Here we have given free Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 4 Solutions. This provides complete questions and answers of chapter 4 – “हार की जीत” for free. It follows the new book of Bihar Board class 6 Hindi मल्हार (Malhar) (NCERT Based).
“हार की जीत” सुदर्शन जी की एक मार्मिक कहानी है जो हमें सिखाती है कि अच्छाई की हार भी कैसे असली जीत बन सकती है। यह कहानी बाबा भारती और उनके प्रिय घोड़े सुलतान के साथ हुए एक अद्भुत घटनाक्रम को दर्शाती है, जहाँ एक डाकू का हृदय परिवर्तन हो जाता है। इस कहानी में आप पढ़ेंगे कि कैसे बाबा भारती की दयालुता और सच्चाई ने डाकू खड्गसिंह के दिल को बदल दिया। “हार की जीत” के प्रश्न उत्तर नीचे दिए गए हैं जो आपको इस कहानी को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे।

Bihar Board Class 6 Hindi Chapter 4 – हार की जीत
Contents
| Class | 6 |
| Subject | Hindi – मल्हार (Malhar) |
| Chapter | 4. हार की जीत |
| Board | Bihar Board |
पाठ से
मेरी समझ से
(क) नीचे दिए गए प्रश्नों का सटीक उत्तर कौन-सा है? उसके सामने तारा (★) बनाइए—
1. सुलतान के छीने जाने का बाबा भारती पर क्या प्रभाव हुआ?
- बाबा भारती के मन से चोरी का डर समाप्त हो गया।
- बाबा भारती ने गरीबों की सहायता करना बंद कर दिया।
- बाबा भारती ने द्वार बंद करना छोड़ दिया।
- बाबा भारती असावधान हो गए।
उत्तर – बाबा भारती असावधान हो गए। (★)
2 . “बाबा भारती भी मनुष्य ही थे।” इस कथन के समर्थन में लेखक ने कौन-सा तर्क दिया है?
- बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया।
- बाबा भारती घोड़े की प्रशंसा दूसरों से सुनने के लिए व्याकुल थे।
- बाबा भारती को घोड़े से अत्यधिक लगाव और मोह था।
- बाबा भारती हर पल घोड़े की रखवाली करते रहते थे।
उत्तर – बाबा भारती ने डाकू को घमंड से घोड़ा दिखाया। (★)
(ख) अब अपने मित्रों के साथ चर्चा कीजिए कि आपने ये उत्तर ही क्यों चुने?
उत्तर – विद्यार्थी इस प्रश्न का उत्तर स्वयं दे।
शीर्षक
(क) आपने अभी जो कहानी पढ़ी है, इसका नाम सुदर्शन ने ‘हार की जीत’ रखा है। अपने समूह में चर्चा करके लिखिए कि उन्होंने इस कहानी को यह नाम क्यों दिया होगा? अपने उत्तर का कारण भी लिखिए।
उत्तर – “हार की जीत” शीर्षक इसलिए उपयुक्त है क्योंकि खड्गसिंह की हार (घोड़े को वापस करना) वास्तव में उसकी नैतिक जीत बन गई। बाबा भारती की भौतिक हार (घोड़ा खोना) उनकी आध्यात्मिक जीत में बदल गई, क्योंकि उनका व्यवहार एक डाकू के हृदय में परिवर्तन ला सका। यह शीर्षक दर्शाता है कि कभी-कभी जो बाहरी रूप से हार दिखाई देती है, वह वास्तव में अंदरूनी जीत होती है, और इस कहानी में दोनों पात्रों के साथ यही हुआ।
(ख) यदि आपको इस कहानी को कोई अन्य नाम देना हो तो क्या नाम देंगे? आपने यह नाम क्यों सोचा, यह भी बताइए ।
उत्तर – “हृदय परिवर्तन” इसलिए उपयुक्त होगा क्योंकि कहानी का मुख्य बिंदु खड्गसिंह के चरित्र में आया आमूल परिवर्तन है। बाबा भारती की करुणा और विश्वास ने डाकू के हृदय को छू लिया, जिससे वह अपनी गलती सुधारने को तैयार हो गया। यह शीर्षक बताता है कि किसी व्यक्ति का हृदय परिवर्तित होने से उसका पूरा जीवन बदल सकता है।
(ग) बाबा भारती ने डाकू खड्गसिंह से कौन-सा वचन लिया?
उत्तर – बाबा भारती ने खड्गसिंह से वचन लिया कि वह इस घटना को किसी के सामने प्रकट नहीं करेगा। उन्होंने कहा, “मेरी प्रार्थना केवल यह है कि इस घटना को किसी के सामने प्रकट न करना।” बाबा भारती नहीं चाहते थे कि इस घटना के कारण लोग गरीब व्यक्तियों पर विश्वास करना बंद कर दें और समाज में अविश्वास बढ़े।
पंक्तियों पर चर्चा
कहानी में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इन्हें ध्यान से पढ़िए और इन पर विचार कीजिए। आपको इनका क्या अर्थ समझ में आया? अपने विचार लिखिए-
- “भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता।”
उत्तर – इस पंक्ति से पता चलता है कि बाबा भारती अपना जीवन दो प्रमुख कार्यों में बाँटते थे। वे अपना अधिकांश समय ईश्वर की भक्ति में बिताते थे, और बचा हुआ समय अपने प्रिय घोड़े की देखभाल में लगाते थे। यह उनके जीवन की प्राथमिकताओं और घोड़े के प्रति गहरे लगाव को दर्शाता है।
- “बाबा ने घोड़ा दिखाया घमंड से, खड्गसिंह ने घोड़ा देखा आश्चर्य से “
उत्तर – यह वाक्य दोनों पात्रों की भावनाओं का अंतर दिखाता है। बाबा भारती अपने सुंदर घोड़े को गर्व और प्रेम से दिखा रहे थे, जबकि खड्गसिंह घोड़े की असाधारण सुंदरता देखकर आश्चर्यचकित था। उनके देखने के तरीके से उनके चरित्र और मनोभाव का पता चलता है।
- “वह डाकू था और जो वस्तु उसे पसंद आ जाए उस पर अपना अधिकार समझता था।”
उत्तर – यह वाक्य खड्गसिंह के स्वार्थी और अनैतिक स्वभाव को दर्शाता है। एक डाकू के रूप में, वह दूसरों की चीज़ों पर बलपूर्वक कब्जा करने में विश्वास रखता था। उसके लिए अपनी इच्छा ही सबसे महत्वपूर्ण थी और वह किसी भी चीज़ को पाने के लिए बल का उपयोग करने से नहीं हिचकता था।
- “बाबा भारती ने निकट जाकर उसकी ओर ऐसी आँखों से देखा जैसे बकरा कसाई की ओर देखता है और कहा, यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है।”
उत्तर – यह वाक्य बाबा भारती की गहरी पीड़ा और लाचारी को दिखाता है। उनकी आँखों में वही भय और दुःख था जो एक बकरे की आँखों में कसाई के सामने होता है। वे खड्गसिंह की शक्ति के सामने असहाय थे और अपने प्रिय घोड़े को खोने का दर्द झेल रहे थे।
- “उनके पाँव अस्तबल की ओर मुड़े। परंतु फाटक पर पहुँचकर उनको अपनी भूल प्रतीत हुई।”
उत्तर – यह वाक्य बाबा भारती की आदत और दुःखद वास्तविकता के बीच के अंतर को दिखाता है। आदतवश वे घोड़े की देखभाल करने अस्तबल की ओर चल पड़े, लेकिन फाटक पर पहुँचकर उन्हें याद आया कि अब उनका प्यारा घोड़ा उनके पास नहीं है। यह क्षण उनके भावनात्मक आघात को दर्शाता है।
सोच-विचार के लिए
कहानी को एक बार फिर से पढ़िए और निम्नलिखित पंक्ति के विषय में पता लगाकर अपनी लेखन पुस्तिका में लिखिए।
“दोनों के आँसुओं का उस भूमि की मिट्टी पर परस्पर मेल हो गया।”
(क) किस-किस के आँसुओं का मेल हो गया था?
उत्तर – बाबा भारती और खड्गसिंह दोनों के आँसुओं का मेल हो गया था। यह मेल एक विशेष क्षण में हुआ जब दोनों एक साथ रो रहे थे, हालाँकि उनके आँसुओं के कारण अलग-अलग थे। यह मिलन इस बात का प्रतीक है कि कभी-कभी विपरीत स्वभाव वाले लोग भी एक ही भावना से जुड़ सकते हैं।
(ख) दोनों के आँसुओं में क्या अंतर था ?
उत्तर – बाबा भारती के आँसू खुशी और अपने घोड़े के प्रति प्रेम से भरे थे, क्योंकि उन्हें अपने प्रिय घोड़े की सुरक्षा और वापसी से आनंद मिला था। वहीं खड्गसिंह के आँसू पछतावे और अपराध-बोध से निकले थे, क्योंकि उसे अपने किए पर शर्म आ रही थी। इस प्रकार एक ही समय में एक व्यक्ति खुशी से और दूसरा पश्चाताप से रो रहा था।
दिनचर्या
(क) कहानी पढ़कर आप बाबा भारती के जीवन के विषय में बहुत कुछ जान चुके हैं। अब आप कहानी के आधार पर बाबा भारती की दिनचर्या लिखिए। वे सुबह उठने से लेकर रात को सोने तक क्या-क्या करते होंगे, लिखिए। इस काम में आप थोड़ा-बहुत अपनी कल्पना का सहारा भी ले सकते हैं।
उत्तर – बाबा भारती की दिनचर्या:
बाबा भारती सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करते और प्रातःकालीन भजन-पूजा में लीन हो जाते थे। प्रातःकाल का अधिकांश समय वे ईश्वर-भक्ति में बिताते थे। इसके बाद वे अपने प्रिय घोड़े को स्नान कराते, उसे चारा देते और उसकी अच्छी तरह देखभाल करते थे। दोपहर में थोड़ा विश्राम करने के बाद, वे फिर से भजन-कीर्तन करते और शाम को अपने घोड़े पर सवारी करते हुए आस-पास के क्षेत्र में घूमते थे। रात को भोजन के बाद, वे कुछ समय ध्यान और भजन में बिताकर विश्राम करते थे।
(ख) अब आप अपनी दिनचर्या भी लिखिए।
उत्तर – विद्यार्थी अपना दिनचर्या स्वयं लिखे।
कहानी की रचना
(क) इस कहानी की कौन-कौन सी बातें आपको पसंद आई? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर – इस कहानी में मुझे बाबा भारती का अपने घोड़े के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण सबसे अधिक प्रभावित करता है। खड्गसिंह का चरित्र परिवर्तन – एक कठोर डाकू से एक पश्चाताप करने वाले इंसान में बदलना – कहानी का सबसे शक्तिशाली पहलू है। बाबा की निःस्वार्थ प्रकृति और उनका घोड़े को वापस पाने का अप्रत्याशित अंत हमें सिखाता है कि प्रेम और करुणा से बड़े से बड़े हृदय भी परिवर्तित हो सकते हैं। कहानी का संदेश दर्शाता है कि कभी-कभी हार जाना भी एक प्रकार की नैतिक जीत हो सकती है।
(ख) कोई भी कहानी पाठक को तभी पसंद आती है जब उसे अच्छी तरह लिखा गया हो। लेखक कहानी को अच्छी तरह लिखने के लिए अनेक बातों का ध्यान रखते हैं, जैसे- शब्द, वाक्य, संवाद आदि। इस कहानी में आए संवादों के विषय में अपने विचार लिखें।
उत्तर – इस कहानी के संवाद पात्रों के स्वभाव और परिस्थितियों के अनुरूप बहुत सटीक और प्रभावशाली हैं। बाबा भारती के संवादों में उनका शांत और समझदार स्वभाव झलकता है, जबकि खड्गसिंह के संवाद उसके कठोर और बाद में परिवर्तित स्वभाव को दर्शाते हैं। “यह घोड़ा तुम्हारा हो चुका है” जैसे वाक्य बाबा की लाचारी और पीड़ा को स्पष्ट करते हैं। संवादों की सादगी और गहराई कहानी को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, विशेषकर वह क्षण जब खड्गसिंह घोड़ा लौटाने का निर्णय लेता है।
मुहावरे कहानी से
(क) कहानी से चुनकर कुछ मुहावरे नीचे दिए गए हैं— लट्टू होना, हृदय पर साँप लोटना, फूले न समाना, मुँह मोड़ लेना, मुख खिल जाना, न्योछावर कर देना। कहानी में इन्हें खोजकर इनका प्रयोग समझिए।
(ख) अब इनका प्रयोग करते हुए अपने मन से नए वाक्य बनाइए।
उत्तर –
- लट्टू होना: रीना नृत्य की कला पर इतनी लट्टू है कि वह हर दिन घंटों अभ्यास करती है।
- हृदय पर साँप लोटना: अमित की परीक्षा में प्रथम आने की खबर सुनकर रोहित के हृदय पर साँप लोट गया और वह अपने मित्र से बात करना बंद कर दिया।
- फूले न समाना: छोटे भाई के विद्यालय में पुरस्कार जीतने पर दीदी फूली नहीं समा रही थी और सभी से उसकी सफलता की कहानी बता रही थी।
- मुँह मोड़ लेना: जब उसके मित्र ने उसकी बात नहीं मानी, तो गुस्से में आकर उसने अपने सबसे अच्छे दोस्त से मुँह मोड़ लिया।
- मुख खिल जाना: दादाजी के आते ही छोटी सी अनीता का मुख खिल गया और वह दौड़कर उनसे लिपट गई।
- न्योछावर कर देना: गांधीजी ने अपना पूरा जीवन देश की आज़ादी के लिए न्योछावर कर दिया था।
कैसे-कैसे पात्र
इस कहानी में तीन मुख्य पात्र हैं— बाबा भारती, डाकू खड्गसिंह और सुलतान घोड़ा। इनके गुणों को बताने वाले शब्दों से दिए गए शब्द चित्रों को पूरा कीजिए—

उत्तर –
बाबा भारती –
- दयालु
- धर्मात्मा
- क्षमाशील
- त्यागी
- सच्चे साधु
- आत्मसम्मान से युक्त
- सत्यनिष्ठ
- सहृदय
डाकू खड्गसिंह –
- बाहुबली
- कठोर हृदय
- लालची
- अपराधी
- धूर्त
- झूठा
- स्वार्थी
सुलतान (घोड़ा) –
- सुंदर
- तेजस्वी
- वफ़ादार
- तेज़ दौड़ने वाला
- समझदार
- बाबा का प्रिय
पाठ से आगे
सुलतान की कहानी
मान लीजिए, यह कहानी सुलतान सुना रहा है। तब कहानी कैसे आगे बढ़ती ? स्वयं को सुलतान के स्थान पर रखकर कहानी बनाइए ।
(संकेत- आप कहानी को इस प्रकार बढ़ा सकते हैं – मेरा नाम सुलतान है। मैं एक घोड़ा हूँ…..)
उत्तर – मेरा नाम सुलतान है। मैं एक घोड़ा हूँ, जिसकी सुंदरता पर सभी मोहित हो जाते हैं। मेरे स्वामी बाबा भारती मुझे अपने प्राणों से भी अधिक प्यार करते हैं और मेरी देखभाल में अपना अधिकांश समय बिताते हैं। एक दिन खड्गसिंह नामक डाकू ने मुझे देखा और मेरी सुंदरता पर लट्टू हो गया। उसने धोखे से मुझे बाबा से छीन लिया, जिससे मेरा हृदय टूट गया। खड्गसिंह के साथ रहते हुए मैंने देखा कि वह भी मुझे प्यार करता है, लेकिन मेरे मन में हमेशा बाबा की याद रही। जब खड्गसिंह ने मुझे वापस बाबा के पास लाया, तब मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने समझा कि सच्चा प्रेम किसी को भी बदल सकता है।
मन के भाव
(क) कहानी में से चुनकर कुछ शब्द नीचे दिए गए हैं। बताइए, कहानी में कौन, कब, ऐसा अनुभव कर रहा था—
- चकित
- अधीर
- डर
- प्रसन्नता
- करुणा
- निराशा
उत्तर –
- चकित – खड्गसिंह जब पहली बार सुलतान घोड़े को देखकर उसकी असाधारण सुंदरता और शक्ति से आश्चर्यचकित हुआ था।
- अधीर – बाबा भारती खड्गसिंह से घोड़े की मांग सुनकर अधीर हो गए थे क्योंकि वे सुलतान से बहुत प्रेम करते थे।
- डर – बाबा भारती को डर लगा था जब खड्गसिंह ने धमकी दी कि वह सुलतान को उनके पास नहीं रहने देगा, क्योंकि वे अपने प्रिय घोड़े को खोने से भयभीत थे।
- प्रसन्नता – सुलतान की पीठ पर सवार होकर अंतिम बार घूमने जाते समय बाबा भारती के चेहरे पर प्रसन्नता थी, मानो वे इस यात्रा का आनंद ले रहे हों।
- करुणा – अचानक आई आवाज़ में करुणा थी जो शायद किसी व्यक्ति के हृदय की पीड़ा को दर्शा रही थी।
- निराशा – फाटक पर पहुँचकर बाबा भारती को अपनी गलती का अहसास हुआ और वे निराशा से भर गए क्योंकि उन्होंने अपने प्रिय घोड़े को खो दिया था।
(ख) आप उपर्युक्त भावों को कब-कब अनुभव करते हैं? लिखिए।
(संकेत – जैसे गली में किसी कुत्ते को देखकर डर या प्रसन्नता या करुणा आदि का अनुभव करना)
उत्तर –
- चकित – जब मैं आकाश में इंद्रधनुष देखता हूँ या टीवी पर कोई जादूगर अचानक गायब हो जाता है, तब मैं चकित होता हूँ।
- अधीर – मैं किसी रोमांचक कहानी के अंत जानने के लिए या जन्मदिन पर उपहार खोलने से पहले अधीर हो जाता हूँ।
- डर – अँधेरे कमरे में अकेले होने पर या गली में आवारा कुत्ते को देखकर मुझे डर लगता है।
- प्रसन्नता – स्कूल में अच्छे अंक पाने पर या प्रिय मित्र से मिलने पर मैं प्रसन्नता महसूस करता हूँ।
- करुणा – जब कोई बच्चा गिरकर रोता है या सड़क पर भूखे जानवर को देखता हूँ, तब मेरे मन में करुणा जागती है।
- निराशा – खेल में हार जाने पर या मेहनत के बावजूद कार्य पूरा न होने पर मुझे निराशा होती है।