Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 8 Solutions – सुदामा चरित

Here you will get complete Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 8 Solutions. This covers all question answer of chapter 8 – “सुदामा चरित”, from the new book. It follows the updated syllabus of BSEB.

“सुदामा चरित” एक भावपूर्ण रचना है, जो श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की कहानी कहती है। इस पाठ से आप सीखेंगे कि सच्ची मित्रता में उदारता और बिना कहे मन की बात समझने की शक्ति होती है। नरोत्तम दास जी ने दोहों में कृष्ण की उदारता और सुदामा की सादगी को खूबसूरती से दर्शाया है। यह कहानी सिखाती है कि मित्रता का धर्म निभाना कितना महत्वपूर्ण है।

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Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 8 Solutions

अध्याय8. सुदामा चरित
लेखकनरोत्तम दास
विषयHindi (वसंत भाग 3)
कक्षा8वीं
बोर्डबिहार बोर्ड

प्रश्न-अभ्यास

कविता से

1. सुदामा की दीनदशा देखकर श्रीकृष्ण की क्या मनोदशा हुई? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: सुदामा की गरीबी और दयनीय हालत देखकर श्रीकृष्ण का मन दुख और प्रेम से भर गया। उनके फटे-पुराने कपड़े, कमजोर शरीर और नंगे पैर देखकर श्रीकृष्ण को बहुत दुख हुआ। उनकी आँखों में आंसू आ गए और उन्होंने सुदामा के पैर अपने आंसुओं से धोए। श्रीकृष्ण ने सुदामा को गले लगाया और उनके साथ बहुत प्यार से बात की। यह उनकी सच्ची मित्रता और दयालुता को दिखाता है।

2. “पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।” पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर: इस पंक्ति में श्रीकृष्ण के सुदामा के प्रति गहरे प्रेम और दुख को दिखाया गया है। सुदामा की गरीबी देखकर श्रीकृष्ण इतने भावुक हो गए कि उन्होंने परात के पानी को हाथ भी नहीं लगाया और अपनी आँखों से बहते आंसुओं से सुदामा के पैर धो दिए। यह उनके दिल में सुदामा के लिए सच्चे प्यार और मित्रता को दर्शाता है।

3. “चोरी की बान में हौ जू प्रवीने।”

(क) उपर्युक्त पंक्ति कौन, किससे कह रहा है?

उत्तर: यह पंक्ति श्रीकृष्ण अपने बचपन के मित्र सुदामा से कह रहे हैं।

(ख) इस कथन की पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जब सुदामा श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका आए, तो उनकी पत्नी ने उनके लिए चावल की पोटली दी थी। सुदामा इसे श्रीकृष्ण को देने में संकोच कर रहे थे और पोटली छिपा रहे थे। श्रीकृष्ण ने यह देखकर मजाक में कहा, “चोरी की बान में हौ जू प्रवीने,” यानी तुम तो चोरी करने में भी निपुण हो गए हो। यह मजाक उनकी पुरानी मित्रता और प्यार को दर्शाता है।

(ग) इस उपालंभ (शिकायत) के पीछे कौन-सी पौराणिक कथा है?

उत्तर: बचपन में श्रीकृष्ण और सुदामा संदीपन ऋषि के आश्रम में साथ पढ़ते थे। एक बार जंगल में लकड़ियाँ लाने गए तो गुरुमाता ने उन्हें चने दिए थे। सुदामा ने चुपके से सारे चने खा लिए और श्रीकृष्ण को नहीं बताया। द्वारका में सुदामा से मिलकर श्रीकृष्ण ने इस पुरानी घटना को याद करते हुए मजाक में यह बात कही। यह उनकी बचपन की मित्रता और आत्मीयता को दिखाता है।

4. द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा मार्ग में क्या-क्या सोचते जा रहे थे? वह कृष्ण के व्यवहार से क्यों खीझ रहे थे? सुदामा के मन की दुविधा को अपने शब्दों में प्रकट कीजिए।

उत्तर: द्वारका से खाली हाथ लौटते समय सुदामा के मन में कई विचार आ रहे थे। वे सोच रहे थे कि श्रीकृष्ण ने उनके साथ बहुत प्यार और सम्मान से बात की, लेकिन उनकी गरीबी दूर करने के लिए कुछ नहीं दिया। इस वजह से वे थोड़ा नाराज़ और परेशान थे। उन्हें लग रहा था कि शायद श्रीकृष्ण उनकी हालत समझ नहीं पाए या मदद करना नहीं चाहते। सुदामा के मन में एक तरफ श्रीकृष्ण के प्रति प्यार था, तो दूसरी तरफ यह निराशा थी कि उनकी गरीबी अब भी वैसी ही रहेगी।

5. अपने गाँव लौटकर जब सुदामा अपनी झोंपड़ी नहीं खोज पाए तब उनके मन में क्या-क्या विचार आए? कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर: जब सुदामा अपने गाँव लौटे और अपनी टूटी-फूटी झोंपड़ी की जगह एक सुंदर महल देखा, तो वे बहुत हैरान हुए। उनके मन में विचार आया कि क्या यह वही जगह है या वे कहीं भटक गए हैं। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनकी पुरानी झोंपड़ी की जगह अब सोने-सा चमकता महल कैसे खड़ा है। जहाँ पहले वे नंगे पैर चलते थे, वहाँ अब हाथी, घोड़े और नौकर दिख रहे थे। सुदामा को लगा कि यह सब श्रीकृष्ण की कृपा है। उनके मन में आश्चर्य, खुशी और श्रीकृष्ण के प्रति आभार के भाव उमड़ रहे थे।

6. निर्धनता के बाद मिलनेवाली संपन्नता का चित्रण कविता की अंतिम पंक्तियों में वर्णित है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर: कविता की अंतिम पंक्तियों में सुदामा की गरीबी के बाद मिली संपन्नता का सुंदर वर्णन है। उनकी पुरानी, टूटी झोंपड़ी की जगह अब एक शानदार महल खड़ा था। पहले वे कठोर जमीन पर सोते थे, लेकिन अब उनके लिए नरम और सुंदर बिस्तर तैयार था। पहले खाने के लिए जौ-कोदो भी मुश्किल से मिलता था, लेकिन अब उनके घर में हर तरह का स्वादिष्ट भोजन था। सुदामा के पास अब नौकर, हाथी और घोड़े थे। यह सब देखकर सुदामा आश्चर्य और खुशी से भर गए और उन्हें श्रीकृष्ण की सच्ची मित्रता पर गर्व हुआ।

कविता से आगे

1. द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सहपाठी थे, इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए।

उत्तर: द्रुपद और द्रोणाचार्य महाभारत में गुरुकुल में साथ पढ़ते थे और अच्छे मित्र थे। द्रुपद ने द्रोण से वादा किया था कि वे राजा बनने पर अपना आधा राज्य देंगे। लेकिन जब द्रुपद राजा बने, तो उन्होंने द्रोण का अपमान किया और उनकी गरीबी का मज़ाक उड़ाया। इससे उनकी मित्रता टूट गई और दुश्मनी हो गई। दूसरी ओर, श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता सच्ची थी। श्रीकृष्ण ने सुदामा की गरीबी देखकर उनका सम्मान किया और उनकी मदद की। द्रुपद-द्रोण की कहानी में अहंकार और अपमान है, जबकि सुदामा-कृष्ण की कहानी सच्ची मित्रता और प्यार का उदाहरण है।

2. उच्च पद पर पहुँचकर या अधिक समृद्ध होकर व्यक्ति अपने निर्धन माता-पिता-भाई-बंधुओं से नजर फेरने लग जाता है, ऐसे लोगों के लिए सुदामा चरित कैसी चुनौती खड़ी करता है? लिखिए।

उत्तर: सुदामा चरित उन लोगों के लिए एक सबक है जो अमीर या बड़े पद पर पहुँचकर अपने गरीब रिश्तेदारों या मित्रों को भूल जाते हैं। श्रीकृष्ण, जो द्वारका के राजा थे, ने सुदामा की गरीबी देखकर उन्हें अपनाया और उनकी मदद की। यह दिखाता है कि सच्चा इंसान अपनी जड़ों और पुराने रिश्तों को कभी नहीं भूलता। सुदामा चरित हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अपने मित्रों और परिवार के साथ प्यार और सम्मान से पेश आना चाहिए, चाहे हम कितने भी बड़े क्यों न हो जाएँ।

अनुमान और कल्पना

1. अनुमान कीजिए यदि आपका कोई अभिन्न मित्र आपसे बहुत वर्षों बाद मिलने आए तो आप को कैसा अनुभव होगा?

उत्तर: अगर मेरा कोई प्यारा दोस्त कई साल बाद मुझसे मिलने आए, तो मुझे बहुत खुशी होगी। पुरानी यादें ताज़ा हो जाएंगी, और हम अपने स्कूल या बचपन की बातें करेंगे। उसे देखकर मेरा मन उत्साह और प्यार से भर जाएगा। मैं उसका स्वागत दिल से करूंगा और पुरानी मित्रता को फिर से जीवंत करने की कोशिश करूंगा। यह एक बहुत खास और खुशी भरा पल होगा।

2. कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति। विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।। इस दोहे में रहीम ने सच्चे मित्र की पहचान बताई है। इस दोहे से सुदामा चरित की समानता किस प्रकार दिखती है? लिखिए।

उत्तर: रहीम का यह दोहा कहता है कि अच्छे समय में तो कई लोग दोस्त बन जाते हैं, लेकिन सच्चा दोस्त वही है जो मुश्किल समय में साथ दे। सुदामा चरित में भी यही बात दिखती है। जब सुदामा गरीबी में श्रीकृष्ण के पास गए, तो श्रीकृष्ण ने उनका बहुत आदर किया और उनकी हर तरह से मदद की। यह दिखाता है कि श्रीकृष्ण सच्चे मित्र थे, जो सुदामा के बुरे समय में उनके साथ खड़े रहे। दोनों ही कहानियाँ सच्ची मित्रता की कसौटी को दर्शाती हैं।

भाषा की बात

1. “पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सो पग धोए”
ऊपर लिखी गई पंक्ति को ध्यान से पढ़िए। इसमें बात को बहुत अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है। आप भी कविता में से एक अतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए।

उत्तर: “के वह टूटी-सी छानी हती, कहँ कंचन के अब धाम सुहावत।”
इस पंक्ति में अतिशयोक्ति अलंकार है। सुदामा की पुरानी टूटी झोंपड़ी की जगह अचानक सोने-सा चमकता महल बन जाना एक बढ़ा-चढ़ाकर किया गया वर्णन है, जो अतिशयोक्ति को दिखाता है।

कुछ करने को

1. इस कविता को एकांकी में बदलिए और उसका अभिनय कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी कविता को पढ़कर इसे एक छोटे नाटक (एकांकी) के रूप में लिखें। इसमें श्रीकृष्ण और सुदामा के मिलन, उनकी बातचीत और सुदामा की गरीबी से संपन्नता की कहानी को शामिल करें। इसके बाद अपने सहपाठियों के साथ मिलकर इसका अभिनय करें।

2. कविता के उचित सस्वर वाचन का अभ्यास कीजिए।

उत्तर: विद्यार्थी कविता को जोर-जोर से और भावपूर्ण ढंग से पढ़ने का अभ्यास करें। ध्यान दें कि शब्दों का उच्चारण सही हो और कविता के भाव को ठीक से व्यक्त करें।

3. ‘मित्रता’ संबंधी दोहों का संकलन कीजिए।

उत्तर: मित्रता से संबंधित कुछ दोहे:

रहीम:

रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय।
टूटे से फिर ना जुड़े, जुड़े गाँठ पड़ जाय।।

रहीम:

कहि रहीम संपति सगे, बनत बहुत बहु रीति।
विपति कसौटी जे कसे तेई साँचे मीत।।

कबीर:

मित्र मिले मन मोद भयो, जैसे हरि से मिले।
साँचो मित्र वही जो, सुख-दुख

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