Bihar Board Class 7 Science Chapter 10 Solutions from the new book is available here. You will get complete question-answer of chapter 10 – “विद्युत धारा और इसके प्रभाव” on this page. This follows the new NCERT-based Science book of Bihar Board.
अध्याय 10 – विद्युत धारा और इसके प्रभाव, हमें विद्युत के रोचक और उपयोगी पहलुओं से परिचित कराता है। इस अध्याय में हम सीखते हैं कि विद्युत धारा किसी परिपथ में प्रवाहित होने पर विभिन्न प्रभाव उत्पन्न करती है, जैसे बल्ब का जलना, चुंबकीय प्रभाव (इलेक्ट्रोमैग्नेट का निर्माण), और ऊष्मीय प्रभाव (तार का गर्म होना)। साथ ही, सर्किट डायग्राम, स्विच, फ्यूज़, और विद्युत सुरक्षा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी भी दी गई है। यह अध्याय हमें विद्युत उपकरणों के सुरक्षित उपयोग और विद्युत धारा के दैनिक जीवन में महत्व को समझने में मदद करता है। इस अध्याय के समाधान, “विद्युत धारा और इसके प्रभाव Question Answer”, यहाँ उपलब्ध हैं।

Bihar Board Class 7 Science Chapter 10 Solutions
| Class | 7 |
| Subject | Science (विज्ञान) |
| Chapter | 10. विद्युत धारा और इसके प्रभाव |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास
1. विद्युत परिपथों के निम्नलिखित अवयवों को निरूपित करने वाले प्रतीक अपनी नोटबुक पर खींचिए-संयोजक तार, स्विच ‘ऑफ’ की स्थिति में, विद्युत बल्ब, विद्युत सेल, स्विच ‘ऑन’ की स्थिति में तथा बैटरी।
उतर:-

2. चित्र 10.21 में दर्शाए गए विद्युत परिपथ को निरूपित करने के लिए परिपथ आरेख खींचिए।

उतर:-

3. चित्र 10.22 में चार सेल दिखाए गए हैं। रेखाएँ खींचकर यह निर्दिष्ट कीजिए कि चार सेलों के टर्मिनलों को तारों द्वारा संयोजित करके आप बैटरी कैसे बनाएँगे?

उतर:-

4. चित्र 10.23 में दर्शाए गए परिपथ में बल्ब दीप्त नहीं हो पा रहा है। क्या आप इसका कारण पता लगा सकते हैं? परिपथ में आवश्यक परिवर्तन करके बल्ब को प्रदीप्त कीजिए।

उतर:- चित्र 10.23 में बल्ब इसलिए नहीं जल रहा है क्योंकि सेल के समान ध्रुव (दोनों धनात्मक या दोनों ऋणात्मक) आपस में जुड़े हैं, जिससे परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं हो पाती। परिपथ को सही करने के लिए, एक सेल का धनात्मक टर्मिनल दूसरे सेल के ऋणात्मक टर्मिनल से जोड़ना होगा, ताकि विद्युत प्रवाह हो और बल्ब प्रकाशित हो।

5. विद्युत धारा के किन्हीं दो प्रभावों के नाम लिखिए।
उतर:- विद्युत धारा के दो महत्वपूर्ण प्रभाव हैं:-
- तापीय प्रभाव, जिससे चालक गर्म होता है और यह प्रभाव विद्युत हीटर, टोस्टर आदि में उपयोग होता है
- चुंबकीय प्रभाव, जिससे प्रवाहित धारा के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है और यह प्रभाव विद्युत घंटी, मोटर आदि में उपयोग होता है।
6. जब किसी तार से धारा प्रवाहित करने के लिए स्विच को ‘ऑन’ करते हैं, तो तार के निकट रखी चुंबकीय सुई अपनी उत्तर-दक्षिण स्थिति से विक्षेपित हो जाती है। स्पष्ट कीजिए।
उतर:- विद्युत धारा प्रवाहित होने पर तार के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है, जिसे ओरस्टेड प्रभाव कहते हैं। यह चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के साथ अंतर्क्रिया करता है, जिससे चुंबकीय सुई अपनी सामान्य उत्तर-दक्षिण स्थिति से विचलित हो जाती है।
7. यदि चित्र 10.24 में दर्शाए गए विद्युत परिपथ में स्विच को ‘ऑफ’ किया जाए, तो क्या चुंबकीय सुई विक्षेप दर्शाएगी?

उतर:- चित्र 10.23 में बल्ब इसलिए नहीं जल रहा है क्योंकि सेल के समान ध्रुव (दोनों धनात्मक या दोनों ऋणात्मक) आपस में जुड़े हैं, जिससे परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित नहीं हो पाती। परिपथ को सही करने के लिए, एक सेल का धनात्मक टर्मिनल दूसरे सेल के ऋणात्मक टर्मिनल से जोड़ना होगा, ताकि विद्युत प्रवाह हो और बल्ब प्रकाशित हो।
8. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
उतर:-
(क) विद्युत सेल के प्रतीक में लंबी रेखा, उसके धन टर्मिनल को निरूपित करती है।
(ख) दो या अधिक विद्युत सेलों के संयोजन को बैटरी कहते हैं।
(ग) जब किसी विद्युत हीटर के स्विच को ‘ऑन’ करते हैं, तो इसका अवयव रक्त तप्त (लाल) हो जाता है।
(घ) विद्युत धारा के तापीय प्रभाव पर आधारित सुरक्षा युक्ति को फ्यूज़ कहते हैं।
9. निम्नलिखित कथनों पर सत्य अथवा असत्य अंकित कीजिए-
(क) दो सेलों की बैटरी बनाने के लिए एक सेल के ऋण टर्मिनल को दूसरे सेल के ऋण टर्मिनल से संयोजित करते हैं। – असत्य
(ख) जब किसी फ़्यूज़ में से किसी निश्चित सीमा से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होती है, तो वह पिघलकर टूट जाता है। – सत्य
(ग) विद्युत चुंबक, चुंबकीय पदार्थों को आकर्षित नहीं करता। – असत्य
(घ) विद्युत घंटी में विद्युत चुंबक होता है। – सत्य
10. क्या विद्युत चुंबक का उपयोग किसी कचरे के ढेर से प्लास्टिक को पृथक् करने के लिए किया जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- नहीं, विद्युत चुंबक का उपयोग प्लास्टिक को अलग करने के लिए सीधे नहीं किया जा सकता क्योंकि प्लास्टिक अचुंबकीय पदार्थ है और चुंबकीय क्षेत्र से प्रभावित नहीं होता। विद्युत चुंबक केवल लोहा, निकल और कोबाल्ट जैसी चुंबकीय सामग्री को आकर्षित कर सकता है। कचरे से धातु पदार्थों को अलग करने के बाद, बची हुई सामग्री (जिसमें प्लास्टिक भी शामिल है) को अन्य विधियों द्वारा अलग किया जा सकता है।
11. मान लीजिए कि कोई विद्युत मिस्त्री आपके घर के विद्युत परिपथ में कोई मरम्मत कर रहा है। वह ताँबे के एक तार को फ़्यूज़ के रूप में उपयोग करना चाहता है। क्या आप उससे सहमत होंगे? अपने उत्तर के लिए कारण दीजिए।
उत्तर:- नहीं, मैं सहमत नहीं होऊंगा क्योंकि ताँबे के तार का गलनांक बहुत अधिक होता है और यह सुरक्षा के लिए निर्धारित विद्युत धारा पर पिघलेगा नहीं। एक उचित फ़्यूज़ में विशेष मिश्र धातु का तार होता है जो निश्चित धारा सीमा पार होने पर तुरंत पिघल जाता है। ताँबे का तार प्रयोग करने से अधिक विद्युत धारा प्रवाहित होने पर भी सर्किट नहीं टूटेगा, जिससे उपकरणों को नुकसान या आग लगने का खतरा बना रहेगा।
12. जुबैदा ने चित्र 10.4 में दर्शाए अनुसार एक सेल होल्डर बनाया तथा इसे एक स्विच और एक बल्ब से जोड़कर कोई विद्युत परिपथ बनाया। जब उसने स्विच को ‘ऑन’ की स्थिति में किया, तो बल्ब दीप्त नहीं हुआ। परिपथ में संभावित दोष को पहचानने में जुबैदा की सहायता कीजिए।
उत्तर:- जुबैदा के परिपथ में कई संभावित दोष हो सकते हैं: बल्ब फ्यूज़ या खराब हो सकता है; सेल उल्टी दिशा में या ढीले तरीके से लगी हो सकती है; तारों के बीच ढीले कनेक्शन या टूटे हुए तार हो सकते हैं; स्विच ठीक से काम नहीं कर रहा हो सकता है; या सेल की शक्ति समाप्त हो गई हो सकती है। सभी कनेक्शनों की जांच करके और सेल तथा बल्ब को बदलकर परीक्षण करना चाहिए।
13. चित्र 10.25 में दर्शाए गए विद्युत परिपथ में-

(क) जब स्विच ‘ऑफ’ की स्थिति में है, तो क्या कोई भी बल्ब दीप्त होगा?
उत्तर:- नहीं, जब स्विच ‘ऑफ’ स्थिति में होता है, तब परिपथ में विद्युत धारा का प्रवाह रुक जाता है क्योंकि परिपथ पूरा नहीं होता। बिना विद्युत धारा के कोई भी बल्ब प्रकाशित नहीं हो सकता है।
(ख) जब स्विच को ‘ऑन’ की स्थिति में लाते हैं, तो बल्बों A,B तथा C के दीप्त होने का क्रम क्या होगा?
उत्तर:- जब स्विच ‘ऑन’ किया जाता है, तब बल्ब A, B और C एक साथ प्रकाशित होंगे क्योंकि विद्युत धारा प्रकाश की गति (लगभग 3×10⁸ मीटर/सेकंड) से चलती है। समानांतर क्रम में जुड़े होने पर सभी बल्बों तक विद्युत धारा एक ही समय पर पहुंचती है।