Free solutions for UP Board class 10 History chapter 2 are available here. This is an expert written guide that provides you with questions and answers of History chapter 2 – “भारत में राष्ट्रवाद” in hindi medium.
इस अध्याय में हम भारत में राष्ट्रवाद के विकास और स्वतंत्रता आंदोलन के बारे में जानेंगे। 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध से लेकर 1947 तक की यात्रा को समझेंगे। हम देखेंगे कि कैसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना हुई और उसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए प्रमुख आंदोलनों जैसे असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में पढ़ेंगे। साथ ही, अन्य क्रांतिकारी आंदोलनों और नेताओं के योगदान को भी समझेंगे।
UP Board Class 10 History Chapter 2 Solutions
Contents
Subject | History |
Class | 10th |
Chapter | 2. भारत में राष्ट्रवाद |
Board | UP Board |
संक्षेप में लिखें
1. व्याख्या करें –
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी:
उत्तर: उपनिवेशों में राष्ट्रवाद का उदय उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलनों के साथ इसलिए जुड़ा था क्योंकि विदेशी शासकों द्वारा आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक शोषण ने स्थानीय जनता को एकजुट किया। यह विरोध स्वदेशी आंदोलनों के रूप में उभरा, जिसने जनता में अपनी पहचान, भाषा और संस्कृति के प्रति जागरूकता पैदा की। लोगों ने स्वतंत्रता की इच्छा जताई और अपने देश के प्रति प्रेम और गर्व महसूस किया। उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन ने राष्ट्रवाद को एक मजबूत दिशा प्रदान की, जिससे राष्ट्रीय एकता और स्वतंत्रता की मांग बढ़ी। इस प्रक्रिया ने अंततः स्वतंत्रता संघर्ष को जन्म दिया।
(ख) पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया:
उत्तर: पहले विश्व युद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा दी क्योंकि भारतीयों से वादा किया गया था कि युद्ध के बाद सुधार और स्वतंत्रता दी जाएगी। भारतीय सैनिकों ने युद्ध में हिस्सा लिया, लेकिन बदले में उन्हें उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। आर्थिक संकट, बढ़ती महंगाई और खाद्य संकट ने जनता को सरकार के खिलाफ कर दिया। इसके अलावा, रूस में क्रांति का प्रभाव भी भारत के नेताओं पर पड़ा, जिससे स्वतंत्रता की मांग और तेज हो गई। इस माहौल ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन को और प्रबल किया।
(ग) भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे:
उत्तर: भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में इसलिए थे क्योंकि यह कानून बिना मुकदमे के किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और जेल में रखने की अनुमति देता था। यह कानून नागरिक स्वतंत्रता और व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन था, जो भारतीय जनता के लिए अस्वीकार्य था। इस कानून के तहत सरकार को असीमित शक्तियाँ मिल गई थीं, जिससे लोगों में असंतोष बढ़ गया। इसके विरोध में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए, जिसमें गांधीजी की अगुवाई में सत्याग्रह आंदोलन भी शुरू किया गया।
(घ) गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया:
उत्तर: गांधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला चौरी-चौरा कांड के कारण लिया, जिसमें आंदोलनकारियों ने हिंसा का सहारा लिया और एक पुलिस थाने में आग लगा दी। गांधीजी का मानना था कि आंदोलन का उद्देश्य अहिंसा पर आधारित होना चाहिए, और हिंसा के चलते आंदोलन अपने मूल सिद्धांत से भटक गया था। वे इस प्रकार की हिंसा को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं कर सकते थे। इसलिए, उन्होंने यह निर्णय लिया ताकि आंदोलन अहिंसा के मार्ग पर ही चल सके और भविष्य में गलत दिशा न ले।
2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
उत्तर: सत्याग्रह का अर्थ है सत्य पर दृढ़ रहना और अहिंसक तरीके से न्याय के लिए संघर्ष करना। यह विचार महात्मा गांधी द्वारा विकसित किया गया था, जिसमें अन्याय का विरोध बिना किसी हिंसा या द्वेष के किया जाता है। सत्याग्रही अपने सिद्धांतों पर अडिग रहते हुए, शांतिपूर्ण तरीके से प्रतिरोध करता है। इस विचार में यह मान्यता है कि सत्य और न्याय की शक्ति अंततः विजयी होती है। सत्याग्रह में आत्मबलिदान, कष्ट सहन और दृढ़ संकल्प शामिल है, जो विरोधी को भी अपनी गलती का एहसास कराने में सक्षम होता है।
3. निम्नलिखित पर अख़बार के लिए रिपोर्ट लिखें –
(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड
उत्तर: 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में एक भयावह घटना घटी। वैसाखी के अवसर पर हजारों लोग शांतिपूर्ण सभा में एकत्र थे। जनरल डायर ने बिना किसी चेतावनी के निहत्थे लोगों पर गोलियां चलवा दीं। इस नृशंस हमले में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। मैदान के चारों ओर दीवारें होने के कारण लोगों के पास भागने का कोई रास्ता नहीं था। यह घटना ब्रिटिश शासन की क्रूरता का प्रतीक बन गई और राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा दी। इस घटना ने पूरे देश में आक्रोश और विरोध की लहर पैदा कर दी।
(ख) साइमन कमीशन
उत्तर: 1928 में ब्रिटिश सरकार द्वारा गठित साइमन कमीशन भारत आया। इस कमीशन का उद्देश्य भारत में संवैधानिक सुधारों पर सुझाव देना था। लेकिन इसमें एक भी भारतीय सदस्य शामिल नहीं था, जिससे भारतीयों में गहरा असंतोष पैदा हुआ। कांग्रेस और मुस्लिम लीग सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने इसका बहिष्कार किया। कमीशन के भारत पहुंचने पर “साइमन गो बैक” के नारे लगाए गए और काले झंडे दिखाए गए। यह घटना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई, जिसने भारतीयों की स्वशासन की मांग को और मजबूत किया।
4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्याय 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
उत्तर: भारत माता और जर्मेनिया दोनों अपने-अपने देशों के राष्ट्रीय प्रतीक हैं, जो राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रेरित करते हैं। भारत माता को अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने एक संन्यासिनी के रूप में चित्रित किया, जो शांति, गंभीरता और आध्यात्मिकता का प्रतीक है। दूसरी ओर, जर्मेनिया को एक सशक्त महिला के रूप में दर्शाया गया है, जो बलूत के पत्तों का मुकुट पहने हुए है, जो वीरता का प्रतीक है। भारत माता की एक अन्य छवि में उसे त्रिशूल धारण किए हुए दिखाया गया है, जो शक्ति का प्रतीक है, जबकि जर्मेनिया राष्ट्रीय ध्वज की पृष्ठभूमि में खड़ी है। दोनों छवियाँ अपने-अपने देशों की सांस्कृतिक और राजनीतिक आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती हैं।
चर्चा करें-
1. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाइए।
उत्तर: 1921 के असहयोग आंदोलन में कई सामाजिक समूह शामिल हुए, जैसे शहरी मध्यम वर्ग के वकील, छात्र, शिक्षक, किसान, आदिवासी और श्रमिक।
- मध्यम वर्ग के लोग आंदोलन में इसलिए शामिल हुए क्योंकि वे विदेशी वस्त्रों और सामानों का बहिष्कार कर अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर करना चाहते थे।
- किसान दमनकारी जमींदारों और औपनिवेशिक सरकार के उच्च करों से मुक्ति की आशा में आंदोलन का हिस्सा बने।
- बागान श्रमिक अपनी आजादी और बेहतर जीवन स्थितियों के लिए आंदोलन में शामिल हुए, उन्हें उम्मीद थी कि वे अपने गांवों में जाकर स्वतंत्र रूप से जीवन बिता सकेंगे।
2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के ख़िलाफ़ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उत्तर: महात्मा गांधी ने नमक को उपनिवेशवाद के खिलाफ एक सशक्त प्रतीक के रूप में चुना, क्योंकि नमक का उपयोग हर व्यक्ति करता था, चाहे वह अमीर हो या गरीब। नमक पर ब्रिटिश सरकार द्वारा कर लगाना और उसका उत्पादन नियंत्रित करना अत्यधिक दमनकारी था। गांधीजी ने 1930 में दांडी यात्रा के माध्यम से इस अन्याय के खिलाफ विरोध प्रकट किया, उन्होंने कानून तोड़कर नमक बनाया। यह यात्रा देशभर में विरोध का प्रतीक बनी और लोगों ने नमक कानून का उल्लंघन कर अपनी नाराजगी जाहिर की। इस आंदोलन ने भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना को और प्रबल किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ व्यापक जनसंगठन का निर्माण किया।
3. कल्पना कीजिए की आप सिविल नाफ़रमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला हैं। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता।
उत्तर: यदि मैं सिविल नाफ़रमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला होती, तो यह मेरे जीवन का सबसे गर्वपूर्ण अनुभव होता। मैंने नमक कानून का उल्लंघन किया, विदेशी कपड़ों की होली जलाई और शराब की दुकानों के सामने प्रदर्शन किया। इन कार्यों ने मुझे अपने देश के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा दी। जेल जाने के बाद भी, मैं कभी भयभीत नहीं हुई, बल्कि स्वतंत्रता की प्राप्ति के प्रति मेरा विश्वास और मजबूत हुआ। मैंने यह महसूस किया कि इस आंदोलन के माध्यम से मैंने राष्ट्र की सेवा की और स्वतंत्रता के लिए अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
4. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बँटे हुए थे?
उत्तर: पृथक निर्वाचिका के मुद्दे पर राजनीतिक नेता इसलिए बँटे हुए थे क्योंकि दलित नेता अपनी राजनीतिक पहचान और अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र की मांग कर रहे थे। उनका मानना था कि दलितों की सामाजिक समस्याओं का समाधान केवल राजनीतिक सशक्तीकरण से ही हो सकता है। दूसरी ओर, महात्मा गांधी ने इस मांग का विरोध किया, उन्हें डर था कि इससे दलित समाज का बाकी समाज से अलगाव बढ़ेगा। गांधीजी का मत था कि अलग निर्वाचन क्षेत्र से समाज में एकता के प्रयास कमजोर हो जाएंगे। अंततः अंबेडकर ने गांधीजी के मत को स्वीकार करते हुए पृथक निर्वाचिका की मांग छोड़ दी।
Other Chapter Solutions |
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Chapter 1 Solutions – यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय |
Chapter 2 Solutions – भारत में राष्ट्रवाद |
Chapter 3 Solutions – भूमंडलीकृत विश्व का बनना |
Chapter 4 Solutions – औद्योगीकरण का युग |
Chapter 5 Solutions – मुद्रण संस्कृति और आधुनिक दुनिया |