Bihar Board Class 7 Science Chapter 13 Solutions – अपशिष्ट जल की कहानी (New Book)

Bihar Board Class 7 Science Chapter 13 Solutions from the new book is available here. You will get complete question-answer of chapter 13 – “अपशिष्ट जल की कहानी” on this page. This follows the new NCERT-based Science book of Bihar Board.

अध्याय 13 – अपशिष्ट जल की कहानी, हमें उपयोग के बाद फेंके जाने वाले पानी, यानी अपशिष्ट जल, और इसके प्रबंधन की महत्वपूर्ण प्रक्रिया से परिचित कराता है। इस अध्याय में हम सीखते हैं कि अपशिष्ट जल में मौजूद गंदगी, रसायन और कीटाणुओं को साफ करना क्यों आवश्यक है। हम जल शोधक संयंत्र (वाटर ट्रीटमेंट प्लांट) और सीवेज सिस्टम के कार्यप्रणाली को समझते हैं, साथ ही घरेलू और सामुदायिक स्तर पर स्वच्छता बनाए रखने के तरीकों को भी जानते हैं। यह अध्याय हमें साफ-सफाई, स्वच्छता और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है। इस अध्याय के समाधान, “अपशिष्ट जल की कहानी Question Answer”, यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Science Chapter 13 Solutions New

Bihar Board Class 7 Science Chapter 13 Solutions

Class7
SubjectScience (विज्ञान)
Chapter13. अपशिष्ट जल की कहानी
BoardBihar Board

अभ्यास

1. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

(क) जल को स्वच्छ करना प्रदूषकों को दूर करने का प्रक्रम है।
(ख) घरों द्वारा निर्मुक्त किए जाने वाला अपशिष्ट जल वाहित मल कहलाता है।
(ग) शुष्क आपंक का उपयोग खाद के रूप में किया जाता है।
(घ) नालियाँ तेल और वसा के द्वारा अवरुद्ध हो जाती है।

2. वाहित मल क्या है? अनुपचारित वाहित मल को नदियों अथवा समुद्र में विसर्जित करना हानिकारक क्यों है, समझाइए।

उत्तर:- वाहित मल घरों, कार्यालयों, अस्पतालों और उद्योगों से निकलने वाला अपशिष्ट जल है, जिसमें वर्षा जल भी शामिल होता है। इसमें मुख्य रूप से जल होता है जिसमें अनेक प्रकार के घुले हुए और निलंबित अपद्रव्य पाए जाते हैं। अनुपचारित वाहित मल में हानिकारक रसायन, रोगाणु और बैक्टीरिया होते हैं जो जब नदियों या समुद्रों में मिलते हैं, तो जल को दूषित कर देते हैं। इस दूषित जल का उपयोग करने से हैजा, टाइफाइड और पेचिश जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं। इसलिए वाहित मल का उचित उपचार करना आवश्यक है ताकि जल स्रोत प्रदूषित न हों।

3. तेल और वसाओं को नाली में क्यों नहीं बहाना चाहिए? समझाइए।

उत्तर:- तेल और वसा नालियों में पानी के प्रवाह को अवरुद्ध कर देते हैं, जिससे नालियाँ जाम हो जाती हैं। ये पदार्थ पानी की सतह पर तैरते हैं और नालियों की दीवारों पर चिपक जाते हैं, जिससे नालियों का व्यास कम हो जाता है। खुली नालियों में, तेल और वसा मिट्टी के छिद्रों को भी बंद कर देते हैं, जिससे पानी का भूमि द्वारा अवशोषण रुक जाता है। इससे जल जमाव की समस्या उत्पन्न होती है और जल प्रदूषण बढ़ता है।

4. अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने के प्रक्रम में सम्मिलित चरणों का वर्णन करिए।

उत्तर:- अपशिष्ट जल से स्वच्छ जल प्राप्त करने की प्रक्रिया में सबसे पहले शलाका छन्ने (बार स्क्रीन) का उपयोग किया जाता है, जो कपड़े, प्लास्टिक और अन्य बड़े अपशिष्ट को अलग करता है। फिर जल को ग्रिट और बालू अलग करने की टंकी में भेजा जाता है, जहाँ धीमे प्रवाह के कारण भारी कण नीचे बैठ जाते हैं। इसके बाद जल को अवसादन टंकी में रखा जाता है, जहाँ सूक्ष्म कण और कार्बनिक पदार्थ तली में जमा हो जाते हैं। अंतिम चरण में, जल को क्लोरीन या ओज़ोन जैसे रसायनों से रोगाणुरहित किया जाता है। इस तरह शुद्ध किया गया जल सुरक्षित रूप से नदियों या समुद्र में छोड़ा जा सकता है।

5. आपंक क्या है? समझाइए कि इसे कैसे उपचारित किया जाता है।

उत्तर:- आपंक अपशिष्ट जल उपचार के दौरान तली में जमा होने वाला अर्ध-ठोस पदार्थ है, जिसमें अनेक कार्बनिक अवशेष होते हैं। इसे विशेष खुरचनी से हटाकर अलग टैंक में भेजा जाता है, जहाँ अवायवीय बैक्टीरिया द्वारा इसका विघटन किया जाता है और बायोगैस उत्पन्न होती है। यह बायोगैस खाना पकाने, हीटिंग और विद्युत उत्पादन जैसे कार्यों के लिए कम लागत वाले ईंधन के रूप में उपयोग की जाती है। आपंक के उपचार से न केवल प्रदूषण कम होता है, बल्कि एक उपयोगी ऊर्जा स्रोत भी प्राप्त होता है।

6. अनुपचारित मानव मल एक स्वास्थ्य संकट है। समझाइए।

उत्तर:- अनुपचारित मानव मल में अनेक हानिकारक रोगाणु और विषाणु होते हैं जो जल और मिट्टी को प्रदूषित कर देते हैं। यह प्रदूषण सतही जल (नदियाँ, तालाब) और भूजल (कुएँ, नलकूप) दोनों को प्रभावित करता है, जो हमारे पीने के पानी के मुख्य स्रोत हैं। इससे हैजा, टाइफॉइड, पोलियो, मेनिन्जाइटिस, हेपेटाइटिस और पेचिश जैसे खतरनाक जल-जनित रोग फैलते हैं। अनुपचारित मल के कारण मक्खियाँ और अन्य कीट भी पनपते हैं, जो रोगों को और अधिक फैलाते हैं।

7. जल को रोगाणुनाशित (रोगाणुमुक्त) करने के लिए उपयोग किए जाने वाले दो रसायनों के नाम बताइए।

उत्तर:- जल को रोगाणुनाशित करने के लिए मुख्य रूप से क्लोरीन और ओज़ोन रसायनों का प्रयोग किया जाता है। क्लोरीन एक प्रभावी और किफायती रोगाणुनाशक है जो जल में मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया और विषाणुओं को नष्ट करता है। ओज़ोन एक शक्तिशाली ऑक्सीकारक है जो न केवल रोगाणुओं को मारता है बल्कि जल के स्वाद और गंध को भी बेहतर बनाता है।

8. अपशिष्ट जल उपचार संयंत्र में शलाका छन्नों के कार्यों को समझाइए।

उत्तर:- शलाका छन्ने (बार स्क्रीन) ऊर्ध्वाधर लगी धातु की छड़ों से बने होते हैं जो अपशिष्ट जल उपचार का प्रथम चरण हैं। जब अपशिष्ट जल इनसे गुजरता है, तो बड़े अपशिष्ट जैसे कपड़े के टुकड़े, प्लास्टिक पैकेट, डिब्बे और नैपकिन आदि इनमें फँस जाते हैं। ये छन्ने उपचार संयंत्र की मशीनरी को नुकसान से बचाते हैं और आगे के उपचार प्रक्रियाओं को सुचारू रूप से चलने में मदद करते हैं।

9. स्वच्छता और रोग के बीच संबंध को समझाइए।

उत्तर:- स्वच्छता और रोगों के बीच सीधा संबंध है, क्योंकि अस्वच्छ परिस्थितियाँ रोगाणुओं के पनपने का कारण बनती हैं। गंदे वातावरण में हानिकारक बैक्टीरिया, वायरस और परजीवी फलते-फूलते हैं, जो हैजा, टाइफाइड और पेचिश जैसे संक्रामक रोगों को फैलाते हैं। अस्वच्छता से मक्खियों और मच्छरों की संख्या बढ़ती है, जो मलेरिया और डेंगू जैसे रोगों के वाहक होते हैं। बेहतर स्वच्छता व्यवस्था रोगों के प्रसार को रोकने का सबसे प्रभावी तरीका है।

10. स्वच्छता के संदर्भ में एक सक्रिय नागरिक के रूप में अपनी भूमिका को समझाइए।

उत्तर:- क सक्रिय नागरिक के रूप में हमें अपने घर के अंदर और आसपास स्वच्छता बनाए रखनी चाहिए तथा कचरे का उचित निपटान करना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारे घर की सीवरेज प्रणाली सही ढंग से कार्य कर रही है और किसी प्रकार के रिसाव या अन्य समस्या की तुरंत नगरपालिका को सूचना देनी चाहिए। हम अपने समुदाय में स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाकर और स्वच्छता अभियानों में भाग लेकर भी योगदान दे सकते हैं। स्वच्छता बनाए रखने के लिए हमें पानी के स्रोतों को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए और सार्वजनिक स्थानों पर कचरा न फैलाएँ।

11. प्रस्तुत वर्ग पहेली को दिए गए संकेतों की सहायता से हल कीजिए।

संकेत

बाएँ से दाएँ

2. वाहित मल उपचार संयंत्र से प्राप्त गैसीय उत्पाद
4. इस प्रक्रम में प्रदूषित जल से वायु को गुजारा जाता है।
7. वाहित मल ले जाने वाले पाइपों की व्यवस्था
8. उपयोग के बाद नालियों में बहता जल

उत्तर:-

2. जैव गैस।
4. वातन।
7. सीवर।
8. वाहित मल।

ऊपर से नीचे

1. जल उपचार में रोगाणुनाशन के लिए प्रयुक्त एक रसायन
3. वह सूक्ष्मजीव, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में जैव पदार्थों का विघटन करते हैं।
5. संदूषित जल
6. वह स्थान, जहाँ वाहित मल से प्रदूषक पृथक् किए जाते हैं।
9. अनेक व्यक्ति इसका विसर्जन खुले स्थानों में करते हैं।

उत्तर:-

1. ओजोन।
3. अवायवीय जीवाणु।
5. संदूषित जल।
6. उपचार संयंत्र।
9. मल।

12. ओज़ोन के बारे में निम्नलिखित वक्तव्यों को ध्यानपूर्वक पढ़िए।

  • (क) यह सजीव जीवों के श्वसन के लिए अनिवार्य है।
  • (ख) इसका उपयोग जल को रोगाणु रहित करने के लिए किया जाता है।
  • (ग) यह पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेती है।
  • (घ) वायु में इसका अनुपात लगभग 3% है।

इनमें से कौन-से वक्तव्य सही है-

  • (i) (क), (ख) और (ग)।
  • (ii) (ख) और (ग)।
  • (iii) (क) और (ग)।
  • (iv) सभी चार।

उत्तर:- (ii) (ख) और (ग)।

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