Complete solutions for UP Board class 10 civics chapter 3 is available here. It is a free guide that presents you with the written question and answer of chapter 3 – “जाति, धर्म और लैंगिक मसले” in hindi medium. This guide is prepared by the subject experts and aligns with your latest syllabus.
यूपी बोर्ड कक्षा 10 की नागरिक शास्त्र पुस्तक का तीसरा अध्याय “जाति, धर्म और लैंगिक मसले” भारतीय समाज के कुछ महत्वपूर्ण और संवेदनशील पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करता है। इस अध्याय में आप भारतीय लोकतंत्र में जाति, धर्म और लिंग से संबंधित विभिन्न मुद्दों और चुनौतियों के बारे में गहराई से जानेंगे। यह अध्याय बताएगा कि कैसे ये सामाजिक विभाजन हमारी राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्था को प्रभावित करते हैं। आप समझेंगे कि भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में इन मुद्दों से कैसे निपटा जाता है और समानता तथा सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा, यह अध्याय इन मुद्दों से संबंधित संवैधानिक प्रावधानों और नीतियों पर भी प्रकाश डालेगा।

UP Board Class 10 Civics Chapter 3 Solutions
| Subject | Civics |
| Class | 10th |
| Chapter | 3. जाति, धर्म और लैंगिक मसले |
| Board | UP Board |
संक्षेप में लिखें
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. जीवन के उन विभिन्न पहलूओं का जिक्र करें जिनमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव होता है या वे कमज़ोर स्थिति में होती हैं।
उत्तर –
महिलाओं की स्थिति के संदर्भ में:
- स्वास्थ्य देखभाल में असमानता भी एक बड़ी समस्या है। कई परिवारों में लड़कियों और महिलाओं के स्वास्थ्य पर कम ध्यान दिया जाता है।
- कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, जो महिलाओं को अपना करियर बनाने से रोकता है।
- विरासत और संपत्ति के अधिकारों में भी भेदभाव देखा जाता है, हालांकि कानूनी सुधार हुए हैं।
सांप्रदायिक राजनीति के अतिरिक्त रूप:
- मीडिया का दुरुपयोग: कुछ मीडिया चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए गलत सूचनाओं का प्रसार करते हैं।
- शैक्षिक पाठ्यक्रम का सांप्रदायीकरण: इतिहास की पुस्तकों में एक खास धार्मिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देना।
- आर्थिक बहिष्कार: किसी विशेष समुदाय के व्यवसायों या उत्पादों का बहिष्कार करना।
ये मुद्दे जटिल हैं और इनके समाधान के लिए समाज के सभी वर्गों के सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है। शिक्षा, जागरूकता और प्रगतिशील नीतियां इन समस्याओं से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
प्रश्न 2. विभिन्न तरह की सांप्रदायिक राजनीति का ब्यौरा दें और सबके साथ एक-एक उदाहरण भी दें।
उत्तर – सांप्रदायिक राजनीति के विभिन्न रूप और उनके उदाहरण:-
- दैनिक जीवन में धार्मिक पूर्वाग्रह: विभिन्न धार्मिक समुदायों के बारे में रूढ़िवादी धारणाएं और एक धर्म को दूसरे से श्रेष्ठ मानना।
- धार्मिक आधार पर राजनीतिक दल: धर्म के नाम पर राजनीतिक दलों का गठन, जैसे भारत में अकाली दल या हिंदू महासभा।
- अलगाववादी मांगें: धर्म के आधार पर अलग राज्य की मांग, जैसे खालिस्तान आंदोलन।
- धार्मिक भावनाओं का राजनीतिक दोहन: चुनावों में वोट हासिल करने के लिए धार्मिक मुद्दों का इस्तेमाल, जैसे बाबरी मस्जिद विवाद।
- सांप्रदायिक हिंसा: धार्मिक आधार पर दंगे और हिंसा, जैसे 1984 के सिख विरोधी दंगे।
- शैक्षिक पाठ्यक्रम में हेरफेर: इतिहास की एकपक्षीय व्याख्या और पाठ्यपुस्तकों में विशेष विचारधारा का प्रचार।
- धार्मिक प्रतीकों का राजनीतिक उपयोग: चुनाव प्रचार में धार्मिक प्रतीकों और नारों का इस्तेमाल।
- सोशल मीडिया पर फैलाई जाने वाली सांप्रदायिक सामग्री: झूठी खबरें और भ्रामक जानकारी फैलाकर समुदायों के बीच तनाव पैदा करना।
प्रश्न 3. बताइए कि भारत में किस तरह अभी भी जातिगत असमानताएँ जारी हैं?
उत्तर – भारत में जातिगत असमानताओं के निरंतर अस्तित्व के प्रमुख कारण:-
- अंतर्जातीय विवाह की कम स्वीकार्यता: अधिकांश लोग अभी भी अपनी ही जाति में विवाह करना पसंद करते हैं।
- छुआछूत का अवशेष: कानूनी प्रतिबंध के बावजूद, कुछ क्षेत्रों में यह प्रथा अभी भी मौजूद है।
- आर्थिक असमानता: उच्च जातियों की तुलना में निम्न जातियों और दलितों की आर्थिक स्थिति सामान्यतः कमजोर है।
- शैक्षिक अंतर: ऐतिहासिक वंचना के कारण, निम्न जातियों में शिक्षा का स्तर अभी भी अपेक्षाकृत कम है।
- रोजगार में भेदभाव: कुछ क्षेत्रों में नौकरी और पदोन्नति में जातिगत पूर्वाग्रह देखा जाता है।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व का अभाव: उच्च पदों पर निम्न जातियों का प्रतिनिधित्व अभी भी अपर्याप्त है।
- सामाजिक बहिष्कार: कुछ समुदायों में निम्न जातियों को सामाजिक गतिविधियों से अलग रखा जाता है।
- मानसिकता में परिवर्तन की धीमी गति: जाति आधारित पूर्वाग्रहों को बदलने में समय लग रहा है।
प्रश्न 4. दो कारण बताएँ कि क्यों सिर्फ़ जाति के आधार पर भारत में चुनावी नतीजे तय नहीं हो सकते?
उत्तर –
- विविध मतदाता आधार: किसी भी चुनाव क्षेत्र में एक जाति का बहुमत नहीं होता, इसलिए उम्मीदवारों को विभिन्न जातियों और समुदायों का समर्थन जुटाना पड़ता है।
- मतदान के अन्य कारक: मतदाताओं के निर्णय केवल जाति पर नहीं, बल्कि राजनीतिक दलों की नीतियों, नेताओं की लोकप्रियता, और सरकार के प्रदर्शन पर भी निर्भर करते हैं।
- जाति-आधारित एकजुटता का अभाव: एक ही जाति के सभी लोग हमेशा एक ही दल को वोट नहीं देते, क्योंकि उनके व्यक्तिगत विचार और हित भिन्न हो सकते हैं।
- गठबंधन राजनीति: अक्सर चुनावों में दल गठबंधन बनाते हैं, जो जातिगत समीकरणों को जटिल बना देता है।
- मुद्दे-आधारित मतदान: कई मतदाता विकास, रोजगार, और सुशासन जैसे मुद्दों के आधार पर भी निर्णय लेते हैं, न कि सिर्फ जाति के आधार पर।
प्रश्न 5. भारत की विधायिकाओं में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की स्थिति क्या है?
उत्तर – भारत की विधायिकाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व दुर्भाग्यपूर्ण रूप से बहुत कम है। लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या कुल सदस्यों के 10% से भी कम है, जबकि राज्य विधानसभाओं में यह आँकड़ा और भी कम, लगभग 5% है। इस मामले में भारत कई अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों से भी पीछे है, जो एक चिंताजनक स्थिति है। हालाँकि कभी-कभार कोई महिला प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के पद तक पहुँच जाती है, लेकिन मंत्रिमंडलों में पुरुषों का ही वर्चस्व बना रहता है। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि राजनीतिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए ठोस प्रयासों और नीतिगत परिवर्तनों की आवश्यकता है।
प्रश्न 6. किन्हीं दो प्रावधानों का जिक्र करें जो भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाते हैं।
उत्तर – भारत को धर्मनिरपेक्ष देश बनाने वाले दो महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रावधान हैं।
पहला :-
भारत ने किसी भी धर्म को राजकीय या आधिकारिक धर्म के रूप में स्वीकार नहीं किया है, जो इसे श्रीलंका, पाकिस्तान या इंग्लैंड जैसे देशों से अलग करता है जहाँ एक विशिष्ट धर्म को विशेष दर्जा प्राप्त है।
दूसरा :-
संविधान सभी नागरिकों को किसी भी धर्म का पालन, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता देता है, साथ ही धर्म के आधार पर किए जाने वाले किसी भी प्रकार के भेदभाव को अवैध घोषित करता है। इन प्रावधानों के कारण, भारत में सभी धर्मों को समान महत्व दिया जाता है और नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार सुनिश्चित किया जाता है।
प्रश्न 7. जब हम लैंगिक विभाजन की बात करते हैं तो हमारा अभिप्राय होता है।
(क) स्त्री और पुरुष के बीच जैविक अंतर।
(ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।
(ग) बालक और बालिकाओं की संख्या का अनुपात।
(घ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में महिलाओं को मतदान का अधिकार न मिलना।
उत्तर – (ख) समाज द्वारा स्त्री और पुरुष को दी गई असमान भूमिकाएँ।
प्रश्न 8. भारत में यहाँ औरतों के लिए आरक्षण की व्यवस्था है।
(क) लोकसभा
(ख) विधानसभा
(ग) मंत्रिमंडल
(घ) पंचायती राज की संस्थाएँ।
उत्तर – (घ) पंचायती राज की संस्थाएँ।
प्रश्न 9. सांप्रदायिक राजनीति के अर्थ संबंधी निम्नलिखित कथनों पर गौर करें। सांप्रदायिक राजनीति इस धारणा पर आधारित है किः
(अ) एक धर्म दूसरों से श्रेष्ठ है।
(ब) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(स) एक धर्म के अनुयायी एक समुदाय बनाते हैं।
(द) एक धार्मिक समूह का प्रभुत्व बाकी सभी धर्मों पर कायम करने में शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता।
इनमें से कौन या कौन-कौन सा कथन सही है?
(क) अ, ब, स और द (ख) अ, ब, और द (ग) अ और स (घ) ब और द
उत्तर – (ग) अ और स सही है।
प्रश्न 10. भारतीय संविधान के बारे में कौन सा कथन गलत है?
(क) यह धर्म के आधार पर भेदभाव की मनाही करता है।
(ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
(ग) सभी लोगों को कोई भी धर्म मानने की आजादी देता है।
(घ) किसी धार्मिक समुदाय में सभी नागरिकों को बराबरी का अधिकार देता है।
उत्तर – (ख) यह एक धर्म को राजकीय धर्म बताता है।
प्रश्न 11. “…..”पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है।
उत्तर – जाति पर आधारित सामाजिक विभाजन सिर्फ भारत में ही है
प्रश्न 12. सूची I और सूची II का मेल कराएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब खोजें।


उत्तर – (रे) 1-ख, 2-क, 3-घ, 4-ग