Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 9 Solutions – जहाँ पहिया हैं

Here you will get complete Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 9 Solutions. This covers all question answer of chapter 9 – “जहाँ पहिया हैं”, from the new book. It follows the updated syllabus of BSEB.

“जहाँ पहिया है” एक प्रेरणादायक लेख है, जो तमिलनाडु में साइकिल आंदोलन के जरिए महिलाओं की स्वतंत्रता की कहानी कहता है। इस पाठ से आप जानेंगे कि कैसे साइकिल ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया और पुरुष-प्रधान समाज में उनकी नई पहचान बनाई। लेखक दिखाते हैं कि छोटा-सा पहिया बड़ा बदलाव ला सकता है। यह पाठ सिखाता है कि रूढ़ियों को तोड़कर आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ना कितना जरूरी है।

Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 9 Solutions new

Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 9 Solutions

अध्याय9. जहाँ पहिया हैं
लेखकपालगम्मी साईनाथ
विषयHindi (वसंत भाग 3)
कक्षा8वीं
बोर्डबिहार बोर्ड

प्रश्न-अभ्यास

जंजीरें

1. “…उन जंजीरों को तोड़ने का जिनमें वे जकड़े हुए हैं, कोई-न-कोई तरीका लोग निकाल ही लेते हैं…”
आपके विचार से लेखक ‘जंजीरों’ द्वारा किन समस्याओं की ओर इशारा कर रहा है?

उत्तर: लेखक ‘जंजीरों’ शब्द से उन सामाजिक नियमों और परंपराओं की ओर इशारा कर रहा है, जो तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले की महिलाओं को बांधे रखती थीं। ये नियम उन्हें आज़ादी से जीने, काम करने या बाहर निकलने से रोकते थे। जैसे, औरतों का साइकिल चलाना गलत माना जाता था। इन रूढ़ियों ने उनकी स्वतंत्रता और आत्मविश्वास को सीमित कर दिया था।

2. क्या आप लेखक की इस बात से सहमत हैं? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

उत्तर: हाँ, हम लेखक की बात से सहमत हैं। मनुष्य लंबे समय तक बंधनों में नहीं रह सकता। जब सामाजिक नियम बहुत सख्त हो जाते हैं, तो लोग उनसे आज़ादी पाने का रास्ता ढूंढ ही लेते हैं। पुडुकोट्टई की महिलाओं ने साइकिल चलाकर ऐसा ही किया। साइकिल ने उन्हें न केवल आज़ादी दी, बल्कि आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता भी सिखाई। इससे वे अपने काम और जीवन को बेहतर बना सकीं। यह आंदोलन दिखाता है कि लोग बाधाओं को तोड़कर अपनी जिंदगी बदल सकते हैं।

पहिया

1. ‘साइकिल आंदोलन’ से पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में कौन-कौन से बदलाव आए हैं?

उत्तर: साइकिल आंदोलन ने पुडुकोट्टई की महिलाओं के जीवन में ये बदलाव लाए:

(i) वे अपनी आज़ादी और स्वतंत्रता के प्रति जागरूक हुईं।
(ii) साइकिल से वे अपने कृषि उत्पाद आस-पास के गाँवों में बेचने लगीं, जिससे उनकी कमाई बढ़ी और वे आत्मनिर्भर बनीं।
(iii) साइकिल ने उनके समय और मेहनत की बचत की।
(iv) उन्हें अपने आप पर गर्व और आत्मसम्मान की भावना मिली।
(v) सामाजिक रूढ़ियों को तोड़कर वे अधिक आत्मविश्वास के साथ जीने लगीं।

2. शुरूआत में पुरुषों ने इस आंदोलन का विरोध किया परंतु आर. साइकिल्स के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्यों?

उत्तर: शुरू में पुरुषों ने साइकिल आंदोलन का विरोध किया, क्योंकि उन्हें डर था कि इससे महिलाएँ स्वतंत्र हो जाएँगी और पुराने सामाजिक नियम टूट जाएँगे। लेकिन ‘आर. साइकिल्स’ के मालिक ने इसका समर्थन किया, क्योंकि वे गाँव के एकमात्र लेडीज़ साइकिल डीलर थे। महिलाओं ने साइकिल खरीदना शुरू किया, जिससे उनकी दुकान की बिक्री बहुत बढ़ गई। साथ ही, जब लेडीज़ साइकिल कम पड़ीं, तो महिलाओं ने जेंट्स साइकिल भी खरीदी। इससे मालिक को और अधिक आर्थिक लाभ हुआ, इसलिए उन्होंने इस आंदोलन का समर्थन किया।

3. प्रारंभ में इस आंदोलन को चलाने में कौन-कौन सी बाधा आई?

उत्तर: साइकिल आंदोलन को शुरू करने में कई मुश्किलें आईं:

(i) आर्थिक तंगी: कई महिलाओं, जैसे फातिमा, के पास साइकिल खरीदने के पैसे नहीं थे, इसलिए उन्हें किराए की साइकिल लेनी पड़ी।
(ii) सामाजिक रूढ़ियाँ: समाज और पुरुषों ने औरतों के साइकिल चलाने का विरोध किया, क्योंकि इसे गलत माना जाता था।
(iii) साइकिल की कमी: गाँव में लेडीज़ साइकिल बहुत कम थीं, लेकिन महिलाओं ने हिम्मत नहीं हारी और जेंट्स साइकिल भी चलाई।
(iv) साइकिल चलाना सीखना: कई महिलाओं को साइकिल चलाना नहीं आता था, जिसके लिए उन्हें मेहनत करनी पड़ी।

शीर्षक की बात

1. आपके विचार से लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ क्यों रखा होगा?

उत्तर: लेखक ने इस पाठ का नाम ‘जहाँ पहिया है’ इसलिए रखा, क्योंकि साइकिल का पहिया पुडुकोट्टई की महिलाओं के लिए आज़ादी और प्रगति का प्रतीक बन गया। इस गाँव में महिलाओं ने पुरुषों के विरोध के बावजूद साइकिल चलाना शुरू किया। साइकिल ने उनकी जिंदगी को गति दी, उन्हें आत्मनिर्भर बनाया और सामाजिक बंधनों से मुक्त किया। पहिया यहाँ उनकी स्वतंत्रता और बदलाव की कहानी को दर्शाता है। इसलिए यह शीर्षक पाठ के मुख्य विचार को बहुत अच्छे से व्यक्त करता है।

2. अपने मन से इस पाठ का कोई दूसरा शीर्षक सुझाइए। अपने दिए हुए शीर्षक के पक्ष में तर्क दीजिए।

उत्तर: इस पाठ का दूसरा शीर्षक हो सकता है: “आज़ादी का पहिया”।

तर्क: यह शीर्षक साइकिल आंदोलन के महत्व को दर्शाता है, जो पुडुकोट्टई की महिलाओं के लिए स्वतंत्रता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बना। साइकिल ने उन्हें सामाजिक रूढ़ियों से आज़ादी दी और उनके जीवन में नई गति लाई। यह शीर्षक सरल, आकर्षक और पाठ के मूल संदेश को स्पष्ट रूप से व्यक्त करता है।

समझने की बात

1. “लोगों के लिए यह समझना बड़ा कठिन है कि ग्रामीण औरतों के लिए यह कितनी बड़ी चीज़ है। उनके लिए तो यह हवाई जहाज उड़ाने जैसी बड़ी उपलब्धि है।”
साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? समूह बनाकर चर्चा कीजिए।

उत्तर: साइकिल चलाना ग्रामीण महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके लिए आज़ादी और आत्मविश्वास का प्रतीक है। पुडुकोट्टई जैसे गाँव में, जहाँ औरतों को बाहर निकलने या स्वतंत्र होने की आज़ादी नहीं थी, साइकिल ने उन्हें यह मौका दिया। इससे वे अपने काम, जैसे खेती के सामान बेचने, के लिए आसानी से कहीं जा सकती थीं। साइकिल ने उनकी मेहनत और समय बचाया, जिससे वे आत्मनिर्भर बनीं। साथ ही, समाज के पुराने नियमों को तोड़कर उन्होंने आत्मसम्मान हासिल किया। यह उनके लिए हवाई जहाज उड़ाने जैसी उपलब्धि है, क्योंकि यह उनकी जिंदगी में बहुत बड़ा बदलाव लाया।

2. “पुडुकोट्टई पहुँचने से पहले मैंने इस विनम्र सवारी के बारे में इस तरह सोचा ही नहीं था।”
साइकिल को विनम्र सवारी क्यों कहा गया है?

उत्तर: साइकिल को ‘विनम्र सवारी’ इसलिए कहा गया, क्योंकि यह एक साधारण और सस्ता साधन है, जो हर किसी के लिए उपलब्ध है। इसे चलाने के लिए पेट्रोल या बिजली की जरूरत नहीं पड़ती, और यह पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुँचाता। पुडुकोट्टई की महिलाओं के लिए साइकिल केवल एक वाहन नहीं, बल्कि उनकी आज़ादी और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह साधारण सवारी उनके जीवन में बड़े बदलाव लाई, इसलिए इसे ‘विनम्र’ कहा गया।

साइकिल

1. फातिमा ने कहा,”… मैं किराए पर साइकिल लेती हूँ ताकि मैं आज़ादी और खुशहाली का अनुभव कर सकूँ।”
साइकिल चलाने से फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को ‘आज़ादी’ का अनुभव क्यों होता होगा?

उत्तर: फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाओं को साइकिल चलाने से आज़ादी का अनुभव इसलिए होता, क्योंकि इससे वे सामाजिक बंधनों से मुक्त हुईं। उनके गाँव में औरतों का साइकिल चलाना गलत माना जाता था। लेकिन साइकिल ने उन्हें कहीं भी आने-जाने की स्वतंत्रता दी। वे अब अपने काम, जैसे खेती का सामान बेचने, के लिए दूसरों पर निर्भर नहीं थीं। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ा, और उन्हें अपने आप पर गर्व हुआ। साइकिल ने उनकी जिंदगी को आसान और खुशहाल बनाया।

कल्पना से

1. पुडुकोट्टई में कोई महिला अगर चुनाव लड़ती तो अपना पार्टी-चिह्न क्या बनाती और क्यों?

उत्तर: पुडुकोट्टई की कोई महिला अगर चुनाव लड़ती, तो वह साइकिल को अपनी पार्टी का चिह्न चुनती।
क्यों: साइकिल उनके लिए आज़ादी, आत्मनिर्भरता और सामाजिक बदलाव का प्रतीक है। इस आंदोलन ने महिलाओं को रूढ़ियों से मुक्त किया और उन्हें आत्मविश्वास दिया। साइकिल चिह्न उनकी इस लड़ाई और प्रगति की कहानी को दर्शाता है। यह लोगों को उनके सशक्तिकरण और संघर्ष की याद दिलाएगा।

2. अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें तो क्या होगा?

उत्तर: अगर दुनिया के सभी पहिए हड़ताल कर दें, तो जीवन लगभग रुक जाएगा। साइकिल, गाड़ियाँ, ट्रेन, बसें और हवाई जहाज सब बंद हो जाएँगे। लोग कहीं आ-जा नहीं पाएँगे। सामान लाने-ले जाने में दिक्कत होगी, जिससे दुकानें और बाजार प्रभावित होंगे। खेती और कारखानों की मशीनें भी रुक जाएँगी, जिससे खाना और अन्य चीज़ों का उत्पादन कम हो जाएगा। अस्पतालों में मरीज़ों को लाने-ले जाने में भी परेशानी होगी। कुल मिलाकर, पहिए के बिना हमारी जिंदगी बहुत मुश्किल हो जाएगी, क्योंकि यह हमारी गतिशीलता का आधार है।

3. “1992 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के बाद अब यह ज़िला कभी भी पहले जैसा नहीं हो सकता।”
इस कथन का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: इस कथन का मतलब है कि 1992 के अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर पुडुकोट्टई में 1500 महिलाओं ने साइकिल चलाकर एक ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। हैंडल पर झंडियाँ और घंटियाँ बजाते हुए उन्होंने अपनी आज़ादी और ताकत का प्रदर्शन किया। इस साइकिल मार्च ने समाज के पुराने नियमों को तोड़ा और महिलाओं के सशक्तिकरण की शुरुआत की। इस घटना ने पूरे जिले की सोच और सामाजिक ढांचे को बदल दिया। अब महिलाएँ अधिक आत्मविश्वास और स्वतंत्रता के साथ जी रही हैं, इसलिए यह ज़िला पहले जैसा नहीं रहा।

4. मान लीजिए आप एक संवाददाता हैं। आपको 8 मार्च 1992 के दिन पुडुकोट्टई में हुई घटना का समाचार तैयार करना है। पाठ में दी गई सूचनाओं और अपनी कल्पना के आधार पर एक समाचार तैयार कीजिए।

उत्तर:

पुडुकोट्टई में महिलाओं का साइकिल मार्च: एक नई शुरुआत
8 मार्च 1992, पुडुकोट्टई

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर पुडुकोट्टई जिले में 1500 महिलाओं ने साइकिल मार्च निकालकर इतिहास रच दिया। साइकिल के हैंडल पर झंडियाँ लगाए और घंटियाँ बजाते हुए इन महिलाओं ने सड़कों पर अपनी आज़ादी का जश्न मनाया। इस आंदोलन ने सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती दी और महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल कायम की।

फातिमा, एक प्रतिभागी, ने कहा, “साइकिल ने मुझे आज़ादी दी है। अब मैं अपने काम के लिए कहीं भी जा सकती हूँ।” इस मार्च ने न केवल महिलाओं को आत्मविश्वास दिया, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि औरतें किसी से कम नहीं हैं। यह आंदोलन पुडुकोट्टई के लिए एक नई शुरुआत है, जो महिलाओं की प्रगति और स्वतंत्रता की कहानी को आगे ले जाएगा।

5. अगले पृष्ठ पर दी गयी ‘पिता के बाद’ कविता पढ़िए। क्या कविता में और फातिमा की बात में कोई संबंध हो सकता है? अपने विचार लिखिए।

उत्तर: हाँ, ‘पिता के बाद’ कविता और फातिमा की बात में गहरा संबंध है। कविता में लड़कियाँ पिता के जाने के बाद परिवार की जिम्मेदारियाँ संभालती हैं और हर मुश्किल में हँसते हुए आगे बढ़ती हैं। यह उनकी ताकत और आत्मनिर्भरता को दिखाता है। ठीक उसी तरह, फातिमा और पुडुकोट्टई की महिलाएँ साइकिल चलाकर सामाजिक रूढ़ियों को तोड़ती हैं और अपनी आज़ादी हासिल करती हैं। दोनों ही साहस, आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की कहानी कहते हैं। कविता और फातिमा की बात यह संदेश देती हैं कि औरतें किसी भी चुनौती को पार कर सकती हैं और अपने लिए नई राह बना सकती हैं।

भाषा की बात

1. उपसर्गों और प्रत्ययों के बारे में आप जान चुके हैं। इस पाठ में आए उपसर्गयुक्त शब्दों को छाँटिए। उनके मूल शब्द भी लिखिए। आपकी सहायता के लिए इस पाठ में प्रयुक्त कुछ ‘उपसर्ग’ और ‘प्रत्यय’ इस प्रकार हैं – अभि, प्र, अनु, परि, वि (उपसर्ग), इक, वाला, ता, ना।

उत्तर:

उपसर्गयुक्त शब्द:

  • अभिमान – मूल शब्द: मान
  • प्रयास – मूल शब्द: यास
  • अनुसरण – मूल शब्द: सरण
  • परिवर्तन – मूल शब्द: वर्तन
  • विशेष – मूल शब्द: विशेष

प्रत्यययुक्त शब्द:

  • धार्मिक – मूल शब्द: धर्म + प्रत्यय: इक
  • किस्मतवाला – मूल शब्द: किस्मत + प्रत्यय: वाला
  • सजीवता – मूल शब्द: सजीव + प्रत्यय: ता
  • चढ़ना – मूल शब्द: चढ़ + प्रत्यय: ना
  • नवसाक्षर – मूल शब्द: साक्षर + प्रत्यय: नव
  • गतिशीलता – मूल शब्द: गतिशील + प्रत्यय: ता

केवल पढ़ने के लिए – पिता के बाद

कविता से

1. कविता में लड़कियों की हँसी को किन प्राकृतिक परिस्थितियों से जोड़ा गया है?

उत्तर: कविता में लड़कियों की हँसी को तेज धूप, तेज बारिश और हर मौसम से जोड़ा गया है। यह दिखाता है कि वे हर मुश्किल स्थिति में भी हँसना और खुश रहना जानती हैं।

2. पिता के बाद लड़कियाँ किस प्रकार जिम्मेदारी निभाती हैं?

उत्तर: पिता के बाद लड़कियाँ परिवार की जिम्मेदारियाँ संभालती हैं। वे पिता की दुकान चलाती हैं, परिवार का ख्याल रखती हैं और उनकी विरासत को आगे बढ़ाती हैं।

3. कविता में लड़कियों को “पिता की वारिस” क्यों कहा गया है?

उत्तर: लड़कियों को “पिता की वारिस” इसलिए कहा गया, क्योंकि वे पिता के जाने के बाद उनकी जिम्मेदारियाँ, जैसे दुक

Leave a Comment

WhatsApp Icon
X Icon