Bihar Board Class 7 Civics Chapter 8 Solutions are available for free here. Written by subject experts, it provides complete question-answer of Chapter 8 – “बाज़ार में एक कमीज़” from the New Civics Book of class 7 – सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2 (Samajik Evam Rajnitik Jeevan).
यह अध्याय एक कमीज़ के निर्माण की प्रक्रिया के माध्यम से उत्पादन, श्रम और लाभ के संबंध को समझाता है। आप जानेंगे कि कपास के खेत से लेकर दुकान तक एक कमीज़ के निर्माण में किसान, श्रमिक, बुनकर और दुकानदार जैसे कितने लोग शामिल होते हैं। यह अध्याय यह भी दर्शाता है कि श्रम और लाभ का बँटवारा असमान क्यों होता है, जिसमें मेहनत करने वालों को कम और व्यापारियों को अधिक लाभ मिलता है।

Bihar Board Class 7 Civics Chapter 8 Solutions
| Subject | Civics (सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2) |
| Class | 7 |
| Chapter | 8. बाज़ार में एक कमीज़ |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास
1. स्वप्ना ने अपनी रूई कुर्नूल के रूई-बाज़ार में न बेचकर व्यापारी को क्यों बेच दी?
उत्तर: स्वप्ना को अपनी फसल की बुआई के समय पैसों की जरूरत थी। इसलिए उसने एक स्थानीय व्यापारी से 2,500 रुपये कर्ज लिए थे। यह कर्ज बहुत ज्यादा ब्याज पर था। व्यापारी ने कर्ज देते समय स्वप्ना से एक शर्त रखी थी कि वह अपनी सारी रूई सिर्फ उसी को बेचेगी। इसलिए स्वप्ना को अपनी रूई कुर्नूल के रूई-बाजार में न बेचकर उसी व्यापारी को बेचनी पड़ी।
2. वस्त्र निर्यातक कारखाने में काम करने वाले मज़दूरों के काम के हालात और उन्हें दी जाने वाली मज़दूरी का वर्णन कीजिए। क्या आप सोचते हैं कि मज़दूरों के साथ न्याय होता है?
उत्तर: वस्त्र निर्यातक कारखाने में मजदूरों को रोज लगभग 10 घंटे काम करना पड़ता है। इन मजदूरों को स्थायी नौकरी नहीं दी जाती, वे अस्थायी रूप से काम करते हैं। उनकी मजदूरी उनके काम की कुशलता पर निर्भर करती है। इन कारखानों में सबसे ज्यादा वेतन दर्जियों को मिलता है, जो करीब 3000 रुपये महीने का होता है। मजदूरों पर हमेशा यह दबाव रहता है कि उन्हें कम समय में अच्छी क्वालिटी का काम करना है। फिर भी उन्हें उनके काम के हिसाब से उचित मजदूरी नहीं मिलती। इसलिए मजदूरों के साथ न्याय नहीं होता है। वे कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन उन्हें उचित पैसे, सुरक्षा और अन्य सुविधाएं नहीं मिलतीं।
3. ऐसी किसी चीज़ के बारे में सोचिए, जिसे हम सब इस्तेमाल करते हैं। वह चीनी, चाय, दूध, पेन, कागज़, पेंसिल आदि कुछ भी हो सकती है। चर्चा कीजिए कि यह वस्तु बाज़ारों की किस श्रृंखला से होती हुई, आप तक पहुँचती है। क्या आप उन सब लोगों के बारे में सोच सकते हैं, जिन्होंने इस वस्तु के उत्पादन व व्यापार में मदद की होगी?
उत्तर: चीनी को लें तो यह हमारे घर तक पहुंचने से पहले कई लोगों के हाथों से होकर गुजरती है। सबसे पहले किसान अपने खेतों में गन्ना उगाते हैं। वे इसकी अच्छी देखभाल करते हैं और काटने के बाद इसे चीनी मिल तक पहुंचाते हैं। मिल में गन्ने से रस निकाला जाता है और फिर उसे उबालकर और साफ करके चीनी बनाई जाती है।
इस काम में मिल में काम करने वाले मजदूर, मशीनों को चलाने वाले इंजीनियर और मिल के मालिक शामिल होते हैं। फिर यह चीनी बड़े थोक व्यापारियों के पास जाती है, जो इसे ट्रकों या रेल से दूसरी जगहों पर भेजते हैं। ट्रक ड्राइवर और मजदूर इस काम में मदद करते हैं। फिर यह छोटे दुकानदारों तक पहुंचती है और आखिर में हम इसे दुकान से खरीदते हैं।
इस पूरी प्रक्रिया में किसान, मिल के मजदूर, थोक व्यापारी, ट्रांसपोर्टर और दुकानदार जैसे कई लोग शामिल होते हैं। वे सभी मिलकर काम करते हैं ताकि चीनी हमारे घरों तक पहुंच सके।
4. यहाँ दिए गए नौ कथनों को सही क्रम में कीजिए और फिर नीचे बनी कपास की डोडियों के चित्रों में सही कथन के अंक भर दीजिए। पहले दो चित्रों में आपके लिए अंक पहले से ही भर दिए गए है।
- स्वप्ना, व्यापारी को रूई बेचती है।
- ग्राहक, सुपरमार्केट में इन कमीज़ों को खरीदते हैं।
- व्यापारी, जिनिंग मिलों को रूई बेचते हैं।
- गार्मेंट निर्यातक, कमीजें बनाने के लिए व्यापारियों से कपड़ा खरीदते हैं।
- सूत के व्यापारी, बुनकरों को सूत देते हैं।
- वस्त्र निर्यातक, संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यवसायी को कमीजें बेचता है।
- सूत कातने वाली मिलें, रूई खरीदती हैं और सूत के व्यापारी को सूत बेचती हैं।
- बुनकर कपड़ा तैयार करके लाते हैं।
- जिनिंग मिलें रूई को साफ करती हैं और उनके गट्टर बनाती हैं।
उत्तर:
