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इस अध्याय में छात्र वस्त्र उद्योग के बारे में जानेंगे, जो भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वस्त्र उद्योग कपड़ों का उत्पादन करता है और बहुत से लोगों को रोजगार प्रदान करता है। यह अध्याय कपास और रेशम जैसे प्रमुख कच्चे मालों के साथ-साथ बुनाई और रंगाई की विभिन्न प्रक्रियाओं पर प्रकाश डालेगा। छात्र वस्त्र उद्योग के प्रमुख केंद्रों और उनकी अवस्थितियों के कारणों को समझेंगे।

Bihar Board Class 8 Geography Chapter 3B Solutions
Contents
| Subject | Geography (हमारी दुनिया भाग 3) |
| Class | 8th |
| Chapter | 3B. वस्त्र उद्योग |
| Board | Bihar Board |
I. बहुवैकल्पिक प्रश्न
प्रश्न 1. टेक्सटाइल का मतलब होता है-
(i) जोड़ना
(ii) बुनना
(iii) नापना
(iv) सिलना
उत्तर – (ii) बुनना
प्रश्न 2. देश में कपड़े की मिल सबसे पहले लगाई गई
(i) कोलकाता में
(ii) मुम्बई में
(iii) लुधियाना में
(iv) वाराणसी में
उत्तर- (i) कोलकाता में
प्रश्न 3. 1854 में कपड़े की मिल लगी
(i) कोलकाता में
(ii) हैदराबाद में
(iii) सूरत में
(iv) मुम्बई में
उत्तर- (iv) मुम्बई में
प्रश्न 4. सिल्क प्राप्त होता है
(i) कपास से
(ii) रेयान से
(iii) कोकून से
(iv) पेड़ों से
उत्तर- (iii) कोकून से
प्रश्न 5. वस्त्रोद्योग के लिए आवश्यक है
(i) ऊर्जा
(ii) कच्चा माल
(iii) श्रम
(iv) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (ii) कच्चा माल
II. खाली स्थानों को उपयुक्त शब्दों से भरें l
- भागलपुर शहर रेशमी वस्त्र उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
- सूती वस्त्र उद्योग एक कुटीर उद्योग है।
- कपड़ों की बुनाई को टेक्सटाइल कहा जाता है।
- ढाका मलमल के लिए प्रसिद्ध रहा है।
- अहमदाबाद को भारत का मैनचेस्टर कहा जाता है।
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें। (अधिकतम 50 शब्दों में)
प्रश्न 1. प्राकृतिक रेशे क्या हैं?
उत्तर: प्राकृतिक रेशे वे रेशे होते हैं जो प्रकृति से प्राप्त किए जाते हैं। इनका उत्पादन किसी भी तरह की रासायनिक प्रक्रिया से नहीं होता है। ये रेशे पशुओं, कीड़ों और पौधों से प्राप्त किए जाते हैं। उदाहरण के लिए, ऊन भेड़ों और बकरियों से, रेशम कोकून से, और कपास एवं जूट पौधों से प्राप्त किया जाता है। प्राकृतिक रेशों का उपयोग कपड़ों, कालीनों, रस्सियों आदि बनाने में किया जाता है।
प्रश्न 2. मानव निर्मित रेशों के नाम लिखिए।
उत्तर: नाइलॉन, पॉलिएस्टर, एक्रिलिक, रेयॉन आदि मानव निर्मित या कृत्रिम रेशे हैं। ये रेशे प्राकृतिक रेशों के विपरीत रासायनिक तरीकों से बनाए जाते हैं। इनका निर्माण प्राकृतिक कच्चे माल जैसे पेट्रोलियम से या पौधों से प्राप्त सेलुलोज से किया जाता है।
प्रश्न 3. मशीनों से कपड़ों का उत्पादन सस्ता होता है, क्यों?
उत्तर: मशीनों से कपड़ों का उत्पादन इसलिए सस्ता होता है क्योंकि मशीनें कम समय में बहुत अधिक मात्रा में कपड़ा बना सकती हैं। मशीनीकरण के कारण कम मजदूरी पर ज्यादा उत्पादन किया जा सकता है। इसके अलावा, बड़े पैमाने पर कच्चे माल की खरीद भी सस्ती पड़ती है। साथ ही, मशीनों से बने कपड़े अधिक सटीक और एकसमान होते हैं। इस प्रकार मशीनीकरण के कारण उत्पादन लागत कम आती है जिससे कपड़े सस्ते होते हैं।
प्रश्न 4. गरम कपड़ों की थोक खरीदारी किन जगहों पर होती है और क्यों?
उत्तर: गरम कपड़ों की थोक खरीदारी मुख्य रूप से लुधियाना और दिल्ली से की जाती है। ये दोनों शहर भारत के प्रमुख कपड़ा उत्पादन केंद्र हैं। लुधियाना और आस-पास के क्षेत्र में कपड़ा मिलों की बहुतायत है, जहां से बड़े पैमाने पर ऊनी कपड़ों का उत्पादन होता है। दूसरी ओर, दिल्ली एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र है जहां देश के विभिन्न हिस्सों से कपड़े आते हैं। इन शहरों में कपड़ों की सस्ती और आसान उपलब्धता के कारण व्यापारी यहां से थोक खरीदारी करते हैं।
IV. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दें (अधिकतम 200 शब्दों में)
प्रश्न 1. वस्त्र उद्योग की स्थापना में सहायक कारकों का वर्णन कीजिए।
उत्तर: वस्त्र उद्योग की स्थापना और विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कारक सहायक होते हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं:
- कच्चे माल की उपलब्धता: वस्त्र उद्योग के लिए प्रमुख कच्चा माल जैसे कपास, ऊन, रेशम आदि की निरंतर आपूर्ति आवश्यक है। जहां ये उपलब्ध हों, वहां वस्त्र उद्योग की स्थापना सुगम हो जाती है।
- परिवहन की सुविधा: कच्चे माल और तैयार उत्पादों के आवागमन के लिए सड़क, रेल, नदी और समुद्री मार्गों की उपलब्धता अनिवार्य है। अच्छी परिवहन व्यवस्था से आवश्यक कच्चा माल और मशीनरी प्राप्त करना आसान होता है।
- आर्द्र जलवायु: कपास, रेशम जैसे रेशों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए आर्द्र जलवायु उपयुक्त होती है। यदि जलवायु बहुत शुष्क होगी तो रेशे टूट सकते हैं और कपड़े की गुणवत्ता प्रभावित होगी।
- पूंजी निवेश: वस्त्र उद्योग की स्थापना के लिए बड़े पैमाने पर पूंजी निवेश की आवश्यकता होती है। शहरों जहां पूंजीपति और निवेशक उपलब्ध हैं, वहां इस उद्योग का विकास होना सरल है।
- श्रम शक्ति: वस्त्र उद्योग में कार्यरत कामगारों/श्रमिकों की उपलब्धता भी अनिवार्य है। आबादी वाले क्षेत्र इसलिए वस्त्र उद्योग के लिए उपयुक्त होते हैं।
- बाजार: तैयार वस्त्र उत्पादों के उपभोक्ता इकट्ठे होने के स्थान जहां हैं, वहां इस उद्योग की स्थापना लाभप्रद होती है।
इन कारकों के आधार पर मुंबई, गुजरात, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल आदि वस्त्र उद्योग के केंद्र विकसित हुए हैं।
प्रश्न 2. भारत के सूती वस्त्र उद्योग का विवरण दीजिए।
उत्तर: भारत का सूती वस्त्र उद्योग विश्व के सबसे बड़े वस्त्र उद्योगों में से एक है। यह देश की आर्थिक गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान देता है और अंतरराष्ट्रीय व्यापार में भी उल्लेखनीय भूमिका निभाता है।
इस उद्योग के विभिन्न चरण निम्नवत् हैं:
- कच्चे कपास का संग्रहण और “गिनिंग” प्रक्रिया द्वारा बीजों से अलग करना।
- गिनिंग के बाद कपास के रेशों को समांतर रखकर “गांठें” तैयार करना।
- इन गांठों से धागे बनाने की प्रक्रिया “कतान”।
- कतान द्वारा बने धागों से कपड़े बुनना या वस्त्र निर्माण।
भारत में सूती वस्त्र उद्योग का विकास लगातार हो रहा है। 1950-51 में मात्र 4 अरब वर्ग मीटर कपड़ा उत्पादित हुआ था, जो अब बढ़कर लगभग 34 अरब वर्ग मीटर हो गया है। महाराष्ट्र, गुजरात, तमिलनाडु, पंजाब, आंध्र प्रदेश आदि राज्य इस उद्योग के प्रमुख केंद्र हैं। भारत का सूती वस्त्र उद्योग अब नवीनतम तकनीकी सुविधाओं से लैस है और विश्व बाजार में प्रतिस्पर्धी बना हुआ है।