MP Board Class 6 Hindi Bhasha Bharti Chapter 16 Solutions – श्रम की महिमा

Free solutions for MP Board class 6 Hindi Bhasha Bharti chapter 16 is available here. It gives you the complete solution and question answer of chapter 16 – “श्रम की महिमा” in hindi.

मध्य प्रदेश बोर्ड की कक्षा 6 की हिंदी पाठ्यपुस्तक ‘भाषा भारती’ का यह सोलहवाँ अध्याय भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा रचित ‘श्रम की महिमा’ कविता पर आधारित है। इस पाठ में विद्यार्थी जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए श्रम के महत्व और उसकी गरिमा को समझेंगे। कवि ने महात्मा गांधी के जीवन से प्रेरणा लेकर बताया है कि किस प्रकार सोच-समझकर किया गया कार्य ही सफलता की कुंजी है। छात्र यहाँ जानेंगे कि गांधीजी सेवा को ईश्वर मानते थे और हर कार्य को पूजा भाव से करते थे, चाहे वह सूत कातना हो या अनाज से कंकड़ बीनना।

MP Board class 6 Hindi Bhasha Bharti chapter 16

MP Board Class 6 Hindi Bhasha Bharti Chapter 16

SubjectHindi ( Bhasha Bharti )
Class6th
Chapter16. श्रम की महिमा
Authorभवानी प्रसाद मिश्र
BoardMP Board

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1. सही विकल्प चुनकर लिखिए

(क) धरती में बीज बोता है

(i) लोहार
(ii) किसान
(iii) जमींदार
(iv) सफाईकर्मी।

उत्तर – (ii) किसान

(ख) सूत कातकर कपड़ा बुनता है

(i) बढ़ई
(ii) कुम्हार
(iii) जुलाहा
(iv) व्यापारी।

उत्तर – (iii) जुलाहा

(ग) बापूजी से मिलने पहुँचे

(i) शिक्षक
(ii) वकील
(iii) डॉक्टर
(iv) मुखिया।

उत्तर – (ii) वकील

(घ) बापूजी पूजा के समान मानते थे

(i) भाषण देना
(ii) श्रम करना,
(iii) लेख लिखना
(iv) घूमना।

उत्तर – (ii) श्रम करना।

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए

(क) किसान धरती में बीज गाड़ता है।
(ख) गाँधीजी अनाज से कंकड़ चुनते थे।
(ग) गाँधीजी को काम सफाई से करना भाता था।
(घ) गाँधीजी कपास के जैसा ही जुलाहों धुनते थे।

निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए

(क) “इसलिए यह बड़ा और वह छोटा” पंक्ति से कवि का क्या आशय है?

उत्तर – कवि का आशय है कि काम के आधार पर किसी को बड़ा या छोटा नहीं माना जाना चाहिए। हर काम महत्वपूर्ण है और उसे करने वाला व्यक्ति सम्मान का पात्र है।

(ख) आश्रम के कार्य गाँधीजी स्वयं क्यों करते थे ?

उत्तर – गाँधीजी मानते थे कि श्रम करना ईश्वर की पूजा के समान है। वे अपने सिद्धांतों पर खुद अमल करके दूसरों के लिए उदाहरण बनना चाहते थे। इसलिए वे आश्रम के सभी कार्य स्वयं करते थे।

(ग) ऐसे थे गांधीजी’ सम्बोधन में कवि का संकेत क्या है?

उत्तर – कवि संकेत कर रहा है कि गाँधीजी श्रम को बहुत महत्व देते थे। वे मानते थे कि हर काम, चाहे वह छोटा हो या बड़ा, ईश्वर की पूजा के समान है। गाँधीजी आश्रम के सभी कार्य स्वयं करते थे, जिससे उनकी विनम्रता और समानता के सिद्धांत का पता चलता है।

(घ) गाँधीजी ने सेवा के काम को ईश्वरीय कार्य क्यों माना है?

उत्तर – गाँधीजी मानते थे कि सेवा में समर्पण, त्याग और निष्ठा का भाव होता है। सेवा करने से मनुष्य का हृदय शुद्ध होता है और वह ईश्वर के करीब पहुँचता है। इसलिए उन्होंने सेवा के काम को ईश्वरीय कार्य माना।

(ङ) इस कविता से आपको क्या सीख मिलती है ?

उत्तर – इस कविता से हमें सीख मिलती है कि हर काम महत्वपूर्ण है और उसे सम्मान से करना चाहिए। हमें अपने कार्य स्वयं करने चाहिए और दूसरों की सेवा करनी चाहिए। यह भी सीखने को मिलता है कि सेवा करना ईश्वर की पूजा के समान है।

(च) गाँधीजी छोटे से छोटे कार्य को भी महत्व क्यों देते थे?

उत्तर – गाँधीजी मानते थे कि हर कार्य, चाहे वह कितना भी छोटा हो, महत्वपूर्ण है। उनका मानना था कि छोटे कार्य से ही बड़े कार्य की नींव रखी जाती है। वे यह भी मानते थे कि हर काम में सेवा की भावना छिपी होती है, जो ईश्वर की सेवा के समान है।

निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए

(क) ‘सेवा का हर काम, हमारा ईश्वर है भाई।’

उत्तर – इस पंक्ति का अर्थ है कि सेवा का हर कार्य ईश्वर की पूजा के समान है। कवि कहना चाहता है कि दूसरों की मदद करना या समाज के लिए काम करना ईश्वर की आराधना करने जैसा पवित्र कार्य है। यह गाँधीजी के विचारों को दर्शाता है।

(ख) ‘एक आदमी घड़ी बनाता, एक बनाता चप्पल।’
इसीलिए यह बड़ा, और वह छोटा, इसमें क्या बल।’

उत्तर – ये पंक्तियाँ बताती हैं कि हर काम महत्वपूर्ण है, चाहे वह घड़ी बनाना हो या चप्पल। कवि कहता है कि काम के आधार पर किसी को बड़ा या छोटा नहीं माना जाना चाहिए। यह समानता और श्रम की गरिमा का संदेश देता है।

(ग) “ऐसे थे गाँधीजी, ऐसा था उनका आश्रम,
गाँधीजी के लेखे पूजा के समान था श्रम।’

उत्तर – ये पंक्तियाँ गाँधीजी के जीवन दर्शन को दर्शाती हैं। वे मानते थे कि हर प्रकार का श्रम पूजा के समान है। उनके आश्रम में सभी कार्य समान महत्व के थे। यह गाँधीजी की सादगी, समानता और श्रम के प्रति सम्मान के विचारों को प्रकट करता है।

भाषा की बात

प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों का शुद्ध उच्चारण कीजिए

सड़क, घड़ी, आश्रम, ईश्वर।।

उत्तर – विद्यार्थी शिक्षक की सहायता से इन सब्दो का उच्चारण स्वयं करे।

प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी शुद्ध कीजिए

(i) पूस्तक
(ii) जूलाहो
(iii) इश्वर
(iv) ऊतसाह।

उत्तर –

(i) पुस्तक
(ii) जुलाहों
(iii) ईश्वर
(iv) उत्साह।

प्रश्न 3. (अ) स्तम्भ में तद्भव और (ब) स्तम्भ में उनके तत्सम शब्द दिए गए हैं, उन्हें सम्बन्धित शब्द से जोड़िए

‘अ’‘ब’
(क) दूध(vi) दुग्ध
(ख) घर(iv) गृह
(ग) सूरज(v) सूर्य
(घ) मुँह(iii) मुख
(ङ) दाँत (ii) दंत
(च) आग(i) अग्नि

प्रश्न 4. स्तम्भ’क’ में दिए गए महावरों को स्तम्भ’ख के गलत क्रम में रखे उनके अर्थ से सही क्रम में मिलाइए

“क”‘ख’
(अ) चक्की पीसना(iv) कड़ी मेहनत करना
(ब) कागज काले करना(iii) व्यर्थ प्रयास करना
(स) अक्ल ठिकाने आना(ii) बात समझ आना
(द) हाथ बढ़ाना(i) मदद के लिए आगे आना

प्रश्न 5. दी गई वर्ग पहेली में गाँधीजी के जीवन से जुड़ी पाँच वस्तुएँ हैं, उन्हें छाँटकर अपनी उत्तर पुस्तिका में लिखिए

उत्तर –

(1) चश्मा
(2) लाठी
(3) खादी की धोती
(4) घड़ी
(5) चरखा

प्रश्न 6. निम्नलिखित शब्दों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए

(i) व्यापारी
(ii) कपड़ा
(iii) आदमी
(iv) चक्की ।

उत्तर –

(i) व्यापारी-व्यापारी देश-विदेश को माल भेजते हैं और मैंगाते हैं।
(ii) कपड़ा-जुलाहे कपड़ा बुनते हैं।
(iii) आदमी-आदमी अपना काम स्वयं करता है।
(iv) चक्की-चक्की से अनाज पीसा जाता है।

Leave a Comment

WhatsApp Icon
X Icon