Here we have given free Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 3 Solutions. This provides complete questions and answers of chapter 3 – “पहली बूँद” for free. It follows the new book of Bihar Board class 6 Hindi मल्हार (Malhar) (NCERT Based).
हमारी कक्षा 6 की हिंदी पाठ्यपुस्तक का तीसरा पाठ “पहली बूँद” हैं। यह कविता गोपालकृष्ण कौल जी ने लिखी है, जिसमें बारिश की पहली बूँद के आने पर प्रकृति में होने वाले खूबसूरत बदलावों को बहुत ही सुंदर तरीके से बताया गया है। कविता पढ़कर ऐसा लगता है मानो हम भी बारिश की ताज़गी और हरियाली को महसूस कर रहे हों! इस अध्याय के सभी प्रश्न-उत्तर नीचे दिए गए हैं।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 3 – पहली बूँद
Contents
| Class | 6 |
| Subject | Hindi – मल्हार (Malhar) |
| Chapter | 3. पहली बूँद |
| Board | Bihar Board |
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-
1 . कविता में ‘नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ किसके लिए प्रयुक्त हुआ है?
- बादल
- अंकुर
- बूँद
- पावस
उत्तर – अंकुर (★)
2 . ‘नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली से ये जलधर’ में ‘काली पुतली’ है-
- बारिश की बूँदें
- वृद्ध धरती
- नगाड़ा
- बादल
उत्तर – बारिश की बूँदें
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर क्यों चुने?
उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।
मिलकर करें मिलान
कविता की कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन पंक्तियों में कुछ शब्द रेखांकित हैं। दाहिनी ओर रेखांकित शब्दों के भावार्थ दिए गए हैं। इनका मिलान कीजिए।
उत्तर –
| कविता की पंक्तियाँ | भावार्थ |
|---|---|
| 1. आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर | 2. बादल |
| 2. बजा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई | 1. मेघ गर्जना |
| 3. नीले नयनों सा यह अम्बर, काली पुतली-से ये जलधर | 4. आकाश |
| 4. वसुंधरा की रोमावलि -सी, हरी दूब पुलकी-मुसकाई। | 3. हरी दूब |
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
“आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर,
जा नगाड़े जगा रहे हैं, बादल धरती की तरुणाई । ”
उत्तर – कवि ने आकाश में छाए बादलों को उड़ते हुए सागर के रूप में चित्रित किया है। बिजली की चमक को सुनहरे पंखों के समान दिखाया गया है, जैसे बादलों के सागर में कोई सुनहरी चिड़िया उड़ रही हो। बादलों की गरज को नगाड़े के समान बताया गया है, जो मानो धरती को जगाने का काम कर रहे हैं। यहाँ ‘तरुणाई’ का अर्थ है युवा ऊर्जा, जिसे बरसात के आगमन से धरती में नया जीवन और ताज़गी आती है। वर्षा धरती पर पड़कर प्रकृति में नई जान डालती है, जैसे धरती फिर से जवान हो जाती हो।
“नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर।
करुणा-विगलित अश्रु बहाकर, धरती की चिर-प्यास बुझाई।”
उत्तर – कवि ने नीले आकाश की तुलना नीली आँखों से की है, जिसमें काले बादल आँखों की काली पुतलियों जैसे लग रहे हैं। बादलों से गिरने वाली बारिश को करुणा भरे आँसुओं के रूप में दर्शाया गया है, जैसे आकाश धरती के लिए दुःखी होकर रो रहा हो। इन आँसुओं यानी वर्षा से धरती की लंबे समय की प्यास बुझ जाती है। यह रूपक धरती और आकाश के बीच एक भावनात्मक संबंध दिखाता है, जहाँ प्रकृति के तत्व एक-दूसरे की जरूरतों को समझते हैं।
सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए –
बारिश की पहली बूँद से धरती का हर्ष कैसे प्रकट होता है?
उत्तर – बारिश की पहली बूँद धरती के सूखे होंठों पर अमृत के समान पड़ती है, जिससे धरती में नई ताज़गी आती है। यह बूँद धरती को नया जीवन देती है, जैसे कोई प्यासा व्यक्ति पानी पाकर प्रसन्न हो जाता है। धरती की यह खुशी उसके हरे-भरे होने में दिखाई देती है, जब सूखी मिट्टी से कोमल अंकुर फूटने लगते हैं।
कविता में आकाश और बादलों को किनके समान बताया गया है?
उत्तर – कविता में नीले आकाश की तुलना नीली आँखों से की गई है। काले बादलों को इन नीली आँखों की काली पुतलियों के समान दर्शाया गया है। यह उपमा आकाश और बादलों के प्राकृतिक सौंदर्य को मानवीय रूप में प्रस्तुत करती है।
कविता की रचना
‘आसमान में उड़ता सागर, लगा बिजलियों के स्वर्णिम पर कविता की इस पंक्ति का सामान्य अर्थ देखें तो समुद्र का आकाश में उड़ना असंभव होता है। लेकिन जब हम इस पंक्तिका भावार्थ समझते हैं तो अर्थ इस प्रकार निकलता है— समुद्र का जल बिजलियों के सुनहरे पंख लगाकर आकाश में उड़ रहा है। ऐसे प्रयोग न केवल कविता की सुंदरता बढ़ाते हैं बल्कि उसे आनंददायक भी बनाते हैं।
इस कविता में ऐसे दृश्यों को पहचानें और उन पर चर्चा करें।
उत्तर – कविता में प्रकृति के तत्वों को मानवीय भावों और क्रियाओं से जोड़कर उन्हें जीवंत रूप दिया गया है। इसे मानवीकरण अलंकार कहते हैं। कविता के निम्न दृश्य इसके उत्कृष्ट उदाहरण हैं:
“अंकुर फूट पड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगड़ाई” – यहाँ अंकुर को एक जीवित प्राणी की तरह दिखाया गया है जो नींद से उठकर अंगड़ाई लेता है। यह बीज से नए पौधे के जन्म को दर्शाता है।
“हरी दूब पुलकी-मुसकाई” – घास को मुस्कुराते हुए और प्रसन्नता से पुलकित होते हुए दिखाया गया है, जो प्रकृति की खुशी का सुंदर चित्रण है।
“नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली-से ये जलधर” – आकाश को नीली आँखें और बादलों को काली पुतलियाँ बताकर प्राकृतिक दृश्य को मानवीय स्वरूप दिया गया है।
“करुणा-विगलित अश्रु बहाकर” – वर्षा की बूँदों को आँसुओं के रूप में दर्शाया गया है, जो करुणा से भरे हैं। यह वर्षा के महत्व और प्राकृतिक चक्र को दर्शाता है।
“बूढ़ी धरती शस्य-श्यामला बनने को फिर से ललचाई” – धरती को एक बूढ़ी महिला के रूप में प्रस्तुत किया है जो हरी-भरी और उपजाऊ बनने की इच्छा रखती है।
इन दृश्यों से कविता में प्रकृति के चक्र, पुनर्जन्म और नवीनीकरण का सुंदर चित्रण हुआ है, जिससे छात्र प्रकृति के साथ भावनात्मक जुड़ाव महसूस कर सकते हैं।
शब्द एक अर्थ अनेक
‘अंकुर फूट पड़ा धरती से, नव-जीवन की ले अँगड़ाई’ कविता की इस पंक्ति में ‘फूटने’ का अर्थ पौधे का अंकुरण है। ‘फूट’ का प्रयोग अलग-अलग अर्थों में किया जाता है, जैसे— फूट डालना, घड़ा फूटना आदि। अब फूट शब्द का प्रयोग ऐसे वाक्यों में कीजिए जहाँ इसके भिन्न-भिन्न अर्थ निकलते हों, जैसे— अंग्रेज़ों की नीति थी फूट डालो और राज करो।
उत्तर –
- दोस्तों के बीच फूट पड़ जाने से उनका आपसी विश्वास टूट गया। (फूट = मतभेद या अलगाव)
- धरती से जल-धारा फूट पड़ी और चारों ओर हरियाली छा गई। (फूट पड़ना = अचानक निकलना)
- ग्लास गिरने से फूट गया और उसके टुकड़े चारों ओर बिखर गए। (फूटना = टूटना)
- गर्मी के दिनों में उसके पैरों में छाले फूट आए। (फूटना = छालों का उभरना)
- बादल फूटने से पूरा गाँव जलमग्न हो गया। (फूटना = बरसना)
अनेक शब्दों के लिए एक शब्द
‘नीले नयनों-सा यह अंबर, काली पुतली से ये जलधर’ कविता की इस पंक्ति में ‘जलधर’ शब्द आया है। ‘जलधर’ दो शब्दों से बना है, जल और धर इस प्रकार जलधर का शाब्दिक अर्थ हुआ जल को धारण करने वाला। बादल और समुद्र; दोनों ही जल धारण करते हैं। इसलिए दोनों जलधर हैं। वाक्य के संदर्भ या प्रयोग से हम जान सकेंगे कि जलधर का अर्थ समुद्र है या बादल।
शब्दकोश या इंटरनेट की सहायता से ‘धर’ से मिलकर बने कुछ शब्द और उनके अर्थ ढूँढ़कर लिखिए।
उत्तर –
- शस्त्रधर – शस्त्र (हथियार) धारण करने वाला, योद्धा
- गदाधर – गदा धारण करने वाला, भगवान विष्णु
- जटाधर – जटा धारण करने वाला, भगवान शिव
- धनुर्धर – धनुष धारण करने वाला, अर्जुन
- शूलधर – त्रिशूल धारण करने वाला, भगवान शिव
- पृथ्वीधर – पृथ्वी को धारण करने वाला, शेषनाग
शब्द पहेली

उत्तर –
क. एक प्रकार का वाद्य यंत्र – नगाड़ा
ख. आँख के लिए एक अन्य शब्द – नयन
ग. जल को धारण करने वाला – जलधर
घ. एक प्रकार की घास – दूब
ङ. आँसू का समानार्थी – अश्रु
च. आसमान का समानार्थी शब्द – अंबर
पाठ से आगे
आपकी बात
बारिश को लेकर हर व्यक्ति का अनुभव भिन्न होता है। बारिश आने पर आपको कैसा लगता है ? बताइए |
उत्तर – बारिश के पहली बूँदों के छूते ही मेरा मन आनंदित हो जाता है। मिट्टी की सोंधी सुगंध मुझे बहुत भाती है और बारिश की रिमझिम ध्वनि दिल को सुकून देती है। छत पर गिरती बूँदों की आवाज़ सुनकर मुझे अपनी किताब लेकर खिड़की के पास बैठना अच्छा लगता है। बारिश के बाद का ताज़ा माहौल, हरे-भरे पेड़-पौधे और साफ़ हवा मुझे नई ऊर्जा से भर देते हैं। हालाँकि कभी-कभी तेज़ बारिश से सड़कों पर जलभराव हो जाता है, जिससे स्कूल जाने में परेशानी होती है, फिर भी बारिश का मौसम मुझे सबसे प्रिय है।
आपको कौन-सी ऋतु सबसे अधिक प्रिय है और क्यों? बताइए।
उत्तर – वसंत ऋतु मुझे सबसे अधिक प्रिय है क्योंकि इस समय मौसम न ज्यादा गर्म होता है और न ही अधिक ठंडा। इस ऋतु में प्रकृति रंग-बिरंगे फूलों से सज जाती है, जो आँखों को बहुत भाते हैं। पेड़ों पर नई कोंपलें निकलती हैं जो नए जीवन का संदेश देती हैं और मन में उमंग भर देती हैं। वसंत में होली जैसे रंगीन त्योहारों का आनंद लेने का अवसर मिलता है, जिससे परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने का मौका मिलता है। पक्षियों का मधुर कलरव और तितलियों का इधर-उधर उड़ना मन को अद्भुत खुशी देता है।df
समाचार माध्यमों से
प्रत्येक मौसम समाचार के विभिन्न माध्यमों (इलेक्ट्रॉनिक या प्रिंट या सोशल मीडिया) के प्रमुख समाचारों में रहता है। संवाददाता कभी बाढ़ तो कभी सूखे या भीषण ठंड के समाचार देते दिखाई देते हैं। आप भी बन सकते हैं संवाददाता या लिख सकते हैं समाचार |
- अत्यधिक गर्मी, सर्दी या बारिश में आपने जो स्थिति देखी है का आँखों देखा हाल अपनी कक्षा में प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर – पिछले गर्मियों में, जब तापमान 45 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया, हमारे शहर की स्थिति भयावह हो गई थी। दोपहर के समय सड़कें एकदम सूनी दिखाई देती थीं, मानो लोगों ने घर से बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया हो। जो लोग काम के लिए बाहर निकलते, वे छाते और टोपी का उपयोग करते और अपने साथ पानी की बोतलें अवश्य रखते। पशु-पक्षी भी इस गर्मी से परेशान थे – कुत्ते हाँफते हुए छायादार स्थानों में पड़े रहते और पक्षी पेड़ों की घनी छाया में छिपे रहते।
लू चलने से स्थिति और भी गंभीर हो गई थी, लोग लू से बचने के लिए घर के अंदर ही रहना पसंद करते। बिजली की लगातार कटौती ने लोगों की परेशानी और बढ़ा दी थी, पंखे और कूलर बंद होने से लोग पसीने से तरबतर हो जाते थे।
सृजन

उत्तर – रेगिस्तानी लिली