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इस अध्याय में हम अर्थव्यवस्था के दो महत्वपूर्ण स्तंभों – मुद्रा और साख – के बारे में गहराई से जानेंगे। मुद्रा, जो हमारे दैनिक लेन-देन का आधार है, उसकी परिभाषा, कार्य और विभिन्न रूपों को समझेंगे। साथ ही, साख की अवधारणा, उसके महत्व और अर्थव्यवस्था में उसकी भूमिका पर चर्चा करेंगे। हम यह भी जानेंगे कि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान किस प्रकार साख का सृजन करते हैं और यह आर्थिक गतिविधियों को कैसे प्रभावित करता है। मुद्रा की मांग और आपूर्ति, मुद्रास्फीति, और मौद्रिक नीति जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर भी प्रकाश डाला जाएगा।
UP Board Class 10 Economics Chapter 3 Solutions
Contents
Subject | Economics |
Class | 10th |
Chapter | 3. मुद्रा और साख |
Board | UP Board |
Question Answer
1.जोखिम वाली परिस्थितियों में ऋण कर्जदार के लिये और समस्याएँ खड़ी कर सकता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: जब कोई कर्जदार जोखिमपूर्ण परिस्थितियों में ऋण लेता है, तो वह अक्सर कर्ज के जाल में फंस जाता है। उदाहरण के लिए, एक छोटा किसान खाद और बीज खरीदने के लिए ऋण लेता है, लेकिन अगर उसकी फसल अच्छी नहीं होती या प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ या सूखा आ जाता है, तो वह ऋण चुकाने में असमर्थ हो जाता है। इस स्थिति में, उसकी आमदनी इतनी भी नहीं होती कि वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके, जिससे वह लगातार और ऋण लेने पर मजबूर हो जाता है। यह चक्र उसकी स्थिति को और खराब कर देता है, और वह ऋण जाल में फंसता चला जाता है।
2. मुद्रा आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या को किस तरह सुलझाती है? उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर: वस्तु विनिमय प्रणाली में आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या होती है, जिसमें दोनों पक्षों की जरूरतें मेल खानी चाहिए। उदाहरण के लिए, एक छात्र अपनी पुरानी किताबें बेचना चाहता है और बदले में गिटार लेना चाहता है। लेकिन उसे ऐसे व्यक्ति को ढूंढना होगा जो गिटार के बदले किताबें लेना चाहता हो, जो मुश्किल है। मुद्रा इस समस्या का हल करती है। छात्र अपनी किताबें मुद्रा के बदले बेच सकता है और फिर उस मुद्रा से गिटार खरीद सकता है। इस प्रकार, मुद्रा के उपयोग से आवश्यकताओं के दोहरे संयोग की समस्या दूर हो जाती है।
3. अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच बैंक किस तरह मध्यस्थता करते हैं?
उत्तर: बैंक अतिरिक्त मुद्रा वाले लोगों और जरूरतमंद लोगों के बीच एक मध्यस्थ की भूमिका निभाते हैं। जिनके पास अतिरिक्त धन होता है, वे इसे बैंक में जमा कर देते हैं। बैंक इस धन को जमा खातों के रूप में स्वीकार करता है और उसे जरूरतमंद लोगों को ऋण के रूप में प्रदान करता है। इस प्रकार, बैंक एक तरफ बचतकर्ताओं को सुरक्षित जमा का स्थान प्रदान करता है, और दूसरी तरफ ऋण चाहने वालों को आवश्यक धन उपलब्ध कराता है, जिससे दोनों को लाभ होता है।
4. 10 रुपये के नोट को देखिए। इसके ऊपर क्या लिखा है? क्या आप इस कथन की व्याख्या कर सकते हैं?
उत्तर: 10 रुपये के नोट पर लिखा होता है, “मैं धारक को दस रुपये अदा करने का वचन देता हूँ।” इस कथन के नीचे रिज़र्व बैंक के गवर्नर का हस्ताक्षर होता है। यह कथन इस बात की गारंटी देता है कि नोट का मूल्य 10 रुपये है, जिसे देश में हर जगह स्वीकार किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि रिज़र्व बैंक ने इस नोट को वैध मुद्रा के रूप में जारी किया है और इसके मूल्य को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है, जिसे किसी भी वस्तु या सेवा के विनिमय के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
5. हमें भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की क्यों जरूरत है?
उत्तर: भारत में ऋण के औपचारिक स्रोतों को बढ़ाने की आवश्यकता इसलिए है ताकि लोग अनौपचारिक ऋणदाताओं पर निर्भर न रहें, जो बहुत ऊंची ब्याज दर वसूलते हैं। सस्ते और सुलभ ऋण की उपलब्धता देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। औपचारिक ऋणदाताओं, जैसे बैंकों और सहकारी समितियों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी पहुंच बढ़ानी चाहिए ताकि किसानों और छोटे व्यवसायों को आसानी से ऋण मिल सके, जिससे उनकी आय में वृद्धि हो और वे ऋण के कुचक्र से बच सकें।
6. गरीबों के लिए स्वयं सहायता समूहों के संगठनों के पीछे मूल विचार क्या है?
उत्तर: स्वयं सहायता समूहों (SHG) का मुख्य उद्देश्य गरीब और कमजोर तबके के लोगों को संगठित करना और उन्हें छोटे-छोटे ऋण उपलब्ध कराना है। ये समूह उन लोगों की मदद करते हैं जिन्हें औपचारिक बैंकिंग प्रणाली से ऋण नहीं मिल पाता। समूह के सदस्य नियमित रूप से छोटी बचत करते हैं और फिर इस राशि से उन्हें ऋण दिया जाता है। यह व्यवस्था गरीबों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने में मदद करती है और उनकी ऋण अदायगी की आदत भी विकसित करती है। इससे गरीबों के बीच विश्वास और सहयोग की भावना भी बढ़ती है।
7. क्या कारण है कि बैंक कुछ कर्जदारों को कर्ज देने के लिए तैयार नहीं होते?
उत्तर: बैंक उन कर्जदारों को ऋण देने से बचते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती है या जिनके पास गिरवी रखने के लिए पर्याप्त संपत्ति नहीं होती। ऐसे लोग बैंकों की ऋण शर्तों को पूरा नहीं कर पाते, जिससे उनके द्वारा ऋण अदायगी की संभावना कम होती है। अगर बैंक ऐसे लोगों को ऋण देते हैं और वह वापस नहीं हो पाता, तो बैंकों को वित्तीय हानि का सामना करना पड़ता है। बैंकों के अस्तित्व और मुनाफे के लिए यह ज़रूरी है कि वे उन कर्जदारों को ऋण दें जो समय पर ऋण और ब्याज चुका सकें।
8. भारतीय रिजर्व बैंक अन्य बैंकों की गतिविधियों पर किस तरह नजर रखता है? यह जरूरी क्यों है?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अन्य बैंकों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए उन्हें नियामक दिशा-निर्देश जारी करता है और उनकी अनुपालना सुनिश्चित करता है। रिजर्व बैंक यह देखता है कि बैंक अपने ग्राहकों के साथ सही व्यवहार कर रहे हैं और उनके पास पर्याप्त पूंजी है। यह निगरानी इसलिए जरूरी है ताकि बैंकिंग व्यवस्था सुरक्षित और स्थिर बनी रहे और लोग अपनी बचत बैंकों में सुरक्षित महसूस करें। साथ ही, यह नियंत्रण देश की अर्थव्यवस्था को संतुलित रखने में मदद करता है।
9. विकास में ऋण की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर: विकास में ऋण की महत्वपूर्ण भूमिका होती है क्योंकि यह लोगों को आर्थिक संसाधन प्रदान करता है, जिससे वे अपनी आजीविका सुधार सकते हैं। किसान ऋण लेकर खेती में निवेश कर सकते हैं, व्यापारी नए व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, और उद्योगपति नए उद्योग स्थापित कर सकते हैं। इससे रोजगार के अवसर बढ़ते हैं और देश की उत्पादन क्षमता में वृद्धि होती है। इसके साथ ही, ऋण की मदद से लोगों की आय में वृद्धि होती है, जिससे वे अपने जीवन स्तर को बेहतर बना सकते हैं। इस प्रकार, ऋण आर्थिक विकास को गति प्रदान करता है।
10. मानव को एक छोटा व्यवसाय करने के लिए ऋण की जरूरत है। मानव किस आधार पर यह निश्चित करेगा कि उसे यह ऋण बैंक से लेना चाहिए या साहूकार से?
उत्तर: मानव को ऋण लेने के लिए यह तय करना होगा कि उसकी आवश्यकताएँ और ऋण की शर्तें क्या हैं। यदि उसके पास पर्याप्त दस्तावेज और संपत्ति है, तो बैंक से ऋण लेना बेहतर होता है क्योंकि बैंक की ब्याज दरें कम होती हैं। दूसरी ओर, अगर उसे तुरंत और बिना औपचारिकताओं के ऋण चाहिए, तो वह साहूकार से ऋण ले सकता है, लेकिन साहूकार की ब्याज दरें बहुत अधिक होती हैं। ऋण की शर्तों और ब्याज दरों की तुलना कर के मानव यह निर्णय करेगा कि किस स्रोत से ऋण लेना उसके लिए सही होगा।
11. भारत में 80 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं जिन्हें खेती करने के लिए ऋण की ज़रूरत होती है।
(क) बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से क्यों हिचकिचा सकते हैं?
उत्तर: बैंक छोटे किसानों को ऋण देने से इसलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि उनके पास पर्याप्त संपत्ति या ज़मानत नहीं होती जिसे गिरवी रखा जा सके। इसके अलावा, उनकी ऋण चुकाने की क्षमता भी सीमित होती है क्योंकि उनकी आय का मुख्य स्रोत खेती होती है, जो अक्सर अनिश्चित होती है। खराब मौसम या फसल की विफलता के कारण किसान ऋण चुकाने में असमर्थ हो सकते हैं, जिससे बैंकों को वित्तीय हानि होने का डर रहता है।
(ख) वे दूसरे स्रोत कौन-से हैं जिनसे छोटे किसान कर्ज ले सकते हैं?
उत्तर: छोटे किसान साहूकार, महाजन, व्यापारी, ज़मींदार, रिश्तेदार, और दोस्तों से कर्ज ले सकते हैं। इसके अलावा, कई बार सहकारी समितियाँ और स्वयं सहायता समूह भी उन्हें ऋण प्रदान करते हैं।
(ग) उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए कि किस तरह ऋण की शर्ते छोटे किसानों के प्रतिकूल हो सकती हैं?
उत्तर: यदि कोई छोटा किसान बैंक से ऋण लेता है और उसकी फसल खराब हो जाती है, तो उसे ऋण चुकाने में मुश्किल होती है। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए किसान ने बीज और खाद खरीदने के लिए ऋण लिया है, लेकिन फसल की उपज इतनी कम है कि उससे सिर्फ परिवार का खर्चा चल पाता है। ऐसे में वह न तो ऋण चुका पाता है और न ही ब्याज। यदि प्राकृतिक आपदा, जैसे बाढ़ या सूखा, से फसल बर्बाद हो जाए, तो किसान की आर्थिक स्थिति और भी खराब हो जाती है।
(घ) सुझाव दीजिए कि किस तरह छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराया जा सकता है।
उत्तर: छोटे किसानों को सस्ता ऋण उपलब्ध कराने के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जा सकता है, जो किसानों को बिना ज़्यादा कागजी कार्यवाही के छोटे-छोटे ऋण प्रदान करते हैं। इसके अलावा, सरकार को सहकारी बैंकों और ग्रामीण बैंकों के माध्यम से कम ब्याज दरों पर ऋण देने की योजना बनानी चाहिए, जिससे छोटे किसान आसानी से ऋण प्राप्त कर सकें और अपने कृषि कार्य को बढ़ा सकें।
12. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
(क) ……. परिवारों की ऋण की अधिकांश ज़रूरतें अनौपचारिक स्रोतों से पूरी होती हैं।
(ख) ……….. ऋण को लागत ऋण का बोझ बढ़ाता है।
(ग) ……….. केंद्रीय सरकार की ओर से करेंसी नोट जारी करता है।
(घ) बैंक ……….. पर देने वाले ब्याज से ऋण पर अधिक ब्याज लेते हैं।
(ङ) ………… संपत्ति है जिसका मालिक कर्जदार होता है जिसे वह ऋण लेने के लिए गारंटी के रूप में इस्तेमाल करता है, जब तक ऋण चुकता नहीं हो जाता।
उत्तर-
(क) ग़रीब
(ख) ऊँची
(ग) भारतीय रिज़र्व बैंक
(घ) जमा
(ङ) जमीन का टुकड़ा
13. सही उत्तर का चयन करें
(क) आत्मनिर्भर गुट में बचत और ऋण संबंधित अधिकतर निर्णय लेते हैं।
बैंक
सदस्य
गैर-सरकारी संस्था
उत्तर- सदस्य
(ख) ऋण के औपचारिक स्रोतों में शामिल नहीं है
बैंक
सहकारी समिति
मालिक
उत्तर- मालिक
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Chapter 3 Solutions – मुद्रा और साख |
Chapter 4 Solutions – वैश्वीकरण और भारतीय अर्थव्यवस्था |
Chapter 5 Solutions – उपभोक्ता अधिकार |