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उत्तर प्रदेश बोर्ड कक्षा 10 भूगोल के पहले अध्याय “संसाधन एवं विकास” में हम संसाधनों की अवधारणा, उनके प्रकार और उनका हमारे जीवन में महत्व समझने का प्रयास करेंगे। इस अध्याय में छात्रों को यह जानकारी मिलेगी कि प्राकृतिक संसाधन कैसे हमारी आर्थिक और सामाजिक प्रगति में योगदान करते हैं। संसाधनों के उपभोग, वितरण और संरक्षण की महत्ता पर भी चर्चा की जाएगी। साथ ही, यह भी बताया जाएगा कि संसाधनों का अंधाधुंध दोहन कैसे पर्यावरणीय असंतुलन उत्पन्न करता है और इसके दुष्परिणाम क्या हो सकते हैं। विकास की परिभाषा, प्रकार और टिकाऊ विकास की अवधारणा भी इस अध्याय में विस्तृत रूप से समझाई जाएगी, जिससे छात्र यह जान पाएंगे कि संतुलित विकास कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
UP Board Class 10 Geography Chapter 1 Solutions
Contents
Subject | Geography |
Class | 10th |
Chapter | 1. संसाधन एवं विकास |
Board | UP Board |
1. वैकल्पिक प्रश्न
(i) पंजाब में भूमि निम्नीकरण का निम्नलिखित में से मुख्य कारण क्या है?
(क) गहन खेती
(ख) अधिक सिंचाई
(ग) वनोन्मूलन
(घ) अतिपशुचारण
उत्तर: (ख) अधिक सिंचाई
(ii) निम्नलिखित में से किस प्रान्त में सीढ़ीदार (सोपानी) खेती की जाती है?
(क) पंजाब
(ख) उत्तर प्रदेश के मैदान
(ग) हरियाणा
(घ) उत्तरांचल
उत्तर: (क) पंजाब
(iii) इनमें से किस राज्य में काली मृदा पाई जाती है?
(क) जम्मू और कश्मीर
(ख) राजस्थान
(ग) गुजरात
(घ) झारखण्ड
उत्तर: (ख) राजस्थान
2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए।
(i) तीन राज्यों के नाम बताएँ जहाँ काली मृदा पाई जाती है। इस पर मुख्य रूप से कौन सी फसल उगाई जाती है?
उत्तर: काली मृदा मुख्यतः महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और गुजरात में पाई जाती है। यह मिट्टी विशेष रूप से कपास की खेती के लिए उपयुक्त है, इसलिए इसे “काली कपास की मिट्टी” भी कहा जाता है। इसके अलावा, यह मिट्टी गेहूं, सोयाबीन और मूंगफली की खेती के लिए भी अच्छी होती है।
(ii) पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर किस प्रकार की मृदा पाई जाती है? इस प्रकार की मृदा की तीन मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?
उत्तर: पूर्वी तट के नदी डेल्टाओं पर जलोढ़ मृदा पाई जाती है। इसकी तीन मुख्य विशेषताएँ हैं:
- यह अत्यधिक उपजाऊ होती है क्योंकि इसमें खनिज और जैविक पदार्थ प्रचुर मात्रा में होते हैं।
- इसमें जल धारण करने की उच्च क्षमता होती है, जो फसलों के लिए लाभदायक है।
- यह मृदा नरम और कार्य करने में आसान होती है, जो विभिन्न प्रकार की फसलों जैसे चावल, गेहूं, दालें और तिलहन के लिए उपयुक्त है।
(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन की रोकथाम के लिए क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर: पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन रोकने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:
- समोच्च रेखा के अनुरूप खेती करना, जिससे पानी का बहाव कम हो।
- सीढ़ीनुमा खेत बनाना, जो मिट्टी को स्थिर रखने में मदद करता है।
- वनरोपण करना, जिससे पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बांधे रखती हैं।
- घास की पट्टियाँ लगाना, जो मिट्टी के कटाव को रोकती हैं।
इन उपायों से न केवल मृदा संरक्षण होता है, बल्कि पर्यावरण संतुलन भी बना रहता है।
3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिए।
(i) भारत में भूमि उपयोग का प्रारूप का वर्णन करें। वर्ष 1960-61 से वन के अंतर्गत क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई, इसका क्या कारण है?
उत्तर: भारत में भूमि उपयोग का प्रारूप विविध है और इसे मुख्यतः पांच श्रेणियों में बांटा जा सकता है। सबसे बड़ा हिस्सा कृषि योग्य भूमि का है, जो लगभग 54% है। इसके बाद वनों के अंतर्गत भूमि आती है, जो करीब 22.5% है। गैर-कृषि प्रयोजनों के लिए उपयोग की जाने वाली भूमि, जिसमें शहर, सड़कें और उद्योग शामिल हैं, लगभग 8% है। चरागाह और अन्य चराई भूमि का प्रतिशत लगभग 3.45% है। शेष भूमि बंजर और कृषि अयोग्य श्रेणी में आती है।
1960-61 से वन क्षेत्र में महत्वपूर्ण वृद्धि न होने के कई कारण हैं। पहला, बढ़ती जनसंख्या के लिए कृषि भूमि और आवास की मांग में वृद्धि हुई है। दूसरा, औद्योगीकरण और शहरीकरण ने वन क्षेत्रों को कम किया है। तीसरा, अवैध वनोन्मूलन एक बड़ी समस्या रही है। चौथा, वन संरक्षण के प्रयासों के बावजूद, नए वनों का विकास धीमी गति से हो रहा है। अंत में, जलवायु परिवर्तन जैसे कारक भी वन क्षेत्र के विस्तार में बाधा बन रहे हैं। इन सभी कारणों से वन क्षेत्र में केवल 4% की मामूली वृद्धि हुई है।
(ii) प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास के कारण संसाधनों का अधिक उपभोग कैसे हुआ है ?
उत्तर: प्रौद्योगिक और आर्थिक विकास ने संसाधनों के उपभोग को कई तरह से बढ़ाया है। सबसे पहले, औद्योगिक क्रांति ने उत्पादन को बड़े पैमाने पर बढ़ा दिया, जिससे कच्चे माल की मांग में वृद्धि हुई। दूसरा, आधुनिक तकनीक ने ऐसे संसाधनों तक पहुंच बनाई जो पहले अप्राप्य थे, जैसे गहरे समुद्र में तेल।
तीसरा, आर्थिक विकास ने लोगों की क्रय शक्ति बढ़ाई, जिससे उपभोक्तावाद को बढ़ावा मिला और वस्तुओं की मांग बढ़ी। चौथा, वैश्वीकरण ने वैश्विक व्यापार को बढ़ावा दिया, जिससे संसाधनों का अंतरराष्ट्रीय प्रवाह बढ़ा। पांचवां, जनसंख्या वृद्धि ने भी संसाधनों की मांग को बढ़ाया है।
छठा, नई तकनीकों ने नए उत्पादों का निर्माण किया जो नए संसाधनों पर निर्भर हैं, जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए दुर्लभ धातुएं। सातवां, ऊर्जा की बढ़ती मांग ने जीवाश्म ईंधन के उपयोग को बढ़ाया है। अंत में, कृषि में हरित क्रांति ने उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग को बढ़ाया है। ये सभी कारक मिलकर संसाधनों के तेजी से उपभोग को बढ़ावा दे रहे हैं।
Other Chapter Solutions |
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Chapter 1 Solutions – संसाधन एवं विकास |
Chapter 2 Solutions – वन एवं वन्य जीव संसाधन |
Chapter 3 Solutions – जल संसाधन |
Chapter 4 Solutions – कृषि |
Chapter 5 Solutions – खनिज तथा ऊर्जा संसाधन |
Chapter 6 Solutions – विनिर्माण उद्योग |
Chapter 7 Solutions – राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जीवन रेखाएं |