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‘उठ किसान ओ’ कविता में कवि त्रिलोचन जी सावन के महीने की सुंदरता और किसानों के परिश्रम का चित्रण करते हैं। यह कविता आपको किसानों की मेहनत और प्रकृति के साथ उनके गहरे रिश्ते को दिखाएगी। आप इस पाठ से यह सीखेंगे कि मेहनत और प्राकृतिक सौंदर्य जीवन को समृद्ध बनाते हैं। कवि की प्रेरणादायक शब्दावली आपको अपने काम के प्रति समर्पण और प्रकृति की सुंदरता को सराहने का मौका देगी।

Bihar Board Class 8 Hindi Durva Chapter 7 Solutions
Contents
| अध्याय | 7. उठ किसान ओ |
| लेखक | त्रिलोचन |
| विषय | Hindi (दूर्वा भाग 3) |
| कक्षा | 8वीं |
| बोर्ड | बिहार बोर्ड |
अभ्यास
पाठ से
नीचे लिखी पंक्तियाँ पढ़ो। आपस में चर्चा करके इसके नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दो-
(क) “तेरे हरे-भरे सावन के साथी ये आए हैं” क्या बादल हरे-भरे सावन के साथी हैं अथवा किसान के? या दोनों के।
उत्तर: बादल सावन और किसान दोनों के साथी हैं। सावन का मौसम बादलों के बिना अधूरा है, क्योंकि बादल बारिश लाते हैं, जिससे चारों तरफ हरियाली छा जाती है। वहीं, किसान के लिए बादल बहुत खास हैं, क्योंकि बारिश से उनके खेत लहलहाते हैं और उनकी मेहनत रंग लाती है।
(ख) “तेरे प्राणों में भरने को नया राग लाए हैं” बादल ऐसा क्या लाए हैं जिससे किसान के प्राणों में नया राग भर जाएगा?
उत्तर: बादल अपने साथ बारिश लाए हैं। बारिश से खेतों में हरियाली आती है, फसलें लहलहाती हैं और धरती की प्यास बुझती है। जब किसान अपने खेतों को हरा-भरा देखता है, तो उसके मन में खुशी और उत्साह का नया गीत बजने लगता है। इसीलिए कवि कहता है कि बादल किसान के प्राणों में नया राग भरते हैं।
(ग) “यह संदेशा ले कर आई, सरस मधुर शीतल पुरवाई”
पुरवाई किसान के लिए क्या संदेशा लेकर आई होगी?
उत्तर: पुरवाई किसान के लिए बारिश और हरियाली का संदेश लेकर आई है। यह ठंडी और सुहानी हवा बताती है कि अब खेत लहलहाएंगे, फसलें अच्छी होंगी और किसान का मेहनत भरा सपना पूरा होगा।
(घ) “तेरे लिए, अकेले तेरे लिए, कहाँ से चलकर आई”
क्या सचमुच पुरवाई केवल किसान के लिए चलकर आई है? वह कहाँ से चलकर आई होगी?
उत्तर: नहीं, पुरवाई केवल किसान के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए चलकर आई है। यह ठंडी हवा सभी को सुकून देती है, लेकिन किसान के लिए यह खास है, क्योंकि यह बारिश और हरियाली का संदेश लाती है। पुरवाई आमतौर पर समुद्र या पहाड़ों की तरफ से चलकर आती है।
कविता के आधार पर बताओ कि–
(क) जब हरा खेत लहरायेगा तो क्या होगा?
उत्तर: जब हरा खेत लहराएगा, तो ऐसा लगेगा जैसे हरी पताका (झंडा) लहरा रहा हो। बादल उस हरियाली में छिपकर मुस्कुराएंगे, क्योंकि उनकी बारिश से ही खेत हरे-भरे हुए हैं।
(ख) बादलों के घिर आने पर कवि किसान को उठने के लिए क्यों कहता है?
उत्तर: बादलों के घिर आने पर कवि किसान को उठने के लिए कहता है, क्योंकि बादल बारिश लाने वाले हैं। बारिश से खेतों को पानी मिलेगा, जिससे फसलें लहलहाएंगी। कवि चाहता है कि किसान इस मौके का फायदा उठाए और खेती के काम में जुट जाए।
(ग) रूप बदल कर बादल किसान के कौन से सपनों को साकार करेगा?
उत्तर: बादल बारिश के रूप में आकर किसान के खेतों को हरा-भरा करते हैं। इससे किसान का अच्छी फसल पाने का सपना पूरा होता है। साथ ही, बारिश से उसकी मेहनत सफल होती है और जीवन में खुशहाली आती है।
छिपा है कौन?
“हरा खेत जब लहराएगा हरी पताका फहराएगा छिपा हुआ बादल तब उसमें रूप बदलकर मुसकाएगा”
कविता में हम पाते हैं कि सावन की हरियाली बादलों के कारण ही हुई है इसलिए कवि को उस हरियाली में मुसकराते बादल ही दिखाई देते हैं। बताओ, कवि को इन सब में कौन दिखाई दे सकता है-
(क) गर्म हवा। लू के थपेड़े।
उत्तर: गर्मी और तपिश।
(ख) सागर में उठती ऊँची-ऊँची लहरें।
उत्तर: तूफान की ताकत।
(ग) सुगंध फैलाता हुआ फूल।
उत्तर: प्रकृति की खूबसूरती और खुशबू।
(घ) चैन की नींद सोती हुई बालिका।
उत्तर: शांति और सुकून।
किस्म-किस्म की खेती
आजकल पुराने जमाने की अपेक्षा किसान बहुत अधिक चीज़ों की खेती करने लगे हैं। खेती का स्वरूप बहुत विशाल हो गया है। पता करो कि आजकल भारत के लोग किन-किन चीज़ों की खेती करते है? अपने साथियों के साथ मिलकर एक सूची तैयार करो।
उत्तर: भारत में आजकल किसान कई तरह की फसलें उगाते हैं। इनमें शामिल हैं:
- अनाज: गेहूँ, चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा
- दालें: चना, अरहर, मूंग, उड़द, मसूर
- तिलहन: सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, तिल
- नकदी फसलें: गन्ना, कपास, जूट
- मसाले: हल्दी, धनिया, जीरा, मिर्च
- पेय पदार्थ: चाय, कॉफी
- फल और सब्जियाँ: आम, केला, सेब, आलू, टमाटर, प्याज
- फूल: गेंदा, गुलाब
मातृभाषा की कविता
अपनी मातृभाषा में ‘किसान’ पर लिखी गई कविता को अपने मित्रों व शिक्षक को सुनाओ।
उत्तर: विद्यार्थी अपनी मातृभाषा में किसान पर कविता लिखें और उसे अपने दोस्तों व शिक्षक के सामने पढ़ें। उदाहरण के लिए, एक छोटी कविता:
किसान
किसान मेहनत करता दिन-रात,
खेतों में बोता सपनों की बात।
हल चलाता, पसीना बहाता,
हरियाली से धरती सजाता।
खेल-खेल में
“छिपे खेत में, आँखमिचौनी सी करते आए हैं”
तुम जानते हो कि आँखमिचौनी एक खेल है जिसमें एक खिलाड़ी आँखें बंद कर लेता है और बाकी खिलाड़ी छिप जाते हैं। तुम भी अपने आस-पास खेले जाने वाले ऐसे ही कुछ खेलों के नाम लिखो। यह भी बताओ कि इन खेलों को कैसे खेलते हैं?
उत्तर: मेरे आस-पास खेले जाने वाले कुछ खेल:
- लुका-छिपी (आँखमिचौनी): एक खिलाड़ी आँखें बंद करके गिनती करता है, बाकी खिलाड़ी छिप जाते हैं। गिनती पूरी होने पर वह उन्हें ढूंढता है। जो पहले पकड़ा जाता है, वही अगली बार आँखें बंद करता है।
- कबड्डी: दो टीमें होती हैं। एक टीम का खिलाड़ी दूसरी टीम के क्षेत्र में जाकर “कबड्डी-कबड्डी” बोलता है और बिना साँस तोड़े किसी को छूकर वापस लौटने की कोशिश करता है। अगर वह पकड़ा जाता है, तो दूसरी टीम को अंक मिलता है।
- गिल्ली-डंडा: एक छोटी लकड़ी (गिल्ली) को डंडे से मारकर दूर फेंका जाता है। दूसरा खिलाड़ी उसे पकड़ने की कोशिश करता है। गिल्ली जितनी दूर जाती है, उतने अंक मिलते हैं।
गरजना–बरसना
“उड़ने वाले काले जलधर
नाच नाच कर गरज गरज कर
ओढ़ फुहारों की सित चादर
देख उतरते हैं धरती पर”
बादल गरज-गरज कर धरती पर बरसते हैं परंतु इसके बिलकुल उलट एक मुहावरा है- जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं।
कक्षा में पाँच-पाँच बच्चों के समूह बनाकर चर्चा करो कि दोनों बातों में से कौन-सी बात अधिक सही है। अपने उत्तर का कारण भी बताओ। चर्चा के बाद प्रत्येक समूह का एक प्रतिनिधि पूरी कक्षा को अपने समूह के विचार बताएगा।
उत्तर: कविता में बादल गरजते हैं और बरसते भी हैं, क्योंकि बारिश से खेत हरे-भरे होते हैं। लेकिन मुहावरा “जो गरजते हैं, वे बरसते नहीं” का मतलब है कि जो लोग बहुत शोर मचाते हैं, वे असल में कुछ करते नहीं। मेरे हिसाब से कविता की बात ज्यादा सही है, क्योंकि बादल सचमुच गरजकर बारिश लाते हैं, जो किसान के लिए बहुत जरूरी है। मुहावरा इंसानों के व्यवहार के बारे में ज्यादा सही है, न कि प्रकृति के लिए। (विद्यार्थी कक्षा में अपने दोस्तों के साथ इस पर चर्चा करें और अपने विचार साझा करें।)
और मुहावरे
वर्षा से जुड़े या वर्षा के बारे में कुछ और मुहावरे खोज़ो। उनका प्रयोग करते हुए एक-एक वाक्य बनाओ।
उत्तर: वर्षा से जुड़े मुहावरे और वाक्य:
- घटाएँ छाना: काले बादल आसमान में छा गए, मानो अब घटाएँ छाने वाली हैं।
- बादल फटना: पहाड़ों में बादल फटने से नदी में तेज बाढ़ आ गई।
- मूसलाधार बारिश: बारिश इतनी तेज थी कि मूसलाधार बारिश हो रही थी।
- बरसात में भीगना: स्कूल जाते वक्त वह बरसात में भीग गया।
- पानी-पानी होना: बारिश ने सड़कों को पानी-पानी कर दिया।
तनिक
“काले बादल तनिक देख तो।”
तुम भी अपने ढंग से ‘तनिक’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए पाँच वाक्य बनाओ।
उत्तर:
- तनिक रुककर मेरी बात तो सुन लो।
- बारिश होने वाली है, तनिक छाता ले लो।
- तनिक ध्यान से अपनी किताब पढ़ो।
- रास्ते में तनिक धीरे चलो, फिसलन हो सकती है।
- खाना खाने से पहले तनिक हाथ धो लो।