Bihar Board Class 8 Hindi Durva Chapter 1 Solutions – गुड़िया

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‘गुड़िया’ कविता, जिसे कुंवर नारायण जी ने लिखा है, बच्चों की मासूम दुनिया और उनके प्रिय खिलौनों के प्रति गहरे प्रेम को दर्शाती है। इस कविता में एक बच्चे का अपनी गुड़िया के साथ स्नेह भरा रिश्ता दिखाया गया है, जो उसे अपने परिवार का हिस्सा मानता है। आप इस कविता से बच्चों की सादगी, उनकी कल्पनाशीलता और छोटी-छोटी चीजों में खुशी पाने की कला को समझेंगे। यह कविता आपको यह भी सिखाएगी कि कैसे मासूम भावनाएँ और सच्चा प्यार जीवन को और सुंदर बनाते हैं।

Bihar Board Class 8 Hindi Durva Chapter 1 Solutions new

Bihar Board Class 8 Hindi Durva Chapter 1 Solutions

अध्याय1. गुड़िया
लेखककुंवर नारायण
विषयHindi (दूर्वा भाग 3)
कक्षा8वीं
बोर्डबिहार बोर्ड

अभ्यास

कविता से:

(क) गुड़िया को कौन, कहाँ से और क्यों लाया है?

उत्तर: गुड़िया को एक बूढ़ी औरत मेले से लाई है। वह इसे बेचने के लिए लाई है ताकि उससे कुछ पैसे कमा सके।

(ख) कविता में जिस गुड़िया की चर्चा है वह कैसी है?

उत्तर: कविता में गुड़िया बहुत प्यारी है। वह अपनी आँखें बंद कर सकती है और “पिया-पिया” बोल सकती है।

(ग) कवि ने अपनी गुड़िया के बारे में अनेक बातें बताई हैं। उनमें से कोई दो बातें लिखो।

उत्तर: कवि ने अपनी गुड़िया के बारे में ये दो बातें बताई हैं:

  • (i) गुड़िया को नए-नए कपड़े और गहनों से रोज़ सजाया जाता है।
  • (ii) गुड़िया को कागज़ के फूलों की रंग-बिरंगी छोटी फुलवारी में अलमारी में रखा जाता है।

तुम्हारी बात:

(क) “खेल-खिलौनों की दुनिया में तुमको परी बनाऊँगा।” बचपन में तुम भी बहुत से खिलौनों से खेले होगे। अपने किसी खिलौने के बारे में बताओ।

उत्तर: बचपन में मेरा सबसे पसंदीदा खिलौना एक छोटा सा टेडी बेयर था। वह बहुत मुलायम और भूरा था, जिसे मैं हर जगह अपने साथ ले जाता था। मैं उसे अपने दोस्त की तरह मानता था और रात को सोते समय उसे गले लगाता था। मैं अपने दोस्तों के साथ उसके साथ कहानियाँ बनाकर खेलता था। टेडी बेयर के साथ खेलने से मुझे बहुत खुशी मिलती थी और मैं हमेशा उसकी देखभाल करता था।

(ख) “मोल-भाव करके लाया हूँ ठोक बजाकर देख लिया।” अगर तुम्हें अपने लिए कोई खिलौना खरीदना हो तो तुम कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखोगे?

उत्तर: अगर मुझे कोई खिलौना खरीदना हो, तो मैं इन बातों का ध्यान रखूँगा:

  • खिलौना अच्छी क्वालिटी का हो और जल्दी टूटे नहीं।
  • वह मेरी उम्र के लिए सुरक्षित हो, कोई नुकीली चीज़ न हो।
  • उसकी कीमत मेरे बजट में हो।
  • खिलौना ऐसा हो जो मुझे पसंद हो और जिसमें मज़ा आए।
  • अगर वह कुछ सिखाने वाला हो, जैसे पहेलियाँ, तो और भी अच्छा।

(ग) “मेले से लाया हूँ इसको छोटी-सी प्यारी गुड़िया” यदि तुम मेले में जाओगे तो क्या खरीदकर लाना चाहोगे और क्यों?

उत्तर: अगर मैं मेले में जाऊँ, तो मैं एक रंग-बिरंगा पतंग खरीदना चाहूँगा। पतंग उड़ाने में बहुत मज़ा आता है और यह मेले की सबसे खास चीज़ों में से एक है। यह सस्ता भी होता है और दोस्तों के साथ मिलकर पतंग उड़ाने का आनंद लेना मुझे बहुत अच्छा लगता है। यह मेरे लिए मस्ती और खुशी का कारण बनता है।

मेला:

(क) तुम अपने प्रदेश के किसी मेले के बारे में बताओ। पता करो कि वह मेला क्यों लगता है? वहाँ कौन-कौन से लोग आते हैं और वे क्या करते हैं? इस काम में तुम पुस्तकालय या बड़ों की सहायता ले सकते हो।

उत्तर: बिहार में सोनपुर मेला बहुत प्रसिद्ध है। यह मेला हर साल कार्तिक पूर्णिमा के समय सोनपुर में गंगा और गंडक नदी के किनारे लगता है। इसे हरिहर क्षेत्र मेला भी कहते हैं। यह मेला धार्मिक और व्यापारिक कारणों से लगता है। मान्यता है कि यहाँ स्नान करने से पुण्य मिलता है। साथ ही, यह मेला पशु व्यापार के लिए भी बहुत मशहूर है, खासकर हाथी और घोड़ों की खरीद-बिक्री के लिए।

इस मेले में किसान, व्यापारी, साधु-संत, और आम लोग आते हैं। कुछ लोग यहाँ गंगा स्नान और पूजा करने आते हैं, तो कुछ लोग खरीदारी और मनोरंजन के लिए। मेले में झूले, नाच-गाना, और खाने-पीने की दुकानें होती हैं। लोग यहाँ हस्तशिल्प, खिलौने, और पारंपरिक चीज़ें खरीदते हैं। यह मेला बिहार की संस्कृति और परंपरा को दिखाने का एक बड़ा अवसर है।

(ख) तुम पुस्तक-मेला, फ़िल्म मेला और व्यापार मेला आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करो और बताओ कि अगर तुम्हें इनमें से किसी मेले में जाने का अवसर मिले तो तुम किस मेले में जाना चाहोगे और क्यों?

उत्तर: मैं पुस्तक मेला जाना चाहूँगा। पुस्तक मेला किताबों से भरा होता है, जहाँ कहानियों, कविताओं, और ज्ञानवर्धक किताबें मिलती हैं। यहाँ नई-नई किताबें देखने और खरीदने का मौका मिलता है। लेखकों से मिलने और उनकी बातें सुनने का भी अवसर होता है। मुझे पढ़ना बहुत पसंद है, और पुस्तक मेला मेरे लिए एक खजाने की तरह है। यहाँ से मैं ऐसी किताबें ला सकता हूँ जो मुझे नई चीज़ें सिखाएँ और मेरे ज्ञान को बढ़ाएँ।

कागज़ के फूल:

कागज़ से तरह-तरह के खिलौने बनाने की कला को ‘अरिगैमी’ कहा जाता है। तुम भी कागज़ के फूल/वस्तु बनाकर दिखाओ।

उत्तर: अरिगैमी जापानी कला है जिसमें कागज़ को मोड़कर सुंदर आकृतियाँ बनाई जाती हैं। तुम एक साधारण कागज़ का फूल बनाने की कोशिश कर सकते हो। इसके लिए:

  • एक रंगीन कागज़ लो और उसे चौकोर आकार में काट लो।
  • कागज़ को तिरछा मोड़कर त्रिकोण बनाओ।
  • फिर त्रिकोण के किनारों को बीच में मोड़कर पंखुड़ियों जैसा आकार दो।
  • इसे खोलकर और सावधानी से मोड़कर फूल का आकार बनाओ।

तुम अपने शिक्षक या बड़े भाई-बहन की मदद से इसे बना सकते हो। इसे बनाकर अपनी कॉपी या कमरे में सजा सकते हो।

घर की बात:

तुम्हारे घर की बोली में इन शब्दों को क्या कहते हैं?

(क) गुड़िया।
उत्तर: पुतली।

(ख) फुलवारी।
उत्तर: बगिया।

(ग) नुक्कड़।
उत्तर: गली का मोड़।

(घ) चुनरी।
उत्तर: दुपट्टा।

मैं और हम:

मैं मेले से लाया हूँ इसको
हम मेले से लाए हैं इसको

ऊपर हमने देखा कि यदि ‘मैं’ के स्थान पर ‘हम’ रख दें तो हमें वाक्य में कुछ और शब्द भी बदलने पड़ जाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए दिए गए वाक्यों को बदलकर लिखो।

(क) मैं आठवीं कक्षा में पढ़ती हूँ।
उत्तर: हम आठवीं कक्षा में पढ़ते हैं।

(ख) मैं जब मेले में जा रहा था तब बारिश होने लगी।
उत्तर: हम जब मेले में जा रहे थे तब बारिश होने लगी।

(ग) मैं तुम्हें कुछ नहीं बताऊँगी।
उत्तर: हम तुम्हें कुछ नहीं बताएँगे।

शब्दों की दुनिया:

दिए गए शब्दों के अंतिम वर्ण से नए शब्द का निर्माण करो-

मेला – लाल, लगन, नया, याद
पिया, खोल, शिशुमन

उत्तर:

  • मेला: अलग, गाना, नाच, आनंद।
  • पिया: आलम, मिठास, सूरज, जल।
  • खोल: लकड़ी, ईमान, नक्शा, आलम।
  • शिशुमन: नन्हा, आकाश, शहद, दोस्त।

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