Bihar Board Class 7 Civics Chapter 1 Solutions are available for free here. Written by subject experts, it provides complete question-answer of Chapter 1- “समानता” from the New Civics Book of class 7 – सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2 (Samajik Evam Rajnitik Jeevan).
यह अध्याय आपको समानता के महत्व और समाज में इसकी भूमिका से परिचित कराता है। आप समझेंगे कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को समानता का अधिकार क्यों और कैसे प्रदान करता है। यह अध्याय जाति, लिंग और आर्थिक स्थिति जैसे कारणों से होने वाली असमानताओं को उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट करता है, जैसे ओमप्रकाश वाल्मीकि और केरला की एक महिला की कहानी। आप यह भी सीखेंगे कि समानता को वास्तविक जीवन में लागू करने के लिए सरकार और समाज को मिलकर क्या-क्या प्रयास करने चाहिए।

Bihar Board Class 7 Civics Chapter 1 Solutions
| Subject | Civics (सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2) |
| Class | 7 |
| Chapter | 1. समानता |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास
1. लोकतंत्र में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर: लोकतंत्र में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि:
- इसका मतलब है कि सभी वयस्क (18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के) नागरिकों को वोट देने का अधिकार है, चाहे वे अमीर हों या गरीब, पढ़े-लिखे हों या अनपढ़।
- यह सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाता है। जब सभी नागरिक वोट डाल सकते हैं, तो सरकार को उनकी बात सुननी पड़ती है।
- इससे हर नागरिक को अपनी पसंद का प्रतिनिधि चुनने का मौका मिलता है, जो उनकी समस्याओं को समझे और उन्हें हल करने की कोशिश करे।
- यह लोकतंत्र को मजबूत बनाता है क्योंकि इससे सभी लोगों को बराबरी का अहसास होता है और वे अपने आप को देश के विकास में भागीदार समझते हैं।
2. बॉक्स में दिए गए संविधान के अनुच्छेद 15 के अंश को पुनः पढ़िए और दो ऐसे तरीके बताइए, जिनसे यह अनुच्छेद असमानता को दूर करता है?
उत्तर: अनुच्छेद 15 निम्न दो तरीकों से असमानता को दूर करता है:
- यह राज्य (सरकार) को किसी भी नागरिक के साथ धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव करने से रोकता है। इसका मतलब है कि सरकार को सभी नागरिकों के साथ एक जैसा व्यवहार करना चाहिए।
- यह राज्य को कमजोर वर्गों जैसे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार देता है। इससे इन समूहों को शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण मिलता है, जिससे वे समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें और असमानता कम हो सके।
3. “कानून के सामने सब व्यक्ति बराबर हैं” इस कथन से आप क्या समझते हैं? आपके विचार से यह लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण क्यों है?
उत्तर: “कानून के सामने सब व्यक्ति बराबर हैं” का मतलब है:
- देश में रहने वाले सभी लोगों पर एक जैसे कानून लागू होते हैं, चाहे वह देश का राष्ट्रपति हो या घरेलू काम करने वाली कांता। कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।
- किसी के साथ भी उसके धर्म, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
- सभी लोग सार्वजनिक स्थानों जैसे खेल के मैदान, होटल, दुकान, बाजार, कुँए, सड़क और नहाने के घाट का इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अस्पृश्यता को खत्म कर दिया गया है और इसका पालन न करना कानूनी अपराध है।
यह लोकतंत्र में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि:
- समानता लोकतंत्र की आत्मा है। अगर सभी लोग कानून की नजर में बराबर न हों, तो लोकतंत्र सफल नहीं हो सकता।
- यह सभी नागरिकों को न्याय पाने का समान अवसर देता है।
- इससे समाज में सभी को सम्मान से जीने का अवसर मिलता है और किसी को भी अपमानित नहीं किया जा सकता।
4. दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016, के अनुसार उनको समान अधिकार प्राप्त हैं और समाज में उनकी पूरी भागीदारी संभव बनाना सरकार का दायित्त्व है। सरकार को उन्हें निःशुल्क शिक्षा देनी है और विकलांग बच्चों को स्कूलों की मुख्यधारा में सम्मिलित करना है। कानून यह भी कहता है कि सभी सार्वजनिक स्थल, जैसे– भवन, स्कूल आदि में ढलान बनाए जाने चाहिए, जिससे वहाँ विकलांगों के लिए पहुँचना सरल हो।

चित्र को देखिए और उस बच्चे के बारे में सोचिए, जिसे सीढ़ियों से नीचे लाया जा रहा है। क्या आपको लगता है कि इस स्थिति में उपर्युक्त कानून लागू किया जा रहा है? वह भवन में आसानी से आ-जा सके, उसके लिए क्या करना आवश्यक है? उसे उठाकर सीढ़ियों से उतारा जाना, उसके सम्मान और उसकी सुरक्षा को कैसे प्रभावित करता है?
उत्तर: नहीं, इस चित्र में दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 को ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है। चित्र में दिखाया गया है कि व्हीलचेयर पर बैठे बच्चे को लोग उठाकर सीढ़ियों से नीचे ला रहे हैं। यह स्थिति दिव्यांग बच्चे के लिए न तो सुरक्षित है और न ही सम्मानजनक।
भवन में दिव्यांग बच्चे के आसानी से आने-जाने के लिए निम्न सुविधाएँ होनी चाहिए:
- सीढ़ियों के साथ-साथ ढलान (रैंप) का निर्माण होना चाहिए ताकि व्हीलचेयर आसानी से ऊपर-नीचे जा सके।
- विशेष लिफ्ट की व्यवस्था होनी चाहिए।
- दरवाजे इतने चौड़े होने चाहिए कि व्हीलचेयर आसानी से अंदर-बाहर आ-जा सके।
सीढ़ियों से उठाकर उतारे जाने से दिव्यांग बच्चे की सुरक्षा और सम्मान निम्न तरह से प्रभावित होते हैं:
सुरक्षा पर प्रभाव:
- उठाते समय गिरने का खतरा रहता है जिससे चोट लग सकती है।
- व्हीलचेयर का संतुलन बिगड़ सकता है।
- उठाने वाले व्यक्ति के हाथ से छूटने पर गंभीर दुर्घटना हो सकती है।
सम्मान पर प्रभाव:
- दिव्यांग बच्चे को हमेशा दूसरों पर निर्भर रहना पड़ता है, जो उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है।
- वह खुद से स्वतंत्र रूप से आवागमन नहीं कर पाता, जो उसके आत्मविश्वास को कम करता है।
- उसे अलग महसूस कराता है और समानता के अधिकार का हनन होता है।
- वह अपने साथियों की तरह स्वतंत्र रूप से स्कूल की गतिविधियों में भाग नहीं ले पाता।