Bihar Board Class 7 Civics Chapter 7 Solutions are available for free here. Written by subject experts, it provides complete question-answer of Chapter 7 – “हमारे आस-पास के बाज़ार” from the New Civics Book of class 7 – सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2 (Samajik Evam Rajnitik Jeevan).
यह अध्याय आपको विभिन्न प्रकार के बाज़ारों और उनकी कार्यप्रणाली से परिचित कराता है। आप साप्ताहिक बाज़ार, दुकानों की पंक्तियों और शोरूम जैसे बाज़ारों की विशेषताओं को समझेंगे। यह अध्याय बताता है कि दुकानदारों को समान अवसर क्यों नहीं मिलते और इसके पीछे स्थान, पूंजी और दुकान के आकार जैसे कारणों को स्पष्ट करता है।

Bihar Board Class 7 Civics Chapter 7 Solutions
| Subject | Civics (सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2) |
| Class | 7 |
| Chapter | 7. हमारे आस-पास के बाज़ार |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास
1. एक फेरीवाला, किसी दुकानदार से कैसे भिन्न है?
उत्तर:
| फेरीवाला | दुकानदार |
|---|---|
| फेरीवालों के पास कोई पक्की या स्थायी दुकान नहीं होती है। वे एक जगह से दूसरी जगह घूमकर सामान बेचते हैं। | दुकानदार की अपनी एक पक्की दुकान होती है जहां वह रोज सामान बेचता है। |
| फेरीवाले ज्यादातर स्थानीय सामान बेचते हैं, जैसे ताजी सब्जियां, फल, या घर का बना सामान। | दुकानदार स्थानीय सामान के साथ-साथ कंपनियों का बना हुआ ब्रांडेड सामान भी बेचते हैं। |
| फेरीवाले अपने सामान का नाम जोर से पुकारते हुए गलियों में घूमते हैं ताकि लोग उन्हें सुन सकें। | दुकानदारों को ऐसा नहीं करना पड़ता क्योंकि ग्राहक खुद उनकी दुकान पर आते हैं। |
| फेरीवालों का सामान अक्सर खुला होता है और उस पर किसी कंपनी का नाम नहीं होता। | दुकानदारों के पास अधिकतर डिब्बे या पैकेट में बंद सामान होता है जिस पर कंपनी का नाम लिखा होता है। |
2. निम्न तालिका के आधार पर एक साप्ताहिक बाज़ार और एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की तुलना करते हुए उनका अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
| बाज़ार | बेची जाने वाली वस्तुओं के प्रकार | वस्तुओं का मूल्य | विक्रेता | ग्राहक |
|---|---|---|---|---|
| साप्ताहिक बाज़ार | स्थानीय सामान जैसे ताजी सब्जियां, फल, मसाले और रोजमर्रा की चीजें। अधिकतर बिना ब्रांड वाला सामान। | कम कीमत पर मिलता है, दाम पर बातचीत की जा सकती है। | छोटे दुकानदार, किसान और फेरीवाले जो अपना सामान सीधे बेचते हैं। | आम लोग, घरेलू नौकर, और कम आय वाले परिवार जो सस्ता सामान खरीदना चाहते हैं। |
| शॉपिंग कॉम्प्लेक्स | कपड़े, इलेक्ट्रॉनिक्स, जूते, खिलौने आदि। ज्यादातर कंपनियों के बने ब्रांडेड सामान। | ज्यादा कीमत होती है, अक्सर कीमतें तय होती हैं और मोल-भाव नहीं होता। | बड़े व्यापारी जो अच्छी दुकानें किराए पर लेकर चलाते हैं। | मध्यम और उच्च आय वाले परिवार जो अच्छी गुणवत्ता का सामान खरीद सकते हैं। |
3. स्पष्ट कीजिए कि बाज़ारों की श्रृंखला कैसे बनती है? इससे किन उद्देश्यों की पूर्ति होती है?
उत्तर: हम जो सामान इस्तेमाल करते हैं, वह कारखानों, खेतों या घरों में बनता है। लेकिन हम वहां से सीधे सामान नहीं खरीद सकते। एक किसान या कारखाना मालिक हमें सिर्फ एक किलो आलू या एक प्लास्टिक का गिलास नहीं बेचेगा।
यहां व्यापारी काम आते हैं। सबसे पहले थोक व्यापारी बड़ी मात्रा में सामान खरीदता है। जैसे – सब्जियों का थोक व्यापारी 50-100 किलो सब्जियां एक साथ खरीदता है। फिर वह इसे छोटे व्यापारियों को बेचता है।
इस तरह से एक लंबी कड़ी बनती है:
- पहले उत्पादक (किसान या कारखाना)
- फिर थोक व्यापारी (बड़ी मात्रा में खरीदता है)
- फिर छोटे व्यापारी (कम मात्रा में खरीदता है)
- और अंत में खुदरा या फुटकर व्यापारी (जो हमें सामान बेचता है)
इस श्रृंखला से कई फायदे होते हैं:
- सामान उत्पादक से हम तक पहुंचता है
- हम अपनी जरूरत के हिसाब से छोटी मात्रा में खरीद सकते हैं
- यह व्यापारियों को रोजगार देता है
- सामान हमारे आस-पास की दुकानों में आसानी से मिल जाता है
4. सब लोगों को बाज़ार में किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। क्या आपके विचार से महँगे उत्पादों की दुकानों के बारे में यह बात सत्य है? उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर: हां, सब लोगों को किसी भी दुकान पर जाने का समान अधिकार है। कोई भी दुकानदार किसी को अपनी दुकान में आने से नहीं रोक सकता है। लेकिन हकीकत में, हर कोई महंगी दुकानों से खरीदारी नहीं कर पाता।
उदाहरण के लिए:
- एक महंगे शॉपिंग मॉल में जहां एक जीन्स पैंट 2000 रुपये से शुरू होता है, वहां कम आय वाला व्यक्ति सिर्फ देख सकता है, खरीद नहीं सकता।
- महंगे रेस्टोरेंट में जहां एक थाली 500 रुपये की है, वहां रिक्शा चालक या दिहाड़ी मजदूर नहीं जा पाएंगे।
इसलिए कम आय वाले लोग अक्सर साप्ताहिक बाज़ारों, स्थानीय दुकानों या फेरीवालों से ही सामान खरीदते हैं जहां सामान सस्ता होता है।
हालांकि कानूनी रूप से सभी को हर दुकान में जाने का अधिकार है, लेकिन व्यावहारिक रूप से लोगों की खरीदने की क्षमता के कारण बाज़ार बंट जाते हैं।
5. बाज़ार में जाए बिना भी खरीदना और बेचना हो सकता है। उदाहरण देकर इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: आजकल बाज़ार में जाए बिना भी हम सामान खरीद और बेच सकते हैं। यह नई तकनीक और सेवाओं के कारण संभव हुआ है:
उदाहरण:
- ऑनलाइन शॉपिंग: हम मोबाइल या कंप्यूटर से इंटरनेट पर फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी वेबसाइट पर जाकर कपड़े, किताबें, खाने-पीने का सामान आदि खरीद सकते हैं। सामान हमारे घर तक पहुंचा दिया जाता है।
- फोन पर ऑर्डर: कई दुकानदार फोन पर ऑर्डर लेते हैं। जैसे – सब्जी वाले, किराना दुकान, दवा की दुकान आदि। हम फोन करके सामान मंगवा सकते हैं।
- होम डिलीवरी: आजकल खाना, दूध, अखबार सभी चीजें घर पहुंचाई जाती हैं।
- ऑनलाइन बिक्री: अगर हमारे पास कोई पुरानी चीज है जिसे हम बेचना चाहते हैं, तो उसे ऑनलाइन ऐप्स पर डालकर बेच सकते हैं।
इस तरह से बाज़ार जाए बिना भी खरीदना-बेचना आसान हो गया है, जिससे हमारा समय और ऊर्जा दोनों बचती है।