Here we have given free Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 7 Solutions. This provides complete questions and answers of chapter 7 – “जलाते चलो” for free. It follows the new book of Bihar Board class 6 Hindi मल्हार (Malhar) (NCERT Based).
“जलाते चलो” द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी जी की एक सुंदर कविता है जो हमें जीवन में आशा और प्रेम का दीपक जलाए रखने की प्रेरणा देती है। यह कविता बताती है कि चाहे कितना भी गहरा अंधकार क्यों न हो, प्रेम और सद्भावना के दीपक उसे जरूर मिटा सकते हैं। कवि हमें याद दिलाते हैं कि हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए, क्योंकि एक दिन अंधकार का अंत होकर ही रहता है। “जलाते चलो” के प्रश्न उत्तर नीचे दिए गए हैं जो आपको इस कविता को अच्छी तरह समझने में मदद करेंगे।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 7 – जलाते चलो
| Class | 6 |
| Subject | Hindi – मल्हार (Malhar) |
| Chapter | 7. जलाते चलो |
| Board | Bihar Board |
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए-
(1) निम्नलिखित में से कौन-सी बात इस कविता में मुख्य रूप से कही गई है?
- भलाई के कार्य करते रहना
- दीपावली के दीपक जलाना
- बल्ब आदि जलाकर अंधकार दूर करना
- तिमिर मिलने तक नाव चलाते रहना
उत्तर – भलाई के कार्य करते रहना (★)
(2) “ जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की, चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी” यह वाक्य किससे कहा गया है?
- तूफ़ान से
- दीपकों से
- मनुष्यों से
- तिमिर से
उत्तर – मनुष्यों से (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए और कारण . सहित बताइए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।
मिलकर करें मिलान
कविता में से चुनकर कुछ शब्द यहाँ दिए गए हैं। अपने समूह में इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें इनके सही अर्थों या संदर्भों से मिलाइए। इसके लिए आप शब्दकोश, इंटरनेट या अपने शिक्षकों की सहायता ले सकते हैं।
उत्तर –
| शब्द | अर्थ या संदर्भ |
|---|---|
| 1. अमावस | 4. अमावस्या, जिस रात आकाश में चंद्रमा दिखाई नहीं देता । |
| 2. पूर्णिमा | 1. पूर्णमासी, वह तिथि जिस रात चंद्रमा पूरा दिखाई देता है। |
| 3. विद्युत – दिये | 2. विद्युत दिये अर्थात बिजली से जलने वाले दीपक, बल्ब आदि उपकरण। |
| 4. युग | 3. समय, काल, युग संख्या में चार माने गए हैं- सत्ययुग (सतयुग), त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग । |
पंक्तियों पर चर्चा
कविता में से चुनकर कुछ पंक्तियाँ नीचे दी गई हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार अपने समूह में साझा कीजिए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।

उत्तर – यह काव्यांश अच्छाई और बुराई के अनंत संघर्ष के बारे में है। कवि प्रकाश (दिये) को सत्य और अच्छाई का प्रतीक तथा तूफ़ान (अँधेरे) को बुराई और असत्य का प्रतीक मानते हैं। इस संघर्ष की कहानी युगों से चली आ रही है और आगे भी चलती रहेगी।
जब भी सत्य की लौ जलती है, वह सोने जैसी चमक के साथ प्रकाश फैलाती रहती है। कवि का विश्वास है कि जब तक एक भी दीया (अच्छाई का प्रतीक) धरती पर जलता रहेगा, तब तक बुराई रूपी अँधेरे का अंत होने की आशा बनी रहेगी और एक दिन रात को सुबह अवश्य मिलेगी। यह कविता हमें निराश न होने और सत्य की राह पर डटे रहने का संदेश देती है।
सोच-विचार के लिए
कविता को एक बार फिर से पढ़िए, पता लगाइए और अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए-
(क) कविता में अँधेरे या तिमिर के लिए किन वस्तुओं के उदाहरण दिए गए हैं?
उत्तर – कविता में अँधेरे के प्रतीक के रूप में अमावस की रात, तूफ़ान, निशा (रात) और शिला (पत्थर) का उल्लेख किया गया है। ये सभी प्रतीक अज्ञानता, बुराई और निराशा को दर्शाते हैं।
(ख) यह कविता आशा और उत्साह जगाने वाली कविता है। इसमें क्या आशा की गई है ? यह आशा क्यों की गई है?
उत्तर – इस कविता में संसार से बुराई, अज्ञानता और अन्याय को मिटाने की आशा व्यक्त की गई है। यह आशा इसलिए की गई है क्योंकि कवि का विश्वास है कि जब तक एक भी व्यक्ति सत्य और अच्छाई का प्रकाश फैलाता रहेगा, तब तक बुराई के अंधकार को खत्म करने का अवसर बना रहेगा।
(ग) कविता में किसे जलाने और किसे बुझाने की बात कही गई है ?
उत्तर – कविता में प्रेम और ज्ञान के दीपक को जलाए रखने तथा अज्ञान, स्वार्थ और बुराई के अंधकार को बुझाने की बात कही गई है। यह प्रतीकात्मक रूप से अच्छाई को मजबूत करने और बुराई को कमजोर करने का संदेश देता है।
कविता की रचना
“जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर
कभी तो धरा का अँधेरा मिटेगा ।”
इन पंक्तियों को अपने शिक्षक के साथ मिलकर लय सहित गाने या बोलने का प्रयास कीजिए। आप हाथों से ताल भी दे सकते हैं। दोनों पंक्तियों को गाने या बोलने में समान समय लगा या अलग-अलग? आपने अवश्य ही अनुभव किया होगा कि इन पंक्तियों को बोलने या गाने में लगभग एक-समान समय लगता है। केवल इन दो पंक्तियों को ही नहीं, इस कविता की प्रत्येक पंक्ति को गाने में या बोलने में लगभग समान समय ही लगता है। इस विशेषता के कारण यह कविता और अधिक प्रभावशाली हो गई है।
आप ध्यान देंगे तो इस कविता में आपको और भी अनेक विशेष बातें दिखाई देंगी।
(क) इस कविता को एक बार फिर से पढ़िए और अपने-अपने समूह में मिलकर इस कविता की विशेषताओं की सूची बनाइए, जैसे इस कविता की पंक्तियों को 2–4, 2-4 के क्रम में बाँटा गया है आदि।
(ख) अपने समूह की सूची को कक्षा में सबके साथ साझा कीजिए।
उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।
मिलान
स्तंभ 1 और स्तंभ 2 में कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। मिलते-जुलते भाव वाली पंक्तियों को रेखा खींचकर जोड़िए-
| स्तंभ- 1 | स्तंभ-2 |
|---|---|
| 1. कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा। | 3. विश्व की समस्याओं से एक न एक दिन छुटकारा अवश्य मिलेगा। |
| 2. जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर । | 4. दूसरों के सुख-चैन के लिए प्रयास करते रहिए। |
| 3. मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा – सी । | 2. विश्व में सुख-शांति क्यों कम होती जा रही है? |
| 4. बिना स्नेह विद्यत-दिये जल रहे जो बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा। | 1. विश्व की भलाई का ध्यान रखे बिना प्रगति करने से कोई लाभ नहीं होगा। |
अनुमान या कल्पना से
अपने समूह में मिलकर चर्चा कीजिए-
(क) “ दिये और तूफ़ान की यह कहानी
चली आ रही और चलती रहेगी”
दीपक और तूफ़ान की यह कौंन – सी कहानी हो सकती है जो सदा से चली आ रही है?
उत्तर – दीपक और तूफान की कहानी अच्छाई और बुराई के बीच सदियों से चले आ रहे संघर्ष का प्रतीक है। दीपक सत्य, आशा और अच्छाई का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि तूफान बुराई, असत्य और नकारात्मकता का। इतिहास में हम देखते हैं कि तूफान हमेशा दीपक को बुझाने का प्रयास करता है, परंतु दीपक की लौ फिर भी जलती रहती है। यह संघर्ष मनुष्य के जीवन में, समाज में और पूरे विश्व में निरंतर चलता रहा है। संसार में अच्छाई और बुराई के बीच यह टकराव प्राचीन काल से है और भविष्य में भी रहेगा।
(ख) “जली जो प्रथम बार लौ दीप की
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”
दीपक की यह सोने जैसी लौ क्या हो सकती है जो अनगिनत सालों से जल रही है?
उत्तर – दीपक की सोने जैसी लौ मानव के अंदर की आशा, साहस और ज्ञान का प्रतीक है। यह लौ मनुष्य के अंदर जब पहली बार जली थी, तब से निरंतर जल रही है, चाहे कितने भी संकट आए। इस लौ के कारण ही मनुष्य ने अंधकार और अज्ञान पर विजय पाई और नई-नई खोजें कीं। सभ्यता के विकास से लेकर आज तक इस आशा की लौ ने मनुष्य को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है। यह ज्ञान और आशा की लौ भविष्य में भी मानवता को रास्ता दिखाती रहेगी।
शब्दों के रूप
“कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा – सी”
‘अमावस’ का अर्थ है ‘अमावस्या’। इन दोनों शब्दों का अर्थ तो समान है लेकिन इनके लिखने-बोलने में थोड़ा-सा अंतर है। ऐसे ही कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। इनसे मिलते-जुलते दूसरे शब्द कविता से खोजकर लिखिए। ऐसे ही कुछ अन्य शब्द आपस में चर्चा करके खोजिए और लिखिए।
उत्तर –
- दिया – “दीप”
- उजेला – “उजाला”
- अनगिन – “अनगिनत”
- सरित – “सरिता”
- धरा – “धरती”
- स्वर्ण – “सोना”
अर्थ की बात
(क) “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर”
इस पंक्ति में ‘चलो’ के स्थान पर ‘रहो’ शब्द रखकर पढ़िए। इस शब्द के बदलने से पंक्ति के अर्थ में क्या अंतर आ रहा है? अपने समूह में चर्चा कीजिए ।
उत्तर – “जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर” पंक्ति में ‘चलो’ शब्द गतिशीलता और आगे बढ़ने का संकेत देता है, जैसे जहाँ-जहाँ आप जाएँ, वहाँ प्रेम के दीपक जलाते जाएँ। जबकि ‘जलाते रहो’ में ‘रहो’ शब्द एक ही स्थान पर रहकर निरंतर कार्य करने का भाव दर्शाता है। ‘चलो’ शब्द में यात्रा या प्रगति का भाव है, जबकि ‘रहो’ शब्द में स्थिरता और दृढ़ता का। ‘जलाते रहो’ का अर्थ है कि आप हमेशा, हर परिस्थिति में, प्रेम के दीपक जलाने का कार्य जारी रखें। इस प्रकार, एक छोटे से शब्द के बदलने से पूरी पंक्ति के भाव में अंतर आ जाता है।
(ख) कविता में प्रत्येक शब्द का अपना विशेष महत्व होता है। यदि वे शब्द बदल दिए जाएँ तो कविता का अर्थ भी बदल सकता है और उसकी सुंदरता में भी अंतर आ सकता है।
नीचे कुछ पंक्तियाँ दी गई हैं। पंक्तियों के सामने लगभग समान अर्थों वाले कुछ शब्द दिए गए हैं। आप उनमें से वह शब्द चुनिए, जो उस पंक्ति में सबसे उपयुक्त रहेगा-
1. बहाते चलो नौका तुम वह निरंतर । कभी तो तिमिर का किनारा मिलेगा ।।
2. रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।
3. जला दीप पहला तुम्हीं ने अंधकार की चुनौती पहली बार स्वीकार की थी।
प्रतीक
(क) “कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा”
निशा का अर्थ है – रात।
सवेरा का अर्थ है – सुबह ।
आपने अनुभव किया होगा कि कविता में इन दोनों शब्दों का प्रयोग ‘रात’ और ”सुबह’ लिए नहीं किया गया है। अपने समूह में चर्चा करके पता लगाइए कि ‘निशा’ और ‘सवेरा’ का इस कविता में क्या-क्या अर्थ हो सकता है।
(संकेत— निशा से जुड़ा है ‘अँधेरा’ और सवेरे से जुड़ा है ‘उजाला’
उत्तर – इस कविता में ‘निशा’ और ‘सवेरा’ प्रतीक रूप में प्रयोग किए गए हैं, न कि सामान्य अर्थों में। यहाँ ‘निशा’ अंधकार, दुख, परेशानी, बुराई और नकारात्मकता का प्रतीक है। ‘सवेरा’ उजाले, खुशी, समाधान, अच्छाई और सकारात्मकता का प्रतीक है। कवि कहना चाहते हैं कि हर मुश्किल समय के बाद अच्छा समय आता है, जैसे रात के बाद सुबह होती है। यह पंक्ति हमें आशावादी बने रहने की प्रेरणा देती है कि कितनी भी कठिनाइयाँ आएँ, अंततः अच्छे दिन जरूर आएँगे। इसलिए, इस पंक्ति में जीवन का एक गहरा संदेश छिपा है।
(ख) कविता में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। अपने समूह मिलकर इन पर चर्चा कीजिए और इन्हें उपयुक्त स्थान पर लिखिए।

उत्तर –
| सवेरा | निशा |
|---|---|
| 1. उजेला | 1. शिला |
| 2. पूर्णिमा | 2. अँधेरा |
| 3. दिवस | 3. अमावस |
| 4. स्वर्ण | 4. तूफ़ान |
| 5. नाव | 5. दिये |
| 6. किनारा | 6. तिमिर |
| 7. ज्योति | 7. लौ |
| 8. जलना | 8. बुझना |
(ग) अपने समूह में मिलकर ‘निशा’ और ‘सवेरा’ के लिए कुछ और शब्द सोविए और लिखिए।
(संकेत – निचे दिए गए चित्र देखिए और इन पर विचार कीजिए ।)

उत्तर –
| 1. सूर्योदय | 1. प्रभातकाल |
| 2. अमावस्या की रात्रि | 2. रजनी की सुंदरता |
| 3. सुबह की ताजगी | 3. उषां-सौंदर्य |
| 4. पूर्णिमा की रात्रि | 4. बादलों भरी यामिनी |
पंक्ति से पंक्ति
“जला दीप पहला तुम्हीं ने तिमिर की
चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी”
कविता की इस पंक्ति को वाक्य के रूप में इस प्रकार लिख सकते हैं-
“तुम्हीं ने पहला दीप जला तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी”
अब नीचे दी गई पंक्तियों को इस प्रकारे वाक्यों के रूप में लिखिए-
कविता की इस पंक्ति को वाक्य के रूप में इस प्रकार लिख सकते हैं-
“तुम्हीं ने पहला दीप जला तिमिर की चुनौती प्रथम बार स्वीकार की थी ।”
अब नीचे दी गई पंक्तियों को इसी प्रकार वाक्यों के रूप में लिखिए-
- बहाते चलो नाव तुम वह निरंतर ।
- जलाते चलो ये दिये स्नेह भर-भर ।
- बुझाओ इन्हें, यों न पथ मिल सकेगा।
- मगर विश्व पर आज क्यों दिवस ही में घिरी आ रही है अमावस निशा-सी।
उत्तर –
- तुम वह नाव निरंतर बहाते चलो।
- तुम स्नेह भर-भर कर ये दिये जलाते चलो।
- इन्हें बुझाओ, इस प्रकार (तुम्हें) पथ नहीं मिल सकेगा।
- मगर आज विश्व पर दिन में ही अमावस्या की रात जैसा अंधकार क्यों घिरा आ रहा है।
सा/सी/से का प्रयोग
“घिरी आ रही है अमावस निशा-सी
स्वर्ण-सी जल रही और जलती रहेगी”
इन पंक्तियों में कुछ शब्दों के नीचे रेखा खिंची है। इनमें ‘सी’ शब्द पर ध्यान दीजिए। यहाँ ‘सी’ शब्द समानता दिखाने के लिए प्रयोग किया गया है। ‘सा/ सी / से’ का प्रयोग जब समानता दिखाने के लिए किया जाता है तो इनसे पहले योजक चिह्न (–) का प्रयोग किया जाता है।
अब आप भी विभिन्न शब्दों के साथ ‘सा/ सी / से’ का प्रयोग करते हुए अपनी कल्पना से पाँच वाक्य अपनी लेखन – पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर –
- आकाश में तारे हीरे-से चमक रहे हैं।
- माँ का प्यार गंगा-सा पवित्र होता है।
- मोर की आवाज बादल-सी गरजती है।
- मेरी बहन फूल-सी कोमल है।
- सूरज की किरणें सोने-सी चमकदार हैं।
पाठ से आगे
आपकी बात
(क) “रहेगा धरा पर दिया एक भी यदि
कभी तो निशा को सवेरा मिलेगा।”
यदि हर व्यक्ति अपना कर्तव्य समझ ले और दूसरों की भलाई के लिए कार्य करे तो पूरी दुनिया सुंदर बन जाएगी। आप भी दूसरों के लिए प्रतिदिन बहुत-से अच्छे कार्य करते होंगे। अपने उन कार्यों के बारे में बताइए ।
उत्तर – मैं प्रतिदिन अपने परिवार और समाज के लिए कुछ अच्छे काम करने का प्रयास करता हूँ। प्रातः उठकर मैं माता-पिता का सम्मान करता हूँ और घर के छोटे-मोटे काम जैसे पौधों को पानी देना, अपनी चीज़ें व्यवस्थित रखना आदि में मदद करता हूँ। हमारे मोहल्ले में रहने वाले बुज़ुर्ग दादा-दादी से बातचीत करके उन्हें खुशी देता हूँ और कभी-कभी उनके लिए बाज़ार से सामान लाने में मदद करता हूँ। विद्यालय में मैं अपने कमज़ोर साथियों की पढ़ाई में सहायता करता हूँ और उनसे कभी बुरा व्यवहार नहीं करता। मैं कक्षा में साफ़-सफाई रखने में भी अपना योगदान देता हूँ और पेड़-पौधों की रक्षा के लिए अपने परिवार के साथ पेड़ लगाता हूँ।
(ख) इस कविता में निरश न होने, चुनौतियों का सामना करने और सबके सुख के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया है। यदि आपको अपने किसी मित्र को निराश न होने के लिए प्रेरित करना हो तो आप क्या करेंगे? क्या कहेंगे? अपने समूह में बताइए
उत्तर – अगर मेरा मित्र निराश हो, तो सबसे पहले मैं उसके साथ बैठकर उसकी समस्या को धैर्यपूर्वक सुनूँगा और समझूँगा। मैं उसे यह बताऊँगा कि हर समस्या का समाधान होता है और कठिन समय हमेशा रहता नहीं है, जैसे रात के बाद सुबह आती है। अपने मित्र के साथ मैं उसकी पसंद की गतिविधियों में समय बिताऊँगा, जिससे उसका मन हल्का हो सके। मैं अपने अनुभव या प्रेरणादायक कहानियाँ उसे सुनाऊँगा, जिनमें लोगों ने कठिनाइयों पर विजय पाई हो। मुश्किल पढ़ाई या काम में मैं उसकी मदद करूँगा और छोटी-छोटी सफलताओं पर उसकी प्रशंसा करूँगा। सबसे महत्वपूर्ण, मैं उसे यह विश्वास दिलाऊँगा कि वह अकेला नहीं है और मैं हमेशा उसके साथ हूँ।
(ग) क्या आपको कभी किसी ने कोई कार्य करने के लिए प्रेरित किया है? कब? कैसे? उस घटना के बारे में बताइए।
उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।
अमावस्या और पूर्णिमा
(क) “भले शक्ति विज्ञान में है निहित वह कि जिससे अमावस बने पूर्णिमा-सी”
आप अमावस्या और पूर्णिमा के बारे में पहले ही पढ़ चुके हैं। क्या आप जानते हैं कि अमावस्या और पूर्णिमा के होने का क्या कारण है?
आप आकाश में रात को चंद्रमा अवश्य देखते होंगे। क्या चंद्रमा प्रतिदिन एक-सा दिखाई देता है? नहीं। चंद्रमा घटता-बढ़ता दिखाई देता है। आइए जानते हैं कि ऐसा कैसे होता है।
आप जानते ही हैं कि चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करता है जबकि पृथ्वी सूर्य की । आप यह भी जानते हैं कि चंद्रमा का अपना कोई प्रकाश नहीं होता। वह सूर्य के प्रकाश से ही चमकता है। लेकिन पृथ्वी के कारण सूर्य के कुछ प्रकाश को चंद्रमा तक जाने में रुकावट आ जाती है। इससे पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जो प्रतिदिन घटती-बढ़ती रहती है। सूरज का जो प्रकाश बिना रुकावट चंद्रमा तक पहुँच जाता है, उसी से चंद्रमा चमकदार दिखता है। इसी छाया और उजले भाग की आकृति में आने वाले परिवर्तन को चंद्रमा की कला कहते हैं।
चंद्रमा की कला धीरे-धीरे बढ़ती रहती है और पूर्णिमा की रात चंद्रमा पूरा है। इसके बाद कला धीरे-धीरे घटती रहती है और अमावस्या वाली रात चाँद दिखाई नहीं देता। चंद्रमा की कलाओं के घटने के दिनों को ‘कृष्ण पक्ष’ को कहते हैं। ‘कृष्ण’ शब्द का एक अर्थ काला भी है। इसी प्रकार चंद्रमा की कलाओं के बढ़ने के दिनों को ‘शुक्ल पक्ष’ कहते हैं। ‘शुक्ल’ शब्द का एक अर्थ ‘उजला’ भी है।

उत्तर – विद्यार्थी इसे स्वयं करे।
(ख) अब नीचे दिए गए चित्र में अमावस्या, पूर्णिमा, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष को पहचानिए और ये नाम उपयुक्त स्थानों पर लिखिए-
(यदि पहचानने में कठिनाई हो तो आप अपने शिक्षक, परिजनों या इंटरनेट की सहायता भी ले सकते हैं।)

उत्तर – विद्यार्थी इसे स्वयं करे।
तिथिपत्र
आपने तिथिपत्र (कैलेंडर ) अवश्य देखा होगा। उसमें साल के सभी महीनों की तिथियों की जानकारी दी जाती है।
नीचे तिथिपत्र के एक महीने का पृष्ठ दिया गया है। इसे ध्यान से देखिए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

(क) दिए गए महीने में कुल कितने दिन हैं?
उत्तर:- इस पंचांग में दिखाए गए जनवरी महीने में कुल 31 दिन हैं, जो पहली तारीख से शुरू होकर इकत्तीस तारीख तक चलते हैं।
(ख) पूर्णिमा और अमावस्या किस दिनांक और वार को पड़ रही है?
उत्तर:- इस महीने में पूर्णिमा 6 जनवरी, शुक्रवार को पड़ रही है जब चंद्रमा पूरा दिखाई देता है। अमावस्या 21 जनवरी, शनिवार को पड़ रही है जब चंद्रमा बिल्कुल नहीं दिखाई देता।
(ग) कृष्ण पक्ष की सप्तमी और शुक्ल पक्ष की सप्तमी में कितने दिनों का अंतर है?
उत्तर:- कृष्ण पक्ष की सप्तमी (13 जनवरी) और शुक्ल पक्ष की सप्तमी (27 जनवरी) के बीच कुल 14 दिनों का अंतर है।
(घ) इस महीने में कृष्ण पक्ष में कुल कितने दिन हैं?
उत्तर:- इस जनवरी महीने में कृष्ण पक्ष में कुल 15 दिन हैं, जो पूर्णिमा (6 जनवरी) के बाद से अमावस्या (21 जनवरी) तक चलते हैं।
(ङ) ‘वसंत पंचमी’ की तिथि बताइए।
उत्तर:- वसंत पंचमी शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है, जो इस पंचांग के अनुसार 26 जनवरी को पड़ रही है।
आज की पहेली
“समय साक्षी है कि जलते हुए दीप
अनगिन तम्हारे पवन ने बुझाए ।”
‘पवन’ शब्द का अर्थ है हवा ।
नीचे एक अक्षर – जाल दिया गया है। इसमें ‘पवन’ के लिए उपयोग किए जाने वाले अलग-अलग नाम या शब्द छिपे हैं। आपको उन्हें खोजकर उन पर घेरा बनाना है, जैसा एक हमने पहले से बना दिया है। देखते हैं, आप कितने सही नाम या शब्द खोज पाते हैं।
उत्तर:-

उत्तर:- पवन, मारुत, बयार, समीर, हवा, वायु, वात, अनिल ।