Bihar Board Class 7 Science Chapter 8 Solutions from the new book is available here. You will get complete question-answer of chapter 8 – “पादप में जनन” on this page. This follows the new NCERT-based Science book of Bihar Board Class 7.
अध्याय 8 – पादप में जनन, हमें पौधों की नई पीढ़ी के निर्माण की रोचक प्रक्रिया से परिचित कराता है। इस अध्याय में हम सीखते हैं कि पौधे लैंगिक जनन (बीज के माध्यम से) और अलैंगिक जनन (कटिंग, कंद, जड़ आदि के माध्यम से) के द्वारा नए पौधे कैसे बनाते हैं। फूलों की संरचना, जैसे पुंकेसर, अंडाशय, परागण और निषेचन की प्रक्रिया, को सरल उदाहरणों के साथ समझाया गया है। साथ ही, यह अध्याय यह भी बताता है कि फूलों से फल और बीज कैसे बनते हैं, और ये बीज नए पौधों को जन्म कैसे देते हैं। यह अध्याय पौधों के जीवन चक्र को समझने का एक महत्वपूर्ण आधार प्रदान करता है। इस अध्याय के समाधान, “पादप में जनन Question Answer”, यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Science Chapter 8 Solutions
| Class | 7 |
| Subject | Science (विज्ञान) |
| Chapter | 8. पादप में जनन |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास
1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) जनक पादप के कायिक भागों से नए पादप के उत्पादन का प्रक्रम कायिक प्रवर्धन कहलाता है।
(ख) ऐसे पुष्पों को, जिनमें केवल नर अथवा मादा जनन अंग होता है एकलिंगी पुष्प कहते हैं।
(ग) परागकणों का उसी अथवा उसी प्रकार के अन्य पुष्प के परागकोश से वर्तिकाग्र पर स्थानांतरण का प्रक्रम परागण कहलाता है।
(घ) नर और मादा युग्मकों का युग्मन युग्मनज़ कहलाता है।
(च) बीज प्रकीर्णन वायु,जल और जंतु के द्वारा होता है।
2. अलैंगिक जनन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए। प्रत्येक का उदाहरण दीजिए।
उत्तर:-
(i) कायिक प्रवर्धन: इस विधि में पादप के मूल, तना, पत्ती या कली जैसे कायिक अंगों से नए पौधे विकसित होते हैं, बिना बीज के उत्पादन के। उदाहरण: आलू के तने से नए पौधे, गुलाब की कलम से नया पौधा, अदरक के प्रकंद से नया पौधा, और ब्रायोफिलम की पत्तियों के किनारों से नए पौधे विकसित होते हैं।
(ii) मुकुलन: इस विधि में जनक कोशिका की सतह पर छोटे उभार (मुकुल) विकसित होते हैं जो बड़े होकर जनक से अलग हो जाते हैं और स्वतंत्र जीव के रूप में विकसित होते हैं। उदाहरण: यीस्ट में मुकुलन द्वारा जनन होता है, जहां मुकुल बढ़कर नई यीस्ट कोशिका बनाते हैं; हाइड्रा में भी मुकुलन द्वारा नए जीव बनते हैं।
(iii) खंडन: इस विधि में जीव अपने शरीर के विभिन्न खंडों में टूट जाता है और प्रत्येक खंड विकसित होकर नया पूर्ण जीव बनाता है। उदाहरण: स्पाइरोगाइरा (शैवाल) टूटकर नए शैवाल बनाता है, प्लैनेरिया (चपटा कृमि) के शरीर के टुकड़े नए जीव में विकसित होते हैं, और कई कवक भी खंडन द्वारा प्रजनन करते हैं।
(iv) बीजाणु निर्माण: इस विधि में जीव विशेष कोशिकाएँ (बीजाणु) बनाते हैं जो अनुकूल परिस्थितियों में अंकुरित होकर नए जीव में विकसित होती हैं। बीजाणु अत्यंत हल्के होते हैं, इसलिए हवा के द्वारा लंबी दूरी तक पहुँच सकते हैं और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवित रह सकते हैं। उदाहरण: ब्रेड मोल्ड (रोटी पर उगने वाली फफूंद), म्यूकर (कवक), फर्न और मॉस बीजाणु द्वारा प्रजनन करते हैं।
3. पादपों में लैंगिक जनन के प्रक्रम को समझाइए।
उत्तर:- पुष्पी पादपों में लैंगिक जनन की प्रक्रिया पुष्प में होती है, जहां पुंकेसर (नर जनन अंग) और स्त्रीकेसर (मादा जनन अंग) पाए जाते हैं। पुंकेसर में परागकोश होता है जिसमें परागकण होते हैं, जो नर युग्मक (पुंयुग्मक) का निर्माण करते हैं, जबकि स्त्रीकेसर के अंडाशय में बीजांड होते हैं, जिनमें मादा युग्मक (अंड) विकसित होता है। परागण (परागकणों का स्त्रीकेसर तक पहुँचना) के बाद, परागनलिका विकसित होती है जो अंडाशय तक पहुँचती है और नर युग्मक को मादा युग्मक तक पहुँचाती है। नर और मादा युग्मकों के संलयन (निषेचन) से युग्मनज बनता है, जो बीज में भ्रूण के रूप में विकसित होता है। बीज में भोजन का भंडार होता है और यह अनुकूल परिस्थितियों में अंकुरित होकर नए पौधे में विकसित होता है।
4. अलैंगिक और लैंगिक जनन के बीच प्रमुख अंतर बताइए।
उत्तर:- अलैंगिक और लैंगिक जनन में निम्नलिखित प्रमुख अंतर हैं:-
- जनकों की संख्या: अलैंगिक जनन में केवल एक जनक की आवश्यकता होती है, जबकि लैंगिक जनन में नर और मादा दोनों जनकों की आवश्यकता होती है।
- युग्मकों का निर्माण: अलैंगिक जनन में युग्मकों का निर्माण नहीं होता है, जबकि लैंगिक जनन में नर और मादा युग्मकों का निर्माण होता है।
- आनुवंशिक विविधता: अलैंगिक जनन से उत्पन्न संतति जनक के समान आनुवंशिक गुण (क्लोन) रखती है, जबकि लैंगिक जनन से उत्पन्न संतति में दोनों जनकों के गुणों का मिश्रण होता है, जिससे आनुवंशिक विविधता आती है।
- प्रजनन की गति: अलैंगिक जनन अपेक्षाकृत तेज़ होता है और कम समय में अधिक संतति उत्पन्न कर सकता है, जबकि लैंगिक जनन धीमा होता है और इसमें निषेचन की जटिल प्रक्रिया शामिल होती है।
- अनुकूलन क्षमता: अलैंगिक जनन से उत्पन्न जीव परिवर्तित या प्रतिकूल परिस्थितियों के अनुकूल होने में कम सक्षम होते हैं, जबकि लैंगिक जनन से उत्पन्न जीवों में आनुवंशिक विविधता के कारण अनुकूलन की अधिक क्षमता होती है, जिससे वे परिवर्तित परिस्थितियों में जीवित रहने की अधिक संभावना रखते हैं।
5. किसी पुष्प का चित्र खींचकर उसमें जनन अंगों को नामांकित कीजिए।
उत्तर:-

6. स्व-परागण और पर-परागण के बीच अंतर बताइए।
उत्तर:-
| स्व-परागण: | पर-परागण: |
|---|---|
| 1. इसमें एक ही पुष्प के परागकण उसी पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित होते हैं। | 1. इसमें एक पुष्प के परागकण दूसरे पुष्प के वर्तिकाग्र पर स्थानांतरित होते हैं। |
| 2. इसमें बाहरी माध्यम (हवा, कीट, पानी) की आवश्यकता नहीं होती है या बहुत कम होती है। | 2. इसके लिए बाहरी माध्यम जैसे हवा, कीट-पतंगे, पक्षी या पानी की आवश्यकता होती है। |
| 3. आनुवंशिक विविधता नहीं आती है क्योंकि एक ही पौधे के गुण संतति में आते हैं। | 3. इससे आनुवंशिक विविधता आती है क्योंकि दो अलग-अलग पौधों के गुण संतति में मिश्रित होते हैं। |
| 4. यह मुख्य रूप से द्विलिंगी पुष्पों (जिनमें नर और मादा दोनों जनन अंग एक ही पुष्प में होते हैं) में होता है। | 4. यह एकलिंगी पुष्पों (जिनमें केवल एक प्रकार का जनन अंग होता है) में अनिवार्य है और कई द्विलिंगी पुष्पों में भी होता है। |
| 5. उदाहरण: मटर, गेहूँ, चावल, मूँगफली, टमाटर आदि। | 5. उदाहरण: सेब, आम, गुलाब, सूरजमुखी, पपीता आदि। |
7. पुष्पों में निषेचन का प्रक्रम किस प्रकार संपन्न होता है?
उत्तर:- पुष्पों में निषेचन की प्रक्रिया निम्न चरणों में होती है: सबसे पहले परागण होता है, जिसमें परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र पर पहुँचते हैं। वर्तिकाग्र पर परागकण अंकुरित होकर पराग नलिका बनाते हैं, जो वर्तिका के माध्यम से बढ़ती हुई अंडाशय तक पहुँचती है। पराग नलिका बीजांड में प्रवेश करके अपने दो नर युग्मक मुक्त करती है। एक नर युग्मक, मादा युग्मक (अंडाणु) से संलयन करके युग्मनज (जाइगोट) बनाता है, जो बाद में भ्रूण में विकसित होता है। दूसरा नर युग्मक द्वितीयक केंद्रक से संलयन करके भ्रूणपोष (एंडोस्पर्म) बनाता है, जो भ्रूण के लिए पोषण का स्रोत बनता है। इस दोहरे निषेचन के बाद, बीजांड बीज में और अंडाशय फल में विकसित होता है।
8. बीजों के प्रकीर्णन की विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:-
वायु द्वारा प्रकीर्णन: कुछ बीज अत्यंत हल्के होते हैं या उनमें पंख, रोएँ, या पैराशूट जैसी संरचनाएँ (जैसे मदार, आकावन, डैंडेलियन) होती हैं, जो उन्हें हवा में लंबी दूरी तक उड़ने में मदद करती हैं। इस प्रकार के बीज हवा के झोंकों के साथ दूर-दूर तक फैल जाते हैं और नए स्थानों पर अंकुरित होते हैं।
जल द्वारा प्रकीर्णन: कुछ पौधों के बीज या फल जल में तैर सकते हैं क्योंकि उनमें वायु कोष्ठ या स्पंजी ऊतक (जैसे नारियल, कमल) होते हैं। ये बीज नदियों या समुद्र के पानी में बहकर दूर-दूर तक जाते हैं और नए स्थानों पर अंकुरित होते हैं।
जंतुओं द्वारा प्रकीर्णन: कुछ बीजों में कांटे, हुक या चिपचिपी सतह (जैसे जैन्थियम, उर्एना) होती है, जिससे वे जानवरों के फर या मनुष्यों के कपड़ों से चिपक जाते हैं। कुछ बीज स्वादिष्ट, रसीले फलों (जैसे आम, अमरूद) में पाए जाते हैं, जिन्हें जानवर खाते हैं और बीजों को अपने मल के साथ दूर-दूर छोड़ देते हैं।
विस्फोटी प्रकीर्णन: कुछ पौधों के फल सूखने पर फट जाते हैं और अपने बीजों को दूर-दूर तक फेंक देते हैं। इस क्रिया को विस्फोटी प्रकीर्णन (जैसे अरंडी, बालसम) कहते हैं। इससे बीज मातृ पौधे से दूर जाकर नए स्थान पर अंकुरित होते हैं और प्रतिस्पर्धा से बचते हैं।
मानव द्वारा प्रकीर्णन: मनुष्य भी कृषि, बागवानी और वनरोपण के माध्यम से बीजों के प्रकीर्णन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न प्रजातियों के बीजों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाकर बोते हैं, जिससे पौधों का प्रसार होता है।
9. कॉलम A में दिए गए शब्दों का कॉलम B में दिए गए जीवों से मिलान कीजिए-
उत्तर:-
| कॉलम A | कॉलम B |
|---|---|
| (क) कली/मुकुल | (iii) यीस्ट |
| (ख) आँख | (v) आलू |
| (ग) खंडन | (ii) स्पाइरोगाइरा |
| (घ) पंख | (i) मैपिल |
| (च) बीजाणु | (iv) डबलरोटी की फफूँद |
| (vi) गुलाब |
10. सही विकल्प पर (√) निशान लगाइए-
(क) पादप का जनन भाग होता है, उसका-
- (i) पत्ती अथवा पर्ण।
- (ii) तना।
- (iii) मूल।
- (iv) पुष्प।
उत्तर:- (iv) पुष्प।
(ख) नर और मादा युग्मक के युग्मन का प्रक्रम कहलाता है-
- (i) निषेचन।
- (ii) परागण।
- (iii) जनन।
- (iv) बीज निर्माण।
उत्तर:- (i) निषेचन।
(ग) परिपक्व होने पर अंडाशय विकसित हो जाता है-
- (i) बीज में।
- (ii) पुंकेसर में।
- (iii) स्त्रीकेसर में।
- (iv) फल में।
उत्तर:- (iv) फल में।
(घ) बीजाणु उत्पन्न करने वाला एक पादप जीव है-
- (i) गुलाब।
- (ii) डबलरोटी का फफूँद।
- (iii) आलू।
- (iv) अदरक।
उत्तर:- (ii) डबलरोटी का फफूँद।
(च) ब्रायोफिलम अपने जिस भाग द्वारा जनन करता है, वह है-
- (i) तना।
- (ii) पत्ती।
- (iii) मूल।
- (iv) पुष्प।
उत्तर:- (ii) पत्ती।