On this page we have shared the written Solutions for Bihar Board Class 8 History Chapter 2 – “व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है”. These solutions are prepared by the subject experts and follows the new syllabus of Bihar Board. All question-answers are in Hindi medium.
यह अध्याय हमें बताता है कि कैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में व्यापार से शुरूआत की और धीरे-धीरे एक शक्तिशाली साम्राज्य की स्थापना की। हम जानेंगे कि अंग्रेजों ने बंगाल, मैसूर और मराठों जैसे क्षेत्रों में अपनी ताकत कैसे बढ़ाई, और प्लासी व बक्सर जैसे युद्धों ने उनकी सत्ता को मजबूत किया। यह भी समझ आएगा कि सहायक संधि और विलय नीति जैसे तरीकों से कंपनी ने भारतीय रियासतों पर कब्जा किया। इस अध्याय से आपको अंग्रेजों के शासन की शुरुआत और उनके प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी।

Bihar Board Class 8 History Chapter 2 Solutions
Contents
| Subject | History (हमारे अतीत-3) |
| Chapter | 2. व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है |
| Class | 8th |
| Board | Bihar Board |
फिर से याद करें
1. निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ-
उत्तर:
- दीवानी: भूराजस्व वसूल करने का अधिकार
- “शेर-ए-मैसूर”: टीपू सुल्तान
- रानी चेन्नम्मा: कित्तूर में अंग्रेज़-विरोधी आंदोलन का नेतृत्व किया
- सिपाही: सिपॉय
- वॉरेन हेस्टिंग्स: भारत का पहला गवर्नर-जनरल
2. रिक्त स्थान भरें-
उत्तर:
(क) बंगाल पर अंग्रेज़ों की जीत प्लासी की जंग से शुरू हुई थी।
(ख) हैदर अली और टीपू सुल्तान मैसूर के शासक थे।
(ग) डलहौज़ी ने हड़प नीति का सिद्धांत लागू किया।
(घ) मराठा रियासतें मुख्य रूप से भारत के पश्चिमी भाग में स्थित थीं।
3. सही या गलत बताएँ:
(क) मुग़ल साम्राज्य अठारहवीं सदी में मज़बूत होता गया।
उत्तर: गलत। (मुग़ल साम्राज्य अठारहवीं सदी में कमज़ोर हो गया था।)
(ख) इंग्लिश ईस्ट इंडिया कंपनी भारत के साथ व्यापार करने वाली एकमात्र यूरोपीय कंपनी थी।
उत्तर: गलत। (डच, फ्रांसीसी और पुर्तगाली कंपनियाँ भी भारत में व्यापार करती थीं।)
(ग) महाराजा रणजीत सिंह पंजाब के राजा थे।
उत्तर: सही।
(घ) अंग्रेज़ों ने अपने कब्ज़े वाले इलाकों में कोई शासकीय बदलाव नहीं किए।
उत्तर: गलत। (अंग्रेज़ों ने प्रशासन और राजस्व व्यवस्था में कई बदलाव किए।)
आइए विचार करें
4. यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत की तरफ़ क्यों आकर्षित हो रही थीं?
यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत की तरफ़ इसलिए आकर्षित हुईं क्योंकि भारत में कई कीमती चीज़ें थीं। यूरोप में भारत के बारीक सूती कपड़े, रेशम, काली मिर्च, लौंग, इलायची और दालचीनी की बहुत माँग थी। ये चीज़ें भारत में सस्ते दामों पर मिलती थीं। कंपनियाँ इन्हें खरीदकर यूरोप में महँगे दामों पर बेचती थीं और बहुत मुनाफ़ा कमाती थीं। इसके अलावा, भारत में नदियों के किनारे व्यापारिक केंद्र बनाना आसान था, जिससे सामान लाने-ले जाने में सुविधा होती थी।
5. बंगाल के नवाबों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच किन बातों पर विवाद थे?
बंगाल के नवाबों और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच कई बातों पर झगड़ा था। नवाबों का कहना था कि कंपनी व्यापार में धोखा दे रही थी और बंगाल के खजाने को नुकसान पहुँचा रही थी। कंपनी बिना टैक्स दिए व्यापार करती थी, जिससे नवाबों को गुस्सा था। नवाबों ने कंपनी को विशेष छूट देने से मना कर दिया और उनसे टैक्स या नजराना माँगा। दूसरी तरफ़, कंपनी को लगता था कि नवाब उनके व्यापार में रुकावट डाल रहे थे और उनकी सत्ता को कमज़ोर कर रहे थे। इससे दोनों के बीच तनाव बढ़ गया।
6. दीवानी मिलने से ईस्ट इंडिया कंपनी को किस तरह फ़ायदा पहुँचा?
दीवानी मिलने से ईस्ट इंडिया कंपनी को बहुत फायदा हुआ:
- कंपनी को बंगाल का भूराजस्व (टैक्स) इकट्ठा करने का अधिकार मिला, जिससे उसे बहुत सारा पैसा मिलने लगा।
- इस पैसे से कंपनी को ब्रिटेन से सोना लाने की जरूरत कम हो गई।
- कंपनी इस कमाई से अपनी सेना को मजबूत कर सकती थी, किले बना सकती थी और व्यापार बढ़ा सकती थी।
7. “सब्सिडियरी एलायंस” (सहायक संधि) व्यवस्था की व्याख्या करें।
सहायक संधि एक ऐसी नीति थी, जिसे लॉर्ड वेलेज़ली ने शुरू किया। इसके तहत भारतीय रियासतों को कंपनी के साथ एक समझौता करना पड़ता था। इस समझौते में:
- भारतीय राजा को अपनी सेना में अंग्रेज़ी सैनिक रखने पड़ते थे।
- इन सैनिकों का खर्चा राजा को देना पड़ता था।
- कंपनी बदले में राजा की रक्षा का वादा करती थी, लेकिन राजा को अपनी विदेश नीति (दूसरे देशों से संबंध) पर कंपनी का नियंत्रण मानना पड़ता था।
- इससे राजा की आज़ादी कम हो जाती थी और कंपनी का नियंत्रण बढ़ जाता था।
8. कंपनी का शासन भारतीय राजाओं के शासन से किस तरह अलग था?
| कंपनी का शासन | भारतीय राजाओं का शासन |
|---|---|
| कंपनी ने प्रेसीडेंसी बनाई, जिसका नेतृत्व गवर्नर करता था। | राजाओं के राज्य छोटी-छोटी इकाइयों में बँटे थे, जो उतने व्यवस्थित नहीं थे। |
| कंपनी का प्रशासन ब्रिटिश कानूनों पर आधारित था। | राजाओं का प्रशासन स्थानीय और परंपरागत नियमों पर चलता था। |
| कंपनी का मकसद सिर्फ़ व्यापार और मुनाफ़ा कमाना था। | राजा अपनी प्रजा और राज्य की भलाई के लिए काम करते थे। |
| कंपनी ने नए टैक्स और कानून लागू किए। | राजाओं के टैक्स और नियम पुरानी परंपराओं पर आधारित थे। |
9. कंपनी की सेना की संरचना में आए बदलावों का वर्णन करें।
कंपनी की सेना में समय के साथ कई बदलाव आए:
- पहले कंपनी की सेना में ज़्यादातर घुड़सवार सैनिक थे, लेकिन 1820 के दशक में पैदल सैनिकों की ज़रूरत बढ़ गई।
- नई युद्ध तकनीकों के कारण मस्केट (बंदूक) और तोपों का इस्तेमाल बढ़ा।
- कंपनी की सेना को भारत के अलावा बर्मा और अफगानिस्तान जैसे देशों में भी लड़ना पड़ता था, इसलिए सैनिकों को नई तरह की ट्रेनिंग दी जाने लगी।
- सिपाहियों को बदलती परिस्थितियों के अनुसार तैयार किया जाता था, जिससे सेना और मज़बूत हो गई।
आइए करके देखें
10. बंगाल में अंग्रेज़ों की जीत के बाद कलकत्ता एक छोटे से गाँव से बड़े शहर में तब्दील हो गया। औपनिवेशिक काल के दौरान शहर के यूरोपीय और भारतीय निवासियों की संस्कृति, शिल्प और जीवन के बारे में पता लगाएँ।
अंग्रेज़ों की जीत के बाद कलकत्ता एक छोटे गाँव से बड़ा और महत्वपूर्ण शहर बन गया। यहाँ की संस्कृति, शिल्प और जीवनशैली में कई बदलाव आए:
- यूरोपीय निवासियों की संस्कृति: यूरोपीय लोग (खासकर अंग्रेज़) अपने साथ अपनी जीवनशैली लाए। वे बड़े-बड़े बंगले बनवाते थे, जिनमें यूरोपीय शैली की सजावट होती थी। वे चर्च जाते थे, अंग्रेज़ी खाना खाते थे और नाच-गाने के लिए बॉल पार्टी करते थे।
- भारतीय निवासियों की संस्कृति: भारतीय लोग अपनी परंपराओं को मानते थे। वे स्थानीय त्योहार जैसे दुर्गा पूजा और होली मनाते थे। उनके घरों में बंगाली और भारतीय शैली की सजावट होती थी।
- शिल्प: कलकत्ता में सूती और रेशमी कपड़ों का काम बहुत होता था। भारतीय कारीगर बारीक नक्काशी वाले कपड़े बनाते थे, जिन्हें यूरोप में बहुत पसंद किया जाता था। यूरोपीय लोग भी अपने लिए फर्नीचर और सजावटी सामान बनवाते थे।
- जीवनशैली: यूरोपीय लोग ज़्यादातर व्यापार और प्रशासन में व्यस्त रहते थे, जबकि भारतीय लोग खेती, व्यापार और छोटे-मोटे काम करते थे। शहर में बाज़ार, किले और दफ़्तर बनने से यहाँ की ज़िंदगी व्यस्त हो गई थी।
11. निम्नलिखित में से किसी के बारे में तस्वीरें, कहानियाँ, कविताएँ और जानकारियाँ इकट्ठा करें – झाँसी की रानी, महादजी सिंधिया, हैदर अली, महाराजा रणजीत सिंह, लॉर्ड डलहौज़ी या आपके इलाके का कोई पुराना शासक।
झाँसी की रानी – रानी लक्ष्मीबाई
जानकारी:
रानी लक्ष्मीबाई झाँसी की रानी थीं और 1857 के विद्रोह में अंग्रेज़ों के खिलाफ लड़ी थीं। उनका जन्म 1828 में वाराणसी में हुआ था। वे बहुत बहादुर और कुशल योद्धा थीं।
कहानी:
रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों की हड़प नीति का विरोध किया, क्योंकि अंग्रेज़ों ने उनके दत्तक पुत्र को झाँसी का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया था। 1857 में उन्होंने अपनी सेना के साथ अंग्रेज़ों के खिलाफ युद्ध लड़ा। वे घोड़े पर सवार होकर तलवार चलाती थीं और अपने बेटे को पीठ पर बाँधकर लड़ती थीं।
कविता:
सिंहासन हिल उठे, राजवंशों ने भृकुटी तानी थी,
बूढ़े भारत में भी आई फिर से नई जवानी थी,
गुमी हुई आज़ादी की क़ीमत सबने पहचानी थी,
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी,
चमक उठी सन् सत्तावन में
वह तलवार पुरानी थी।
बुंदेले हरबोलों के मुँह
हमने सुनी कहानी थी।
ख़ूब लड़ी मर्दानी वह तो
झाँसी वाली रानी थी॥
(source: https://www.hindwi.org/kavita/jhansi-ki-rani-subhadrakumari-chauhan-kavita)
| Other Chapters |
|---|
| 1. प्रारंभिक कथन: कैसे, कब और कहाँ |
| 2. व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है |
| 3. ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना |
| 4. आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना |
| 5. जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद |
| 6. “देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना |
| 7. महिलाएँ, जाति एवं सुधार |
| 8. राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन: 1870 के दशक से 1947 तक |