Here we have given free Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 2 Solutions. This provides complete questions and answers of chapter 2 – “गोल” for free. It follows the new book of Bihar Board class 6 Hindi मल्हार (Malhar) (NCERT Based).
कक्षा 6 हिंदी का दूसरा पाठ “गोल” हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद की एक बेहद रोचक और प्रेरणादायक कहानी है। इस पाठ में हम उनके संघर्षों, हॉकी के प्रति उनके प्यार और एक महान खिलाड़ी बनने की उनकी मेहनत भरी यात्रा के बारे में जानते हैं। यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर दिल में जुनून हो और हम पूरी लगन से कोशिश करें, तो कोई भी सपना सच हो सकता है। अगर आप “गोल” पाठ के प्रश्न-उत्तर ढूंढ रहे हैं, तो आप बिलकुल सही जगह पर आए हैं! इस अध्याय के सभी प्रश्न-उत्तर नीचे दिए गए हैं।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 2 – गोल
Contents
| Class | 6 |
| Subject | Hindi – मल्हार (Malhar) |
| Chapter | 2. गोल |
| Board | Bihar Board |
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-
(1) “दोस्त, खेल में इतना गुस्सा अच्छा नहीं। मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता।” मेजर ध्यानचंद की इस बात से उनके बारे में क्या पता चलता है?
- वे अत्यंत क्रोधी थे।
- वे अच्छे ढंग से बदला लेते थे।
- उन्हें हॉकी से मारने पर वे अधिक गोल करते थे।
- वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए।
उत्तर – वे जानते थे कि खेल को सही भावना से खेलना चाहिए। (★)
(2) लोगों ने मेजर ध्यानचंद को ‘हॉकी का जादूगर’ कहना क्यों शुरू कर दिया?
- उनके हॉकी खेलने के विशेष कौशल के कारण
- उनकी हॉकी स्टिक की अनोखी विशेषताओं के कारण
- हॉकी के लिए उनके विशेष लगाव के कारण
- उनकी खेल भावना के कारण
उत्तर – उनके हॉकी खेलने के विशेष कौशल के कारण (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर – विद्यार्थी अपने मित्रों से चर्चा करके इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।
मिलकर करें मिलान
पाठ में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर –
| शब्द | अर्थ या संदर्भ |
|---|---|
| 1. लांस नायक | 2. भारतीय सेना का एक पद (रैंक) है। |
| 2. बर्लिन ओलंपिक | 4. वर्ष 1936 में जर्मनी के बर्लिन शहर में आयोजित ओलंपिक खेल प्रति-योगिता, जिसमें 49 देशों ने भाग लिया था। |
| 3. पंजाब रेजिमेंट | 5. स्वतंत्रता से पहले अंग्रेजों की भारतीय सेना का एक दल। |
| 4. सैंपर्स एंड माइनर्स टीम | 6. अंग्रेजों के समय का एक हॉकी दल । |
| 5. सूबेदार | 1. स्वतंत्रता से पहले सूबेदार भारतीय सैन्य अधिकारियों का दूसरा सबसे बड़ा पद था। |
| 6. छावनी | 3. सैनिकों के रहने का क्षेत्र। |
पंक्तियों पर चर्चा
पाठ में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए । आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार कक्षा में अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
(क) “बुरा काम करने वाला आदमी हर समय इस बात से डरता रहता है कि उसके साथ भी बुराई की जाएगी।”
उत्तर – इस पंक्ति का अर्थ है कि जो व्यक्ति दूसरों के साथ बुरा व्यवहार करता है, वह हमेशा डरा रहता है कि कोई उसके साथ भी ऐसा ही व्यवहार करेगा। यह पाठ में उस घटना से स्पष्ट होता है जब एक प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी ने गुस्से में आकर ध्यानचंद पर हॉकी से वार किया। जब ध्यानचंद ने बदला लेने की बात कही, तो वह खिलाड़ी डर गया क्योंकि वह जानता था कि उसने गलत किया है। यह पंक्ति हमें सिखाती है कि हमें दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। ध्यानचंद ने बदला लेने के बजाय अपनी प्रतिभा दिखाकर छह गोल किए, जो हमें सिखाता है कि प्रतिशोध से बेहतर है अपने कौशल से आगे बढ़ना।
(ख) “मेरी तो हमेशा यह कोशिश रहती कि मैं गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने किसी साथी खिलाड़ी को दे दूँ ताकि उसे गोल करने का श्रेय मिल जाए। अपनी इसी खेल भावना के कारण मैंने दुनिया के खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया।”
उत्तर – इस पंक्ति में मेजर ध्यानचंद अपनी टीम भावना को दर्शाते हैं। वे कहते हैं कि उनका प्रयास रहता था कि वे गेंद को गोल के निकट लाकर अपने साथी खिलाड़ियों को गोल करने का मौका दें। इससे पता चलता है कि वे स्वयं की उपलब्धि से ज्यादा टीम की सफलता को महत्व देते थे। जब कोई खिलाड़ी इस तरह अपने साथियों को आगे बढ़ने का मौका देता है, तो टीम में एकता बढ़ती है और सभी का मनोबल ऊँचा रहता है।
यही कारण है कि ध्यानचंद न केवल एक महान खिलाड़ी थे, बल्कि एक अच्छे इंसान भी थे। उनकी इस सोच ने उन्हें दुनिया भर के खेल प्रेमियों का चहेता बना दिया और उन्हें ‘हॉकी का जादूगर’ कहा जाने लगा।
सोच-विचार के लिए
संस्मरण को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित के बारे में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
(क) ध्यानचंद की सफलता का क्या रहस्य था?
उत्तर – मेजर ध्यानचंद की सफलता का रहस्य उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण में छिपा था। वे प्रतिदिन लगातार अभ्यास करते थे और हमेशा अपने खेल को सुधारने की कोशिश में रहते थे। उनकी खेल के प्रति गहरी लगन थी और बिल्कुल नौसिखिए से ‘हॉकी के जादूगर’ बनने तक उन्होंने कभी हार नहीं मानी। ध्यानचंद में एक महत्वपूर्ण गुण था – टीम भावना, जिसके कारण वे अपने साथियों को गोल करने का अवसर देते थे। वे हमेशा यह मानते थे कि हार या जीत किसी एक खिलाड़ी की नहीं बल्कि पूरे देश की होती है।
प्रतिकूल परिस्थितियों में भी वे सकारात्मक रहते थे और क्षमाशीलता का परिचय देते थे। इन सभी गुणों के कारण वे न केवल एक महान खिलाड़ी बने बल्कि दुनिया भर में भारत का नाम रोशन किया।
(ख) किन बातों से ऐसा लगता है कि ध्यानचंद स्वयं से पहले दूसरों को रखते थे?
उत्तर – ध्यानचंद के कई कार्यों से यह स्पष्ट होता है कि वे स्वयं से पहले दूसरों को महत्व देते थे। सबसे पहली बात, वे हमेशा कोशिश करते थे कि गेंद को गोल के पास ले जाकर अपने साथी खिलाड़ियों को दें ताकि उन्हें गोल करने का श्रेय मिले। दूसरी बात, उन्होंने कभी भी अपनी व्यक्तिगत उपलब्धियों पर जोर नहीं दिया, बल्कि हमेशा टीम की सफलता को महत्व दिया। तीसरी बात, जब एक प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी ने उन पर हमला किया, तब भी उन्होंने बदला लेने के बजाय खेल की भावना दिखाई।
चौथी बात, वे हमेशा यह मानते थे कि हार या जीत उनकी नहीं बल्कि पूरे देश की होती है। उनका यह दृष्टिकोण दर्शाता है कि वे एक सच्चे टीम प्लेयर और देशभक्त थे जो अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर सोचते थे।
संस्मरण की रचना
“उन दिनों में मैं, पंजाब रेजिमेंट की ओर से खेला करता था । ”
इस वाक्य को पढ़कर ऐसा लगता है मानो लेखक आपसे यानी पाठक से अपनी यादों को साझा कर रहा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी। इस पाठ को एक बार फिर से पढ़िए ।
(क) अपने-अपने समूह में मिलकर इस संस्मरण की विशेषताओं की सूची बनाइए।
उत्तर – इस संस्मरण की कई महत्वपूर्ण विशेषताएँ हैं जो इसे प्रभावशाली बनाती हैं। सबसे पहले, यह आत्मकथात्मक शैली में लिखा गया है जहाँ मेजर ध्यानचंद स्वयं अपने अनुभव “मैं” के रूप में बता रहे हैं, जिससे कहानी अधिक विश्वसनीय और व्यक्तिगत लगती है। दूसरी विशेषता है इसकी सरल और सहज भाषा, जो हर उम्र के पाठक आसानी से समझ सकते हैं। तीसरी विशेषता है खेल भावना और नैतिक मूल्यों पर जोर देना, जैसे क्षमाशीलता, टीम भावना और देशभक्ति। चौथी महत्वपूर्ण विशेषता है इसका प्रेरणादायक संदेश, जो बताता है कि कड़ी मेहनत और निरंतर अभ्यास से सफलता मिलती है।
पाँचवीं विशेषता है इसमें दिए गए ऐतिहासिक संदर्भ जैसे बर्लिन ओलंपिक का उल्लेख, जो पाठकों को उस समय के बारे में जानकारी देते हैं। अंत में, यह संस्मरण रोचक और संक्षिप्त है, जिससे पाठकों का ध्यान बना रहता है और वे इससे महत्वपूर्ण सीख ले सकते हैं।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।
शब्दों के जोड़े, विभिन्न प्रकार के
(क) “जैसे-जैसे मेरे खेल में निखार आता गया, वैसे-वैसे मुझे तरक्की भी मिलती गई।”
इस वाक्य में ‘जैसे-जैसे’ और ‘वैसे-वैसे’ शब्दों के जोड़े हैं जिनमें एक ही शब्द दो बार उपयोग में लाया गया है। ऐसे जोड़ों को ‘शब्द-युग्म’ कहते हैं। शब्द-युग्म में दो शब्दों के बीच में छोटी-सी रेखा लगाई जाती है जिसे योजक चिह्न कहते हैं। योजक यानी जोड़ने वाला। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए।
उत्तर –
(क) धीरे-धीरे – जैसे, “बारिश धीरे-धीरे शुरू हुई।”
(ख) बार-बार – जैसे, “गुरुजी ने बार-बार यही बात समझाई।”
(ग) जल्दी-जल्दी – जैसे, “मुझे स्कूल के लिए जल्दी-जल्दी तैयार होना पड़ा।”
(घ) चलते-चलते – जैसे, “चलते-चलते मेरा पैर मुड़ गया।”
(ङ) कभी-कभी – जैसे, “कभी-कभी मैं पार्क में खेलने जाता हूँ।”
(ख) “खेल के मैदान में धक्का-मुक्की और नोंक-झोंक की घटनाएँ होती रहती हैं।”
इस वाक्य में भी आपको दो शब्द-युग्म दिखाई दे रहे हैं, लेकिन इन शब्द-युग्मों के दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हैं, एक जैसे नहीं हैं। आप भी ऐसे पाँच शब्द-युग्म लिखिए जिनमें दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हों।
उत्तर – शब्द-युग्म जिनमें दोनों शब्द भिन्न-भिन्न हों:
(क) आस-पास – हमारे घर के आस-पास एक सुंदर बगीचा है।
(ख) दिन-रात – माँ दिन-रात हमारी देखभाल करती हैं।
(ग) आना-जाना – स्कूल का आना-जाना रोज़ की दिनचर्या है।
(घ) सुख-दुख – जीवन में सुख-दुख साथ-साथ चलते हैं।
(ङ) हाथ-पैर – खेलते समय राहुल के हाथ-पैर में चोट लग गई।
(ग) “हार या जीत मेरी नहीं, बल्कि पूरे देश की है।”
“आज मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं।”
इन वाक्यों में जिन शब्दों के नीचे रेखा खिंची है, उन्हें ध्यान से पढ़िए। हम इन शब्दों को योजक की सहायता से भी लिख सकते हैं, जैसे- हार-जीत, बच्चे-बूढ़े आदि ।
उत्तर – (ग) योजक चिह्न (-) की सहायता से जोड़े गए शब्द:
अच्छा या बुरा
उत्तर: अच्छा-बुरा
छोटा या बड़ा
उत्तर: छोटा-बड़ा
अमीर और गरीब
उत्तर: अमीर-गरीब
उत्तर और दक्षिण
उत्तर: उत्तर-दक्षिण
गुरु और शिष्य
उत्तर: गुरु-शिष्य
अमृत या विष
उत्तर: अमृत-विष
बात पर बल देना
“मैंने तो अपना बदला ले ही लिया है। ”
“मैंने तो अपना बदला ले लिया है। ”
इन दोनों वाक्यों में क्या अंतर है? ध्यान दीजिए और बताइए। सही पहचाना ! दूसरे वाक्य में एक शब्द कम है। उस एक शब्द के न होने से वाक्य के अर्थ में भी थोड़ा अंतर आ गया है।
हम अपनी बात पर बल देने के लिए कुछ विशेष शब्दों का प्रयोग करते हैं जैसे— ‘ही’, ‘भी’, ‘तो’ आदि। पाठ में से इन शब्दों वाले वाक्यों को चुनकर लिखिए। ध्यान दीजिए कि यदि उन वाक्यों में ये शब्द न होते तो उनके अर्थ पर इसका क्या प्रभाव पड़ता।
उत्तर – बात पर बल देने वाले शब्द ‘निपात’ कहलाते हैं। पाठ से निपात शब्दों वाले वाक्य इस प्रकार हैं:
(क) मेरे इतना कहते ही खिलाड़ी घबरा गया।
(ख) अब हर समय मुझे ही देखते रहना।
(ग) अगर तुम मुझे हॉकी नहीं मारते तो शायद मैं तुम्हें दो ही गोल से हराता।
(घ) तो देखा आपने मेरा बदला लेने का ढंग।
(ङ) उसके साथ भी बुराई की जाएगी।
(च) मैं जहाँ भी जाता हूँ बच्चे व बूढ़े मुझे घेर लेते हैं।
(छ) लगन, साधना और खेल भावना ही सफलता का सबसे बड़ा मूलमंत्र है।
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) ध्यानचंद के स्थान पर आप होते तो क्या आप बदला लेते? यदि हाँ, तो बताइए कि आप बदला किस प्रकार लेते?
उत्तर – यदि मैं ध्यानचंद के स्थान पर होता, तो बदला लेने की इच्छा स्वाभाविक होती, परंतु मैं इसे खेल भावना में नहीं बदलता। एक सच्चा खिलाड़ी अपने गुस्से को अपने खेल में बदलता है। मैं अपनी ऊर्जा को अधिक गोल करने में लगाता और अपने कौशल से जवाब देता। मेरी टीम के साथ मिलकर बेहतर रणनीति बनाता और मैदान पर अपनी श्रेष्ठता साबित करता। खेल के बाद उस खिलाड़ी से मित्रता का हाथ बढ़ाकर दिखाता कि असली जीत द्वेष पर नहीं, खेल भावना पर होती है। ध्यानचंद जी ने हमें यही सिखाया है कि खेल में प्रतिशोध नहीं, प्रतिभा दिखानी चाहिए।
(ख) आपको कौन-से खेल और कौन-से खिलाड़ी सबसे अधिक अच्छे लगते हैं? क्यों?
उत्तर – मुझे क्रिकेट सबसे प्रिय खेल है और विराट कोहली मेरे आदर्श खिलाड़ी हैं। विराट में अनुशासन, दृढ़ निश्चय और कठिन परिस्थितियों में भी अपना सर्वश्रेष्ठ देने का जज्बा मुझे प्रेरित करता है। उनकी फिटनेस और क्रिकेट के प्रति समर्पण ने भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है। मुझे पी.वी. सिंधु भी बहुत पसंद हैं, जिन्होंने बैडमिंटन में भारत का नाम रोशन किया है। नीरज चोपड़ा का ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना दिखाता है कि हम भारतीय किसी भी खेल में विश्व स्तर पर सफल हो सकते हैं। इन खिलाड़ियों की मेहनत और लगन मुझे अपने लक्ष्यों के लिए कड़ी मेहनत करने को प्रेरित करती है।
समाचार-पत्र से
(क) क्या आप समाचार-पत्र पढ़ते हैं? समाचार-पत्रों में प्रतिदिन खेल के समाचारों का एक पृष्ठ प्रकाशित होता है। अपने घर या पुस्तकालय से पिछले सप्ताह के समाचार पत्रों को देखिए। अपनी पसंद का एक खेल-समाचार अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर – हाँ, मैं नियमित रूप से समाचार-पत्र पढ़ता/पढ़ती हूँ। समाचार-पत्रों के खेल पृष्ठ में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिताओं की जानकारी मिलती है। पिछले सप्ताह के “दैनिक जागरण” में मुझे भारतीय क्रिकेट टीम की जीत का समाचार बहुत रोचक लगा। इस मैच में भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 5 विकेट से हराया। विराट कोहली ने 82 रन बनाए और जसप्रीत बुमराह ने 4 विकेट लिए। कप्तान रोहित शर्मा ने मैच के बाद कहा कि टीम की मेहनत और एकजुटता ने यह जीत दिलाई है। यह समाचार पढ़कर मुझे अपने देश पर गर्व महसूस हुआ।
(ख) मान लीजिए कि आप एक खेल संवाददाता हैं और किसी खेल का आँखों देखा प्रसारण कर रहे हैं। अपने समूह के साथ मिलकर कक्षा में उस खेल का आँखों देखा हाल प्रस्तुत कीजिए। (संकेत—इस कार्य में आप आकाशवाणी या दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले खेल-प्रसारणों की कमेंटरी की शैली का उपयोग कर सकते हैं। बारी-बारी से प्रत्येक समूह कक्षा में सामने डेस्क या कुर्सियों पर बैठ जाएगा और पाँच मिनट के लिए किसी खेल के सजीव प्रसारण की कमेंटरी का अभिनय करेगा।)
उत्तर – “नमस्कार दोस्तों! आज का यह रोमांचक क्रिकेट मैच आपके लिए लाइव प्रसारित कर रहा हूँ मैं, राहुल शर्मा। दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर भारत बनाम इंग्लैंड का यह मुकाबला बेहद रोमांचक मोड़ पर है! भारत को जीत के लिए अंतिम ओवर में 10 रन चाहिए और बल्लेबाज़ी कर रहे हैं हार्दिक पांड्या। गेंदबाज़ी कर रहे हैं इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज़ जोफ्रा आर्चर। पहली गेंद… और वाह! छक्का!! दर्शक उछल पड़े हैं! अब भारत को सिर्फ 4 रन चाहिए। दूसरी गेंद… और चौका! भारत ने जीत लिया है यह शानदार मैच! स्टेडियम में जश्न का माहौल है! हार्दिक पांड्या मैन ऑफ द मैच बने हैं!”