और विऑक्सीजनित रक्त को अलग रखने से शरीर के सभी ऊतकों को अधिक कुशलता से ऑक्सीजन मिलती है। यह व्यवस्था हृदय के दो अलग-अलग कक्षों (दाएँ और बाएँ) द्वारा संभव होती है, जो रक्त को मिश्रित होने से रोकती है। इससे कोशिकाओं को अधिक ऑक्सीजन मिलती है, जिससे वे अधिक ऊर्जा उत्पन्न कर सकती हैं और शरीर का तापमान नियंत्रित रह सकता है।
प्रश्न 3. उच्च संगठित पादप में वहन तंत्र के घटक क्या हैं?
उत्तर- उच्च संगठित पादपों में वहन तंत्र के दो मुख्य घटक हैं: जाइलम और फ्लोएम। जाइलम जड़ों से पत्तियों तक जल और खनिज लवणों का परिवहन करता है। इसमें वाहिकाएँ और वाहिनिकाएँ होती हैं जो मृत कोशिकाओं से बनी होती हैं। फ्लोएम पत्तियों से पौधे के अन्य भागों तक शर्करा और अन्य पोषक तत्वों का परिवहन करता है। इसमें चालनी नलिकाएँ और साथी कोशिकाएँ होती हैं जो जीवित होती हैं। दोनों ऊतक मिलकर पौधे में पदार्थों के कुशल परिवहन को सुनिश्चित करते हैं।
प्रश्न 4. पादप में जल और खनिज लवण का वहन कैसे होता है?
उत्तर- पादपों में जल और खनिज लवणों का वहन जाइलम ऊतक द्वारा होता है। जड़ों में परासरण द्वारा जल अवशोषित होता है और जाइलम में प्रवेश करता है। वाष्पोत्सर्जन खींच और जड़ दाब धक्का, दोनों मिलकर जल को ऊपर की ओर धकेलते हैं। जाइलम की वाहिकाएँ और वाहिनिकाएँ एक सतत जाल बनाती हैं, जो पौधे के सभी भागों को जोड़ता है। पत्तियों में रंध्रों से जल वाष्प के रूप में बाहर निकलता है, जो जल के निरंतर प्रवाह को बनाए रखता है। इस प्रक्रिया को जल-संभरण कहते हैं।
प्रश्न 5. पादप में भोजन का स्थानांतरण कैसे होता है?
उत्तर- पादपों में भोजन का स्थानांतरण फ्लोएम ऊतक द्वारा होता है, जिसे स्थानांतरण कहते हैं। पत्तियाँ प्रकाशसंश्लेषण द्वारा ग्लूकोज बनाती हैं, जो सुक्रोज में परिवर्तित होकर फ्लोएम में प्रवेश करता है। यह प्रक्रिया स्रोत (जैसे पत्तियाँ) से संग्राहक (जैसे जड़ें, फल) की ओर दाबानुसार प्रवाह द्वारा होती है। फ्लोएम में चालनी नलिकाएँ और साथी कोशिकाएँ होती हैं, जो भोजन के परिवहन में मदद करती हैं। यह प्रक्रिया ऊर्जा की खपत करती है और पौधे के विभिन्न भागों में पोषक तत्वों के वितरण को सुनिश्चित करती है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-109)
प्रश्न 1. वृक्काणु (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि वर्णन कीजिए
उत्तर- वृक्काणु (नेफ्रॉन) वृक्क की कार्यात्मक इकाई है। इसमें मुख्यतः दो भाग होते हैं – बोमन संपुट और वृक्क नलिका। बोमन संपुट में केशिका गुच्छ होता है जो रक्त से अपोहन द्वारा पदार्थों को छानता है। वृक्क नलिका में प्रारंभिक नलिका, हेनले पाश और संग्राहक नलिका होती हैं जो पुनःअवशोषण और स्रवण के द्वारा मूत्र का निर्माण करती हैं। यह प्रक्रिया रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को हटाने और शरीर में जल तथा इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
प्रश्न 2. उत्सर्जी उत्पाद से छुटकारा नलिका में प्रवाहित होता है इन पदार्थों का चयनित विधियों का उपयोग करते हैं ।
उत्तर- पादप उत्सर्जी उत्पादों से कई तरीकों से छुटकारा पाते हैं। वे पत्तियों के झड़ने के माध्यम से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालते हैं। कुछ अपशिष्ट पदार्थ कोशिकीय रिक्तिकाओं में संग्रहित किए जाते हैं। पादप गोंद और रेजिन के रूप में भी अपशिष्ट उत्पादों को संग्रहित करते हैं। कुछ पादप अपने अपशिष्ट पदार्थों को सीधे मृदा में उत्सर्जित करते हैं। ये विधियां पादपों को अपने अंदर विषाक्त पदार्थों के संचय को रोकने में मदद करती हैं।
प्रश्न 3. मूत्र बनने की मात्रा का नियमन किस प्रकार होता है?
उत्तर- मूत्र निर्माण की मात्रा का नियमन कई कारकों द्वारा होता है। पिए गए पानी की मात्रा मूत्र उत्पादन को प्रभावित करती है। शरीर द्वारा अवशोषित भोजन, विशेषकर प्रोटीन और नमक, मूत्र की मात्रा और संरचना को प्रभावित करते हैं। हार्मोन जैसे एंटीडायूरेटिक हार्मोन (ADH) और एल्डोस्टेरोन मूत्र की मात्रा और संघटन को नियंत्रित करते हैं। इन कारकों का संयुक्त प्रभाव शरीर में जल और इलेक्ट्रोलाइट संतुलन बनाए रखता है।
UP Board Class 10 Science Chapter 5 अभ्यास – Solutions
प्रश्न 1. मनुष्य में वृक्क एक तंत्र का भाग है जो संबंधित है
(a) पोषण
(c) उत्सर्जन
(b) श्वसन
(d) परिवहन
उत्तर- (c) उत्सर्जन
प्रश्न 2. पादप में जाइलम उत्तरदायी है
(a) जल का वहन
(b) भोजन का वहन
(c) अमीनो अम्ल का वहन
(d) ऑक्सीजन का वहन
उत्तर- (a ) जल का वहन
प्रश्न 3. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक है
(a) कार्बन डाइऑक्साइड तथा जल
(b) क्लोरोफिल
(c) सूर्य का प्रकाश
(d) उपरोक्त सभी
उत्तर- (d) उपरोक्त सभी
प्रश्न 4. पायरूवेट के विखंडन से यह कार्बन डाइऑक्साइड, जल तथा ऊर्जा देता है और यह क्रिया होती है
(a) कोशिकाद्रव्य
(b) माइटोकॉन्ड्रिया
(c) हरित लवक
(d) केन्द्रक
उत्तर- (b) माइटोकॉन्ड्रिया
प्रश्न 5. हमारे शरीर में वसा का पाचन कैसे होता है? यह प्रक्रम कहाँ होता है?
उत्तर- वसा का पाचन मुख्य रूप से क्षुद्रांत्र में होता है। यकृत द्वारा उत्पादित पित्त रस वसा का इमल्सीकरण करता है, जिससे वसा छोटे-छोटे कणों में बंट जाती है। अग्न्याशय से स्रावित लाइपेज एंजाइम इन वसा कणों को वसा अम्ल और ग्लिसरॉल में तोड़ता है। क्षुद्रांत्र की दीवार में स्थित ग्रंथियां आंत्र रस स्रावित करती हैं, जो इस पाचन प्रक्रिया को और अधिक प्रभावी बनाता है। अंत में, पाचित वसा अवशोषण के लिए तैयार हो जाती है।
प्रश्न 6. भोजन के पाचन में लार की क्या भूमिका है?
उत्तर- लार भोजन के पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें मौजूद एमाइलेज एंजाइम जटिल कार्बोहाइड्रेट्स (स्टार्च) को सरल शर्करा में बदलना शुरू कर देता है। लार भोजन को नम और फिसलनयुक्त बनाती है, जिससे निगलना आसान हो जाता है। यह भोजन के कणों को एक साथ बांधने में मदद करती है, जिससे बोलस (ग्रास) बनता है। लार में मौजूद म्यूसिन भोजन को पाचक रसों से सुरक्षा प्रदान करता है और मुंह की सतह को चिकना रखता है।
प्रश्न 7. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ कौन सी हैं और उसके उपोत्पाद क्या हैं?
उत्तर- स्वपोषी पोषण (प्रकाश संश्लेषण) के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ हैं: क्लोरोफिल की उपस्थिति, कार्बन डाइऑक्साइड, सूर्य का प्रकाश, और पर्याप्त मात्रा में जल। इसके अलावा, पौधों को मिट्टी से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और अन्य खनिज पदार्थों की आवश्यकता होती है। प्रकाश संश्लेषण का मुख्य उत्पाद ग्लूकोज है, जो पौधे के विकास और अन्य जैविक प्रक्रियाओं के लिए ऊर्जा प्रदान करता है। इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण उपोत्पाद ऑक्सीजन है, जो वायुमंडल में छोड़ी जाती है।
प्रश्न 8. वायवीय तथा अवायवीय श्वसन में क्या अंतर हैं? कुछ जीवों के नाम लिखिए जिनमें अवायवीय श्वसन होता है।
उत्तर- वायवीय श्वसन ऑक्सीजन की उपस्थिति में होता है, जबकि अवायवीय श्वसन ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में होता है। वायवीय श्वसन में अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है, जबकि अवायवीय श्वसन में कम ऊर्जा मुक्त होती है। वायवीय श्वसन का अंतिम उत्पाद CO₂ और H₂O है, जबकि अवायवीय श्वसन में इथेनॉल या लैक्टिक अम्ल बनता है। अवायवीय श्वसन करने वाले जीवों में यीस्ट, कुछ बैक्टीरिया, और मानव मांसपेशियां (कम ऑक्सीजन की स्थिति में) शामिल हैं।
प्रश्न 9. गैसों के अधिकतम विनिमय के लिए कपिकाएँ किस प्रकार अभिकल्पित हैं?
उत्तर- कूपिकाएँ (alveoli) फेफड़ों में गैस विनिमय के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई हैं। ये गुब्बारे जैसी सूक्ष्म संरचनाएँ हैं जो बड़ी सतह क्षेत्र प्रदान करती हैं। कूपिकाओं की दीवार एक कोशिका की मोटाई की होती है, जो गैसों के त्वरित प्रसार को सुगम बनाती है। इनके चारों ओर रक्त केशिकाओं का घना जाल होता है, जो ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड के कुशल आदान-प्रदान को सुनिश्चित करता है। यह डिज़ाइन श्वसन प्रक्रिया को अत्यधिक प्रभावी बनाता है।
प्रश्न 10. हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी के परिणाम हो सकते हैं?
उत्तर- हीमोग्लोबिन की कमी से एनीमिया हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप थकान, सांस फूलना, और चक्कर आना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। शरीर की कोशिकाओं को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे ऊर्जा उत्पादन कम हो जाता है। इससे शारीरिक और मानसिक क्षमता प्रभावित हो सकती है। गंभीर मामलों में, यह हृदय और अन्य अंगों पर अतिरिक्त दबाव डाल सकता है। हीमोग्लोबिन की कमी से प्रतिरक्षा प्रणाली भी कमजोर हो सकती है।
प्रश्न 11. मानव में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या कीजिए | यह क्यों आवश्यक है ?
उत्तर- मानव में दोहरा परिसंचरण दो अलग-अलग चक्रों से बना होता है – फुफ्फुसीय और देहीय परिसंचरण। फुफ्फुसीय परिसंचरण में, अशुद्ध रक्त दाएं वेंट्रिकल से फेफड़ों में जाता है, जहां यह ऑक्सीजन ग्रहण करता है और CO₂ छोड़ता है। फिर शुद्ध रक्त बाएं आलिंद में लौटता है। देहीय परिसंचरण में, यह ऑक्सीजन युक्त रक्त बाएं वेंट्रिकल से शरीर के अन्य भागों में जाता है। यह व्यवस्था ऑक्सीजन के कुशल वितरण और CO₂ के निष्कासन को सुनिश्चित करती है, जो उच्च चयापचय दर वाले जीवों के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 12. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?
उत्तर- जाइलम जड़ों से पत्तियों तक जल और खनिज लवणों का ऊर्ध्वाधर वहन करता है। यह प्रक्रिया मुख्यतः वाष्पोत्सर्जन खिंचाव और जड़ दाब द्वारा संचालित होती है, जो भौतिक बलों पर आधारित है। फ्लोएम, दूसरी ओर, पत्तियों से पौधे के अन्य भागों तक शर्करा और अमीनो अम्ल जैसे जैविक यौगिकों का परिवहन करता है। यह प्रक्रिया दाबानुकूली प्रवाह द्वारा होती है, जो सक्रिय परिवहन पर निर्भर करती है और ऊर्जा की खपत करती है।
प्रश्न 13. फुफ्फुस में कूपिकाओं की तथा वृक्क में वृक्क (नेफ्रॉन) की रचना तथा क्रियाविधि की तुलना कीजिए।
उत्तर- कूपिकाएँ और वृक्काणु दोनों गैसों या पदार्थों के आदान-प्रदान के लिए विशेष संरचनाएँ हैं। कूपिकाएँ फेफड़ों में गैस विनिमय के लिए गुब्बारे जैसी संरचनाएँ हैं, जो O₂ और CO₂ का आदान-प्रदान करती हैं। वृक्काणु वृक्क में स्थित होते हैं और रक्त से अपशिष्ट पदार्थों को छानते हैं। कूपिकाओं में गैस विनिमय सरल विसरण द्वारा होता है, जबकि वृक्काणु में छनन, पुनःअवशोषण और स्रवण जैसी जटिल प्रक्रियाएँ शामिल हैं। दोनों संरचनाएँ अपने कार्यों के लिए विशाल सतह क्षेत्र प्रदान करती हैं।