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इस अध्याय में आप रसायन विज्ञान के तीन महत्वपूर्ण वर्गों – अम्ल, क्षारक और लवण के बारे में गहराई से जानेंगे। आप सीखेंगे कि ये पदार्थ क्या हैं, उनके गुण क्या हैं, और वे हमारे दैनिक जीवन में कहाँ पाए जाते हैं। अम्लों की खट्टी प्रकृति, क्षारकों की कड़वी और फिसलन वाली प्रकृति, और लवणों के विभिन्न उपयोगों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। साथ ही, आप pH स्केल के बारे में भी सीखेंगे, जो किसी पदार्थ की अम्लीय या क्षारीय प्रकृति को मापने का एक तरीका है।

UP Board Class 10 Science Chapter 2 Solutions
| Subject | Science (विज्ञान) |
| Class | 10th |
| Chapter | 2. अम्ल, क्षारक एवं लवण |
| Board | UP Board |
अध्ययन के बीच वाले प्रश्न
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-20)
प्रश्न 1. आपको तीन परखनलियाँ दी गई हैं। इनमें से एक में आसवित जल एवं शेष दो में से एक में अम्लीय विलयन तथा दूसरे में क्षारीय विलयन है। यदि आपको केवल लाल लिटमस पत्र दिया जाता है तो आप प्रत्येक परखनली में रखे गए पदार्थों की पहचान कैसे करेंगे ?
उत्तर- तीनों परखनलियों के विलयनों की पहचान करने के लिए, सबसे पहले प्रत्येक विलयन की एक बूंद लाल लिटमस पत्र पर डालें। जो विलयन लिटमस को नीला कर देता है, वह क्षारीय विलयन है (OH⁻ + लाल लिटमस → नीला लिटमस)। अब शेष दो विलयनों में से एक आसवित जल है और दूसरा अम्लीय विलयन। इनकी पहचान के लिए, प्रत्येक विलयन की एक बूंद को क्षारीय विलयन के साथ मिलाकर लिटमस पर परीक्षण करें।
यदि मिश्रण लिटमस को नीला रखता है, तो वह आसवित जल है, क्योंकि इसमें कोई अम्लीय गुण नहीं है। यदि मिश्रण लिटमस को लाल कर देता है, तो वह अम्लीय विलयन है, क्योंकि अम्ल और क्षार की प्रतिक्रिया से उदासीनीकरण होता है (H⁺ + OH⁻ → H₂O)। इस प्रकार, केवल लाल लिटमस का उपयोग करके तीनों विलयनों की पहचान की जा सकती है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-24)
प्रश्न 1. पीतल एवं तांबे के बर्तनों में दही एवं खट्टे पदार्थ क्यों नहीं रखने चाहिए?
उत्तर- पीतल (तांबा और जस्ता का मिश्रण) और तांबे के बर्तनों में दही या अन्य खट्टे पदार्थ नहीं रखने चाहिए क्योंकि ये धातुएँ अम्लों के साथ प्रतिक्रिया करती हैं। दही और खट्टे पदार्थों में लैक्टिक अम्ल (C₃H₆O₃) जैसे अम्ल होते हैं जो इन धातुओं से प्रतिक्रिया करके हानिकारक लवण बना सकते हैं। उदाहरण के लिए, तांबा एसीटिक अम्ल से प्रतिक्रिया करके कॉपर एसीटेट (2Cu + 4CH₃COOH → 2Cu(CH₃COO)₂ + H₂) बनाता है, जो विषैला हो सकता है। इसी तरह, जस्ता भी अम्लों से प्रतिक्रिया करके जिंक लवण बनाता है। ये प्रतिक्रियाएँ न केवल खाद्य पदार्थों को दूषित कर सकती हैं, बल्कि बर्तनों को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए, सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए, ऐसे खाद्य पदार्थों को कांच, स्टेनलेस स्टील या खाद्य-ग्रेड प्लास्टिक के बर्तनों में रखना चाहिए जो अम्लों से प्रतिक्रिया नहीं करते।
प्रश्न 2. धातु के साथ अम्ल की अभिक्रिया होने पर सामान्यतः कौन सी गैस निकलती है? एक उदाहरण के द्वारा समझाइए | इस गैस की उपस्थिति की जाँच आप कैसे करेंगे?
उत्तर- धातु और अम्ल की अभिक्रिया से सामान्यतः हाइड्रोजन (H₂) गैस निकलती है। इसका एक उदाहरण जिंक और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की प्रतिक्रिया है: Zn + 2HCl → ZnCl₂ + H₂↑। इसी तरह, मैग्नीशियम सल्फ्यूरिक अम्ल के साथ प्रतिक्रिया करके हाइड्रोजन गैस उत्पन्न करता है: Mg + H₂SO₄ → MgSO₄ + H₂↑। हाइड्रोजन गैस की उपस्थिति की जांच के लिए दो प्रमुख विधियाँ हैं।
पहली विधि में, उत्पन्न गैस को एक जलती हुई मोमबत्ती के पास लाया जाता है। हाइड्रोजन अत्यधिक ज्वलनशील होने के कारण “पॉप” की आवाज के साथ जलती है (H₂ + O₂ → H₂O + ऊर्जा)। दूसरी विधि में, गैस को साबुन के घोल में से प्रवाहित किया जाता है, जिससे बुलबुले बनते हैं। ये बुलबुले जलती मोमबत्ती के संपर्क में आने पर “पॉप” की आवाज के साथ जलते हैं। हालांकि, हाइड्रोजन अत्यधिक ज्वलनशील होने के कारण इन परीक्षणों को सावधानी से करना चाहिए।
प्रश्न 3. कोई धातु यौगिक ‘A’ तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के साथ अभिक्रिया करता है तो बुदबुदाहट उत्पन्न होती है | इससे उत्पन्न गैस जलती मोमबत्ती को बुझा देती है। यदि उत्पन्न यौगिकों में से एक कैल्शियम क्लोराइड हैं, तो इस अभिक्रिया के लिए संतुलित रासायनिक समीकरण लिखिए |
उत्तर- धातु यौगिक ‘A’ कैल्शियम कार्बोनेट (CaCO₃) है। जब यह तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCl) के साथ प्रतिक्रिया करता है, तो कार्बन डाइऑक्साइड (CO₂) गैस उत्पन्न होती है, जो बुदबुदाहट का कारण बनती है। कार्बन डाइऑक्साइड जलती मोमबत्ती को बुझा देती है क्योंकि यह दहन का समर्थन नहीं करती। इस अभिक्रिया का संतुलित रासायनिक समीकरण है:-
CaCO₃ (ठोस) + 2HCl (जलीय) → CaCl₂ (जलीय) + CO₂ (गैस) + H₂O (तरल)
यह अभिक्रिया एक उदाहरण है कि कैसे कार्बोनेट लवण अम्लों के साथ प्रतिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करते हैं। इस प्रकार की प्रतिक्रियाओं का उपयोग अक्सर कार्बोनेट खनिजों की पहचान के लिए किया जाता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-27)
प्रश्न 1. HCI, HNO3 आदि जलीय विलयन में अम्लीय अभिलक्षण क्यों प्रदर्शित करते हैं, जबकि ऐलकोहॉल एवं ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों के विलयनों में अम्लीयता के अभिलक्षण नहीं प्रदर्शित होते हैं?
उत्तर- HCl और HNO₃ जैसे प्रबल अम्ल जल में घुलकर H⁺ आयन (वास्तव में H₃O⁺) उत्पन्न करते हैं, जो अम्लीय गुण प्रदर्शित करते हैं। उदाहरण के लिए, HCl + H₂O → H₃O⁺ + Cl⁻। ये H⁺ आयन लिटमस को लाल करते हैं और धातुओं से अभिक्रिया करते हैं। दूसरी ओर, ऐलकोहॉल और ग्लूकोज़ जैसे यौगिक जल में घुलने पर H⁺ आयन नहीं बनाते। इनकी संरचना में OH समूह होता है, लेकिन वे इसे आसानी से नहीं छोड़ते। इसलिए, ये यौगिक अम्लीय व्यवहार नहीं दिखाते और लिटमस के रंग को नहीं बदलते।
प्रश्न 2. अम्ल का जलीय विलयन क्यों विदयत का चालन करता है?
उत्तर- अम्ल का जलीय विलयन विद्युत का चालन करता है क्योंकि इसमें स्वतंत्र रूप से गतिशील आयन होते हैं। जब अम्ल जल में घुलता है, तो वह धनात्मक हाइड्रोजन आयन (H⁺) और ऋणात्मक आयन (जैसे Cl⁻, NO₃⁻) में विघटित हो जाता है। ये आयन विद्युत क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से गति कर सकते हैं। धनात्मक आयन ऋण इलेक्ट्रोड (कैथोड) की ओर और ऋणात्मक आयन धन इलेक्ट्रोड (एनोड) की ओर गति करते हैं। यह आयनों का संचलन विद्युत धारा का कारण बनता है, जिससे विलयन विद्युत का चालन करता है।
प्रश्न 3. शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस शुष्क लिटमस पत्र के रंग को क्यों नहीं बदलती है ?
उत्तर- शुष्क हाइड्रोक्लोरिक गैस (HCl) शुष्क लिटमस पत्र के रंग को नहीं बदलती क्योंकि इसमें मुक्त H⁺ आयन नहीं होते। अम्लीय व्यवहार दिखाने के लिए H⁺ आयनों का होना आवश्यक है, जो केवल जलीय माध्यम में संभव है। शुष्क HCl में अणु पूर्ण रूप से सहसंयोजी बंधित होते हैं और आयनित नहीं होते। जब HCl गैस नमी या जल के संपर्क में आती है, तब वह H⁺ और Cl⁻ आयनों में विघटित होती है और अम्लीय व्यवहार दिखाती है। इसलिए, नम लिटमस पत्र HCl गैस से लाल हो जाएगा, लेकिन शुष्क लिटमस पत्र नहीं।
प्रश्न 4. अम्ल के विलयन को तनुकृत करते समय हाइड्रोनियम आयन (H30+) की सांद्रता कैसे प्रभावित हो जाती है?
उत्तर- अम्ल के विलयन को तनुकृत करने पर हाइड्रोनियम आयन (H₃O⁺) की सांद्रता कम हो जाती है। जब अम्ल में पानी मिलाया जाता है, तो विलयन का कुल आयतन बढ़ जाता है, लेकिन H₃O⁺ आयनों की संख्या समान रहती है। इससे प्रति इकाई आयतन में H₃O⁺ आयनों की संख्या कम हो जाती है, जिससे सांद्रता घट जाती है। उदाहरण के लिए, यदि 1M HCl को 10 गुना तनु किया जाए, तो H₃O⁺ की सांद्रता 0.1M हो जाएगी। यह तनुकरण अम्ल के pH को बढ़ाता है, जिससे इसकी अम्लीयता कम हो जाती है।
प्रश्न 5. जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड विलयन में आधिक्य क्षारक मिलाते हैं तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH) की सांद्रता कैसे प्रभावित होती है?
उत्तर- जब सोडियम हाइड्रॉक्साइड (NaOH) विलयन में अतिरिक्त क्षारक मिलाया जाता है, तो हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) की सांद्रता बढ़ जाती है। यह इसलिए होता है क्योंकि NaOH एक प्रबल क्षार है जो पानी में पूरी तरह से Na⁺ और OH⁻ आयनों में विघटित हो जाता है (NaOH → Na⁺ + OH⁻)। अधिक NaOH मिलाने से विलयन में OH⁻ आयनों की संख्या बढ़ जाती है। इससे विलयन का pH मान बढ़ता है, जो इसे अधिक क्षारीय बनाता है। यह बढ़ी हुई OH⁻ सांद्रता विलयन की प्रतिक्रियाशीलता और क्षारीय गुणों को बढ़ा देती है। हालांकि, ध्यान रहे कि अत्यधिक सांद्र क्षारीय विलयन खतरनाक हो सकते हैं और इनका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-31)
प्रश्न 1. आपके पास दो विलयन ‘A’ एवं ‘B’ हैं। विलयन ‘A’ के pH का मान 6 है एवं विलयन ‘B’ के pH का 8 है। सिविलयन में हाइड्रोजन आयन की सांद्रता अधिक है? इनमें से कौन अम्लीय है तथा कौन क्षारकीय?
उत्तर- विलयन ‘A’ (pH 6) में हाइड्रोजन आयन (H⁺) की सांद्रता अधिक है। pH मान 7 से कम होने के कारण विलयन ‘A’ हल्का अम्लीय है, जबकि विलयन ‘B’ (pH 8) हल्का क्षारकीय है क्योंकि इसका pH 7 से अधिक है। याद रखें, pH मान हाइड्रोजन आयन सांद्रता का ऋणात्मक लघुगणक है, इसलिए कम pH मान का अर्थ है अधिक H⁺ सांद्रता। विलयन ‘A’ में H⁺ की सांद्रता 10⁻⁶ मोल/लीटर है, जबकि विलयन ‘B’ में यह 10⁻⁸ मोल/लीटर है, जो 100 गुना कम है।
प्रश्न 2. H+ (aq) आयन की सांद्रता का विलयन की प्रकृति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर- H⁺ (aq) आयन की सांद्रता विलयन की अम्लीयता को निर्धारित करती है। जैसे-जैसे H⁺ आयन की सांद्रता बढ़ती है, विलयन की अम्लीयता भी बढ़ती जाती है और pH मान घटता जाता है। उदाहरण के लिए, 10⁻² मोल/लीटर H⁺ सांद्रता वाला विलयन pH 2 के साथ एक प्रबल अम्ल है, जबकि 10⁻⁶ मोल/लीटर H⁺ सांद्रता वाला विलयन pH 6 के साथ एक दुर्बल अम्ल है। शुद्ध जल में H⁺ की सांद्रता 10⁻⁷ मोल/लीटर होती है, जो pH 7 (उदासीन) देती है। H⁺ सांद्रता का यह प्रभाव विलयन की रासायनिक प्रतिक्रियाशीलता और जैविक प्रक्रियाओं पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।
प्रश्न 3. क्या क्षारकीय विलयन में H+ (aq) आयन होते हैं? अगर हाँ, तो यह क्षारकीय क्यों होते हैं?
उत्तर- हाँ, क्षारकीय विलयन में भी H⁺ (aq) आयन होते हैं, लेकिन बहुत कम मात्रा में। क्षारकीय विलयन में हाइड्रॉक्साइड आयन (OH⁻) की सांद्रता H⁺ आयनों से अधिक होती है। जल का स्व-आयनन (H₂O ⇌ H⁺ + OH⁻) हमेशा कुछ H⁺ आयन उत्पन्न करता है। क्षारकीय विलयन में, OH⁻ आयन H⁺ आयनों से अधिक होते हैं, जो विलयन को क्षारकीय बनाते हैं। उदाहरण के लिए, pH 9 के क्षारकीय विलयन में H⁺ की सांद्रता 10⁻⁹ मोल/लीटर और OH⁻ की सांद्रता 10⁻⁵ मोल/लीटर होती है। इस प्रकार, OH⁻ आयनों की अधिकता विलयन को क्षारकीय बनाती है।
प्रश्न 4. कोई किसान खेत की मृदा की किस परिस्थिति में बिना बुझा हुआ चूना (कैल्शियम ऑक्साइड), बुझा हुआ चूना (कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड) या चॉक (कैल्शियम कार्बोनेट) का उपयोग करेगा?
उत्तर- किसान इन चूना उत्पादों का उपयोग तब करेगा जब खेत की मिट्टी अम्लीय हो (pH 7 से कम)। ये सभी यौगिक क्षारीय प्रकृति के होते हैं और मिट्टी के pH को बढ़ाकर उसे उदासीन या हल्का क्षारीय बनाते हैं। बिना बुझा हुआ चूना (CaO) सबसे अधिक प्रभावी होता है और इसका उपयोग अत्यधिक अम्लीय मिट्टी के लिए किया जाता है। बुझा हुआ चूना (Ca(OH)₂) मध्यम अम्लीयता के लिए उपयोगी है। चॉक (CaCO₃) सबसे कम प्रतिक्रियाशील है और इसका उपयोग हल्की अम्लीयता को ठीक करने के लिए किया जाता है। ये यौगिक न केवल मिट्टी का pH संतुलित करते हैं बल्कि पौधों के लिए आवश्यक कैल्शियम भी प्रदान करते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है।
पाठगत प्रश्न (पृष्ठ संख्या-36)
प्रश्न 1. CaOCI2 यौगिक का प्रचलित नाम क्या है?
उत्तर- CaOCl2 यौगिक का प्रचलित नाम ब्लीचिंग पाउडर या विरंजक चूर्ण है। यह एक सफेद पाउडर है जो कीटाणुनाशक और विरंजक के रूप में प्रयोग किया जाता है।
प्रश्न 2. उस पदार्थ का नाम बताइए जो क्लोरीन से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है|
उत्तर- शुष्क बुझा चूना (Ca(OH)2) क्लोरीन गैस से क्रिया करके विरंजक चूर्ण बनाता है। यह प्रक्रिया कैल्शियम हाइपोक्लोराइट (CaOCl2) का निर्माण करती है।
प्रश्न 3. कठोर जल को मृदु करने के लिए किस सोडियम यौगिक का उपयोग किया जाता है ?
उत्तर- कठोर जल को मृदु करने के लिए सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3) का उपयोग किया जाता है। यह यौगिक जल में घुलनशील कैल्शियम और मैग्नीशियम लवणों को अघुलनशील अवक्षेप में परिवर्तित करता है।
प्रश्न 4. सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर क्या होगा?समीकरण लिखिए |इस अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए |
उत्तर- सोडियम हाइड्रोजन कार्बोनेट के विलयन को गर्म करने पर निम्न अभिक्रिया होती है:
2NaHCO3 → Na2CO3 + H2O + CO2
इस प्रक्रिया में सोडियम कार्बोनेट, पानी और कार्बन डाइऑक्साइड बनते हैं।
प्रश्न 5. प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया के लिए समीकरण लिखिए।
उत्तर- प्लास्टर ऑफ पेरिस की जल के साथ अभिक्रिया:
CaSO4·½H2O + 1½H2O → CaSO4·2H2O
इस अभिक्रिया में प्लास्टर ऑफ पेरिस जल के साथ मिलकर जिप्सम बनाता है।
UP Board Class 10 Science Chapter 2 अभ्यास – Solutions
प्रश्न 1. कोई विलयन लाल लिटमस को नीला कर देता है, इसका pH संभवतः क्या होगा ?
(a) 1
(b) 4
(c) 5
(d) 10
उत्तर- (d) 10
प्रश्न 2. कोई विलयन अंडे के पिसे हुए कवच से अभिक्रिया कर एक गैस उत्पन्न करता है जो चूने के पानी दूध देती है। इस विलयन में क्या होगा ?
(a) NaCl
(b) HCI
c) LiCl
(d) KCI
उत्तर- (b) HCI
प्रश्न 3. NaOH का 10 mL विलयन के 8 mL विलयन से पूर्णतः उदासीन हो जाता है। यदि हम NaOH उसी विलयन का 20 mL लें तो इसे उदासीन करने के लिए HCI के उसी विलयन की कितनी मात्रा की आवश्यकता होगी?
(a) 4 mL
(b) 8 mL
(c) 12mL
(d) 16mL
उत्तर- (d) 16 mL
प्रश्न 4. अपच का उपचार करने के लिए निम्न में से किस औषधि का उपयोग होता है?
(a) एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक)
(b) एनालजेसिक (पीड़ाहरी)
(c) ऐन्टैसिड
(d) एंटीसेप्टिक (प्रतिरोधी)
उत्तर- (c) ऐन्टैसिड
प्रश्न 5. निम्न अभिक्रिया के लिए पहले शब्द- समीकरण लिखिए तथा उसके बाद संतुलित समीकरण लिखिए:–
(a) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल दानेदार जिंक के साथ अभिक्रिया करता है।
(b) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मैग्नीशियम पट्टी के साथ अभिक्रिया करता है।
(c) तनु सल्फ्यूरिक अम्ल एल्यूमीनियम चूर्ण के साथ अभिक्रिया करता है।
(d) तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल लोहे के रेतन के साथ अभिक्रिया करता है।
उत्तर-
(a) जिंक + सल्फ्यूरिक अम्ल → जिंक सल्फेट + हाइड्रोजन
Zn (s) + H₂SO₄ (aq) → ZnSO₄ (aq) + H₂ (g)
(b) मैग्नीशियम + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → मैग्नीशियम क्लोराइड + हाइड्रोजन
Mg (s) + 2HCl (aq) → MgCl₂ (aq) + H₂ (g)
(c) एल्यूमीनियम + सल्फ्यूरिक अम्ल → एल्यूमीनियम सल्फेट + हाइड्रोजन
2Al (s) + 3H₂SO₄ (aq) → Al₂(SO₄)₃ (aq) + 3H₂ (g)
(d) लोहा + हाइड्रोक्लोरिक अम्ल → आयरन (II) क्लोराइड + हाइड्रोजन
Fe (s) + 2HCl (aq) → FeCl₂ (aq) + H₂ (g)
प्रश्न 6. एल्कोहॉल और ग्लूकोज़ जैसे यौगिकों में भी हाइड्रोजन होते हैं लेकिन इनका वर्गीकरण अम्ल की तरह नहीं होता है। एक क्रियाकलाप द्वारा इसे साबित कीजिए |
उत्तर- एल्कोहॉल और ग्लूकोज में अम्लीय गुण नहीं होते हैं, इसे निम्न प्रयोग द्वारा सिद्ध किया जा सकता है:-
- तीन बीकर लें और उन्हें क्रमशः HCl, एल्कोहॉल, और ग्लूकोज विलयन से भरें।
- प्रत्येक बीकर में दो कार्बन इलेक्ट्रोड डालें जो बैटरी, स्विच और बल्ब से जुड़े हों।
- HCl विलयन में स्विच ऑन करने पर बल्ब जलेगा, जबकि एल्कोहॉल और ग्लूकोज विलयन में नहीं।
- यह दर्शाता है कि केवल HCl अम्ल है जो आयनीकृत होकर विद्युत का चालन करता है।
- एल्कोहॉल और ग्लूकोज में H⁺ आयन नहीं बनते, इसलिए वे अम्ल नहीं हैं।
प्रश्न 7. आसवित जल विद्युत् का चालक क्यों नहीं होता जबकि वर्षा जल होता है?
उत्तर- आसवित जल विद्युत का चालक नहीं होता क्योंकि इसमें आयन नहीं होते। वर्षा जल में कार्बन डाइऑक्साइड के घुलने से कार्बोनिक अम्ल बनता है, जो आयनीकृत होकर H⁺ और HCO₃⁻ आयन देता है। इसके अलावा, वर्षा जल में वायुमंडल से प्राप्त अन्य यौगिक भी घुले होते हैं जो आयन प्रदान करते हैं। ये आयन वर्षा जल को विद्युत का चालक बनाते हैं। आसवित जल में ये आयन नहीं होते, इसलिए यह विद्युत का चालक नहीं होता।
प्रश्न 8. जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय क्यों नहीं होता है?
उत्तर- जल की अनुपस्थिति में अम्ल का व्यवहार अम्लीय नहीं होता क्योंकि अम्ल के अम्लीय गुण H⁺ आयनों के कारण होते हैं। शुष्क अवस्था में, अम्ल अणु H⁺ आयन नहीं देते। जल की उपस्थिति में, अम्ल आयनीकृत होकर H⁺ आयन देते हैं (जैसे HCl + H₂O → H⁺ + Cl⁻)। ये H⁺ आयन ही अम्लीय व्यवहार के लिए जिम्मेदार होते हैं। इसलिए, जल की अनुपस्थिति में अम्ल अम्लीय व्यवहार नहीं दिखाते।
प्रश्न 9. पाँच विलयनों A, B, C, D वE की जब सार्वत्रिक सूचक से जाँच की जाती है तो pH के मान क्रमश: 4, 1, 11, 7 एवं 9 प्राप्त होते हैं। कौन विलयन
(a) विलयन D ( pH का मान 7 ) उदासीन है |
(b) विलयन C ( pH का मान 11 ) प्रबल क्षारीय है ।
(c) विलयन B ( pH का मान 1) प्रबल अम्लीय है ।
(d) विलयन A (pH) का मान 4 ) दुर्बल अम्लीय है |
(e) विलयन E (pH का मान 9) दुर्बल क्षारीय है
उत्तर- (1 < 4 < 7 < 9 < 11)
प्रश्न 10. परखनली ‘A’ एवं ‘B’ में समान लंबाई की मैग्नीशियम की पट्टी लीजिए | परखनली ‘A’ में हाइड्रोक्लोरिक अम्ल (HCI) तथा परखनली ‘B’ में एसिटिक अम्ल (CH, COOH) डालिए | दोनों अम्लों की मात्रा तथा सांद्रता समान हैं। किस परखनली में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होगी तथा क्यों ?
उत्तर- परखनली ‘A’ में अधिक तेज़ी से बुदबुदाहट होगी। HCl एक प्रबल अम्ल है जो पानी में पूरी तरह से आयनीकृत होता है, जबकि CH₃COOH एक दुर्बल अम्ल है। HCl अधिक H⁺ आयन देता है, जो मैग्नीशियम से तेज़ी से अभिक्रिया करके H₂ गैस बनाते हैं। इसलिए HCl वाली परखनली में अधिक तेज़ी से और अधिक मात्रा में हाइड्रोजन गैस उत्पन्न होगी, जिससे अधिक बुदबुदाहट दिखाई देगी।
प्रश्न 11. ताजे दूध के pH का मान 6 होता है। दही बन जाने पर इसके pH के मान में क्या परिवर्तन होगा ? अपना उत्तर समझाइए |
उत्तर- दही बनने पर दूध का pH मान 6 से घटकर लगभग 4.5 तक हो जाएगा। यह परिवर्तन दूध में मौजूद लैक्टोज (दूध शर्करा) के लैक्टिक अम्ल में परिवर्तन के कारण होता है। यह प्रक्रिया लैक्टिक अम्ल बैक्टीरिया द्वारा की जाती है। अम्ल की मात्रा बढ़ने से pH कम हो जाता है, जिससे दूध का स्वाद खट्टा हो जाता है और वह जम जाता है।
प्रश्न 12. एक ग्वाला ताजे दूध में थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाता है।
(a) ताज़ा दूध के pH के मान को 6 से बदलकर थोड़ा क्षारीय क्यों बना देता है ?
(b) इस दूध को दही बनने में अधिक समय क्यों लगता है?
उत्तर-
(a) ग्वाला ताजे दूध में बेकिंग सोडा मिलाकर उसे थोड़ा क्षारीय बनाता है ताकि दूध में अम्लीयता बढ़ने की प्रक्रिया धीमी हो जाए। यह दूध को जल्दी खराब होने से बचाता है।
(b) क्षारीय स्थिति में दूध को दही बनने में अधिक समय लगता है क्योंकि लैक्टिक अम्ल बैक्टीरिया क्षारीय माध्यम में धीमी गति से वृद्धि करते हैं। इसके अलावा, अतिरिक्त क्षार को निष्प्रभावी करने के लिए अधिक अम्ल की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 13. प्लास्टर ऑफ पेरिस को आद्र-रोधी बर्तन में क्यों रखा जाना चाहिए। इसकी व्याख्या कीजिए |
उत्तर- प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO₄·½H₂O) को आद्र-रोधी बर्तन में रखा जाता है क्योंकि यह नमी के संपर्क में आकर जिप्सम (CaSO₄·2H₂O) में परिवर्तित हो जाता है। यह प्रक्रिया अपरिवर्तनीय है और प्लास्टर ऑफ पेरिस के गुणों को नष्ट कर देती है। आद्र-रोधी बर्तन में रखने से यह सूखा रहता है और अपने मूल गुणों को बनाए रखता है, जिससे इसका उपयोग आवश्यकता पड़ने पर किया जा सकता है।
प्रश्न 14. उदासीनीकरण अभिक्रिया क्या है? दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर- उदासीनीकरण अभिक्रिया वह प्रक्रिया है जिसमें अम्ल और क्षार एक-दूसरे को निष्प्रभावी करके लवण और जल बनाते हैं। इस अभिक्रिया का सामान्य समीकरण है:
अम्ल + क्षार → लवण + जल
उदाहरण:-
- HCl (हाइड्रोक्लोरिक अम्ल) + NaOH (सोडियम हाइड्रॉक्साइड) → NaCl (सोडियम क्लोराइड) + H₂O
- अपच के दौरान, पेट में अतिरिक्त HCl को नियंत्रित करने के लिए Mg(OH)₂ (मैग्नीशियम हाइड्रॉक्साइड) युक्त एंटासिड का उपयोग किया जाता है।
प्रश्न 15. धोने का सोडा और बेकिंग सोडा के दो-दो प्रमुख उपयोग बताइए |
उत्तर- धोने का सोडा (Na₂CO₃·10H₂O) के दो प्रमुख उपयोग:-
- कपड़े धोने में: यह पानी की कठोरता को कम करता है और साबुन की कार्यक्षमता बढ़ाता है।
- काँच उद्योग में: यह सिलिका के साथ मिलकर काँच बनाने में प्रयुक्त होता है।
बेकिंग सोडा (NaHCO₃) के दो प्रमुख उपयोग:-
- बेकरी उत्पादों में: यह खमीर उठाने वाला एजेंट है जो केक और बिस्कुट को फुलाता है।
- अग्निशामक में: कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न करके आग बुझाने में प्रयोग किया जाता है।