Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 Solutions – क्या निराश हुआ जाए

Here you will get complete Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 Solutions. This covers all question answer of chapter 5 – “क्या निराश हुआ जाए”, from the new book. It follows the updated syllabus of BSEB.

“क्या निराश हुआ जाए” एक विचारोत्तेजक निबंध है, जो सामाजिक बुराइयों और सच्चाई के बीच संतुलन की बात करता है। इस पाठ से आप सीखेंगे कि कैसे समाज में बुराइयों के बावजूद सच्चाई और ईमानदारी अभी भी मौजूद हैं। लेखक बताते हैं कि लोभ और भ्रष्टाचार के सामने हार नहीं माननी चाहिए, बल्कि डटकर उनका सामना करना चाहिए। यह पाठ आपको सिखाएगा कि निराश होने की बजाय आशा और इंसानियत पर भरोसा रखना जरूरी है।

Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 Solutions new

Bihar Board Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 Solutions

अध्याय5. क्या निराश हुआ जाए
लेखकहजारी प्रसाद द्विवेदी
विषयHindi (वसंत भाग 3)
कक्षा8वीं
बोर्डबिहार बोर्ड

प्रश्न-अभ्यास

आपके विचार से

1. लेखक ने स्वीकार किया है कि लोगों ने उन्हें भी धोखा दिया है फिर भी वह निराश नहीं है। आपके विचार से इस बात का क्या कारण हो सकता है?

उत्तर: लेखक को लोगों ने धोखा दिया, फिर भी वह निराश नहीं हैं क्योंकि उन्हें समाज में अच्छाई और ईमानदारी पर भरोसा है। भले ही समाज में बुराइयाँ और धोखा देने वाले लोग हों, लेकिन लेखक ने रेलवे स्टेशन पर टिकट बाबू जैसे ईमानदार लोगों को देखा। इससे उन्हें यकीन है कि अच्छे लोग अभी भी मौजूद हैं। यह सकारात्मक सोच उन्हें निराश होने से बचाती है और आशा बनाए रखती है।

2. समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं और टेलीविजन पर आपने ऐसी अनेक घटनाएँ देखी-सुनी होंगी जिनमें लोगों ने बिना किसी लालच के दूसरों की सहायता की हो या ईमानदारी से काम किया हो। ऐसे समाचार तथा लेख एकत्रित करें और कम-से-कम दो घटनाओं पर अपनी टिप्पणी लिखें।

उत्तर:

(i) घटना 1: एक समाचार में मैंने पढ़ा कि एक ऑटो चालक ने सड़क पर मिला एक बैग, जिसमें नकदी और जरूरी कागजात थे, उसके मालिक को लौटा दिया। उसने बिना किसी लालच के यह काम किया।

टिप्पणी: यह घटना हमें सिखाती है कि ईमानदारी आज भी जिंदा है। ऐसे लोग समाज में भरोसा और अच्छाई बनाए रखते हैं।

(ii) घटना 2: एक टीवी समाचार में दिखाया गया कि एक स्कूल शिक्षक ने अपनी तनख्वाह से गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए किताबें खरीदीं।

टिप्पणी: यह कार्य दिखाता है कि बिना स्वार्थ के दूसरों की मदद करने से समाज बेहतर बनता है। यह हमें प्रेरणा देता है कि हमें भी दूसरों के लिए कुछ करना चाहिए।

3. लेखक ने अपने जीवन की दो घटनाओं में रेलवे के टिकट बाबू और बस कंडक्टर की अच्छाई और ईमानदारी की बात बताई है। आप भी अपने या अपने किसी परिचित के साथ हुई किसी घटना के बारे में बताइए जिसमें किसी ने बिना किसी स्वार्थ के भलाई, ईमानदारी और अच्छाई के कार्य किए हों।

उत्तर: मेरे पड़ोस में एक दुकानदार के साथ एक घटना हुई। मेरे दोस्त ने उसकी दुकान पर खरीदारी की और गलती से ज्यादा पैसे दे दिए। दुकानदार ने उसे बुलाकर अतिरिक्त पैसे लौटा दिए। उसने यह काम पूरी ईमानदारी से किया, बिना किसी स्वार्थ के।

यह घटना हमें सिखाती है कि समाज में अभी भी ऐसे लोग हैं जो ईमानदारी को महत्व देते हैं। ऐसे कार्य हमें दूसरों पर भरोसा करने और अच्छाई फैलाने की प्रेरणा देते हैं।

पर्दाफ़ाश

1. दोषों का पर्दाफ़ाश करना कब बुरा रूप ले सकता है?

उत्तर: दोषों का पर्दाफ़ाश करना तब बुरा हो सकता है जब इसे केवल दूसरों को नीचा दिखाने या मजाक उड़ाने के लिए किया जाए। अगर सिर्फ बुराइयों पर ध्यान दिया जाए और अच्छाई को नजरअंदाज किया जाए, तो इससे समाज में नकारात्मकता फैलती है। सही तरीका है कि बुराई के साथ-साथ अच्छाई को भी दिखाया जाए, ताकि लोग प्रेरणा लें और समाज में सकारात्मक बदलाव आए।

2. आजकल के बहुत से समाचार पत्र या समाचार चैनल ‘दोषों का पर्दाफ़ाश’ कर रहे हैं। इस प्रकार के समाचारों और कार्यक्रमों की सार्थकता पर तर्क परत सहित विचार लिखिए?

उत्तर: समाचार पत्र और चैनल दोषों का पर्दाफ़ाश करके समाज को गलत कामों के बारे में जागरूक करते हैं। यह भ्रष्टाचार, अपराध या अन्याय को उजागर करके लोगों को सतर्क करता है और जिम्मेदार लोगों को अपने कर्तव्य निभाने के लिए प्रेरित करता है।

लेकिन, कई बार ये समाचार केवल लोगों का ध्यान खींचने या टीवी की रेटिंग बढ़ाने के लिए बनाए जाते हैं। इससे समाज में डर और अविश्वास फैल सकता है। सही मायने में पर्दाफ़ाश तभी सार्थक है जब यह निष्पक्ष हो और साथ में अच्छे कार्यों को भी दिखाए, ताकि लोग प्रेरित हों और समाज में सकारात्मक बदलाव आए।

कारण बताइए

निम्नलिखित के संभावित परिणाम क्या-क्या हो सकते हैं? आपस में चर्चा कीजिए, जैसे- “ईमानदारी को मूर्खता का पर्याय समझा जाने लगा है।” परिणाम-भ्रष्टाचार बढ़ेगा।

1. “सचाई केवल भीरु और बेबस लोगों के हिस्से पड़ी है।”

उत्तर: लोग सच बोलने से डरने लगेंगे, क्योंकि उन्हें लगेगा कि सच बोलने से वे कमजोर दिखेंगे। इससे समाज में झूठ और बेईमानी बढ़ेगी।

2. “झूठ और फरेब का रोज़गार करनेवाले फल-फूल रहे हैं।”

उत्तर: लोग ईमानदारी छोड़कर झूठ और बेईमानी की राह चुनेंगे, क्योंकि उन्हें लगेगा कि यही सफलता का रास्ता है। इससे समाज में भरोसा कम होगा और बुराइयाँ बढ़ेंगी।

3. “हर आदमी दोषी अधिक दिख रहा है, गुणी कम।”

उत्तर: लोग एक-दूसरे पर शक करने लगेंगे और अच्छे कामों को कम महत्व देंगे। इससे समाज में नकारात्मक सोच बढ़ेगी और आपसी विश्वास कम होगा।

दो लेखक और बस यात्रा

आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस-यात्राओं के लेखक आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते? अपनी कल्पना से उनकी बातचीत लिखिए।

उत्तर:

पहला लेखक: नमस्ते! मेरी बस यात्रा में एक कंडक्टर ने मेरे अतिरिक्त पैसे लौटाकर ईमानदारी दिखाई। इससे मुझे समाज में अच्छाई पर भरोसा हुआ।

दूसरा लेखक: वाह, यह तो बहुत अच्छी बात है! मेरी यात्रा में भी एक कंडक्टर ने एक गरीब यात्री की मदद की। उसने उसे मुफ्त में उसकी मंजिल तक पहुँचाया।

पहला लेखक: सचमुच, ये छोटी-छोटी घटनाएँ हमें सिखाती हैं कि समाज में अभी भी अच्छे लोग हैं।

दूसरा लेखक: हाँ, और हमें इन बातों को दूसरों तक पहुँचाना चाहिए, ताकि लोग निराश न हों और अच्छाई को बढ़ावा दें।

पहला लेखक: बिल्कुल, ऐसी कहानियाँ समाज में उम्मीद जगाती हैं।

सार्थक शीर्षक

1. लेखक ने लेख का शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ क्यों रखा होगा? क्या आप इससे भी बेहतर शीर्षक सुझा सकते हैं?

उत्तर: लेखक ने शीर्षक ‘क्या निराश हुआ जाए’ इसलिए रखा क्योंकि लेख में समाज की बुराइयों के बावजूद अच्छाई और ईमानदारी की कहानियाँ बताई गई हैं। यह शीर्षक पाठकों को सोचने पर मजबूर करता है कि हमें निराश होने की बजाय आशा और विश्वास रखना चाहिए।

बेहतर शीर्षक सुझाव:

(i) अच्छाई की उम्मीद

(ii) ईमानदारी की जीत

(iii) आशा की किरण

(iv) विश्वास की राह

2. यदि ‘क्या निराश हुआ जाए’ के बाद कोई विराम चिह्न लगाने के लिए कहा जाए तो आप दिए गए चिह्नों में से कौन-सा चिह्न लगाएँगे? अपने चुनाव का कारण भी बताइए। – , । . ! ? . ; – , …. ।

उत्तर: मैं ‘क्या निराश हुआ जाए?’ के बाद प्रश्न चिह्न (?) लगाऊँगा।

कारण: यह शीर्षक एक सवाल की तरह है, जो पाठकों से पूछता है कि क्या हमें निराश होना चाहिए। प्रश्न चिह्न इस सवाल को और प्रभावी बनाता है और पाठकों को सोचने के लिए प्रेरित करता है।

(i) “आदर्शों की बातें करना तो बहुत आसान है पर उन पर चलना बहुत कठिन है।” क्या आप इस बात से सहमत हैं? तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर: हाँ, मैं इस बात से सहमत हूँ। आदर्शों की बात करना आसान है क्योंकि इसमें केवल बोलना होता है। लेकिन उन आदर्शों को अपने जीवन में अपनाना मुश्किल है। उदाहरण के लिए, हम कह सकते हैं कि हमें हमेशा सच बोलना चाहिए, लेकिन जब सच बोलने से नुकसान हो सकता है, तो लोग डर जाते हैं। आदर्शों पर चलने के लिए हिम्मत और मेहनत चाहिए, जो हर किसी के लिए आसान नहीं होता।

सपनों का भारत

“हमारे महान मनीषियों के सपनों का भारत है और रहेगा।”

1. आपके विचार से हमारे महान विद्वानों ने किस तरह के भारत के सपने देखे थे? लिखिए।

उत्तर: हमारे महान विद्वानों ने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जो:

  • समानता वाला हो: जहाँ जाति, धर्म या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव न हो।
  • शिक्षित हो: जहाँ हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिले।
  • आत्मनिर्भर हो: जहाँ लोग अपने काम से खुशहाल हों, जैसा गांधीजी ने स्वदेशी की बात कही थी।
  • सहिष्णु हो: जहाँ सभी धर्मों के लोग मिलकर रहें।
  • विकसित हो: जहाँ विज्ञान और तकनीक से देश आगे बढ़े, जैसे डॉ. अब्दुल कलाम ने सोचा था।
  • महिलाओं को सम्मान मिले: जहाँ महिलाएँ सुरक्षित और सशक्त हों।

2. आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिए? लिखिए।

उत्तर: मेरे सपनों का भारत ऐसा होगा:

  • शिक्षा और स्वास्थ्य: हर बच्चे को अच्छी पढ़ाई और सभी को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएँ मिलें।
  • समानता: कोई भेदभाव न हो, सभी को बराबर मौके मिलें।
  • आर्थिक विकास: बेरोजगारी और गरीबी खत्म हो, हर व्यक्ति आत्मनिर्भर बने।
  • ईमानदारी: भ्रष्टाचार कम हो और लोग ईमानदारी से काम करें।
  • स्वच्छता: देश साफ-सुथरा हो, पर्यावरण की रक्षा हो।
  • सांस्कृतिक एकता: सभी लोग अपनी भाषा और संस्कृति का सम्मान करें और एकजुट रहें।

भाषा की बात

1. दो शब्दों के मिलने से समास बनता है। समास का एक प्रकार है-द्वंद्व समास। इसमें दोनों शब्द प्रधान होते हैं। जब दोनों भाग प्रधान होंगे तो एक-दूसरे में द्वंद्व (स्पर्धा, होड़) की संभावना होती है। कोई किसी से पीछे रहना नहीं चाहता, जैसे-चरम और परम = चरम – परम, भीरु और बेबस = भीरु-बेबस। दिन और रात = दिन-रात। ‘और’ के साथ आए शब्दों के जोड़े को ‘और’ हटाकर (-) योजक चिह्न भी लगाया जाता है। कभी-कभी एक साथ भी लिखा जाता है। द्वंद्व समास के बारह उदाहरण ढूँढ़कर लिखिए।

उत्तर:

  • सुख-दुःख
  • दिन-रात
  • हानि-लाभ
  • जय-पराजय
  • छोटा-बड़ा
  • नर-नारी
  • स्वर्ग-नरक
  • अच्छा-बुरा
  • ऊँच-नीच
  • धूप-छाँव
  • आना-जाना
  • सच-झूठ

2. पाठ से तीनों, प्रकार की संज्ञाओं के उदाहरण खोजकर लिखिए।

उत्तर:

व्यक्तिवाचक संज्ञा:

(i) जोहान्सबर्ग
(ii) गांधीजी
(iii) मोहम्मद अली जिन्ना

जातिवाचक संज्ञा:

(i) अखबार
(ii) वकील
(iii) कंडक्टर

भाववाचक संज्ञा:

(i) ईमानदारी
(ii) विश्वास
(iii) निराशा

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