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द्वितीय अध्याय “वन एवं वन्य जीव संसाधन” में छात्र भारत के वन और वन्य जीव संसाधनों की विविधता और उनके संरक्षण की आवश्यकता को समझेंगे। इस अध्याय में यह बताया गया है कि वन हमारे पर्यावरण और जलवायु संतुलन को बनाए रखने में कैसे अहम भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, विभिन्न वन्य जीवों का पारिस्थितिकी तंत्र में महत्व, उनके आवासों की सुरक्षा, और उनके संरक्षण के प्रयासों पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस पाठ में वनस्पति और जीव-जंतुओं के प्रकार, उनकी श्रेणियां, और किस प्रकार मानव गतिविधियां जैसे अवैध शिकार, वन कटाई आदि इनकी संख्या को प्रभावित करती हैं, पर भी विस्तार से चर्चा की गई है।
UP Board Class 10 Geography Chapter 2 Solutions
Contents
Subject | Geography |
Class | 10th |
Chapter | 2. वन एवं वन्य जीव संसाधन |
Board | UP Board |
1. बहुवैकल्पिक प्रश्न:
(i) इनमें से कौन सा संरक्षण का तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता?
(क) संयुक्त वन प्रबंधन
(ख) चिपको आन्दोलन
(ग) बीज बचाओ आन्दोलन
(घ) वन्य जीव पशुविहार (santuary) का परिसीमन
उत्तर- (घ) वन्य जीव पशुविहार (santuary) का परिसीमन
2. निम्नलिखित का मेल करें।
उत्तर-
आरक्षित वन | वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन |
रक्षित वन | वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है |
अवर्गीकृत वन | सरकार, व्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन अन्य वन और बंजर भूमि |
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) जैव विविधता क्या है? यह मानव जीवन के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: जैव विविधता किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले जीवों की विभिन्न प्रजातियों की समग्रता है। इसमें पेड़-पौधे, जानवर, सूक्ष्मजीव और उनके आवास शामिल हैं। यह मानव जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें भोजन, दवाएं, स्वच्छ हवा और पानी प्रदान करती है। जैव विविधता पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखती है, जलवायु नियंत्रण में मदद करती है, और प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करती है। यह हमारी संस्कृति और अर्थव्यवस्था का भी महत्वपूर्ण हिस्सा है।
(ii) विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास के कारक हैं।
उत्तर: मानव गतिविधियाँ कई तरह से प्राकृतिक वनस्पति और जीवों के विनाश का कारण बनती हैं:
- वनों की कटाई: कृषि विस्तार, शहरीकरण और औद्योगीकरण के लिए बड़े पैमाने पर वनों को काटा जा रहा है, जो जीवों के प्राकृतिक आवास को नष्ट कर रहा है।
- अवैध शिकार: व्यावसायिक लाभ के लिए जानवरों का शिकार उनकी प्रजातियों को विलुप्ति की ओर धकेल रहा है।
- प्रदूषण: औद्योगिक कचरे, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग जल, वायु और मिट्टी को प्रदूषित कर रहा है, जो जीवों के लिए हानिकारक है।
- जलवायु परिवर्तन: मानव गतिविधियों से होने वाले ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई प्रजातियों का प्राकृतिक आवास बदल रहा है।
- अतिदोहन: प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ रहा है।
- आक्रामक प्रजातियाँ: मानव द्वारा नई प्रजातियों को लाना स्थानीय जैव विविधता को नुकसान पहुंचा सकता है।
इन कारणों से प्राकृतिक वनस्पति और जीवों की संख्या तेजी से घट रही है, जो पारिस्थितिक तंत्र के लिए चिंता का विषय है।
4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना करें।
उत्तर: भारत में विभिन्न समुदायों ने वनों और वन्य जीवों के संरक्षण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कई आदिवासी समुदाय वनों और वन्य जीवों को अपने जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं। उदाहरण के लिए, छोटानागपुर क्षेत्र में मुंडा और संथाल जनजातियाँ महुआ और कदम्ब के पेड़ों को पवित्र मानकर उनकी पूजा करती हैं। इसी तरह, उड़ीसा और बिहार की कुछ जनजातियाँ शादी के दौरान आम और इमली के पेड़ों की पूजा करती हैं, जो इन पेड़ों के महत्व को दर्शाता है।
राजस्थान में बिश्नोई समुदाय वन्य जीवों के संरक्षण का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। वे अपने गाँवों के आसपास काले हिरण, चिंकारा, नीलगाय और मोरों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। कुछ क्षेत्रों में, स्थानीय समुदाय सरकारी अधिकारियों के साथ मिलकर अपने प्राकृतिक आवास के संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।
सरिस्का बाघ रिजर्व में, राजस्थान के गाँवों के लोग वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत खनन गतिविधियों को रोकने के लिए प्रयासरत हैं। राजस्थान के अलवर जिले में, पाँच गाँवों के लोगों ने 1,200 हेक्टेयर वन भूमि को ‘भैरोंदेव डाकव सोंचुरी’ के रूप में घोषित किया है, जहाँ शिकार पर प्रतिबंध है। ये सभी उदाहरण दर्शाते हैं कि स्थानीय समुदाय अपने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
(ii) वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबंध लिखिए।
उत्तर: वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में कई परंपरागत प्रथाएँ और आधुनिक पहल इस दिशा में काम कर रही हैं। सबसे पहले, कई आदिवासी समुदायों में पेड़ों और जानवरों को पवित्र मानने की परंपरा है, जो प्राकृतिक संरक्षण को बढ़ावा देती है।
1960 और 1970 के दशकों में, पर्यावरण संरक्षकों की माँग पर भारत सरकार ने वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम लागू किया, जिसने वन्य जीवों के आवास संरक्षण को कानूनी मान्यता दी। इसके बाद, केंद्र और राज्य सरकारों ने कई राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य स्थापित किए, जो संरक्षण के प्रयासों को मजबूत करते हैं।
गैर-सरकारी संगठन (NGOs) भी वन और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। ये संगठन स्थानीय समुदायों के साथ काम करके उन्हें संरक्षण के महत्व के बारे में शिक्षित कर रहे हैं।
सामुदायिक वन प्रबंधन (CFM) जैसी पहल ने स्थानीय लोगों को वनों के प्रबंधन में शामिल किया है, जिससे उनमें स्वामित्व की भावना पैदा हुई है। इसके अलावा, इको-टूरिज्म जैसी गतिविधियाँ स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ पहुँचाते हुए संरक्षण को भी बढ़ावा दे रही हैं।
शिक्षा के माध्यम से युवा पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा रही है, जो लंबे समय में संरक्षण प्रयासों को मजबूत करेगी। इन सभी प्रयासों का संयुक्त प्रभाव वन और वन्यजीव संरक्षण को मजबूत कर रहा है, जो हमारे पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Other Chapter Solutions |
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Chapter 1 Solutions – संसाधन एवं विकास |
Chapter 2 Solutions – वन एवं वन्य जीव संसाधन |
Chapter 3 Solutions – जल संसाधन |
Chapter 4 Solutions – कृषि |
Chapter 5 Solutions – खनिज तथा ऊर्जा संसाधन |
Chapter 6 Solutions – विनिर्माण उद्योग |
Chapter 7 Solutions – राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं |