Bihar Board Class 8 History Chapter 8 Solutions – राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन: 1870 के दशक से 1947 तक

On this page we have shared the written Solutions for Bihar Board Class 8 History Chapter 8 – “राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन: 1870 के दशक से 1947 तक”. These solutions are prepared by the subject experts and follows the new syllabus of Bihar Board. All question-answers are in Hindi medium.

यह अध्याय हमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम की कहानी बताता है, जो 1870 के दशक से शुरू होकर 1947 में आजादी तक चला। हम जानेंगे कि कैसे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, स्वदेशी आंदोलन और गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग, सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो जैसे आंदोलनों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। यह भी समझ आएगा कि कैसे देश की आजादी के साथ विभाजन की त्रासदी भी जुड़ी। इस अध्याय से आपको राष्ट्रीय आंदोलन और स्वतंत्रता की यात्रा को समझने में मदद मिलेगी।

Bihar Board Class 8 History Chapter 8 Solutions new

Bihar Board Class 8 History Chapter 8 Solutions

SubjectHistory (हमारे अतीत-3)
Chapter8. राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन: 1870 के दशक से 1947 तक
Class8th
BoardBihar Board

फिर से याद करें

1. 1870 और 1880 के दशकों में लोग ब्रिटिश शासन से क्यों असंतुष्ट थे?

उत्तर:

लोग ब्रिटिश शासन से इसलिए नाराज थे क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों से हथियार रखने का अधिकार छीन लिया था। साथ ही, 1878 में वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट बनाया गया, जिसके तहत अगर कोई अखबार सरकार के खिलाफ कुछ छापता, तो उसकी प्रेस और संपत्ति जब्त की जा सकती थी। इससे लोगों की आजादी और आवाज दबाई जा रही थी, जिससे वे असंतुष्ट हो गए।

2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस किन लोगों के पक्ष में बोल रही थी?

उत्तर:

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सभी भारतीयों के लिए बोल रही थी, जिसमें गरीब किसान, मजदूर, सैनिक, जंगल में रहने वाले लोग, जमींदार और उद्योगपति शामिल थे। यह सभी वर्गों के हितों की रक्षा करना चाहती थी।

3. पहले विश्व युद्ध से भारत पर कौन-से आर्थिक असर पड़े?

उत्तर:

पहले विश्व युद्ध (1914-1918) की वजह से भारत में आर्थिक मुश्किलें बढ़ गईं। ब्रिटिश सरकार ने युद्ध के लिए बहुत खर्च किया, जिसके लिए टैक्स बढ़ा दिए गए। लोगों की आय और व्यापार पर ज्यादा कर लगाया गया। युद्ध के लिए सामान की मांग बढ़ने से खाने-पीने की चीजों के दाम आसमान छूने लगे, जिससे आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया।

4. 1940 के मुस्लिम लीग के प्रस्ताव में क्या माँग की गई थी?

उत्तर:

1940 में मुस्लिम लीग ने लाहौर प्रस्ताव में मुसलमानों के लिए “स्वतंत्र राज्य” बनाने की मांग की। इसे बाद में पाकिस्तान की मांग के रूप में जाना गया।

आइए विचार करें

5. मध्यमार्गी कौन थे? वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ किस तरह का संघर्ष करना चाहते थे?

उत्तर:

मध्यमार्गी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वे नेता थे जो हिंसा के बिना, शांतिपूर्ण तरीके से ब्रिटिश शासन का विरोध करना चाहते थे। वे लोगों को ब्रिटिश शासन की गलत नीतियों के बारे में बताते थे। उन्होंने अखबारों में लेख लिखे, भाषण दिए और सभाएं कीं, ताकि लोग जागरूक हों और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट हों। उनका लक्ष्य था कि लोग समझें कि ब्रिटिश शासन देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से नुकसान पहुंचा रहा है।

6. कांग्रेस में आमूल परिवर्तनवादी की राजनीति मध्यमार्गी की राजनीति से किस तरह भिन्न थी?

उत्तर:

मध्यमार्गी नेता ब्रिटिश सरकार से प्रार्थना और बातचीत के जरिए बदलाव लाना चाहते थे, लेकिन आमूल परिवर्तनवादी (जिन्हें गरम दल भी कहा जाता था) ऐसा नहीं मानते थे। वे चाहते थे कि लोग स्वराज (पूर्ण स्वतंत्रता) के लिए सीधे और सख्त कदम उठाएं। वे मध्यमार्गियों की नरम नीति की आलोचना करते थे और कहते थे कि ब्रिटिश सरकार पर भरोसा करने के बजाय हमें अपने दम पर आजादी के लिए लड़ना चाहिए।

7. चर्चा करें कि भारत के विभिन्न भागों में असहयोग आंदोलन ने किस-किस तरह के रूप ग्रहण किए? लोग गांधीजी के बारे में क्या समझते थे?

उत्तर:

असहयोग आंदोलन (1920-1922) भारत के अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से चला। ज्यादातर जगह यह अहिंसक रहा। गुजरात के खेड़ा में पाटीदार किसानों ने ज्यादा कर (लगान) के खिलाफ अहिंसक विरोध किया। आंध्र और तमिलनाडु में लोगों ने शराब की दुकानों के सामने धरना दिया। कई जगह लोगों ने ब्रिटिश स्कूल, कॉलेज और अदालतों का बहिष्कार किया। लोग गांधीजी को एक महान नेता मानते थे, जो अहिंसा के रास्ते पर चलकर देश को आजाद करा सकते थे। कुछ लोग उन्हें संत या जादुई शक्ति वाला मानते थे, जो उनकी स्थानीय समस्याओं को हल कर सकते थे।

8. गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फ़ैसला क्यों लिया?

उत्तर:

गांधीजी ने नमक कानून तोड़ने का फैसला इसलिए किया क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने नमक पर टैक्स लगा रखा था। नमक हर व्यक्ति के लिए जरूरी चीज है, और उस पर टैक्स लगाना गांधीजी को गलत लगा। उन्होंने 1930 में दांडी नमक सत्याग्रह शुरू किया, जिसमें समुद्र से नमक बनाकर इस अन्यायपूर्ण कानून का विरोध किया। यह आम लोगों को ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट करने का एक आसान और शक्तिशाली तरीका था।

9. 1937-1947 की उन घटनाओं पर चर्चा करें जिनके फलस्वरूप पाकिस्तान का जन्म हुआ?

उत्तर:

1937 के प्रांतीय चुनावों में मुस्लिम लीग को कम सीटें मिलीं, जिससे उन्हें लगा कि लोकतंत्र में मुसलमान हमेशा अल्पसंख्यक रहेंगे और उनकी आवाज दब जाएगी। कांग्रेस ने संयुक्त प्रांत में लीग के साथ सरकार बनाने से इनकार कर दिया, जिससे लीग और नाराज हो गई। 1940 में लीग ने स्वतंत्र मुस्लिम राज्य की मांग की। 1946 में कैबिनेट मिशन योजना असफल रही, और देश में हिंदू-मुस्लिम दंगे बढ़ गए। मार्च 1947 तक हिंसा बहुत फैल चुकी थी। आखिरकार, 15 अगस्त 1947 को भारत का विभाजन हुआ, और पाकिस्तान एक अलग देश बना। इस दौरान लाखों लोग मारे गए, और बहुत सारे लोग बेघर हो गए।

आइए करके देखें

10. पता लगाएँ कि आपके शहर, ज़िले, इलाके या राज्य में राष्ट्रीय आंदोलन किस तरह आयोजित किया गया। किन लोगों ने उसमें हिस्सा लिया और किन लोगों ने उसका नेतृत्व किया? आपके इलाके में आंदोलन को कौन-सी सफलताएँ मिलीं?

उत्तर:

बिहार में राष्ट्रीय आंदोलन बहुत जोर-शोर से चला। चंपारण (1917) में गांधीजी ने किसानों के साथ मिलकर नील की खेती के खिलाफ सत्याग्रह किया, क्योंकि ब्रिटिश किसानों को कम कीमत पर नील उगाने के लिए मजबूर करते थे। इस आंदोलन का नेतृत्व गांधीजी, राजेंद्र प्रसाद और स्थानीय किसानों ने किया। असहयोग आंदोलन (1920-1922) में बिहार के छात्रों और शिक्षकों ने ब्रिटिश स्कूलों का बहिष्कार किया। सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) में बिहार के लोग नमक सत्याग्रह में शामिल हुए।

1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार के युवाओं और नेताओं, जैसे जयप्रकाश नारायण, ने बड़ी भूमिका निभाई। इन आंदोलनों की वजह से बिहार में लोग जागरूक हुए और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकजुट हुए, जिसने आजादी की लड़ाई को मजबूत किया।

11. राष्ट्रीय आंदोलन के किन्हीं दो सहभागियों या नेताओं के जीवन और कृतित्व के बारे में और पता लगाएँ तथा उनके बारे में एक संक्षिप्त निबंध लिखें। आप किसी ऐसे व्यक्ति को भी चुन सकते हैं जिसका इस अध्याय में जिक्र नहीं आया है।

उत्तर:

A. राजेंद्र प्रसाद

राजेंद्र प्रसाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नेता और देश के पहले राष्ट्रपति थे। उनका जन्म 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सीवान जिले में हुआ था। वे एक होनहार छात्र थे और उन्होंने कोलकाता यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। 1917 में चंपारण सत्याग्रह में उन्होंने गांधीजी के साथ मिलकर नील किसानों की मदद की। उनकी मेहनत से ब्रिटिश सरकार को किसानों पर लगाए गए नियम बदलने पड़े। राजेंद्र प्रसाद ने असहयोग आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया। वे सादा जीवन जीते थे और लोगों को एकजुट करने में उनकी बड़ी भूमिका थी। आजादी के बाद, वे 1950 से 1962 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। उनकी सादगी और देशभक्ति आज भी प्रेरणा देती है।

B. सुभाष चंद्र बोस

सुभाष चंद्र बोस, जिन्हें “नेताजी” कहा जाता है, स्वतंत्रता संग्राम के एक नन्हा योद्धा थे। उनका जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। सुभाष बोस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में काम किया, लेकिन वे गांधीजी की अहिंसा की नीति से सहमत नहीं थे। वे चाहते थे कि भारत सशस्त्र क्रांति से आजाद हो। 1942 में उन्होंने आजाद हिंद फौज बनाई और “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” का नारा दिया। उनकी फौज ने ब्रिटिश सेना के खिलाफ लड़ाई लड़ी। सुभाष बोस की बहादुरी और देशभक्ति ने लाखों भारतीयों को प्रेरित किया। उनकी मृत्यु 1945 में एक विमान दुर्घटना में हुई, लेकिन उनकी विरासत आज भी जीवित है।

Other Chapters
1. प्रारंभिक कथन: कैसे, कब और कहाँ
2. व्यापार से साम्राज्य तक कंपनी की सत्ता स्थापित होती है
3. ग्रामीण क्षेत्र पर शासन चलाना
4. आदिवासी, दीकु और एक स्वर्ण युग की कल्पना
5. जब जनता बग़ावत करती है 1857 और उसके बाद
6. “देशी जनता” को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना
7. महिलाएँ, जाति एवं सुधार
8. राष्ट्रीय आंदोलन का संघटन: 1870 के दशक से 1947 तक

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