Bihar Board Class 7 Science Chapter 4 Solutions from the new book is available here. You will get complete question-answer of chapter 4 – “अम्ल, क्षारक और लवण” on this page. This follows the new NCERT-based Science book of Bihar Board Class 7.
अध्याय 4 – अम्ल, क्षारक और लवण, हमें रसायन विज्ञान की बुनियादी अवधारणाओं से परिचित कराता है, जहाँ हम अम्ल, क्षारक और लवण के गुणों और उनके महत्व को समझते हैं। इस अध्याय में बताया गया है कि अम्ल (खट्टे स्वाद वाले) और क्षारक (कड़वे स्वाद वाले) पदार्थों की पहचान प्राकृतिक और कृत्रिम सूचकों, जैसे लिटमस, हल्दी और चीनाभट्टी, के माध्यम से कैसे की जाती है। साथ ही, हम उदासीनीकरण प्रक्रिया के बारे में भी सीखते हैं, जिसमें अम्ल और क्षारक की प्रतिक्रिया से लवण बनते हैं। यह अध्याय रसायनिक पदार्थों के व्यवहार को समझने का एक रोचक आधार प्रदान करता है। इस अध्याय के समाधान, “अम्ल, क्षारक और लवण Question Answer”, यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Science Chapter 4 Solutions
| Class | 7 |
| Subject | Science (विज्ञान) |
| Chapter | 4. अम्ल, क्षारक और लवण |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास
1. अम्लों और क्षारकों के बीच अंतर बताइए।
उत्तर:-
| अम्ल | क्षारक |
|---|---|
| (i) अम्ल स्वाद में खट्टे होते हैं। | (i) क्षारक का स्वाद कड़वा होता है। |
| (ii) अम्ल नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। | (ii) क्षारक नीले लिटमस को नहीं बदलते। |
| (iii) अम्ल लाल लिटमस को नहीं बदलते। | (iii) क्षारक लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। |
| (iv) अम्ल हल्दी के रंग को नहीं बदलते। | (iv) क्षारक हल्दी को लाल कर देते हैं। |
| (v) उदाहरण: दही, नींबू का रस, सिरका। | (v) उदाहरण: खाने वाला सोडा, साबुन, चुने का पानी। |
2. अनेक घरेलू उत्पादों, जैसे खिड़की साफ़ करने के मार्जकों आदि में अमोनिया पाया जाता है। ये लाल लिटमस को नीला कर देते हैं। इनकी प्रकृति क्या है?
उत्तर:- अमोनिया एक क्षारक पदार्थ है क्योंकि यह लाल लिटमस को नीला कर देता है। क्षारकों में हाइड्रॉक्सिल आयन (OH-) होते हैं जो उन्हें क्षारीय प्रकृति प्रदान करते हैं। क्षारकों का स्वाद कड़वा होता है और स्पर्श करने पर ये साबुन जैसे चिकने महसूस होते हैं।
3. उस स्रोत का नाम बताइए, जिससे लिटमस विलयन को प्राप्त किया जाता है। इस विलयन का क्या उपयोग है?
उत्तर:- लिटमस लाइकेन (शैवाल और कवक का संयोजन) नामक पौधे से प्राप्त किया जाता है। इसका उपयोग अम्ल और क्षार की पहचान के लिए एक सूचक के रूप में किया जाता है। अम्लीय माध्यम में नीला लिटमस लाल हो जाता है जबकि क्षारीय माध्यम में लाल लिटमस नीला हो जाता है। इसके कारण लिटमस एक प्रयोगशाला में अम्ल-क्षार के परीक्षण के लिए अत्यंत उपयोगी है।
4. क्या आसुत जल अम्लीय/क्षारकीय/उदासीन होता है? आप इसकी पुष्टि कैसे करेंगे।
उत्तर:- आसुत जल उदासीन प्रकृति का होता है क्योंकि इसमें न तो हाइड्रोजन आयन (H+) अधिक होते हैं और न ही हाइड्रॉक्सिल आयन (OH-)। इसकी पुष्टि लिटमस परीक्षण द्वारा की जा सकती है, जिसमें आसुत जल न तो नीले लिटमस को लाल करता है न ही लाल लिटमस को नीला। इसका pH मान 7 होता है, जो उदासीन प्रकृति का संकेत देता है।
5. उदासीनीकरण के प्रक्रम को एक उदाहरण देते हुए समझाइए।
उत्तर:- उदासीनीकरण वह प्रक्रिया है जिसमें अम्ल और क्षार परस्पर क्रिया करके नमक और जल बनाते हैं। उदाहरण के लिए, जब हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) और सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) को मिलाया जाता है, तो वे सोडियम क्लोराइड (NaCl) और पानी (H₂O) बनाते हैं: HCl + NaOH → NaCl + H₂O। इस प्रतिक्रिया में अम्ल से H+ और क्षार से OH- आयन मिलकर पानी बनाते हैं, जिससे विलयन न तो अम्लीय रहता है और न ही क्षारीय।
6. निम्नलिखित कथन यदि सही हैं, तो (T) अथवा गलत हैं, तो (F) लिखिए।
उत्तर:-
(क) नाइट्रिक अम्ल लाल लिटमस को नीला कर देता है। – F.
(ख) सोडियम हाइड्रॉक्साइड नीले लिटमस को लाल कर देता है। – F.
(ग) सोडियम हाइड्रॉक्साइड और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक-दूसरे को उदासीन करके लवण और जल बनाते हैं। – T.
(घ) सूचक वह पदार्थ है, जो अम्लीय और क्षारकीय विलयनों में भिन्न रंग दिखाता है। – T.
(च) दंत क्षय, क्षार की उपस्थिति के कारण होता है। – F.
7. दोरजी के रैस्टोरेन्ट में शीतल (मृदु) पेय की कुछ बोतलें हैं। लेकिन दुर्भाग्य से वे चिह्नित नहीं हैं। उसे ग्राहकों की माँग के अनुसार पेय परोसने हैं। एक ग्राहक अम्लीय पेय चाहता है, दूसरा क्षारकीय और तीसरा उदासीन पेय चाहता है। दोरजी यह कैसे तय करेगा, कि कौन-सी बोतल किस ग्राहक को देनी है।
उत्तर:- दोरजी लिटमस पेपर का उपयोग करके पेय की प्रकृति का परीक्षण कर सकता है। नीला लिटमस पेपर अम्लीय पेय में लाल हो जाएगा जबकि लाल लिटमस पेपर क्षारीय पेय में नीला हो जाएगा। उदासीन पेय में दोनों लिटमस पेपर अपना मूल रंग बनाए रखेंगे। वैकल्पिक रूप से, वह सार्वत्रिक सूचक पेपर का उपयोग कर सकता है जिसमें अम्लीय पेय pH 1-6 (लाल से पीला), क्षारीय पेय pH 8-14 (हरा से नीला) और उदासीन पेय pH 7 (हल्का हरा) दिखाएंगे।
8. समझाइए, ऐसा क्यों होता है-
(क) जब आप अतिअम्लता से पीड़ित होते हैं, तो प्रतिअम्ल की गोली लेते हैं।
उत्तर:- अतिअम्लता में पेट में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल अधिक मात्रा में बनता है जिससे सीने में जलन और पेट में दर्द होता है। प्रतिअम्ल गोलियां मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड या एल्युमिनियम हाइड्रॉक्साइड जैसे क्षार युक्त होती हैं। ये क्षार अतिरिक्त अम्ल को उदासीन करते हैं जिससे H+ आयनों की सांद्रता कम होती है और दर्द से राहत मिलती है। यह उदासीनीकरण प्रतिक्रिया H+ और OH- आयनों को संयुक्त करके पानी बनाती है।
(ख) जब चींटी काटती है, तो त्वचा पर कैलेमाइन का विलयन लगाया जाता है।
उत्तर:- चींटी के डंक में फॉर्मिक अम्ल होता है जो त्वचा पर जलन और दर्द पैदा करता है। कैलेमाइन लोशन में जिंक ऑक्साइड और फेरिक ऑक्साइड होते हैं जो क्षारीय प्रकृति के होते हैं। ये क्षारीय पदार्थ फॉर्मिक अम्ल को उदासीन करते हैं और त्वचा पर शीतलता प्रदान करते हैं, जिससे जलन और दर्द से राहत मिलती है।
(ग) कारखाने के अपशिष्ट को जलाशयों में बहाने से पहले उसे उदासीन किया जाता है।
उत्तर:- औद्योगिक अपशिष्ट अक्सर अत्यधिक अम्लीय या क्षारीय होता है जो जलीय जीवों और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए हानिकारक होता है। बहाने से पहले अम्लीय अपशिष्ट को चूने या सोडियम हाइड्रॉक्साइड जैसे क्षार से और क्षारीय अपशिष्ट को हाइड्रोक्लोरिक अम्ल जैसे अम्लों से उदासीन किया जाता है। यह प्रक्रिया अपशिष्ट का pH 7 के करीब लाकर जल प्रदूषण और पारिस्थितिक नुकसान को कम करती है।
9. आपको तीन द्रव दिए गए हैं, जिनमें से एक हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है, दूसरा सोडियम हाइड्रॉक्साइड और तीसरा शक्कर का विलयन है। आप हल्दी को सूचक के रूप में उपयोग करके उनकी पहचान कैसे करेंगे?
उत्तर:- हल्दी एक प्राकृतिक सूचक है जो क्षारीय माध्यम में अपना रंग पीले से लाल-नारंगी में बदल देती है, जबकि अम्लीय या उदासीन माध्यम में पीली ही रहती है। प्रत्येक द्रव की एक-एक बूंद अलग-अलग हल्दी पेपर पर डालें – जो द्रव हल्दी को लाल-नारंगी कर देता है, वह सोडियम हाइड्रॉक्साइड (क्षारक) है। शेष दो द्रवों में से एक में थोड़ा सोडियम हाइड्रॉक्साइड मिलाएं – यदि अब हल्दी पर डालने पर रंग लाल-नारंगी नहीं होता, तो वह हाइड्रोक्लोरिक अम्ल है (क्योंकि अम्ल और क्षार मिलकर उदासीन हो गए), और तीसरा द्रव शक्कर का विलयन है।
10. नीले लिटमस पत्र को एक विलयन में डुबोया गया। यह नीला ही रहता है। विलयन की प्रकृति क्या है? समझाइए।
उत्तर:- जब नीला लिटमस पत्र किसी विलयन में डालने पर नीला ही रहता है, तो विलयन या तो क्षारीय या उदासीन प्रकृति का है। अम्लीय विलयन नीले लिटमस को लाल कर देते हैं। इसकी पुष्टि करने के लिए लाल लिटमस पत्र का उपयोग करें – यदि लाल लिटमस नीला हो जाता है तो विलयन क्षारीय है, और यदि लाल लिटमस भी लाल ही रहता है तो विलयन उदासीन है। उदासीन विलयन में H+ और OH- आयनों की संख्या बराबर होती है, इसलिए वे किसी भी लिटमस का रंग नहीं बदलते।
11. निम्नलिखित वक्तव्यों को ध्यान से पढ़ें-
(क) अम्ल और क्षारक दोनों सभी सूचकों के रंगों को परिवर्तित कर देते हैं।
(ख) यदि कोई सूचक अम्ल के साथ रंग परिवर्तित कर देता है, तो वह क्षारक के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।
(ग) यदि कोई सूचक क्षारक के साथ रंग परिवर्तित करता है, तो वह अम्ल के साथ रंग परिवर्तन नहीं करता।
(घ) अम्ल और क्षारक में रंग परिवर्तन सूचक के प्रकार पर निर्भर करता है।
ऊपर लिखे वक्तव्यों में से कौन-से वक्तव्य सही हैं?
- (i) सभी चार।
- (ii) (क) और (घ)।
- (iii) (ख) (ग) और (घ)।
- (iv) केवल (घ)।
उत्तर:- (iv) केवल (घ)।