Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 9 Solutions – मैया मैं नहिं माखन खायो (New Book)

Here we have given free Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 9 Solutions. This provides complete questions and answers of chapter 9 – “मैया मैं नहिं माखन खायो” for free. It follows the new book of Bihar Board class 6 Hindi मल्हार (Malhar) (NCERT Based).

“मैया मैं नहिं माखन खायो” सूरदास जी की एक मनमोहक कविता है जो भगवान कृष्ण के बचपन की एक प्यारी सी घटना को दर्शाती है। इस कविता में छोटे कन्हैया माँ यशोदा से माखन चोरी के आरोपों का प्यार भरे अंदाज़ में जवाब देते हैं। आप देखेंगे कि कैसे कृष्ण अपने छोटे-छोटे हाथों का बहाना बनाकर और ग्वाल-बालों को दोष देकर माँ के सामने अपनी बात रखते हैं। यह कविता माँ और बेटे के बीच के प्यार भरे रिश्ते को बड़ी खूबसूरती से दिखाती है। “मैया मैं नहिं माखन खायो” के प्रश्न उत्तर नीचे दिए गए हैं जो आपको इस मधुर कविता को समझने में मदद करेंगे।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 9 Solutions New Edition

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 9 – मैया मैं नहिं माखन खायो

Class6
SubjectHindi – मल्हार (Malhar)
Chapter9. मैया मैं नहिं माखन खायो
BoardBihar Board

पाठ से

मेरी समझ से

(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए-

(1) मैं माखन कैसे खा सकता हूँ? इसके लिए श्रीकृष्ण क्या तर्क दिया?

  • मुझे तुम पराया समझती हो ।
  • मेरी माता, तुम बहुत भोली हो ।
  • मुझे यह लाठी- कंबल नहीं चाहिए ।
  • मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं?

उत्तर – मेरे छोटे-छोटे हाथ छीके तक कैसे जा सकते हैं? (★)

(2) श्रीकृष्ण माँ के आने से पहले क्या कर रहे थे?

  • गाय चरा रहे थे।
  • माखन खा रहे थे।
  • मधुबन में भटक रहे थे।
  • मित्रों के संग खेल रहे थे।

उत्तर – माखन खा रहे थे। (★)

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण बताइएं कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

मिलकर करें मिलान

पाठ में से चुनकर यहाँ कुछ शब्द दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थ या संदर्भ से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।

उत्तर –

शब्दअर्थ या संदर्भ
1. जसोदा4. यशोदा, श्रीकृष्ण की माँ, जिन्होंने श्रीकृष्ण को पाला था।
2. पहर1. समय मापने की एक इकाई (तीन घंटे का एक पहर होता है। एक दिवस में आठ पहर होते हैं) ।
3. लकुटि कमरिया8. लाठी और छोटा कंबल, कमली (मान्यता है कि श्रीकृष्ण लकुटि – कमरिया लेकर गाय चराने जाया करते थे) ।
4. बंसीवट2. एक वट वृक्ष (मान्यता है कि श्रीकृष्ण जब गाय चराया करते थे, तब वे इसी वृक्ष के ऊपर चढ़कर वंशी की ध्वनि से गायों को पुकारकर उन्हें एकत्रित करते ।)
5. मधुबन7. मथुरा के पास यमुना के किनारे का एक वन ।
6. छीको3. गोल पात्र के आकार का रस्सियों का बुना हुआ जाल जो छत या ऊँची जगह से लटकाया जाता है ताकि उसमें रखी हुई खाने-पीने की चीज़ों (जैसे- दूध, दही आदि ) को कुत्ते, बिल्ली आदि न पा सकें।
7. माता5. जन्म देने वाली, उत्पन्न करने वाली, जननी, माँ।
8. ग्वाल-बाल6. गाय पालने वालों के बच्चे, श्रीकृष्ण के संगी साथी ।

पंक्तियों पर चर्चा

पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपनी कक्षा में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए ।

(क) ‘भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो ”

उत्तर – यह पंक्ति बाल कृष्ण द्वारा माता यशोदा को दी गई सफाई है जब वे माखन चोरी के आरोप से बचने की कोशिश कर रहे थे। कृष्ण कहते हैं कि उन्हें तो सुबह-सुबह ही गायों के पीछे-पीछे मधुबन में भेज दिया जाता है, इसलिए वे घर में माखन कैसे चुरा सकते हैं। यह बाल कृष्ण की चतुराई दिखाता है, जिसमें वे अपनी शरारत से बचने के लिए समय का बहाना बना रहे हैं। यशोदा माँ के सामने कृष्ण का यह तर्क उनकी बुद्धिमानी और बाल सुलभ मासूमियत को दर्शाता है।

(ख) ” सूरदास तब बिहँसि जसोदा, लै उर कंठ लगायो ”

उत्तर – इस पंक्ति में सूरदास जी बताते हैं कि बाल कृष्ण की चतुराई भरी दलीलें सुनकर यशोदा माँ मुस्कुरा उठती हैं और प्यार से कृष्ण को अपने हृदय से लगा लेती हैं। कृष्ण ने विभिन्न बहाने बनाए थे – माँ को भोली बताया, उन्हें भेदभाव करने का आरोप लगाया और गाय चराने न जाने की धमकी भी दी थी। यशोदा माँ अपने लाडले की इन बातों में कोई दोष न देखकर केवल उनके बाल सुलभ व्यवहार पर प्रेम से भर जाती हैं। यह प्रसंग माँ और बच्चे के मधुर संबंध का सुंदर चित्रण करता है जिसमें शरारत के बावजूद प्यार की जीत होती है।

सोच-विचार के लिए

पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर ढूँढ़कर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-

(क) पद में श्रीकृष्ण ने अपने बारे में क्या-क्या बताया है?

उत्तर – इस पद में श्रीकृष्ण ने माता यशोदा के माखन चोरी के आरोप से बचने के लिए कई बातें बताईं। सबसे पहले उन्होंने कहा कि वे सुबह से ही गायों के पीछे मधुबन में रहते हैं, इसलिए घर में माखन चुराना संभव ही नहीं है। फिर उन्होंने अपनी छोटी उम्र का हवाला देकर अपनी निर्दोषता जताई। श्रीकृष्ण ने ग्वाल-बालों पर आरोप लगाया कि उन्होंने झूठ बोला है और ज़बरदस्ती उनके मुँह पर माखन लगा दिया है। इस प्रकार अपनी चतुराई से वे माता को समझाने का प्रयत्न करते हैं।

(ख) यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले से क्यों लगा लिया?

उत्तर – यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को हँसते हुए गले लगाया क्योंकि उन्हें बालक कृष्ण की चतुराई भरी दलीलें और निर्दोष होने का नाटक बहुत प्यारा लगा। जब कृष्ण ने माँ को भोली कहा और उन पर भेदभाव करने का आरोप लगाया, तब यशोदा के मन में वात्सल्य उमड़ आया। कृष्ण का नाराज़ होकर लकुटि-कमरिया (छड़ी और करधनी) लौटाने की बात करना और उनकी मासूम शिकायतें सुनकर माँ का हृदय प्रेम से भर गया। यशोदा ने समझ लिया कि शरारत के बावजूद उनका लाड़ला कितना प्यारा है, इसलिए वे मुस्कुराकर उसे गले लगा लेती हैं।

कविता की रचना

“भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो ।
चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ।।”

इन पंक्तियों के अंतिम शब्दों को ध्यान से देखिए । ‘पठायो’ और ‘आयो’ दोनों शब्दों की अंतिम ध्वनि एक जैसी है। इस विशेषता को ‘तुक’ कहते हैं। इस पूरे पद में प्रत्येक पंक्ति के अंतिम शब्द का तुक मिलता है । अनेक कवि अपनी रचना को प्रभावशाली बनाने के लिए तुक का उपयोग करते हैं।

(क) इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस पाठ की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस पद की अंतिम पंक्ति में अपना नाम भी दिया है आदि ।

उत्तर – इस पद में सभी पंक्तियों के अंत में एक जैसी ध्वनि (‘खायो’, ‘पठायो’, ‘आयो’) आती है, जिसे ‘तुक’ कहते हैं। कवि सूरदास ने बाल-सुलभ व्यवहार का बहुत सुंदर वर्णन किया है – जैसे बच्चों का अपना दोष दूसरों पर डालना, छोटे-छोटे तर्क देना और नाराज़गी दिखाना। कविता में लय और ध्वनि सौंदर्य है जो इसे आकर्षक बनाता है। सूरदास जी ने अंतिम पंक्ति में अपना नाम देकर रचना को पूर्णता दी है।

(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

अनुमान या कल्पना से

अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-

(क) श्रीकृष्ण अपनी माँ यशोदा को तर्क क्यों दे रहे होंगे ?

उत्तर – श्रीकृष्ण माता यशोदा को तर्क इसलिए दे रहे हैं क्योंकि वे अपनी माखन चोरी के लिए दोष से बचना चाहते हैं। छोटे बच्चे स्वभाव से ही अपनी गलतियों से बचने के लिए तर्क देते हैं और श्रीकृष्ण भी बाल सुलभ व्यवहार करते हुए दोष दूसरों पर डालने का प्रयास कर रहे हैं। वे चतुराई से तर्क देकर माँ का प्यार पाना चाहते हैं और डांट से बचना चाहते हैं। बालक कृष्ण की यह मासूमियत और चतुराई उनके बाल-स्वभाव का सुंदर चित्रण है।

(ख) जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले से लगा लिया, तब क्या हुआ होगा?

उत्तर – जब माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को गले लगाया, तब माँ के क्रोध का स्थान प्रेम ने ले लिया होगा और दोनों के बीच की नाराज़गी दूर हो गई होगी। कृष्ण के चेहरे पर मुस्कान आ गई होगी क्योंकि उनकी चतुराई सफल हो गई थी। माता यशोदा के मन में वात्सल्य उमड़ आया होगा और वे अपने शरारती पुत्र की बातों पर हँस पड़ी होंगी। इस तरह माँ-बेटे के बीच का प्रेम और भी गहरा हो गया होगा।

शब्दों के रूप

नीचे शब्दों से जुड़ी कुछ गतिविधियाँ दी गई हैं। इन्हें करने के लिए आप शब्दकोश, अपने शिक्षकों और साथियों की सहायता भी ले सकते हैं।

(क) “भोर भयो गैयन के पाछे”

इस पंक्ति में ‘पाछे’ शब्द आया है। इसके लिए ‘पीछे’ शब्द का उपयोग भी किया जाता है। इस पद में ऐसे कुछ और शब्द हैं जिन्हें आप कुछ अलग रूप में लिखते और बोलते होंगे। नीचे ऐसे ही कुछ अन्य शब्द दिए गए हैं। इन्हें आप जिस रूप में बोलते लिखते हैं, उस प्रकार से लिखिए।

उत्तर –

  • परे – पड़े
  • कछु – कुछ
  • छोटो – छोटा
  • लै – लेना
  • बिधि – विधि, प्रकार
  • नहिं – नहीं
  • भोरी – भोली

(ख) पद में से कुछ शब्द चुनकर नीचे स्तंभ 1 में दिए गए हैं और स्तंभ 2 में उनके अर्थ दिए गए हैं। शब्दों का उनके सही अर्थों से मिलान कीजिए-

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. उपजि8. जन्मा
2. जानि2. उपजनना, उत्पन्न होना
3. जायो3. जानकर, समझकर
4. जिय7. मन, जी
5. पठायो11. भेज दिया
6. पतियायो4. विश्वास किया, सच माना
7. बहियन5. बाँह, हाथ, भुजा
8. बिधि6. प्रकार, भाँति, रीति
9. बिहँसि1. मुसकाई, हँसी
10. भटक्यो10. इधर-उधर घूमा या भटका
11. लपटायो9. मला, लगाया, पोता

वर्ण–परिवर्तन

“तू माता मन की अति भोरी”

‘भोरी’ का अर्थ है ‘भोली’। यहाँ ‘ल’ और ‘र’ वर्ण परस्पर बदल गए हैं। आपने ध्यान दिया होगा कि इस पद में कुछ और शब्दों में भी ‘ल’ या ‘ड़’ और ‘र’ में वर्ण- परिवर्तन हुआ है। ऐसे शब्द चुनकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

उत्तर –

  • परे – पड़ना
  • भोरी – भोली

पंक्ति से पंक्ति

नीचे स्तंभ 1 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं और स्तंभ 2 में उनके भावार्थ दिए हैं। रेखा खींचकर सही मिलान कीजिए।

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. भोर भयो गैयन के पाछे, मधुबन मोहि पठायो ।4. सुबह होते ही गायों के पीछे मुझे मधुबन भेज दिया।
2. चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आये।5. चार पहर बंसीवट में भटकने के बाद साँझ होने पर घर आया।
3. मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।1. मैं छोटा बालक हूँ, मेरी बाँहें छोटी हैं, मैं छीके तक कैसे पहुँच सकता हूँ?
4. ग्वाल-बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो।6. ये सब सखा मुझसे बैर रखते हैं, इन्होंने मक्खन हठपूर्वक मेरे मुख पर लिपटा दिया।
5. तू माता मन की अति भोरी, इनके कहे पतियायो।3. माँ तुम मन की बड़ी भोली हो, इनकी बातों में आ गई हो।
6. जिय तेरे कछु भेद उपजि है, जानि परायो जायो ।2. तेरे हृदय में अवश्य कोई भेद है, जो मुझे पराया समझ लिया।

पाठ से आगे

आपकी बात

“मैया मैं नहिं माखन खायो”

यहाँ श्रीकृष्ण अपनी माँ के सामने सिद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं कि उन्होंने माखन महीं खाया है। कभी-कभी हमें दूसरों के सामने सिद्ध करना पड़ जाता है कि यह कार्य हमने नहीं किया। क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है? कब? किसके सामने? आपने अपनी बात सिद्ध करने के लिए कौन-कौन से तर्क दिए? उस घटना के बारे में बताइए।

उत्तर – हाँ, मेरे साथ भी ऐसी घटना घटी थी जब मुझे अपनी बात सिद्ध करनी पड़ी। पिछले महीने मेरी वार्षिक परीक्षा के दिन मैं विद्यालय जाते समय एक दुर्घटनाग्रस्त वृद्ध व्यक्ति को देखा जिनके पैर से खून बह रहा था। मानवता के नाते मैंने उन्हें अपनी साइकिल पर बिठाकर नज़दीकी सरकारी अस्पताल पहुँचाया, जिससे मैं विद्यालय आधा घंटा देर से पहुँचा। स्कूल के गार्ड ने मुझे अंदर जाने से रोक दिया और मेरी कहानी पर विश्वास नहीं किया।

मैंने धैर्यपूर्वक अपना पक्ष रखा और कहा कि आप अस्पताल में फोन करके पूछ सकते हैं। सौभाग्य से तभी हमारे पी.टी. सर वहाँ आ गए, जिन्होंने मेरी बात पर भरोसा किया और प्रधानाचार्य से बात की। अस्पताल से पुष्टि के बाद न केवल मुझे परीक्षा देने की अनुमति मिली बल्कि अतिरिक्त समय भी दिया गया। अगले दिन प्रार्थना सभा में मेरी सहायता की प्रशंसा भी की गई। इस घटना से मुझे सीख मिली कि सत्य हमेशा सामने आता है, भले ही शुरुआत में लोग विश्वास न करें।

घर की वस्तुएँ

“मैं बालक बहियन को छोटो, छीको केहि बिधि पायो।”

‘छीका’ घर की एक ऐसी वस्तु है जिसे सैकड़ों वर्ष से भारत में उपयोग में लाया जा रहा है।

नीचे कुछ और घरेलू वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं। इन्हें आपके घर में क्या कहते हैं? चित्रों के नीचे लिखिए। यदि किसी चित्र को पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।

उत्तर –

  • घड़ा, कुंभ
  • इस्त्री, प्रेस
  • चौकी
  • सिलाई मशीन
  • चारपाई
  • मूर्तबान
  • सूप
  • जाँता
  • सील – वट्टा
  • मथानी
  • पंखा
  • छलनी
  • डलिया
  • ओखली
  • बिलौनी

समय का माप

“चार पहर बंसीवट भटक्यो, साँझ परे घर आयो।”

(क) ‘पहर’ और ‘साँझ’ शब्दों का प्रयोग समय बताने के लिए किया जाता है। समय बताने के लिए और कौन-कौन से शब्दों का प्रयोग किया जाता है? अपने समूह में मिलकर सूची बनाइए और कक्षा में साझा कीजिए ।
(संकेत- कल, ऋतु, वर्ष, अब, पखवाड़ा, दशक, वेला, अवधि आदि)

उत्तर – समय बताने के लिए कई शब्दों का प्रयोग किया जाता है: दिन के चार पहर (पूर्वाह्न, मध्याह्न, अपराह्न, सायंकाल) और रात के चार पहर (प्रदोष, निशिथ, त्रियामा, उषा) होते हैं, जिनमें एक पहर 3 घंटे का होता है। अन्य समयसूचक शब्द हैं – प्रातःकाल (सुबह), मध्यान्ह (दोपहर), गोधूलि (शाम), क्षण, पल, घड़ी, मुहूर्त, मास (महीना), अयन, युग और शताब्दी। कल (बीता हुआ या आने वाला दिन), पखवाड़ा (15 दिन), दशक (10 वर्ष) और वेला (विशेष समय) भी समय सूचक शब्द हैं।

(ख) श्रीकृष्ण के अनुसार वे कितने घंटे गाय चराते थे?

उत्तर – श्रीकृष्ण के अनुसार वे चार पहर गाय चराते थे, जिसका अर्थ है 12 घंटे। एक पहर 3 घंटे का होता है, इसलिए चार पहर में 3×4=12 घंटे होते हैं। इतने लंबे समय तक गायों के साथ रहने के कारण ही वे अपने घर देर से लौटते थे।

(ग) मान लीजिए वे शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे। वे सुबह कितने बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे?

उत्तर – यदि श्रीकृष्ण शाम को छह बजे गाय चराकर लौटे और उन्होंने कुल 12 घंटे (चार पहर) गाय चराई, तो वे सुबह छह बजे गाय चराने के लिए घर से निकले होंगे। सुबह छह बजे से शाम छह बजे तक कुल 12 घंटे होते हैं, जो चार पहर के बराबर होता है।

(घ) ‘दोपहर’ का अर्थ है- ‘दो पहर’ का समय । जब दूसरे पहर की समाप्ति होती है और तीसरे पहर का प्रारंभ होता है। यह लगभग 12 बजे का समय होता है, जब सूर्य सिर पर आ जाता है । बताइए दिन के पहले पहर का प्रारंभ लगभग कितने बजे होगा?

उत्तर – दोपहर का अर्थ है दो पहर का समय, जो लगभग 12 बजे होता है। प्राचीन भारतीय समय विभाजन के अनुसार दिन का पहला पहर सूर्योदय से शुरू होता है, जो आमतौर पर सुबह 6 बजे माना जाता है। पहला पहर सुबह 6 बजे से 9 बजे तक, दूसरा 9 बजे से 12 बजे तक, तीसरा 12 बजे से 3 बजे तक और चौथा 3 बजे से 6 बजे तक रहता है।

हम सब विशेष हैं

(क) महाकवि सूरदास दृष्टिबाधित थे। उनकी विशेष क्षमता थी उनकी कल्पना शक्ति और कविता रचने की कुशलता ।
हम सभी में कुछ न कुछ ऐसा होता है जो हमें सबसे विशेष और सबसे भिन्न बनाता है। नीचे दिए गए व्यक्तियों की विशेष क्षमताएँ क्या हैं, विचार कीजिए और लिखिए-

आपकी ________

आपके किसी परिजन की _______

आपके शिक्षक की ________

आपके मित्र की _______

उत्तर –

आपकी विशेष क्षमता – मुझे कहानियाँ सुनाने और याद रखने की अच्छी क्षमता है। मैं एक बार सुनी हुई कहानी को लंबे समय तक याद रख सकता हूँ और उसे अपने शब्दों में रोचक ढंग से सुना सकता हूँ। कक्षा में भी कभी-कभी शिक्षक मुझसे कहानी सुनवाते हैं और मेरे साथी भी मेरी कहानियाँ पसंद करते हैं।

आपके किसी परिजन की विशेष क्षमता – मेरी माँ की विशेष क्षमता है कि वे किसी भी व्यक्ति से कुछ ही मिनटों में घुल-मिल जाती हैं। उनकी बातचीत करने की कला इतनी अच्छी है कि अजनबी भी जल्दी ही उनसे अपनी बातें शेयर करने लगते हैं। इसी कारण हमारे परिवार के सभी सदस्य अपनी समस्याएँ सबसे पहले माँ को ही बताते हैं।

आपके शिक्षक की विशेष क्षमता – हमारे हिंदी शिक्षक की विशेष क्षमता है कठिन विषयों को सरल उदाहरणों से समझाना। वे किसी भी कविता या कहानी को इस तरह प्रस्तुत करते हैं कि हम सब उसमें खो जाते हैं। वे कक्षा में कभी-कभी अभिनय करके भी पाठ समझाते हैं, जिससे हमें विषय याद रखने में आसानी होती है।

आपके मित्र की विशेष क्षमता – मेरे मित्र राहुल की विशेष क्षमता है चित्र बनाना। वह बिना किसी प्रशिक्षण के ही इतने सुंदर चित्र बनाता है कि देखने वाले मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। स्कूल के हर कार्यक्रम में उसके चित्रों की प्रदर्शनी लगती है और वह कक्षा की सजावट का काम भी संभालता है।

(ख) एक विशेष क्षमता ऐसी भी है जो हम सबके पास होती है । वह क्षमता है सबकी सहायता करना, सबके भले के लिए सोचना । तो बताइए, इस क्षमता का उपयोग करके आप इनकी सहायता कैसे करेंगे-

  • एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा है।
  • एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता।
  • एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।
  • एक सहपाठी बहुत अटक – अटक कर बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।
  • एक सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है।
  • एक सहपाठी प्रतिदिनं विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है।

उत्तर –

एक सहपाठी पढ़ना जानता है और उसे एक पाठ समझ में नहीं आ रहा है

मैं अपने सहपाठी को पाठ समझाने के लिए सरल भाषा में उदाहरणों के साथ समझाऊँगा। पहले मैं खुद पाठ को अच्छे से पढ़ूँगा ताकि मुझे स्पष्ट समझ हो। फिर मैं उसके साथ बैठकर धीरे-धीरे हर अवधारणा पर चर्चा करूँगा और उसके प्रश्नों के उत्तर दूँगा। कठिन शब्दों का अर्थ बताकर और रोज़मर्रा के उदाहरणों से जोड़कर पाठ को रोचक बनाऊँगा।

एक सहपाठी को पढ़ना अच्छा लगता है और वह देख नहीं सकता।

मैं अपने दृष्टिहीन सहपाठी को पाठ्यपुस्तकें और कहानियाँ पढ़कर सुनाऊँगा। उसके साथ मिलकर ब्रेल लिपि सीखने का प्रयास करूँगा ताकि वह स्वयं भी पढ़ सके। विद्यालय के पुस्तकालय से ऑडियो बुक्स ढूँढकर लाऊँगा। कक्षा में शिक्षक द्वारा लिखवाए गए नोट्स भी उसे सुनाऊँगा और परीक्षा की तैयारी में मदद करूँगा।

एक सहपाठी बहुत जल्दी-जल्दी बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।

मैं अपने सहपाठी को सुझाव दूँगा कि वह अपना भाषण लिखकर प्रैक्टिस करे। उसे धीमी गति से बोलने का अभ्यास करने में मदद करूँगा। हम साथ मिलकर भाषण का वीडियो रिकॉर्ड करेंगे ताकि वह अपनी गलतियाँ देख सके। मैं उसे सिखाऊँगा कि वाक्यों के बीच में रुककर और मुख्य बिंदुओं पर ज़ोर देकर भाषण को प्रभावी बनाया जा सकता है।

एक सहपाठी बहुत अटक-अटक कर बोलता है और उसे कक्षा में भाषण देना है।

मैं अपने सहपाठी के साथ रोज़ाना कुछ वाक्य बोलने का अभ्यास करूँगा। उसे हौसला दूँगा कि हकलाना कोई कमज़ोरी नहीं है और धैर्य से इसे सुधारा जा सकता है। हम मिलकर उसके भाषण का अभ्यास करेंगे, जिसमें वह पहले छोटे वाक्यों से शुरुआत करे। मैं उसे बताऊँगा कि गहरी साँस लेने और धीरे-धीरे बोलने से हकलाहट कम हो सकती है।

एक सहपाठी को चलने में कठिनाई है और वह सबके साथ दौड़ना चाहता है।

मैं अपने सहपाठी को प्रोत्साहित करूँगा कि वह अपनी क्षमता के अनुसार धीरे-धीरे प्रगति करे। हम सभी दोस्त मिलकर ऐसे खेल खेलेंगे जिसमें वह भी भाग ले सके। स्कूल के पी.टी. शिक्षक से बात करके उसके लिए विशेष व्यायाम कार्यक्रम बनवाऊँगा जिससे उसकी चलने की क्षमता बढ़े। कक्षा के सभी छात्रों को समझाऊँगा कि हमें उसका हौसला बढ़ाना चाहिए, न कि उसे अलग महसूस कराना।

एक सहपाठी प्रतिदिन विद्यालय आता है और उसे सुनने में कठिनाई है।

मैं अपने श्रवण बाधित सहपाठी के लिए कक्षा में आगे की बेंच पर जगह बनाऊँगा ताकि वह शिक्षक को अच्छे से देख सके। शिक्षकों से अनुरोध करूँगा कि वे बोर्ड पर अधिक लिखें और स्पष्ट बोलें। मैं अपने नोट्स उसे देने के लिए स्वच्छ अक्षरों में लिखूँगा। उसकी पढ़ाई में मदद करने के लिए स्कूल के बाद भी समय निकालूँगा और संकेत भाषा सीखने का प्रयास करूँगा।

आज की पहेली

दूध से मक्खन ही नहीं बल्कि और भी बहुत कुछ बनाया जाता है | नीचे दूध से बनने वाली कुछ वस्तुओं के चित्र दिए गए हैं | दी गई शब्द पहेली में उनके नाम के पहले अक्षर दे दिए हैं। (चित्र के लिए पाठ्यपुस्तक देखें) नाम पूरे कीजिए-

उत्तर –

छात्र स्वयं करें

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