Bihar Board Class 7 Civics Chapter 5 Solutions are available for free here. Written by subject experts, it provides complete question-answer of Chapter 5 – “औरतों ने बदली दुनिया” from the New Civics Book of class 7 – सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2 (Samajik Evam Rajnitik Jeevan).
यह अध्याय आपको महिलाओं के संघर्ष और उनके द्वारा समाज में लाए गए बदलावों से परिचित कराता है। आप जानेंगे कि अतीत में महिलाओं को शिक्षा और अवसरों से कैसे वंचित रखा गया और कैसे सावित्रीबाई फुले, रूक्मिणी देवी अरुंडेल और रश्मि मिर्जा जैसी महिलाओं ने शिक्षा, नृत्य और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में योगदान देकर समाज को बदला। यह अध्याय यह भी बताता है कि आज भी कई लड़कियों को समान अवसर नहीं मिलते और इसे सुधारने के लिए चल रहे प्रयासों को दर्शाता है।

Bihar Board Class 7 Civics Chapter 5 Solutions
| Subject | Civics (सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन-2) |
| Class | 7 |
| Chapter | 5. औरतों ने बदली दुनिया |
| Board | Bihar Board |
अभ्यास
1. आपके विचार से महिलाओं के बारे में प्रचलित रूढ़िवादी धारणा कि वे क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, उनके समानता के अधिकार को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तर: समानता का अधिकार का मतलब है कि हर व्यक्ति को अपना जीवन अपने तरीके से जीने का समान मौका मिलना चाहिए। लेकिन महिलाओं के बारे में कई पुरानी सोच है जो उन्हें पीछे रखती है। जैसे – “लड़कियां भारी काम नहीं कर सकतीं”, “उन्हें सिर्फ घर संभालना चाहिए”। इन धारणाओं के कारण:
- महिलाओं को कई नौकरियों से दूर रखा जाता है
- उनके काम को कम महत्व दिया जाता है
- उन्हें कम वेतन दिया जाता है
- घरेलू काम करने वालों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता
एक और गलत धारणा है कि लड़कियों का मुख्य लक्ष्य सिर्फ शादी और घर संभालना है। इसलिए कई परिवारों में लड़कियों की पढ़ाई पूरी होने के बाद भी उन्हें नौकरी करने से रोका जाता है और जल्दी शादी करने के लिए दबाव डाला जाता है।
2. कोई एक कारण बताइए जिसकी वजह से राससुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन के लिए अक्षर ज्ञान इतना महत्त्वपूर्ण था।
उत्तर: राससुंदरी देवी, रमाबाई और रुकैया हुसैन के लिए पढ़ना-लिखना सीखना बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे उन्हें अपने विचारों को दूसरों तक पहुंचाने का मौका मिला। वे समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाना चाहती थीं। जब कोई पढ़ना-लिखना सीख लेता है तो:
- वह अपने विचार लिख सकता है
- दूसरों से ज्ञान हासिल कर सकता है
- अपने अधिकारों के बारे में जान सकता है
- दूसरों को सिखा सकता है
इन महिलाओं ने अक्षर ज्ञान हासिल करके न सिर्फ अपना जीवन बदला बल्कि दूसरी महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बनीं।
3. “निर्धन बालिकाएँ पढ़ाई बीच में ही छोड़ देती हैं, क्योंकि शिक्षा में उनकी रुचि नहीं है।” पृष्ठ 56, 57 पर दिए गए अनुच्छेद को पढ़कर स्पष्ट कीजिए कि यह कथन सही क्यों नहीं है?
उत्तर: यह कथन सही नहीं है। गरीब लड़कियां पढ़ाई में रुचि न होने की वजह से नहीं, बल्कि कई अन्य कारणों से पढ़ाई छोड़ देती हैं, जैसे:
- गांवों में अच्छे स्कूल नहीं होते
- स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक नहीं होते
- माता-पिता के पास सीमित पैसे होते हैं, और वे अक्सर लड़कों की पढ़ाई को प्राथमिकता देते हैं
- स्कूल घर से बहुत दूर होते हैं और आने-जाने की सुरक्षित व्यवस्था नहीं होती
- घर के काम और छोटे भाई-बहनों की देखभाल की जिम्मेदारी अक्सर लड़कियों पर डाल दी जाती है
असल में, कई लड़कियां पढ़ना चाहती हैं, लेकिन ये बाधाएं उन्हें रोक देती हैं।
4. क्या आप महिला आंदोलन द्वारा व्यवहार में लाए जाने वाले संघर्ष के दो तरीकों के बारे में बता सकते हैं? महिलाएँ क्या कर सकती हैं और क्या नहीं, इस विषय पर आपको रूढ़ियों के विरुद्ध संघर्ष करना पड़े, तो आप पढ़े हुए तरीकों में से कौन-से तरीकों का उपयोग करेंगे? आप इसी विशेष तरीके का उपयोग क्यों करेंगे?
उत्तर: महिला आंदोलन द्वारा संघर्ष के दो मुख्य तरीके हैं:
- अभियान चलाना: महिला आंदोलन भेदभाव और हिंसा के खिलाफ अभियान चलाते हैं। इन अभियानों की वजह से कई नए कानून बने हैं। जैसे – 2006 में घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून बना। 1997 में सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के खिलाफ दिशा-निर्देश जारी किए।
- जागरूकता बढ़ाना: महिला आंदोलन गीतों, नुक्कड़ नाटकों और सभाओं के जरिए लोगों को महिलाओं के अधिकारों के बारे में जागरूक करते हैं। इससे लोगों की सोच बदलती है।
अगर मुझे रूढ़ियों के खिलाफ लड़ना पड़े, तो मैं जागरूकता बढ़ाने वाले तरीके का इस्तेमाल करूंगा/करूंगी। क्योंकि:
- मैं अभी छात्र/छात्रा हूं और मेरा ज्यादातर समय पढ़ाई में जाता है
- मैं आसानी से ब्लॉग लिख सकता/सकती हूं या सोशल मीडिया पर जागरूकता फैला सकता/सकती हूं
- जब लोगों की सोच बदलेगी, तभी पुरानी रूढ़ियां भी खत्म होंगी
- सबसे पहले लोगों को समझाना जरूरी है कि कुछ मान्यताएं गलत हैं
जागरूकता फैलाने से धीरे-धीरे पूरे समाज की सोच बदल सकती है, और यही सबसे स्थायी बदलाव होगा।