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इस अध्याय में हम भूमंडलीकरण की प्रक्रिया और उसके विश्व पर प्रभावों के बारे में सीखेंगे। भूमंडलीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसने दुनिया को एक वैश्विक गाँव में बदल दिया है। हम देखेंगे कि कैसे तकनीकी प्रगति, विशेष रूप से संचार और परिवहन के क्षेत्र में, ने इस प्रक्रिया को गति दी है। अध्याय में हम अंतरराष्ट्रीय व्यापार, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के उदय, और वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास पर चर्चा करेंगे। साथ ही, भूमंडलीकरण के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों को भी समझेंगे।
UP Board Class 10 History Chapter 3 Solutions
Subject | History |
Class | 10th |
Chapter | 3. भूमंडलीकृत विश्व का बनना |
Board | UP Board |
संक्षेप में लिखें
1.सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुने।
उत्तर- सत्रहवीं शताब्दी से पूर्व वैश्विक आदान-प्रदान के दो महत्वपूर्ण उदाहरण हैं। अमेरिका से, ‘कोलंबियन एक्सचेंज’ के तहत आलू, मक्का और टमाटर जैसी फसलें यूरोप और एशिया में पहुंचीं, जिसने वहाँ के खाद्य संस्कृति को बदल दिया। एशिया से, चीन की रेशम व्यापार मार्ग (सिल्क रोड) के माध्यम से न केवल रेशम, बल्कि चीनी मिट्टी के बर्तन, चाय और तकनीकी ज्ञान का आदान-प्रदान यूरोप और मध्य एशिया के साथ हुआ। इन आदान-प्रदानों ने विभिन्न संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं को गहराई से प्रभावित किया, जिससे वैश्विक संपर्क और समृद्धि में वृद्धि हुई।
2. बताएँ कि पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी।
उत्तर- बीमारियों के वैश्विक प्रसार का अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण पर प्रभाव:
पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यूरोपीय उपनिवेशवादियों के साथ आई चेचक, खसरा और इन्फ्लुएंजा जैसी बीमारियों ने मूल अमेरिकी आबादी को बुरी तरह प्रभावित किया, क्योंकि उनके पास इन रोगों के खिलाफ प्रतिरक्षा नहीं थी। इन महामारियों ने कई स्थानीय समुदायों को नष्ट कर दिया, जिससे उनकी जनसंख्या में भारी गिरावट आई। फलस्वरूप, यूरोपीय शक्तियों को इन क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने में आसानी हुई। यह त्रासदी न केवल जनसांख्यिकीय बदलाव का कारण बनी, बल्कि इसने स्थानीय संस्कृतियों और ज्ञान प्रणालियों के विनाश में भी योगदान दिया, जिससे उपनिवेशीकरण की प्रक्रिया और तेज हुई।
3. निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें
(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।
उत्तर- कॉर्न लॉ के समाप्त करने का प्रभाव:
कॉर्न लॉ की समाप्ति ने ब्रिटेन में सस्ते आयातित अनाज के प्रवेश का मार्ग खोल दिया। इससे ब्रिटिश किसानों को गंभीर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा, जिससे कई किसान दिवालिया हो गए और खेती छोड़ दी। इसके परिणामस्वरूप ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर बड़े पैमाने पर पलायन हुआ, जिसने औद्योगिक क्रांति को गति प्रदान की। हालांकि यह निर्णय आम जनता के लिए सस्ता भोजन उपलब्ध कराने में सहायक रहा, लेकिन इसने ब्रिटेन की कृषि अर्थव्यवस्था को बदल दिया और वैश्विक कृषि व्यापार के नए युग की शुरुआत की।
(ख) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना।
उत्तर- अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का प्रभाव:
रिंडरपेस्ट महामारी ने अफ्रीका में पशुधन का व्यापक विनाश किया, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था और समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। इस बीमारी ने लगभग 90% मवेशियों को मार डाला, जिससे कई समुदायों की आजीविका नष्ट हो गई। इसके परिणामस्वरूप, कृषि उत्पादन में भारी गिरावट आई और अकाल की स्थिति उत्पन्न हो गई। यह स्थिति यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों के लिए अनुकूल साबित हुई, जिन्होंने इस संकट का लाभ उठाकर अपना प्रभुत्व बढ़ाया। रिंडरपेस्ट ने न केवल आर्थिक संकट पैदा किया, बल्कि अफ्रीकी समाजों की सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना को भी बदल दिया।
(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।
उत्तर- विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत का प्रभाव:
प्रथम विश्व युद्ध में यूरोप के लाखों युवा पुरुषों की मृत्यु ने श्रम बाजार में एक बड़ा अंतर पैदा किया। इस कमी को पूरा करने के लिए, महिलाओं को बड़ी संख्या में कार्यबल में शामिल होना पड़ा, जिससे पारंपरिक जेंडर भूमिकाओं में महत्वपूर्ण बदलाव आया। युद्ध के बाद, कई महिलाओं ने अपनी नौकरियाँ बनाए रखीं, जिससे महिला अधिकारों और समानता के लिए आंदोलन को बल मिला। इसके अलावा, श्रमिकों की कमी ने तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित किया और कई उद्योगों में मशीनीकरण को बढ़ावा दिया। इन परिवर्तनों ने यूरोप की सामाजिक और आर्थिक संरचना को गहराई से प्रभावित किया।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।
उत्तर- भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव:
1929 की महामंदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला। भारत का निर्यात व्यापार लगभग आधा हो गया, जिससे किसानों और कारीगरों की आय में भारी गिरावट आई। कृषि उत्पादों की कीमतों में तेज गिरावट आई, जिससे किसान कर्ज के जाल में फँस गए। शहरी क्षेत्रों में भी बेरोजगारी बढ़ी और औद्योगिक उत्पादन में कमी आई। इस आर्थिक संकट ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को भी प्रभावित किया, क्योंकि लोगों में औपनिवेशिक शासन के खिलाफ असंतोष बढ़ा। हालाँकि, इस दौरान भारत से सोने का निर्यात बढ़ा, जो एक विरोधाभासी प्रवृत्ति थी।
(ङ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला।
उत्तर- बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का प्रभाव:
बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने के निर्णय ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को पुनर्गठित किया। इससे भारत, चीन और अन्य एशियाई देशों में रोजगार के अवसर बढ़े और औद्योगिक विकास को गति मिली। हालाँकि, इसने विकसित देशों में बेरोजगारी की समस्या को बढ़ाया। यह प्रक्रिया “वैश्वीकरण” के रूप में जानी जाने लगी, जिसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश के पैटर्न को बदल दिया। इसके परिणामस्वरूप, एशियाई अर्थव्यवस्थाएँ वैश्विक आर्थिक शक्ति के नए केंद्र के रूप में उभरीं, जिससे विश्व की आर्थिक संतुलन में बदलाव आया।
4. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर- प्राचीन काल से ही तकनीक ने खाद्य उत्पादन और उपलब्धता में अहम भूमिका निभाई है। पहला उदाहरण 19वीं सदी का है, जब रेलवे नेटवर्क का विस्तार हुआ, जिससे दूर-दराज़ के क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों को तेज़ी से और कम लागत पर पहुंचाया जाने लगा। दूसरा उदाहरण शीतगृह तकनीक का है, जिसे पानी के जहाजों में इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक की मदद से जल्दी खराब होने वाले खाद्य पदार्थ, जैसे मांस और दूध, को लंबी दूरी तक निर्यात करना संभव हो सका। इन दोनों उदाहरणों से यह स्पष्ट होता है कि तकनीक ने खाद्य आपूर्ति को बढ़ाने और उसे विश्व स्तर पर सुगम बनाने में बड़ा योगदान दिया।
5. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है?
उत्तर- ब्रेटन वुड्स समझौता जुलाई 1944 में हुआ था, जिसमें प्रमुख विश्व शक्तियों ने एक नई आर्थिक व्यवस्था बनाने पर सहमति दी। इसका मुख्य उद्देश्य युद्ध के बाद की आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित करना था। इस समझौते के तहत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना की गई, जिसका काम था बाहरी व्यापार घाटे और अधिशेषों से निपटना। साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य युद्धोपरांत पुनर्निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना था। इस समझौते ने वैश्विक आर्थिक सहयोग का आधार तैयार किया।
6. कल्पना कीजिए कि आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मज़दूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।
उत्तर-
प्रिय परिवार,
यहाँ की ज़िंदगी बहुत कठिन है। मैंने गरीबी और अभाव से बचने की उम्मीद में यहाँ का काम चुना, लेकिन हालात बेहद कठोर हैं। यहाँ के बागानों में काम करते हुए, मुझे अनुबंध के तहत पांच साल बाद भारत लौटने की उम्मीद थी, लेकिन यह अनुबंध धोखाधड़ी निकला। काम के घंटे लंबे हैं, और हालात अत्यधिक कठिन। हममें से अधिकांश श्रमिक बिहार, मध्य भारत और तमिलनाडु से हैं। हालांकि हमें कुछ कानूनी अधिकार दिए गए हैं, लेकिन यहाँ की कठिनाइयों से निपटना आसान नहीं है। इन परिस्थितियों में हम कला और संगीत जैसे नए तरीके विकसित कर रहे हैं ताकि अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकें।
आपका,
(नाम)
7. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर- अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन प्रमुख प्रकार के प्रवाह होते हैं:
- व्यापार का प्रवाह: इसमें वस्तुओं का एक देश से दूसरे देश में आयात-निर्यात शामिल है। उदाहरण के लिए, प्राचीन भारत से मसालों और वस्त्रों का यूरोप में निर्यात होता था, जिसके बदले में सोना और चांदी लाया जाता था।
- श्रम का प्रवाह: इसमें लोगों का रोज़गार की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना शामिल है। उन्नीसवीं सदी में बड़ी संख्या में भारतीय मजदूरों ने काम की तलाश में विदेशी देशों, जैसे कि कैरिबियाई द्वीपों, मलेशिया और दक्षिण अफ्रीका में प्रवासन किया।
- पूंजी प्रवाह: इसमें पूंजी का एक देश से दूसरे देश में स्थानांतरण शामिल है। ब्रिटिश शासन के दौरान, यूरोपीय निवेशकों ने भारत में अपने व्यापार का विस्तार किया और भारतीय व्यापारियों ने विदेशी बाजारों में निवेश किया।
8. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें।
उत्तर- महामंदी (1929) कई प्रमुख कारणों का परिणाम थी:
- 1920 के दशक में अमेरिका में अत्यधिक निवेश और अटकलों के कारण अर्थव्यवस्था का अस्थिर होना।
- 1929 में अमेरिकी शेयर बाजार के अचानक गिरने से निवेशकों में भय उत्पन्न हुआ और उन्होंने अपने निवेश को वापस लेना शुरू कर दिया।
- बैंकों की विफलता ने स्थिति को और खराब कर दिया क्योंकि लोगों ने बैंक से अपनी जमा राशि निकालनी शुरू कर दी, जिससे कई बैंक दिवालिया हो गए।
- अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार में गिरावट और कीमतों में भारी गिरावट ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया। ब्रिटेन द्वारा अपनी मुद्रा नीति में बदलाव से स्थिति और भी विकट हो गई।
9. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है। व्याख्या करें।
उत्तर- जी-77 देशों का समूह विकासशील देशों का संगठन है, जिसने एक नए अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (NIEO) की मांग की। इसका उद्देश्य था कि विकासशील देशों को उनके संसाधनों पर अधिक नियंत्रण मिले, उन्हें विकास में सहायता दी जाए, और उनके उत्पादों के लिए उचित बाजार उपलब्ध हों।
ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानें यानी अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक, प्रमुख रूप से विकसित देशों के आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए बनाई गई थीं। इन संस्थानों में निर्णय लेने की शक्ति पश्चिमी देशों के हाथ में थी। जी-77 को इसलिए ब्रेटन वुड्स संस्थानों की प्रतिक्रिया माना जाता है क्योंकि यह विकासशील देशों की आर्थिक जरूरतों और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए स्थापित किया गया था।
Other Chapter Solutions |
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Chapter 1 Solutions – यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय |
Chapter 2 Solutions – भारत में राष्ट्रवाद |
Chapter 3 Solutions – भूमंडलीकृत विश्व का बनना |
Chapter 4 Solutions – औद्योगीकरण का युग |
Chapter 5 Solutions – मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया |