Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 12 Solutions – पानी की कहानी

Here you will get complete Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 12 Solutions. This covers all question answer of chapter 12 – “पानी की कहानी”, from the new book. It follows the updated syllabus of BSEB.

“पानी की कहानी” एक रोचक लेख है, जो ओस की बूँद के जरिए पानी के चक्र को बताता है। इस पाठ से आप सीखेंगे कि पानी कैसे समुद्र से भाप, फिर बादल और बारिश बनकर धरती पर आता है। लेखक ने पानी की यात्रा को एक कहानी की तरह प्रस्तुत किया है, जो विज्ञान को रोचक बनाता है। यह पाठ प्रकृति के चक्र और इसके महत्व को समझाता है।

Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 12 Solutions new

Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 12 Solutions

अध्याय12. पानी की कहानी
लेखकरामचंद्र तिवारी
विषयHindi (वसंत भाग 3)
कक्षा8वीं
बोर्डबिहार बोर्ड

प्रश्न-अभ्यास

पाठ से

1. लेखक को ओस की बूँद कहाँ मिली?

उत्तर: लेखक को ओस की बूँद बेर की झाड़ी पर मिली। जब वह सुबह टहल रहा था, तभी एक ओस की बूँद बेर की झाड़ी से टपककर उसके हाथ पर आ गिरी। यह बूँद उसकी कलाई से सरकती हुई हथेली पर रुक गई।

2. ओस की बूँद क्रोध और घृणा से क्यों काँप उठी?

उत्तर: ओस की बूँद क्रोध और घृणा से काँप उठी क्योंकि उसने देखा कि पेड़ों की जड़ें पानी के कणों को जबरदस्ती खींच लेती हैं। वे कुछ पानी को पूरी तरह सोख लेती हैं और बाकी को बाहर फेंक देती हैं। इस स्वार्थी और क्रूर व्यवहार को देखकर ओस की बूँद को गुस्सा आया और वह काँपने लगी।

3. हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को पानी ने अपना पूर्वज/पुरखा क्यों कहा?

उत्तर: पानी ने हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अपना पूर्वज इसलिए कहा क्योंकि बहुत पहले, जब पृथ्वी बनी भी नहीं थी, तब सूर्यमंडल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों के रूप में मौजूद थे। इन दोनों गैसों के मिलने से पानी बना, इसलिए पानी उन्हें अपना पूर्वज मानता है।

4. “पानी की कहानी” के आधार पर पानी के जन्म और जीवन-यात्रा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर: पानी का जन्म बहुत पहले हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों के मिलने से हुआ, जब पृथ्वी धीरे-धीरे ठंडी हो रही थी। शुरू में पानी भाप के रूप में पृथ्वी के चारों ओर घूमता था। जैसे-जैसे पृथ्वी और ठंडी हुई, यह भाप बर्फ में बदल गई और विशाल हिमखंड बन गए। सूरज की गर्मी से बर्फ पिघलकर पानी बना, जो समुद्र, नदियों और बादलों में फैल गया। पानी बारिश बनकर धरती पर गिरता, फिर वाष्प बनकर आसमान में जाता और इस तरह अपनी यात्रा को बार-बार दोहराता रहा।

5. कहानी के अंत और आरंभ के हिस्से को स्वयं पढ़कर देखिए और बताइए कि ओस की बूँद लेखक को आपबीती सुनाते हुए किसकी प्रतीक्षा कर रही थी?

उत्तर: कहानी के शुरू और अंत को पढ़ने से पता चलता है कि ओस की बूँद सूरज की पहली किरण की प्रतीक्षा कर रही थी। वह सूर्योदय के समय फिर से वाष्प बनकर आसमान में जाने के लिए उत्सुक थी।

पाठ से आगे

1. जलचक्र के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए और पानी की कहानी से तुलना करके देखिए कि लेखक ने पानी की कहानी में कौन-कौन सी बातें विस्तार से बताई हैं।

उत्तर: जलचक्र वह प्रक्रिया है जिसमें पानी सूरज की गर्मी से भाप बनकर आसमान में जाता है, फिर ठंडा होकर बादल बनता है और बारिश के रूप में धरती पर वापस आता है। यह पानी नदियों, समुद्रों या जमीन में जमा होता है और यह चक्र चलता रहता है। “पानी की कहानी” में लेखक ने इस जलचक्र को एक ओस की बूँद की नजर से बताया है। इसमें बूँद समुद्र से भाप बनने, बादल में बदलने, बारिश के रूप में गिरने और फिर धरती पर अपनी यात्रा को बहुत ही रोचक और भावनात्मक तरीके से बयान करती है।

लेखक ने पानी के अलग-अलग रूपों (भाप, बर्फ, पानी) और उसकी भावनाओं को विस्तार से बताया है, जो जलचक्र को और जीवंत बनाता है।

2. “पानी की कहानी” पाठ में ओस की बूँद अपनी कहानी स्वयं सुना रही है और लेखक केवल श्रोता है। इस आत्मकथात्मक शैली में आप भी किसी वस्तु का चुनाव करके कहानी लिखें।

उत्तर: मैं एक पुराना बरगद का पेड़ हूँ

मैं एक बरगद का पेड़ हूँ, जो गाँव के बीच में सैकड़ों सालों से खड़ा हूँ। मेरी जड़ें धरती में गहरे तक फैली हैं, और मेरी शाखाएँ आसमान को छूती हैं। मैंने कई पीढ़ियों को अपनी छाँव में खेलते, हँसते और बातें करते देखा है। बच्चे मेरी डालियों पर झूले झूलते हैं, और बुजुर्ग मेरे नीचे बैठकर पुरानी कहानियाँ सुनाते हैं।

जब बारिश आती है, तो मैं पानी की बूँदों को अपने पत्तों पर थाम लेता हूँ। हवा चलती है, तो मेरे पत्ते गीत गाते हैं। लेकिन समय के साथ मेरी कुछ डालियाँ कमजोर हो गईं, और लोग मुझे भूलने लगे। फिर भी, मैं खड़ा हूँ, क्योंकि मैं धरती का हिस्सा हूँ। मेरी जड़ें नई शाखाओं को जन्म देती हैं, और मैं आने वाली पीढ़ियों को भी अपनी छाँव देना चाहता हूँ।

3. समुद्र के तट पर बसे नगरों में अधिक ठंड और अधिक गर्मी क्यों नहीं पड़ती?

उत्तर: समुद्र के तट पर बसे नगरों में ज्यादा ठंड या ज्यादा गर्मी नहीं पड़ती क्योंकि समुद्र का पानी तापमान को संतुलित रखता है। समुद्र धीरे-धीरे गर्म होता है और धीरे-धीरे ठंडा होता है। इसकी वजह से वहाँ की हवा में नमी रहती है, और मौसम बहुत ठंडा या बहुत गर्म नहीं होता। इस कारण तटीय इलाकों का मौसम हमेशा सुहावना और मध्यम रहता है।

4. पेड़ के भीतर फव्वारा नहीं होता, तब पेड़ की जड़ों से पत्ते तक पानी कैसे पहुँचता है? इस क्रिया को वनस्पति शास्त्र में क्या कहते हैं? क्या इस क्रिया को जानने के लिए कोई आसान प्रयोग है? जानकारी प्राप्त कीजिए।

उत्तर: पेड़ की जड़ों से पानी और पोषक तत्व पत्तियों तक विशेष नलिकाओं (जाइलम) के जरिए पहुँचते हैं। इस प्रक्रिया को वनस्पति शास्त्र में वाष्पोत्सर्जन (ट्रांसपिरेशन) कहते हैं। इसमें जड़ें मिट्टी से पानी खींचती हैं, और पत्तियाँ सूरज की गर्मी से पानी को भाप के रूप में बाहर निकालती हैं। इससे पानी ऊपर की ओर खिंचता चला जाता है।

प्रयोग:

एक आसान प्रयोग से इसे समझ सकते हैं। एक पौधे को लें और उसकी जड़ों को रंगीन पानी (जैसे, लाल या नीला खाद्य रंग मिला पानी) में रखें। कुछ घंटों बाद देखें कि पौधे की पत्तियों और तने में रंग दिखने लगेगा। यह दर्शाता है कि पानी जड़ों से पत्तियों तक कैसे पहुँचता है।

अनुमान और कल्पना

1. पानी की कहानी में लेखक ने कल्पना और वैज्ञानिक तथ्य का आधार लेकर ओस की बूँद की यात्रा का वर्णन किया है। ओस की बूँद अनेक अवस्थाओं में सूर्यमंडल, पृथ्वी, वायु, समुद्र, ज्वालामुखी, बादल, नदी और जल से होते हुए पेड़ के पत्ते तक की यात्रा करती है। इस कहानी की भांति आप भी लोहे अथवा प्लास्टिक की कहानी लिखने का प्रयास कीजिए।

उत्तर: मैं एक प्लास्टिक की बोतल हूँ

मैं एक प्लास्टिक की बोतल हूँ। मेरा जन्म एक कारखाने में हुआ, जहाँ तेल से निकाले गए कणों को गर्म करके मुझे बनाया गया। मुझे एक चमकदार, मजबूत बोतल का रूप दिया गया, और मैंने कई घरों में पानी, जूस और ठंडे पेय को संभाला।

कभी मैं बच्चों के स्कूल बैग में रही, तो कभी किसी पिकनिक में। लेकिन एक दिन मुझे एक कूड़ेदान में फेंक दिया गया। वहाँ से मैं समुद्र तक पहुँची, जहाँ मैं लहरों के साथ बहती रही। समय के साथ मैं टूट-फूट गई, लेकिन मेरे छोटे-छोटे टुकड़े अभी भी दुनिया में घूम रहे हैं। मैं चाहती हूँ कि लोग मुझे दोबारा उपयोग करें, ताकि मैं धरती को नुकसान न पहुँचाऊँ।

2. अन्य पदार्थों के समान जल की भी तीन अवस्थाएँ होती हैं। अन्य पदार्थों से जल की इन अवस्थाओं में एक विशेष अंतर यह होता है कि जल की तरल अवस्था की तुलना में ठोस अवस्था (बर्फ) हल्की होती है। इसका कारण ज्ञात कीजिए।

उत्तर: जल की ठोस अवस्था (बर्फ) तरल अवस्था (पानी) से हल्की होती है क्योंकि बर्फ बनने पर पानी के अणु एक खास तरह से जुड़ते हैं। जब पानी जमकर बर्फ बनता है, तो उसके अणु एक-दूसरे से थोड़ा दूर होकर क्रिस्टल जैसी संरचना बनाते हैं। इस संरचना में खाली जगह होती है, जिससे बर्फ का घनत्व कम हो जाता है। यही कारण है कि बर्फ पानी पर तैरती है, जबकि दूसरे पदार्थों की ठोस अवस्था भारी होती है और डूब जाती है।

3. पाठ के साथ केवल पढ़ने के लिए दी गई पठन सामग्री ‘हम पृथ्वी की संतान!’ का सहयोग लेकर पर्यावरण संकट पर एक लेख लिखें।

उत्तर: पर्यावरण संकट और हमारा दायित्व

‘हम पृथ्वी की संतान!’ हमें बताता है कि पृथ्वी हमारी माँ है, और हम उसकी संतान। लेकिन आज हमारी पृथ्वी खतरे में है। जंगलों की कटाई, नदियों का प्रदूषण, और हवा में फैलता धुआँ पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से मौसम बदल रहा है, बाढ़ और सूखा बढ़ रहे हैं, और कई जीव-जंतु विलुप्त हो रहे हैं।

हमें अपनी पृथ्वी को बचाने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाने होंगे। हमें पानी की बर्बादी रोकनी होगी, पेड़ लगाने होंगे, और प्लास्टिक का कम उपयोग करना होगा। अगर हम सब मिलकर कोशिश करें, तो अपनी पृथ्वी को फिर से हरा-भरा और सुंदर बना सकते हैं। यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी माँ पृथ्वी की रक्षा करें।

भाषा की बात

1. किसी भी क्रिया को पूरी करने में जो भी संज्ञा आदि शब्द संलग्न होते हैं, वे अपनी अलग-अलग भूमिकाओं के अनुसार अलग-अलग कारकों में वाक्य में दिखाई पड़ते हैं; जैसे- “वह हाथों से शिकार को जकड़ लेती थी।” जकड़ना क्रिया तभी संपन्न हो पाएगी जब कोई व्यक्ति (वह) जकड़नेवाला हो, कोई वस्तु (शिकार) हो, जिसे जकड़ा जाए। इन भूमिकाओं की प्रकृति अलग-अलग है। व्याकरण में ये भूमिकाएँ कारकों के अलग-अलग भेदों; जैसे-कर्ता, कर्म, करण आदि से स्पष्ट होती हैं। अपनी पाठ्यपुस्तक से इस प्रकार के पाँच और उदाहरण खोजकर लिखिए और उन्हें भलीभाँति परिभाषित कीजिए।

उत्तर:

(i) वाक्य: मैंने समुद्र से मोती निकाला।
कारक: समुद्र से – अपादान कारक (यह बताता है कि कोई चीज कहाँ से निकाली गई।)

(ii) वाक्य: वह पेड़ पर चढ़ गया।
कारक: पेड़ पर – अधिकरण कारक (यह क्रिया के स्थान को दर्शाता है।)

(iii) वाक्य: बच्चे ने किताब पढ़ी।
कारक: बच्चे – कर्ता कारक (क्रिया करने वाला।)

(iv) वाक्य: माँ ने चम्मच से खाना खिलाया।
कारक: चम्मच से – करण कारक (क्रिया करने का साधन।)

(v) वाक्य: मैंने दोस्त को पत्र लिखा।
कारक: दोस्त को – संप्रदान कारक (क्रिया जिसके लिए की जाए।)

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