Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 10 Solutions – परीक्षा (New Book)

Here we have given free Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 10 Solutions. This provides complete questions and answers of chapter 10 – “परीक्षा” for free. It follows the new book of Bihar Board class 6 Hindi मल्हार (Malhar) (NCERT Based).

“परीक्षा” प्रेमचंद जी की एक शिक्षाप्रद कहानी है जो हमें सच्चे नेतृत्व का असली मतलब समझाती है। यह कहानी दिखाती है कि असली योग्यता डिग्रियों या दिखावे में नहीं, बल्कि इंसान के चरित्र और उसकी नेक नीयत में होती है। इस कहानी में आप पढ़ेंगे कि कैसे एक साधारण सा युवक अपनी करुणा और मददगार प्रवृत्ति के कारण दीवान के पद के लिए चुना जाता है, जबकि अन्य योग्य दिखने वाले उम्मीदवार केवल अपने बाहरी रूप पर ध्यान देते हैं। “परीक्षा” के प्रश्न उत्तर नीचे दिए गए हैं जो आपको इस कहानी को गहराई से समझने में मदद करेंगे।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 10 Solutions New Edition

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 10 – परीक्षा

Class6
SubjectHindi – मल्हार (Malhar)
Chapter10. परीक्षा
BoardBihar Board

पाठ से

मेरी समझ से

(क) आपकी समझ से नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है ? उसके सामने तारा (★) बनाइए ।

(1) महाराज ने दीवान को ही उनका उत्तराधिकारी चुनने का कार्य उनके किस गुण के कारण सौंपा ?

  • उदारता
  • सादगी
  • बल
  • नीति कुशलता

उत्तर – नीति कुशलता (★)

(2) दीवान साहब द्वारा नौकरी छोड़ने के निश्चय का क्या कारण था?

  • परमात्मा की याद
  • राज-काज सँभालने योग्य शक्ति न रहना
  • बदनामी का भय
  • चालीस वर्ष की नौकरी पूरा हो जाना

उत्तर – परमात्मा की याद (★)

(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

शीर्षक

(क) आपने जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम प्रेमचंद ने ‘परीक्षा’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी का यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर के कारण भी लिखिए।

उत्तर – प्रेमचंद ने इस कहानी का शीर्षक ‘परीक्षा’ इसलिए रखा क्योंकि कहानी में दीवान के पद के लिए सभी उम्मीदवारों की योग्यता, दया और नैतिकता की परीक्षा ली गई। इस परीक्षा में वही व्यक्ति सफल हुआ जिसने धन के लालच के बजाय दया और नीतिकुशलता का परिचय दिया।

(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए?

उत्तर – मैं इस कहानी का नाम ‘सच्चा मूल्य’ रखूँगा क्योंकि कहानी बताती है कि धन से अधिक मूल्यवान मनुष्य के गुण और चरित्र होते हैं। सुजानसिंह ने व्यक्ति के सच्चे मूल्य को पहचाना जो पैसे से नहीं, बल्कि दया और नैतिकता से निर्धारित होता है।

पंक्तियों पर चर्चा

पंक्तियों पर चर्चा

कहानी में से चुनकर यहाँ कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया अपने विचार ? अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

“इस पद के लिए ऐसे पुरुष की आवश्यकता थी, जिसके हृदय में दया हो और साथ-साथ आत्मबल । हृदय वह जो उदार हो, आत्मबल वह जो आपत्ति का वीरता के साथ सामना करे। ऐसे गुणवाले संसार में कम हैं और जो हैं, वे कीर्ति और मान के शिखर पर बैठे हुए हैं ।”

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

सोच-विचार के लिए

कहानी को एक बार फिर से पढ़िए, निम्नलिखित के बारे में पता लगाइए और लिखिए-

(क) नौकरी की चाह में आए लोगों ने नौकरी पाने के लिए कौन-कौन से प्रयास किए?

उत्तर – नौकरी पाने के लिए उम्मीदवारों ने अपनी आदतें और व्यवहार बदलकर खुद को योग्य दिखाने का प्रयास किया। मिस्टर ‘अ’ ने देर तक सोने की आदत छोड़कर सुबह टहलना शुरू किया। मिस्टर ‘द’, ‘स’, और ‘ज’ अपने नौकरों से अब ‘आप’ और ‘जनाब’ कहकर सम्मानपूर्वक बात करने लगे। मिस्टर ‘ल’ को पहले किताबों से नफरत थी, लेकिन अब वे बड़े-बड़े ग्रंथ पढ़ने में व्यस्त थे। सभी उम्मीदवार अपने तरीके से अपनी छवि बदलने का प्रयास कर रहे थे।

(ख) “उसे किसान की सूरत देखते ही सब बातें ज्ञात हो गईं” खिलाड़ी को कौन-कौन सी बातें पता चल गईं?

उत्तर – खिलाड़ी को किसान की थकी और परेशान सूरत देखकर पता चल गया कि उसकी गाड़ी नाले के कीचड़ में फँस गई है। उसने यह भी समझ लिया कि किसान ने गाड़ी निकालने के लिए बहुत प्रयास किया है, लेकिन वह असफल रहा है। खिलाड़ी ने किसान की चेहरे पर हताशा और मदद की गुहार भी पहचान ली, जिससे उसने मदद करने का निर्णय लिया।

(ग) “मगर उन आँखों में सत्कार था, इन आँखों में ईर्ष्या ।’ किनकी आँखों में सत्कार था और किनकी आँखों में ईर्ष्या थी? क्यों?

उत्तर – सरदार सुजानसिंह द्वारा जानकीनाथ को दीवान पद पर नियुक्त करने की घोषणा के बाद, रियासत के कर्मचारियों और रईसों की आँखों में सत्कार था क्योंकि उन्होंने जानकीनाथ के चरित्र और परोपकार की भावना को पहचाना था। दूसरी ओर, दीवान पद के अन्य उम्मीदवारों की आँखों में ईर्ष्या थी क्योंकि वे स्वयं इस पद को पाना चाहते थे और जानकीनाथ जैसे साधारण व्यक्ति का चयन उन्हें अच्छा नहीं लगा। उनके अंदर अपने प्रयासों की विफलता का दुःख और जलन थी।

खोजबीन

कहानी में से वे वाक्य खोजकर लिखिए, जिनसे पता चलता है कि-

(क) शायद युवक बूढ़े किसान की असलियत पहचान गया था।

उत्तर – युवक ने बूढ़े किसान को देखकर अनुमान लगा लिया था कि वह वास्तव में सरदार सुजानसिंह है। उसने किसान के चेहरे, आवाज़ और व्यवहार से उनकी असली पहचान को भांप लिया था। युवक समझ गया था कि सुजानसिंह भेष बदलकर उम्मीदवारों की परीक्षा ले रहे हैं, इसलिए वह सतर्क हो गया।

(ख) नौकरी के लिए आए लोग किसी तरह बस नौकरी पा लेना चाहते थे।

उत्तर – नौकरी के लिए आए सभी उम्मीदवार दिखावटी नम्रता और सदाचार का प्रदर्शन कर रहे थे। उनका मानना था कि केवल एक महीने की यह परेशानी है, और अगर नौकरी मिल जाए तो बाद में अपने वास्तविक स्वभाव पर लौट सकते हैं। वे सिर्फ नौकरी पाने के लिए दिखावा कर रहे थे, न कि वास्तव में अपने व्यवहार में बदलाव लाने के लिए।

कहानी की रचना

“लोग पसीने से तर हो गए। खून की गरमी आँख और चेहरे से झलक रही थी।”

इन वाक्यों को पढ़कर आँखों के सामने थकान से चूर खिलाड़ियों का चित्र दिखाई देने लगता है। यह चित्रात्मक भाषा है। ध्यान देंगे तो इस पाठ में ऐसी और भी अनेक विशेष बातें आपको दिखाई देंगी। कहानी को एक बार ध्यान से पढ़िए। आपको इस कहानी में और कौन-कौन सी विशेष बातें दिखाई दे रही हैं? अपने समूह में मिलकर उनकी सूची बनाइए ।

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

समस्या और समाधान

इस कहानी में कुछ समस्याएँ हैं और उनके समाधान भी हैं। कहानी को एक बार फिर से पढ़कर बताइए कि –

(क) महाराज के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?

उत्तर – महाराज की समस्या थी कि उनके अनुभवी और नीतिकुशल दीवान सुजानसिंह अपनी बढ़ती उम्र के कारण पद छोड़ना चाहते थे। महाराज ने पहले बहुत समझाया, लेकिन जब दीवान नहीं माने तो उन्होंने एक शर्त रखी कि नए दीवान का चयन सुजानसिंह को ही करना होगा। इस प्रकार महाराज ने यह सुनिश्चित किया कि नया दीवान भी योग्य और विश्वसनीय हो।

(ख) दीवान के सामने क्या समस्या थी? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?

उत्तर – दीवान सुजानसिंह के सामने अपने पद के लिए एक ऐसे योग्य व्यक्ति को खोजने की समस्या थी जो नीतिकुशल, दयालु और ईमानदार हो। उन्होंने इसका समाधान समाचार-पत्र में विज्ञापन देकर और फिर उम्मीदवारों का गुप्त रूप से परीक्षण करके निकाला। दीवान ने किसान का वेश धारण करके प्रत्येक उम्मीदवार की वास्तविक प्रवृत्ति की परख की, ताकि सच्चे चरित्र वाले व्यक्ति का चयन हो सके।

(ग) नौकरी के लिए आए लोगों के सामने क्या समस्या थी ? उन्होंने इसका क्या समाधान खोजा?

उत्तर – नौकरी चाहने वाले लोगों के सामने अपने वास्तविक स्वभाव में सुधार करके नीतिकुशल, दयालु और ईमानदार साबित होने की समस्या थी। उन्होंने इसका समाधान अस्थायी रूप से अपने व्यवहार में बदलाव करके निकाला – जैसे सुबह जल्दी उठना, नौकरों से अच्छा व्यवहार करना और किताबें पढ़ना शुरू करना। वे समझते थे कि यह दिखावा बस एक महीने तक करना है, और नौकरी मिलने के बाद अपने पुराने स्वभाव में लौट सकते हैं।

मन के भाव

“स्वार्थ था, मद था, मगर उदारता और वात्सल्य का नाम भी न था।”

इस वाक्य में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची हुई है। ये सभी नाम हैं, लेकिन दिखाई देने वाली वस्तुओं, व्यक्तियों या जगहों के नाम नहीं हैं। ये सभी शब्द मन के भावों के नाम हैं। आप कहानी में से ऐसे ही अन्य नामों को खोजकर नीचे दिए गए रिक्त स्थानों में लिखिए।

उत्तर –

अभिनय

कहानी में युवक और किसान की बातचीत संवादों के रूप में दी गई है। यह भी बताया गया है कि उन दोनों ने ये बातें कैसे बोलीं। अपने समूह के साथ मिलकर तैयारी कीजिए और कहानी के इस भाग को कक्षा में अभिनय के द्वारा प्रस्तुत कीजिए । प्रत्येक समूह से अभिनेता या अभिनेत्री कक्षा में सामने आएँगे और एक-एक संवाद अभिनय के साथ बोलकर दिखाएँगे।

उत्तर – विद्यार्थी स्वयं करें।

विपरीतार्थक शब्द

“विद्या का कम, परंतु कर्तव्य का अधिक विचार किया जाएगा।”
‘कम’ का विपरीत अर्थ देने वाला शब्द है ‘अधिक’ । इसी प्रकार कुछ विपरीतार्थक शब्द नीचे दिए गए हैं लेकिन वे आमने-सामने नहीं हैं। रेखाएँ खींचकर विपरीतार्थक शब्दों के सही जोड़े बनाइए-

स्तंभ 1स्तंभ 2
1. आना7. जाना
2. गुण4. अवगुण
3. आदर9. अनादर
4. स्वस्थ5. अस्वस्थ
5. कम6. अधिक
6. दयालु1. निर्दयी
7. योग्य8. अयोग्य
8. हार3. जीत
9. आशा2. निराशा

पाठ से आगे

अनुमान या कल्पना से

(क) “दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला” देश के प्रसिद्ध पत्रों में नौकरी का विज्ञापन किसने निकलवाया होगा? आपको ऐसा क्यों लगता है?

उत्तर – सरदार सुजानसिंह ने ही अखबारों में यह विज्ञापन निकलवाया होगा, क्योंकि देवगढ़ के राजा ने उन्हें नए दीवान के चयन की जिम्मेदारी सौंपी थी। सुजानसिंह चाहते थे कि एक योग्य व्यक्ति इस महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त हो, इसलिए उन्होंने देश के प्रसिद्ध पत्रों में विज्ञापन देकर अधिक से अधिक उम्मीदवारों तक पहुँचने का प्रयास किया।

(ख) “इस विज्ञापन ने सारे मुल्क में तहलका मचा दिया।”
विज्ञापन ने पूरे देश में तहलका क्यों मचा दिया होगा?

उत्तर – दीवान का पद बहुत सम्मानजनक और शक्तिशाली था, जिसमें अच्छा वेतन और प्रतिष्ठा दोनों मिलते थे। विज्ञापन में किसी विशेष शैक्षिक योग्यता की आवश्यकता नहीं बताई गई थी, बल्कि नैतिक गुणों पर ज़ोर दिया गया था, जिससे अधिक लोग इस पद के लिए आवेदन कर सकते थे।

विज्ञापन

“ दूसरे दिन देश के प्रसिद्ध पत्रों में यह विज्ञापन निकला कि देवगढ़ के लिए एक सुयोग्य दीवान की जरूरत है।’

(क) कहानी में इस विज्ञापन की सामग्री को पढ़िए। इसके बाद अपने समूह में मिलकर इस विज्ञापन को अपनी कल्पना का उपयोग करते हुए बनाइए ।
(संकेत- विज्ञापन बनाने के लिए आप एक चौकोर कागज़ पर हाशिया बनाइए। इसके बाद इस हाशिए के भीतर के खाली स्थान पर सुंदर लिखाई, चित्रों, रंगों आदि की सहायता से सभी आवश्यक जानकारी लिख दीजिए। आप बिना रंगों या चित्रों के भी विज्ञापन बना सकते हैं ।)

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

(ख) आपने भी अपने आस-पास दीवारों पर, समाचार- – पत्रों या पत्रिकाओं में, मोबाइल फोन या दूरदर्शन पर अनेक विज्ञापन देखे होंगे। अपने किसी मनपसंद विज्ञापन को याद कीजिए। आपको वह अच्छा क्यों लगता है? सोचकर अपने समूह में बताइए | अपने समूह के बिंदुओं को लिख लीजिए।

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

(ग) विज्ञापनों से लाभ होते हैं, हानि होती हैं, या दोनों? अपने समूह में चर्चा कीजिए और चर्चा के बिंदु लिखकर कक्षा में साझा कीजिए ।

उत्तर – विज्ञापनों से लाभ और हानि दोनों हो सकते हैं। लाभ यह है कि विज्ञापन हमें नए उत्पादों, नौकरियों और सेवाओं की जानकारी देते हैं और हमारे समय की बचत करते हैं। हानि यह है कि कई बार विज्ञापन भ्रामक होते हैं और अनावश्यक वस्तुओं को खरीदने के लिए हमें प्रेरित करते हैं। इसलिए विज्ञापनों को देखते समय हमें सावधानी बरतनी चाहिए और उनकी सच्चाई को परखना चाहिए।

आगे की कहानी

‘परीक्षा’ कहानी जहाँ समाप्त होती है, उसके आगे क्या हुआ होगा। आगे की कहानी अपनी कल्पना से बनाइए ।

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

आपकी बात

(क) यदि कहानी में दीवान साहब के स्थान पर आप होते तो योग्य व्यक्ति को कैसे चुनते ?

उत्तर – यदि मैं दीवान साहब के स्थान पर होता, तो मैं उम्मीदवारों से कुछ व्यावहारिक समस्याएँ हल करने को देता और उनके व्यवहार का निरीक्षण करता। मैं उनकी ईमानदारी, न्याय की समझ और लोगों से बातचीत करने के तरीके को परखता। साथ ही, मैं यह भी देखता कि वे कठिन परिस्थितियों में कैसे निर्णय लेते हैं और क्या वे सभी के प्रति दयालु और निष्पक्ष हैं।

(ख) यदि आपको कक्षा का मॉनिटर चुनने के लिए कहा जाए तो आप उसे कैसे चुनेंगे? उसमें किन-किन गुणों को देखेंगे? गुणों की परख के लिए क्या – क्या करेंगे?

उत्तर – मैं ऐसे छात्र को मॉनिटर चुनूंगा जो अनुशासित हो, सभी साथियों से अच्छा व्यवहार करता हो और जिम्मेदारी से काम करना जानता हो। इसकी परख के लिए मैं छात्रों से उनकी राय पूछूंगा, उनके पहले के कार्यों का निरीक्षण करूंगा और छोटे-छोटे समूह कार्य देकर उनके नेतृत्व कौशल को देखूंगा। मैं यह भी सुनिश्चित करूंगा कि चुना गया मॉनिटर सभी छात्रों का सम्मान करता हो और शिक्षकों का सहयोग करने में सक्षम हो।

नया-पुराना

इन्हीं बिंदुओं के आधार पर मैं अपनी कक्षा के मॉनिटर का चुनाव करूँगा।

‘कोई नए फैशन का प्रेमी, कोई पुरानी सादगी पर मिटा हुआ ।’ हमारे आस-पास अनेक वस्तुएँ ऐसी हैं, जिन्हें लोग नया फैशन या पुराना चलन कहकर दो भागों में बाँट देते हैं। जो वस्तु आपके माता-पिता या दादा-दादी के लिए नई हो, हो सकता है वह आपके लिए पुरानी हो, या जो उनके लिए पुरानी हो, वह आपके लिए नई हो । अपने परिवार या परिजनों से चर्चा करके नीचे दी गई तालिका को पूरा कीजिए-

उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।

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